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जुलाई, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तालाबंदी/सुरेश सौरभ (सं.)

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लघुकथा-संकलन : तालाबंदी संपादक  :   सुरेश सौरभ  प्रकाशक : Shwetwarna Prakashan  232, B1, Lok Nayak Puram  New Delhi-110041, INDIA  Mobile: +91 8447540078 Email: shwetwarna@gmail.com Website: www.shwetwarna.com Copyright Author ISBN: 978-93-92617-92-8 लघुकथा-क्रम 1. पनाह - पवन शर्मा 2. पश्चाताप प्रवीण राही  3. पेट का दर्द - केदार नाथ 'शब्द मसीहा' 4. गोली की भी बचत - केदार नाथ 'शब्द मसीहा'  5. वो दहलीज - उमेश महदोषी 6. खुराक - गोविंद शर्मा  7. अच्छी आदत - गोविंद शर्मा 8. मेहरबानी - बजरंगी लाल यादव 9. कृष्णावतार - बजरंगी लाल यादव 10. संस्कार - डॉ. शैलेष गुप्त 'वीर'  11. असमानता - डॉ. चन्द्रेश कुमार छतलानी 12. पहचान - अविनाश अग्निहोत्री 13. तीसरा आदमी - बलराम अग्रवाल  14. विचार - विनियोजन- कान्ता रॉय 15. क्वारांटाइन - पुखराज सोलंकी 16. तालाबंदी - पुखराज सोलंकी 17. फरिश्ता - देवेन्द्रराज सुथार 18. ग़ुलाम - नज्म सुभाष 19. तब और अब - सतीश चंद्र श्रीवास्तव 20. सच - नीना सिन्हा 21. बचपन और बोहनी - प्रभुनाथ शुक्ल  22. मालगाड़ी - रंगनाथ द्विवेदी 23. कर्त्तव्य - मीरा जैन 24

दीवारें बोलती हैं/सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा

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लघुकथा-संग्रह  : दीवारें बोलती हैं कथाकार  : सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा ISBN: 978-93-85325-48-9 प्रकाशक : राज पब्लिशिंग हाउस 9 / 5123,   कौशिकपुरी,  गली नं. 1,      पुराना सीलमपुर, दिल्ली - 110031 E-mail : houserajpublishing@gmail.com Contect No. : 9136184246 मूल्य : तीन सौ पचास रुपए मात्र संस्करण : सन् 2022 © लेखकाधीन आवरण : विनय विक्रम सिंह ( नोएडा) मानवीय भावों का सूक्ष्म विश्लेषण करती लघुकथाएँ : 'दीवारें बोलती हैं' भीष्म साहनी एक जगह लिखते हैं-- "रचना लेखक की कलम नहीं करती, उसका मस्तिष्क नहीं करता, उसका भाव विह्वल हृदय करता है।" यह उक्ति सुरेन्द्र अरोड़ा के सद्यः प्रकाशित लघुकथा संग्रह 'दीवारें बोलती हैं', पर पूर्णतः चरितार्थ होती है। क्योंकि ये रचनाएँ मात्र लिखने के लिए नहीं बल्कि इनमें जो जीवन-मूल्य हैं, वे हमें जीवन को समझने की सीख देते हैं और भटकाव की राह से बचाते हैं। सुरेन्द्र अरोड़ा जी जीव विज्ञान के प्रवक्ता पद से सेनानिवृत्त हैं। इनके पास जीवन अनुभवों का अनमोल खजाना है और वह खजाना इनकी रचनाओं में बड़ी शिद्दत से अभिव्यक्त हुआ है। सुरेन्द्र जी की प्र

संभावना/पंकज साहा

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लघुकथा-संग्रह  : संभावना   कथाकार  :  डॉ पंकज साहा स्वत्त्वाधिकार : पंकज साहा  प्रथम संस्करण: 2022 ISBN: 978-93-93028-95-2 मूल्य: रु: 200.00/- (पेपरबैक) प्रकाशक / विपणक : इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड  मुख्यालय : सी- 122, सेक्टर 19,  नोएडा-201301  गौतमबुद्ध नगर ( एन. सी. आर. दिल्ली) फोन: +91120437693,  मोबाइल +919873561826 ई-मेल: indianetbooks@gmail.com website: www.indianetbooks.com भूमिका हिंदी साहित्य में कथाएँ विभिन्न रूपों में मिलती हैं। सामान्य तौर पर लघुकथा आकार में छोटी होती हैं किंतु वो स्वयं में परिपूर्ण होती हैं। प्राय: जीवन की किसी घटना या किसी भावना से जुड़ी होती हैं। छोटी कहानी होने के नाते इसमें कम शब्दों में संपूर्ण कहानी कही जा सकती है, जिसका अंत सार्थक शब्दों में होता है। यह उल्लेखनीय है कि लघुकथा किसी कहानी का संक्षिप्त रूप नहीं होता या किसी कहानी का सार नहीं होता, अपितु अपने आप में एक संपूर्ण विधा है । लघुकथा लिखने का दौर प्राय: 1940-50 के आस-पास कहा जाता है, किंतु 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में भी लघुकथाएँ कही गई हैं और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में लघुकथा लिखने

लघुकथा कौमुदी/ शकुंतला अग्रवाल 'शकुन'

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लघुकथा-संग्रह  : लघुकथा कौमुदी  कथाकार   : शकुंतला अग्रवाल  'शकुन' प्रकाशक : साहित्यागार धामाणी मार्केट की गली, चौड़ा रास्ता, जयपुर फोन : 0141-2310785, 4022382, 2322382, Mob.: 9314202010 e-mail: sahityagar@gmail.com website : sahityagar.com  webmail : mail@sahityagar.com संस्करण : 2022 ISBN : 978-93-92692-80-2 मूल्य : ₹ 200.00 आत्मकथ्य वर्तमान समय में अति व्यस्त जीवन-शैली के कारण, व्यक्ति के पास समयाभाव रहता है । अत: पठन-पाठन को ज्यादा समय दे पाना मुश्किल हो गया है। ऐसे दौर में लघुकथा, अंगद की तरह अपने पाँव जमाने में सफल होती दिखाई दे रही है। गद्य - साहित्य के अंतर्गत लघुकथा ही सबसे कम शब्दों में निरूपित होकर, पाठक के हृदय-पटल पर अपनी छाप छोड़ने में सफल हुई है। वीणापाणि की असीम कृपा से निजी लेखनी के द्वारा अब तक चार काव्य संग्रह की रचना हुई है। 'लघुकथा कौमुदी' एक ऐसा गुलदस्ता है, जिसमें आपको अनेक तरह के फूलों की खुशबू प्राप्त होगी। इसमें मैंने समाज के विभिन्न पहलुओं पर कलम चलाने की पुरजोर कोशिश की है। भाषा सहज व सरल है । आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वास है कि पुस्तक आपक

उजास / रामनिवास बाँयला

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लघुकथा-संग्रह  : उजास कथाकार  :  रामनिवास  बाँयला ISBN : 978-93-84364-20-5 © : प्रकाशक प्रकाशक :  अभिलाषा प्रकाशन विष्णु वस्त्र भण्डार के ऊपर मेन मार्केट,  पिलानी- 333031 ( राजस्थान) मोबाइल : 9462423378 मूल्य : 350.00 संस्करण: प्रथम, 2022 नए धरातल से अंकुरित होती लघुकथाएँ हिंदी लघुकथा साहित्य के इतिहास में झांक कर देखें तो, हिदी लघुकथा लेखन लगभग डेढ शताब्दी पूर्व शुरू हुआ । आधुनिक हिंदी साहित्य काल में, भारतेंदु हरिशचंद्र ने लघुकथा को हिंदी साहित्य की एक नई विधा के रूप में लिखने की शुरुआत, हास्य एवं व्यंग्य शैली से की तथा इन्हीं की इस नई लेखन शैली से प्रभावित होकर, इस युग के अन्य रचनाकार भी लघुआकारीय रचनाधर्मिता को अपने लेखन में विशेष स्थान देने लगे, तभी से यह लघुआकारीय रचनाएं दिन प्रतिदिन नए कथ्यों साथ पाठकों के सामने आने लगीं। इस समय ऐसी रचनाओं का नाम कोई विशेष शीर्षक नहीं था। छोटी कहानी के नाम से ही पहचानी जाती थी । गुजरते समय के समकालीन रचनाकार ऐसी रचनाओं को लघुकहानी, भावकथा, गद्यकाव्य आदि-आदि शब्दों से संबोधित कर लिया करते थे । सन 1938 में इन लघुआकारीय रचनाओं को एक उचित शीर्षक