संदेश

जनवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प ग चिह्न / अतुल कुमार

चित्र
90 पृष्ठीय इस पुस्तक में 38 पृष्ठ  काव्य  को 52 पृष्ठ  लघुकथा को दिए  गए हैं। पुस्तक : प ग चिह्न  कृतिकार  : अतुल कुमार  ISBN No. : 978-81-958754-1-2 सर्वाधिकार : @ लेखकाधीन प्रकाशक : विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान (पंजी.) ए-249, सेक्टर-46, नोएडा - 20130 मो. : 9810911826 ईमेल : atul.kumar018@gmail.com आवरण : श्वेताली कपूर शब्द संयोजन : विक्की कपूर मुद्रक : अमित कलर प्रिंटर्स, नोएडा संस्करण : 2022 मूल्य : 165.00 रुपए अपनी बात यूं ही सरे राह चलते-चलते कब मन में क्या विचार उभर आए, इसका पहले से कोई अनुमान नहीं होता। काल, घटनाएं, परिस्थितियां कुछ भी मन को कभी भी बींध सकते हैं। ऐसे अयास उपजे विचार मन में कितनी 'देर ठहरते हैं, कितना स्थिर रहते हैं, कितना प्रभावी होते हैं इसका भी पहले से कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। कुछ विचार, कुछ चित्र तो मन पर कोई प्रभाव डाले बिना ही ओझल हो जाते हैं और कुछ ठहर जाते हैं। इन ठहरे हुए विचारों में से कुछ कोई विशिष्ट रूप ले मन-मस्तिष्क में गूंजने लगते हैं। इनमें से भी कुछ की गूंज इतनी गहरी होती है कि वे कागज पर अंकित हो जाने को मचलते रहते हैं। समय के साथ इन विन्

ढका हुआ सौंदर्य / नीरजा कृष्णा

चित्र
लघुकथा-संग्रह  : ढका हुआ सौंदर्य  कथाकार  : नीरजा कृष्णा ISBN: 978-81-956276-4-6 प्रकाशक : स्वत्व प्रकाशन कुल्हड़िया कॉम्पलेक्स के निकट, अशोक राजपथ, पटना- 800004 e-mail : swatvaprakashan@gmail.com प्रथम संस्करण : 2022 मूल्य : ₹250.00 @ : लेखक शब्द संयोजन : स्वत्व प्रकाशन आवरण व पृष्ठसज्जा : चन्दन कुमार मुद्रक : थॉमसन प्रेस (इंडिया) लिमिटेड भूमिका मन को स्पर्श करती रचनाएँ परम आदरणीय नीरजा कृष्ण भाभी, यह जानकर मन खुशियों से भर गया कि आपकी छोटी-छोटी कहानियाँ कुछ ही दिनों में कथा संग्रह के रूप में एक पुस्तक का आकार लेने जा रही है। बीज कब आकार लेकर वटवृक्ष बनता है, पता नहीं चलता। गर्भ से प्रकट होने की यात्रा प्रसव पीड़ा के बाद का सुखद अहसास है। आप उस परिवार को प्रतिबिम्बित करती हैं जहाँ पीड़ित मानवता को समर्पित बड़े भाई डॉ० शाह अद्वैत कृष्ण जी, शिशु रोग विशेषज्ञ के साथ-साथ गीत, संगीत और साहित्य के रसिया हैं तथा उनका हंसता खेलता परिवार अन्य लोगों के लिए प्रेरक संदेश देता है। मैं खुशनसीब हूँ कि आपकी प्रथम पुस्तक 'ढका हुआ सौन्दर्य' के बारे में प्राक्कथन लिखने का मौका मिला है। कोरोना काल

मेरी मिनी / लाडो कटारिया

चित्र
लघुकथा-संग्रह : मेरी मिनी कथाकार : लाडो कटारिया प्रथम संस्करण: 2022 प्रकाशक : श्वेतांशु प्रकाशन D-14, ग्राउण्ड फ्लोर, नियर रामलीला पार्क, पाण्डव नगर, दिल्ली - 110092 दूरभाष: 8178326758, 9971193488  ईमेल: shwetanshuprakashan@gmail.com मुद्रक :- एस. पी. प्रिन्ट पॉइंट 49B / C, पाण्डव नगर, दिल्ली - 110092 मूल्य: ₹350/- ISBN: 978-93-91437-60-2 भूमिका : डा. घमंडीलाल अग्रवाल  अनुक्रमणिका क्र.सं. /  शीर्षक 1. मेरी मिनी 2. जाँबाज  3. मोहिनी 4. शायद 5. दुःख 6. एक तस्वीर यह भी 7. गरीबी 8, उजाला 9. आम आदमी 10. शाबाश 11. लाल रंग 12. पुत्रविहीन 13. दुखों का अन्त  14. प्रार्थना 15. किस्मत 16. सम्मान 17. जल का हल 18. न आना इस देश मेरी लाडो 19.बँटवारा  20.  रेशम कीट 21. कल्पवृक्ष 22. कहीं धूप-कहीं छाया 23. झूठी शेखी 24. जैसे को तैसा 25. तंत्र में खोट 26. ओह... 27. बहुरूपिया 28. स्वार्थ 29. हिन्दी की उपेक्षा 30. भिखारिन 31. अपनापन 32. स्वस्वभा9 33. भ्रष्टाचार 34. कठोर संकल्प 35. काम बोलता है 36. सूखी नदी 37. माँ जैसी 38. आज भी 39. कीमती सामान 40. देर है, अंधेर नहीं 41. मुझे चाँद चाहिए 42. सरहद पार 43. अ

आधी डगर (खण्ड दो) / सुरेश वशिष्ठ (डॉ.)

चित्र
पुस्तक  : आधी डगर (खण्ड दो) लेखक  : डाॅ.  सुरेश वशिष्ठ  Published by Vishu Publishing House 2992, Gali Shiv Sahaimal, Ballimaran,Delhi-06  Ph: 011-40159151, Mob: 9650401817 email: vishupublishinghouse@gmail.com @ : VishuPublishing House ISBN: 978-9391660-06-2 Edition 2022 Price: 995/- रचनाधर्मी और उसका लेखन द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भग्न यूरोप से एक आवाज उभरी 'ईश्वर मर गया है।' अर्थात अत्याचार इतना बढ़ चुका था कि हमने उस परम शक्ति की मौत का ऐलान कर दिया। वह शक्ति जो हमें नियंत्रित करती है, उचित और अनुचित का ज्ञान देती हैं, संस्कार अर्जित करती है। हमने उसे सिरे से नकार दिया। यह समझने की जहमत नहीं उठाई गई कि इस पृथ्वी पर रहने वाले ही यह सब रच रहे हैं, कहर बरसा रहे हैं। वे हमें अपाहिज करते हैं और तांडव बिखराते हैं। हम हैं कि नासमझी का ढोंग रचते चले आ रहे हैं। अणु में प्राण है, नर्तन है, क्रोध है, लय और ताल है, लालसा और चाहत है। प्रेम और समर्पण है, इन सबसे कोई अलग नहीं। हम हैं कि अच्छे से ढोंग रचाना और दूसरों को बंदर की तरह नचाना सीख गए हैं। हमने संवेदना के धरातल पर वास्तविक सच को

आधी डगर (खण्ड एक) / सुरेश वशिष्ठ

चित्र
पुस्तक  : आधी डगर (खण्ड एक) लेखक  :  सुरेश वशिष्ठ  Published by Vishu Publishing House 2992, Gali Shiv Sahaimal, Ballimaran, Delhi-06  Ph: 011-40159151, Mob: 9650401817 email: vishupublishinghouse@gmail.com @ : VishuPublishing House ISBN: 978-9391660-06-2 Edition 2022 Price: 995/- लेखन और उसकी सार्थकता धारणाएँ बदल रही हैं और संवेदनाएँ मर रही हैं। आदमी का अपना अस्तित्व बिखरने लगा है। उसे मशीन के कल-पुर्जों की तरह खोल कर परखा जाने लगा है। प्रगति के नाम पर वह गतिशील तो है लेकिन उसे जाने कहाँ पहुँचने की बेचैनी है? शांति और संस्कार तिरोहित हैं। तेजी से बदल रहे इस यथार्थ में उसे बहुत कुछ पा लेने की जल्दी है । कहीं दंगे, कहीं फसाद और कहीं घृणित रणनीति, आदमी ऐसे चक्रव्यहू में फँसकर रह गया है, जिससे निजात पाना अब आसान नहीं। ऐसे धरातल से मैने सच को उठाया है और उसे अपनी कहानियों में पिरोया है । लेखन एक वैचारिक प्रक्रिया है । इस प्रक्रिया में सोच के कठिन दौर से गुजरते यथार्थ के थपेड़ों और कल्पना के संचित बिंबों को पकड़ना होता है। उन्हें शब्दों बाँधते हुये वाक्य बनाना होता है । आज इस रंगमंच पर हर र

बेरंग चेहरे (लघुनाटक और लघुकथाएँ) /सुरेश वशिष्ठ (डाॅ.)

चित्र
पुस्तक  : बेरंग चेहरे (लघुनाटक और लघुकथाएँ) कथाकार  : डाॅ. सुरेश वशिष्ठ   ISBN : 978-81-925740-8-9 © : Dr. Suresh Vashisht प्रकाशक : गणपति बुक सैंटर 241/2, न्यू विकास नगर लोनी,  गाजियाबाद - 201102 प्रथम संस्करण : 2023 मूल्य : 175.00 मुद्रक : पूजा प्रिंटर्स, जगतपुरी, दिल्ली-110093 प्रूफ संशोधन : रवीन्द्र सिंह यादव बशर्ते, आप जागते रहें मेरे ये लघु नाटक ठोस और कठिन वैचारिक प्रक्रिया से गुजरते हुए शब्दों में बंध पाए हैं। इनकी मारक क्षमता अत्यधिक तीव्र है। इन्हें सहज मंच पर अभिनीत किया जा सकता है। कम अभिनेता और सहज साजो-सामान के साथ ये मुखर होकर यादों में वास करेंगे। इन्हें लिखते समय विचार प्रभावी रहा और यथार्थ की बेचैनी बाहर आती गई। स्वत: ही भीतर की अकुलाहट बाहर निकलती गई और मैंने इन्हें लिखकर पूरा किया। दरअसल मेरा लेखन मेरे अंतस में जन्म लेता है। नाटक के चरित्र भीतर में वार्तालाप करते हैं। ये वही पात्र हैं जो मेरे इर्द-गिर्द हर वक्त मंडराते रहते हैं। जिन्हें मैं हर दिन देखता हूँ। हर समय जिनके वाक्य मेरे कानों में गूँजते हैं। ऐसे वह दृश्य मेरी आँखों के सामने होते हैं, जिन्हें देखने पर हृ