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स्याह हाशिए / वेद हिमांशु-राजेंद्र निरंतर

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( इस पुस्तक का विवरण साहित्यकार संतोष सुपेकर के सौजन्य से प्राप्त ) लघुकथा-संकलन  : स्याह हाशिए    सम्पादक द्वय  : वेद हिमांशु-राजेंद्र निरंतर   अतिरिक्त 'स्याह हाशिये' के इस सम्पादकीय पृष्ठ पर 'हिन्दी लघुकथा' की शास्त्रीय मीमांसा की अपेक्षा यकीनन आपने की होगी, जो कि स्वाभाविक भी है, क्योंकि अब तक सभी संकलनों में ऐसा ही होता आया है ! किन्तु इस मुद्दे को जानबूझकर हम टालना चाहते हैं, इसलिए कि समकालीन हिन्दी लघुकथा की विधागत सारी शास्त्रीय शर्तें तय हो चुकी हैं, और पिछले दो दशक में छपे सभी लघुकथा संग्रहों में इस पर अच्छा-खासा लिखा जा चुका है। 'स्याह हाशिये' में इसे दोहराने का कोई औचित्य नहीं है और न ही इसके माध्यम से लघुकथा जगत के लेखकों में धर्मोपदेशक अथवा साहित्यिक ईसा मसीह बनने की हमें कोई रुचि है ! बावजूद इसके यह कहना जरूरी जान पड़ता है कि 'स्याह हाशिये' की लघुकथाएँ इस विधा में नई सृजनशीलता का एक सबूत आपको दे रही हैं। इसमें अधिकांश नाम ऐसे हैं जो अमूमन नहीं पढ़े गए या कम पढ़े गए, दरअसल 'स्याह हाशिए' का मूल उद्देश्य यही था कि इस क्षेत्र में सृजनर

जीवन है तो संघर्ष है / रमेश यादव

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लघुकथा-संग्रह  :  जीवन है तो संघर्ष है कथाकार  :  रमेश यादव प्रकाशक / विपणक इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड मुख्यालय : सी-122, सेक्टर-19,          नोएडा- 201301 गौतमबुद्ध नगर (एन. सी. आर. दिल्ली) फोन: +91 120437693,  मोबाइल +91 9873561826 कॉपीराइट : डॉ. रमेश यादव प्रथम संस्करण: 2024 ISBN: 978-81-979031-9-9 मूल्यः रुः 200.00/- (पेपरबैक) भूमिका रमेश यादव : एक सम्भावनावान लघुकथाकार उन्नीसवीं सदी के प्रारम्भ से ही भारतीय संस्कृति के आधारभूत मूल्यों, मान्यताओं और धार्मिक आधारों का विवेचन विदेशी विद्वानों द्वारा किया जाने लगा था। उन्नीसवीं सदी के बाद बीसवीं और बीसवीं सदी के बाद अब, इक्कीसवीं सदी तक आते-आते इसकी परिधि बढ़ती घटती रही है। काल-विशेष में जो विचार और कृत्य सांस्कृतिक कहलाते हैं, कालान्तर में वे परम्परा का रूप ग्रहण कर लेने के कारण त्याज्य भी होते रह सकते हैं। इसके मद्देनजर हम कह सकते हैं कि जीवन को आर्थिक अर्थवत्ता और पहचान देने वाली वह दृष्टि, जो आधारभूत मूल्यों से युक्त हो, संस्कृति है। संस्कृति का ताना-बाना कभी भी एक-जैसा नहीं रहता। इसमें धार्मिक परम्पराएँ, उत्सव, देवी-देवता आ

छोटे-छोटे ईसा व अन्य लघुकथाएँ /जसबीर ढंड

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लघुकथा संग्रह :  छोटे-छोटे ईसा व अन्य लघुकथाएँ लेखक : जसबीर ढंड अनुवादक : योगराज प्रभाकर अनुवादक सम्पर्क :  #53 'ऊषा विला' रॉयल एनक्लेव एक्सटेंशन, डीलवाल, पटियाला-147002  चलभाषः 98725-68228 प्रथम संस्करण: 2024  मूल्य: 250 रुपये प्रकाशक : देवशीला पब्लिकेशन शेराँवाला गेट, पटियाला - 147001 (पंजाब) चलभाषः 94649-69740 Email: corellover@gmail.com ISBN: 978-81-937659-7-5 अनुक्रमणिका 1. अंतहीन सिलसिला 2. अपना-अपना दायित्त्व 3. अपने-अपने हित 4. अरदास 5. आज के लिए 6. आज तक 7. आज भी 8. आजीवन 9. आमंत्रण 10. आशीर्वाद 11. इनकार 12. उपदेशक 13. उलटे पाँव 14. एक और मलाला 15. ऐ ज़िंदगी! 16. कंधा 17. काम का आदमी 18. कुत्ता रो रहा है 19. क्या होगा? 20. चाल-चलन 21. चिंतामुक्त 22. छमाही 23. छूट 24. छोटी-सी मुन्नी 25. छोटे-छोटे ईसा 26. जंजाल 27. जवाब 28. जाएँ तो जाएँ कहाँ 29. ज़िंदगीनामा 30. ढहते मीनार 31. दुख 32. दूसरा रावण 33. पतवार 34. पत्थर 35. पत्थर का बुत 36. परिंदा 37. पापा आ गए 38. पाबंदी 39. पिंजरा 40. प्रलय से पूर्व 41. फ़लसफ़ा 42. बच्चा और अंतिम अरदास 43. बरकतहीन सिक्का 44. बेअदबी 45. भेड़

अंतर्द्वंद्वों का सैलाब / स्नेह गोस्वामी (सम्पादक)

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लघुकथा-संकलन  : अंतर्द्वंद्वों का सैलाब    सम्पादक : स्नेह गोस्वामी प्रकाशक :  बोधि प्रकाशन  सी-46, सुदर्शनपुरा इंडस्ट्रियल एरिया एक्सटेंशन, नाला रोड,  22 गोदाम, जयपुर-302006  मो. : 7877238110, 9660520078, 9829018087  ई-मेल : bodhiprakashan@gmail.com कॉपीराइट : स्नेह गोस्वामी प्रथम संस्करण : 2024 ISBN : 978-93-5536-733-4 कम्प्यूटर ग्राफिक्स : बनवारी कुमावत आवरण संयोजन : बोधि टीम मुद्रक तरु ऑफसेट, जयपुर मूल्य : ₹ 199/- (पेपरबैक) कुल पृष्ठ  : 108 अनुक्रम भूमिकापरक आलेख  एकालाप शैली की लघुकथाओं का मूल स्वर : मानवीय अन्तर्द्वन्द्व / डाॅ. पुरुषोत्तम दुबे लघुकथा में नया रचनात्मक विमर्श: एकालाप शैली / डाॅ. शील कौशिक  मेरी बात / स्नेह गोस्वामी लघुकथाएँ आत्मालाप: अशोक भाटिया नई बयार : अलका गुप्ता व्यथा : अर्चना अनुपम जमीर: अनिता रश्मि मिथक : इरा जौहरी लखनऊ प्रायश्चित : कल्पना भट्ट सहेली : गीता चौबे गूंज रुदन : जगदीश राय कुलरियाँ तेरे नाम से शुरू तेरे नाम पर खतम... : दिव्या शर्मा  लाल बत्ती हरी बत्ती : नीरू मित्तल 'नीर' बदशक्ल : नीरू मित्तल 'नीर' वर्चुअल ऑटिज़्म : नलिनी श्रीवास्त

अन्वीक्षण / सन्तोष सुपेकर

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आलोचना पुस्तक  : अन्वीक्षण      (लघुकथा संबंधी समीक्षाएँ, आलेख एवं पत्र) लेखक  : सन्तोष सुपेकर  ISBN 978-81-966528-2-1 Anvikshan (Laghukatha Critique) © लेखक सन्तोष सुपेकर  प्रथम संस्करण : 2024  मूल्य : 300/- INR प्रकाशक : अक्षरवार्ता पब्लिकेशंस, उज्जैन (म.प्र.) मुखपृष्ठ एवं डिजाइन- हेमन्त भोपाळे पुरोवाक्.... पाठक को कृति के और करीब ले जाने की कोशिश- समीक्षा  समालोचना अपने आप में एक शास्त्र है। रिचर्ड्स ने समालोचना को कला न मानकर शास्त्र कहा है। रिचर्ड्स के मतानुसार समालोचना मूल्यांकन ही नहीं करती, बल्कि मानदण्ड भी निर्धारित करती है। उसने समालोचना के लिए भाषा में स्पष्टता, तथ्यपरकता एवं तार्किकता को अनिवार्य माना है। काव्यात्मकता, रहस्यमयता के साथ ही अस्पष्टता को उसने समालोचना के दोष स्वीकार किया है। समालोचक के सम्मुख एक-दो प्रश्न भी लम्बे समय से खड़े हुए हैं कि वह रचनाओं की श्रेष्ठता का मूल्यांकन कला की दृष्टि से करे, विधागत सीमाओं को देखकर करे या उस रचना की सामाजिक उपयोगिता के आधार पर करे? कैसे वह अपनी साहित्यिक प्रतिबद्धता और जन प्रतिबद्धता के मध्य एक संतुलन बनाये रखे ? वैसे पुराने

फ्लैट नंबर इक्कीस / राम मूरत 'राही'

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लघुकथा-संग्रह : फ्लैट नंबर इक्कीस    कथाकार  : राम मूरत 'राही' यह पुस्तक स्वतंत्र प्रकाशन समूह की 'निःशुल्क पुस्तक प्रकाशन योजना - 2023-2024' के तहत चयनित है। लेखक: राम मूरत 'राही' (सर्वाधिकार सुरक्षित) पहला संस्करण : 2024 आईएसबीएन : 978-93-5986-769-4 (पेपरबैक) अधिकतम विक्रय मूल्य (MRP) (रुपया में) पेपरबैक : 299/- हार्डबाउंड : *499/- ई-बुक : *99/- प्रकाशक : स्वतंत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड प्रधान कार्यालय : ए-26/ए, पहली मंजिल, पांडव नगर, दिल्ली-110092 झारखण्ड शाखा : गीता सदन, ध्रुव नगर, राँची रोड, पोस्ट मरार, जिला-रामगढ़, झारखण्ड-829117  उत्तर प्रदेश शाखा : 1608, बी-24, इको विलेज-3, ग्रेटर नॉएडा वेस्ट, गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश-201301 संपर्क : मोबाइल : 9811188949, 9811168349, व्हाट्सअप 9811188949 ई-मेल : mail@swatantraprakashan.com, swatantraprakashan@gmail.com वेबसाइट : www.swatantraprakashan.com आत्मकथ्य   सकारात्मक संदेश वाली लघुकथाएँ लिखीं जाएँ आज जिस तरह से क्रिकेट में टेस्ट मैच व वन डे मैच के बजाय ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच को दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया जाता

अशोक भाटिया@लघुकथा / राधेश्याम भारतीय

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पुस्तक  :  अशोक भाटिया@लघुकथा    लेखक : राधेश्याम  भारतीय  ISBN-978-81-973038-2-1 © लेखक प्रथम संस्करण - 2024 प्रकाशक - यूनिक्रिएशन पब्लिशर्स, सैक्टर-7, कुरुक्षेत्र - 136118, सम्पर्क - 90009-68400, theunicreation.com Email - unic.publishers10@gmail.com भारत में मुद्रित आवरण चित्र - निरवी (करनाल, उम्र 7 वर्ष) मूल्य - रु. 199/- अनुक्रम लघुकथा में अशोक भाटिया/राधेश्याम भारतीय लिखने के पीछे / अशोक भाटिया मत-अभिमत अशोक भाटिया का लघुकथा-साहित्य (चित्रों में) जंगल में आदमी अँधेरे में आँख सूत्रधार बालकांड ताना-बाना (बालकांडःदो) समकालीन हिन्दी लघुकथा परिन्दे पूछते हैं (लघुकथा विमर्श) लघुकथाः आकार और प्रकार लघुकथा में प्रतिरोध की चेतना श्रेष्ठ पंजाबी लघुकथाएँ पैंसठ हिन्दी लघुकथा निर्वाचित लघुकथाएँ विश्व साहित्य से लघुकथाएँ नींव के नायक पड़ाव और पड़ताल - 6 पंजाब से लघुकथाएँ हरियाणा से लघुकथाएँ देश-विदेश से कथाएँ सियाह हाशिए (सआदत हसन मंटो की लघुकथाएँ) कथा-समयः दस्तावेजी लघुकथाएँ प्रतिरोध सवाल-दर-सवाल इस सदी की उम्र लघुकथा में प्रयोग अशोक भाटिया की 66 लघुकथाएँ और उनकी पड़ताल क्या क्यूं कैसे@लघुकथा