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लघुकथा ट्रेवल्स / प्रबोध कुमार गोविल (संपादक)

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               लघुकथा ट्रेवल्स                 ( लघुकथा-संकलन ) सम्पादक : प्रबोध कुमार गोविल   अतिथि सम्पादक : कान्ता रॉय © लेखकाधीन ISBN: 978-93-5947-664-3 प्रकाशक : साहित्यागार धामाणी मार्केट की गली, चौड़ा रास्ता, जयपुर Phone :0141-2310785, 4022382, 2322382,  Mob.: 9314202010 e-mail: sahityagar@gmail.com website: sahityagar.com, webmail: mail@sahityagar.com Available on: amazon.in, flipkart.Com प्रथम संस्करण : 2024 मूल्य : ₹ 700.00 सम्पादकीय लघुकथा और समय साहित्य की एक विधा के रूप में लघुकथा का इतिहास बहुत पुराना नहीं है। इसे अब तक एक अपेक्षाकृत नई विधा ही कहा जाता रहा है। लेकिन यह स्थिति ठीक वैसी ही है जैसे विज्ञान के अध्येता जानते हैं कि ऑक्सीजन की खोज होने से पहले भी लोग इसी से साँस लेते थे अथवा वास्कोडिगामा द्वारा हमें खोज लेने से पहले भी हम थे और यहीं रहते थे। दरअसल खोज का ये सारा चक्र किसी भी चीज़ से स्वयं अपने को चस्पा कर लेने का है... हमने इसे तब पाया। हमारा यही 'हम' मानव की कहानी है। यही मनुष्य की जिजीविषा की दास्तान है। हम इसी के चश्मे से तमाम गुज़रे समय को देखते है

तीसरा तांडव / कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना

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पुस्तक  :          तीसरा तांडव                       (लघुकथा-संग्रह) कथाकार  : कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना ISBN: 97893-91484-52-1 मूल्य : रु. 260/- प्रथम संस्करण 2024 © लेखक आवरण : कांता रॉय प्रकाशक  अपना प्रकाशन, 54/ए, सेक्टर-सी, बंजारी, कोलार रोड, भोपाल 462042 (म.प्र.)  फोन: +91 9575465147 roy.kanta69@gmail.com अपनी बात सतत् सृजन शृंखला के तारतम्य को जारी रखते हुए मैं, 'गिरिजेश' एक बार फिर 'तीसरा तांडव' शीर्षक से आपके सन्मुख हूँ। तीसरा तांडव कोई धर्म गाथा या आदि पुरुष शंकर भोले नाथ का नया शाहकार या अवतार नहीं है, सीधे साधारण शब्दों मैं पहला लघुकथा संग्रह 'चाणक्य के दाँत' (72), आपके समक्ष रखा। आपका प्यार प्रेरणा स्वरुप 'गांधी के आँसू' (101) आपके समक्ष रखने का साहस कर पाया। उसके बाद थोड़ा विधा परिवर्तन हुआ और 'निजाम-ए-भोपाल' सैनिक इतिहास हिंदी रूपांतरण, 'पतझड़ के फूल', 'प्रेमगीत काव्य संग्रह' और 'तुणीर' (व्यंग्य काव्य संग्रह) आपके कर कमलों तक पहुँचे। इस मध्य लघुकथाएँ जो जीवन का एक निरंतर प्रवाह हैं, भी आकार लेती रहीं, गति थो

अनुपयोगी / कपिल शास्त्री

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लघुकथा-संग्रह  : अनुपयोगी कथाकार  : कपिल शास्त्री प्रकाशक वनिका पब्लिकेशन्स रजि. कार्यालयः एन ए-168, गली नं-6, विष्णु गार्डन, नई दिल्ली-110018  मुख्य कार्यालयः सरल कुटीर, आर्य नगर, नई बस्ती, बिजनौर-246701, उ.प्र. फोन: 09412713640 Email: contact@vanikaapublications.com, vanikaa.publications@gmail.com Website: www.vanikaapublications.com शीर्षक : अनुपयोगी C : कपिल शास्त्री संस्करण: प्रथम 2024 मुखावरण : देवीराम प्रजापति मूल्य : दो सौ तीस रुपये $ 20 मुद्रक : प्रतीक प्रिंटर्स, दिल्ली Title : Anupayogi (Laghukatha in Hindi) Writer: Kapil Shastri Price: Rs. 230/- $ 20 ISBN: 978-81-978084-0-1 अपनी बात वर्ष 2015 से जो लघुकथा लेखन के सफर की शुरुआत हुई थी उसे वर्ष 2017 में वनिका पब्लिकेशंस, बिजनौर द्वारा प्रकाशित मेरे पहले नघुकथा संग्रह 'जिंदगी की छलाँग' द्वारा एक सम्मानजनक पड़ाव मिला। सी वर्ष प्रकाशित होते साथ ही उज्जैन की साहित्यिक संस्था 'शब्द प्रवाह' द्वारा लघुकथा विधा में प्रथम पुरस्कार मिल जाना और वर्ष 2018 में इंदौर की साहित्यिक संस्था 'क्षितिज' द्वारा नवोदित लेखक स

लघुकथा वृत्तान्त / सूर्यकांत नागर

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पुस्तक  : लघुकथा वृत्तान्त                  (लघुकथा के विविध पक्षों का विशद विवेचन) लेखक : सूर्यकांत नागर   ISBN: 978-81-19206-50-6 प्रथम संस्करण : 2023 प्रकाशक : अद्विक पब्लिकेशन, 41, हसनपुर, आई. पी. एक्सटेंशन, पटपड़गंज, दिल्ली 110092 Tel: 011-43510732, 9560397075 ई मेल: advikpublication1@gmail.com Web:www.advikpublication.com © स्वत्वाधिकार : सूर्यकांत नागर कवर डिज़ाइन : शाहाब ख़ान प्रूफ़रीडिंग : व्योमा मिश्र पुस्तक सज्जा : बिपिन राजभर मूल्य : 190/- (एक सौ नब्बे रुपये मात्र) प्राक्कथन रफ़्ता-रफ़्ता ही सही, लघुकथा ने आज हिंदी साहित्य में मुक़म्मल मुक़ाम हासिल कर लिया है। न केवल लघुकथाएँ बड़ी संख्या में लिखी जा रही हैं बल्कि उसके सिद्धांत और सौंदर्य-शास्त्र पर भी काम हो रहा है। हाँ, विधा को गंभीरता से न लेनेवालों की वजह से विधा का चेहरा विरूपित लग सकता है। ऐसे में यदि श्रेष्ठ, प्रभावी लघुकथाएँ लिखी जाती रहेंगी तो कचरा स्वतः ही छँट जाएगा। लंबे समय से विधा से जुड़ाव के कारण लघुकथा में क्रमशः आए बदलावों का साक्षी रहा हूँ कि कैसे मिथकीय, पौराणिक और बोध कथाओं से निकलकर लघुकथा ने स्वयं को स

लघुकथाओं का खजाना / डॉ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल

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पुस्तक  : लघुकथाओं का खजाना कथाकार  : डॉ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल   प्रकाशक : किताब घर, 24/4855, अंसारी रोड, दरियागंज नई दिल्ली-110002 फोन नं. 011-45047517 e-mail: kitabghar11@gmail.com © लेखक संस्करण : 2024 (द्वितीय) शब्द - संयोजक : सौरभ कौशिक आवरण : सुरेंद्र गोस्वामी मूल्य : तीन सौ बीस रुपए (पेपरबैक) मुद्रक : सागर कलर स्कैन दरियागंज,           नई दिल्ली - 110002 LAGHUKATHAON KA KHAZANA (Hindi) by Dr. Yogendra Nath Shukla Price: 320 ISBN-978-81-952147-7-8 क्रम   1. जयकारे 2. महापुरुष 3. जान 4. शीर्षक 5. कैमरा 6. भूख 7. सफ़ेद गुलाब 8. कन्फेशन 9. चूल्हे में गया धरम 10. उस्ताद 11. मेमने 12. रोटी 13. बयार 14. पैमाना 15. पानी 16. यक्ष 17. चुनाव 18. पदक 19. बदलते नायक 20. आदि 21. किताब 22. टिड्डियाँ 23. एक नया सुकरात 24. कौए 25. मार्गदर्शक 26. बोली 27. स्वीट होम 28. भारत 29. शहीद स्मारक 30. चैनल 31. जिंदादिली 32. टोपी 33. गिरगिट 34. सच 35. मकर-संक्राति 36. तब्दीली 37. शिकारी 38. मातृ-छाया 39. कैदखाना 40. श्रवण कुमार 41. झंडा 42. चाहत 43. वजूद 44. बेनूर भारत माता 45. युद्ध 46. दारू 47. नेता 48. स

स्याह हाशिए / वेद हिमांशु-राजेंद्र निरंतर

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( इस पुस्तक का विवरण साहित्यकार संतोष सुपेकर के सौजन्य से प्राप्त ) लघुकथा-संकलन  : स्याह हाशिए    सम्पादक द्वय  : वेद हिमांशु-राजेंद्र निरंतर   अतिरिक्त 'स्याह हाशिये' के इस सम्पादकीय पृष्ठ पर 'हिन्दी लघुकथा' की शास्त्रीय मीमांसा की अपेक्षा यकीनन आपने की होगी, जो कि स्वाभाविक भी है, क्योंकि अब तक सभी संकलनों में ऐसा ही होता आया है ! किन्तु इस मुद्दे को जानबूझकर हम टालना चाहते हैं, इसलिए कि समकालीन हिन्दी लघुकथा की विधागत सारी शास्त्रीय शर्तें तय हो चुकी हैं, और पिछले दो दशक में छपे सभी लघुकथा संग्रहों में इस पर अच्छा-खासा लिखा जा चुका है। 'स्याह हाशिये' में इसे दोहराने का कोई औचित्य नहीं है और न ही इसके माध्यम से लघुकथा जगत के लेखकों में धर्मोपदेशक अथवा साहित्यिक ईसा मसीह बनने की हमें कोई रुचि है ! बावजूद इसके यह कहना जरूरी जान पड़ता है कि 'स्याह हाशिये' की लघुकथाएँ इस विधा में नई सृजनशीलता का एक सबूत आपको दे रही हैं। इसमें अधिकांश नाम ऐसे हैं जो अमूमन नहीं पढ़े गए या कम पढ़े गए, दरअसल 'स्याह हाशिए' का मूल उद्देश्य यही था कि इस क्षेत्र में सृजनर

जीवन है तो संघर्ष है / रमेश यादव

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लघुकथा-संग्रह  :  जीवन है तो संघर्ष है कथाकार  :  रमेश यादव प्रकाशक / विपणक इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड मुख्यालय : सी-122, सेक्टर-19,          नोएडा- 201301 गौतमबुद्ध नगर (एन. सी. आर. दिल्ली) फोन: +91 120437693,  मोबाइल +91 9873561826 कॉपीराइट : डॉ. रमेश यादव प्रथम संस्करण: 2024 ISBN: 978-81-979031-9-9 मूल्यः रुः 200.00/- (पेपरबैक) भूमिका रमेश यादव : एक सम्भावनावान लघुकथाकार उन्नीसवीं सदी के प्रारम्भ से ही भारतीय संस्कृति के आधारभूत मूल्यों, मान्यताओं और धार्मिक आधारों का विवेचन विदेशी विद्वानों द्वारा किया जाने लगा था। उन्नीसवीं सदी के बाद बीसवीं और बीसवीं सदी के बाद अब, इक्कीसवीं सदी तक आते-आते इसकी परिधि बढ़ती घटती रही है। काल-विशेष में जो विचार और कृत्य सांस्कृतिक कहलाते हैं, कालान्तर में वे परम्परा का रूप ग्रहण कर लेने के कारण त्याज्य भी होते रह सकते हैं। इसके मद्देनजर हम कह सकते हैं कि जीवन को आर्थिक अर्थवत्ता और पहचान देने वाली वह दृष्टि, जो आधारभूत मूल्यों से युक्त हो, संस्कृति है। संस्कृति का ताना-बाना कभी भी एक-जैसा नहीं रहता। इसमें धार्मिक परम्पराएँ, उत्सव, देवी-देवता आ