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अंतर्द्वंद्वों का सैलाब / स्नेह गोस्वामी (सम्पादक)

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लघुकथा-संकलन  : अंतर्द्वंद्वों का सैलाब    सम्पादक : स्नेह गोस्वामी प्रकाशक :  बोधि प्रकाशन  सी-46, सुदर्शनपुरा इंडस्ट्रियल एरिया एक्सटेंशन, नाला रोड,  22 गोदाम, जयपुर-302006  मो. : 7877238110, 9660520078, 9829018087  ई-मेल : bodhiprakashan@gmail.com कॉपीराइट : स्नेह गोस्वामी प्रथम संस्करण : 2024 ISBN : 978-93-5536-733-4 कम्प्यूटर ग्राफिक्स : बनवारी कुमावत आवरण संयोजन : बोधि टीम मुद्रक तरु ऑफसेट, जयपुर मूल्य : ₹ 199/- (पेपरबैक) कुल पृष्ठ  : 108 अनुक्रम भूमिकापरक आलेख  एकालाप शैली की लघुकथाओं का मूल स्वर : मानवीय अन्तर्द्वन्द्व / डाॅ. पुरुषोत्तम दुबे लघुकथा में नया रचनात्मक विमर्श: एकालाप शैली / डाॅ. शील कौशिक  मेरी बात / स्नेह गोस्वामी लघुकथाएँ आत्मालाप: अशोक भाटिया नई बयार : अलका गुप्ता व्यथा : अर्चना अनुपम जमीर: अनिता रश्मि मिथक : इरा जौहरी लखनऊ प्रायश्चित : कल्पना भट्ट सहेली : गीता चौबे गूंज रुदन : जगदीश राय कुलरियाँ तेरे नाम से शुरू तेरे नाम पर खतम... : दिव्या शर्मा  लाल बत्ती हरी बत्ती : नीरू मित्तल 'नीर' बदशक्ल : नीरू मित्तल 'नीर' वर्चुअल ऑटिज़्म : नलिनी श्रीवास्त

अन्वीक्षण / सन्तोष सुपेकर

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आलोचना पुस्तक  : अन्वीक्षण      (लघुकथा संबंधी समीक्षाएँ, आलेख एवं पत्र) लेखक  : सन्तोष सुपेकर  ISBN 978-81-966528-2-1 Anvikshan (Laghukatha Critique) © लेखक सन्तोष सुपेकर  प्रथम संस्करण : 2024  मूल्य : 300/- INR प्रकाशक : अक्षरवार्ता पब्लिकेशंस, उज्जैन (म.प्र.) मुखपृष्ठ एवं डिजाइन- हेमन्त भोपाळे पुरोवाक्.... पाठक को कृति के और करीब ले जाने की कोशिश- समीक्षा  समालोचना अपने आप में एक शास्त्र है। रिचर्ड्स ने समालोचना को कला न मानकर शास्त्र कहा है। रिचर्ड्स के मतानुसार समालोचना मूल्यांकन ही नहीं करती, बल्कि मानदण्ड भी निर्धारित करती है। उसने समालोचना के लिए भाषा में स्पष्टता, तथ्यपरकता एवं तार्किकता को अनिवार्य माना है। काव्यात्मकता, रहस्यमयता के साथ ही अस्पष्टता को उसने समालोचना के दोष स्वीकार किया है। समालोचक के सम्मुख एक-दो प्रश्न भी लम्बे समय से खड़े हुए हैं कि वह रचनाओं की श्रेष्ठता का मूल्यांकन कला की दृष्टि से करे, विधागत सीमाओं को देखकर करे या उस रचना की सामाजिक उपयोगिता के आधार पर करे? कैसे वह अपनी साहित्यिक प्रतिबद्धता और जन प्रतिबद्धता के मध्य एक संतुलन बनाये रखे ? वैसे पुराने

फ्लैट नंबर इक्कीस / राम मूरत 'राही'

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लघुकथा-संग्रह : फ्लैट नंबर इक्कीस    कथाकार  : राम मूरत 'राही' यह पुस्तक स्वतंत्र प्रकाशन समूह की 'निःशुल्क पुस्तक प्रकाशन योजना - 2023-2024' के तहत चयनित है। लेखक: राम मूरत 'राही' (सर्वाधिकार सुरक्षित) पहला संस्करण : 2024 आईएसबीएन : 978-93-5986-769-4 (पेपरबैक) अधिकतम विक्रय मूल्य (MRP) (रुपया में) पेपरबैक : 299/- हार्डबाउंड : *499/- ई-बुक : *99/- प्रकाशक : स्वतंत्र प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड प्रधान कार्यालय : ए-26/ए, पहली मंजिल, पांडव नगर, दिल्ली-110092 झारखण्ड शाखा : गीता सदन, ध्रुव नगर, राँची रोड, पोस्ट मरार, जिला-रामगढ़, झारखण्ड-829117  उत्तर प्रदेश शाखा : 1608, बी-24, इको विलेज-3, ग्रेटर नॉएडा वेस्ट, गौतमबुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश-201301 संपर्क : मोबाइल : 9811188949, 9811168349, व्हाट्सअप 9811188949 ई-मेल : mail@swatantraprakashan.com, swatantraprakashan@gmail.com वेबसाइट : www.swatantraprakashan.com आत्मकथ्य   सकारात्मक संदेश वाली लघुकथाएँ लिखीं जाएँ आज जिस तरह से क्रिकेट में टेस्ट मैच व वन डे मैच के बजाय ट्वेंटी-ट्वेंटी मैच को दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया जाता

अशोक भाटिया@लघुकथा / राधेश्याम भारतीय

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पुस्तक  :  अशोक भाटिया@लघुकथा    लेखक : राधेश्याम  भारतीय  ISBN-978-81-973038-2-1 © लेखक प्रथम संस्करण - 2024 प्रकाशक - यूनिक्रिएशन पब्लिशर्स, सैक्टर-7, कुरुक्षेत्र - 136118, सम्पर्क - 90009-68400, theunicreation.com Email - unic.publishers10@gmail.com भारत में मुद्रित आवरण चित्र - निरवी (करनाल, उम्र 7 वर्ष) मूल्य - रु. 199/- अनुक्रम लघुकथा में अशोक भाटिया/राधेश्याम भारतीय लिखने के पीछे / अशोक भाटिया मत-अभिमत अशोक भाटिया का लघुकथा-साहित्य (चित्रों में) जंगल में आदमी अँधेरे में आँख सूत्रधार बालकांड ताना-बाना (बालकांडःदो) समकालीन हिन्दी लघुकथा परिन्दे पूछते हैं (लघुकथा विमर्श) लघुकथाः आकार और प्रकार लघुकथा में प्रतिरोध की चेतना श्रेष्ठ पंजाबी लघुकथाएँ पैंसठ हिन्दी लघुकथा निर्वाचित लघुकथाएँ विश्व साहित्य से लघुकथाएँ नींव के नायक पड़ाव और पड़ताल - 6 पंजाब से लघुकथाएँ हरियाणा से लघुकथाएँ देश-विदेश से कथाएँ सियाह हाशिए (सआदत हसन मंटो की लघुकथाएँ) कथा-समयः दस्तावेजी लघुकथाएँ प्रतिरोध सवाल-दर-सवाल इस सदी की उम्र लघुकथा में प्रयोग अशोक भाटिया की 66 लघुकथाएँ और उनकी पड़ताल क्या क्यूं कैसे@लघुकथा

लघुकथा : नारी सशक्तिकरण / सुनीता प्रकाश (संपादक)

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लघुकथा-संकलन लघुकथा : नारी सशक्तिकरण  संपादक-सुनीता प्रकाश  ISBN: 978-93-91484-57-6 प्रथम संस्करण : 2024 मूल्य : 280.00 रुपये आवरण पृष्ठ : डॉ. सुमन एस. खरे प्रकाशक : अपना प्रकाशन 54/ए, सेक्टर-सी बंजारी, कोलार रोड  भोपाल - 462042 (म.प्र.)  मो.9575465147 ईमेल : roy.kanta69@gmail.com संपादक की कलम से ... • सुनीता प्रकाश  लघुकथा समाज के यथार्थ का ही चित्रण है। लघुकथा का अस्तित्व प्राचीन काल से कहानी के साथ ही प्रारंभ हुआ था, जो निरंतर अन्तरधारा के रूप में कहानी के साथ बहती आयी है। लघुकथा लंबी कहानियों के मध्य लघुकथा के रूप में प्रतिष्ठित कहानीकारों के द्वारा रची जाती रही है। हरिशंकर परसाई की 'जाति', माखन लाल चतुर्वेदी की 'बिल्ली और बुख़ार', रामवृक्ष बेनपुरी की 'पनिहारिन' आदि प्रमुख लघुकथाएँ हैं जो लघुकथा के कलेवर में हैं। माधवराव सप्रे जी की लघुकथा 'एक टोकरी भर मिट्टी' को कहानी विधा में लघु कहानी के रूप में भी चिन्हित किया गया है। बीसवीं शताब्दी में शरद जोशी, विष्णु प्रभाकर, रामनारायण उपाध्याय, प्रेमचंद, रावी जैसे रचनाकारों ने नये प्रयोग के साथ लघुकथा लिखी,

बिखरी चीनी / सुनीता प्रकाश

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लघुकथा-संग्रह  : बिखरी चीनी कथाकार  : सुनीता प्रकाश  ISBN: 978-93-91484-58-3 मूल्य : रु. 380/- प्रथम संस्करण 2024 • लेखक सुनीता प्रकाश आवरण : कान्ता रॉय प्रकाशक अपना प्रकारान 54/ए, सेक्टर-सी, बंजारी कोलार रोड, भोपाल 462042 (म.प्र.) फोन: +91 9575465147 roy.kanta69@gmail.com अनुक्रम अपने मन की बात  / सुनीता प्रकाश   गहरे संदेश के साथ समृद्ध लघुकथाओं का संग्रहण : सुनीता प्रकाश की लघुकथाएँ / कान्ता रॉय  आसपास बिखरे कथानकों  से चुनी और बुनी गई हृदय स्पर्शी लघुकथाएँ / घनश्याम मैथिल 'अमृत' लघुकथाएँ 1. साँसों का अभाव 2. बदलते रंग 3. मीठे बोल 4. अधिकार 5. सरकारी उपस्थिति 6. फैसला 7. घर 8. छुट्टी 9. लत 10. बुत 11. चौराहे का बुत 12. आधुनिक कृषक 13. माँ 14. क्लेम 15. नौकरी 16. पिता की सोच 17. पैंतरे 18. लिव इन रिलेशनशिप 19. पदोन्नति 20. पपी 21. करवाचौथ का उपवास 22. सहेलियाँ 23. छतरी 24. तिरंगा 25. सयानी बिटिया 26. भाग्य का चक्र 27. आस 28. व्रती 29. मुखौटा 30. बसेरा 31. सखा 32. यूनियन 33. अस्तित्व की तलाश 34. हड़ताल 35. स्वच्छता अभियान 36. पलटवार 37. वर्चस्व 38. संघर्ष 39. बिल 40. वार्तालाप

बची खुची सम्पत्ति / भवभूति मिश्र

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बची खुची सम्पत्ति (छोटी कहानियों का संग्रह) कथाकार : भवभूति मिश्र सम्पादक : ईशान कुमार मिश्र सह-सम्पादक : सितांशु शेखर वितरण-प्रबन्धक : अंगीरा मिश्र प्रथम संस्करण : सम्वत् 2011(सन् 1954) तृतीय संस्करण : सम्वत् 2045 (महाशिवरात्रि) (C) प्रकाशकाधीन  मूल्य : रुपये 25/- मात्र प्रकाशक : विभूति प्रकाशन, 'भवतारिणी', इन्द्रपुरी-1, रातू रोड, रांची-834005 (शाखा - दिल्ली) समर्पण आज 34 वर्षों के बाद इस पुस्तक का पुनः प्रकाशन मुझमें एक अज्ञात खुशी और चेतना का संचार कर रहा है। समय साक्षी है कि इन वर्षों में हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में आंदोलनात्मक परिवर्तन आए हैं। नये-नये प्रयोग , नये-नये उपचार। पर आज यह देखकर और भी आश्चर्य होता है कि कैसे इतने वर्षों पहले एक भविष्यद्रष्टा की तरह उन्होंने सब कुछ देख लिया था ! प्रयोग होते रहे हैं , होते रहेंगे पर साहित्य की वह शाश्वत धारा अबाध गति से चलती रहेगी जो साहित्य की संजीवनी है। इस विधा का रूप आज कुछ विकृत हो चला है। चुटकुले और साधारण व्यंग्य भी आज इसी श्रेणी में रक्खे जाने लगे हैं। तब ‘ बची खुची सम्पत्ति ’ का प्रकाशन नितांत ही आवश्यक हो उठा है