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मन / डॉ. पूरन सिंह

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लघुकथा-संग्रह : मन   कथाकार  : डॉ. पूरन सिंह ISBN No :- 978-93-94275-14-0 प्रकाशक : कुटुम्ब प्रकाशन ए-721, शास्त्री नगर, नई दिल्ली-110052 दूरभाष : 7827713075  e-mail : kutumbprakashan@gmail.com संस्करण..2023 मूल्य :120.00 रुपए (पेपरबैक) @डॉ. पूरन सिंह मुख्य आवरण सज्जा......संदीप राशिनकर मुद्रक..:वि.को. प्रिंटर्स, दिल्ली वैधानिक चेतावनी  इस पुस्तक का सर्वाधिकार सुरक्षित है। लेखक की लिखित अनुमति के बिना इसके किसी भी अंश को फोटोकॉपी एवं रिकॉर्डिंग सहित इलेक्ट्रोनिक अथवा मशीनी किसी भी माध्यम से अथवा ज्ञान के संग्रहण एवं पुनर्प्रयोग की प्रणाली द्वारा किसी भी रूप में पुनरुत्पादित अथवा संचा रित प्रसारित नहीं किया जा सकता। प्रस्तुत पुस्तक के घटनाक्रम, पात्र, भाषा-शैली एवं स्थान सभी लेखक की कल्पना है, किसी भी प्रकार के वाद-विवाद के लिए प्रकाशक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है। भूमिका मेरे प्रिय एवं आत्मीय शिष्य डॉ. पूरन सिंह दलित साहित्य के एक चिर-परिचित हस्ताक्षर हैं, उनकी रचनात्मक प्रतिभा लघुकथा, कहानी एवं कविताओं के क्षेत्र में अनेक संग्रहों के अंदर देखी जा सकती है। लघुकथा में उन्हें विशेष दक्ष

अपने लोग /डॉ. प्रभाकर शर्मा - पं. आनन्द चतुर्वेदी (

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 (संतोष सुपेकर द्वारा प्रेषित) श्री निराला साहित्य मण्डल उज्जैन एक परिचय  श्री निराला साहित्य मण्डल उज्जैन का गठन 15 अक्टूबर 1961 को सर्वश्री राजेन्द्र शर्मा, कृष्ण गोपाल द्विवेदी, गिरिराजसिंह राणावत, महेश शर्मा की मंडली ने किया तथा दादा चिंतामणि उपाध्याय ने इस गठन की विधिवत् घोषणा की। डॉ शिवमंगल सिंह 'सुमन' और आचार्य गुरुवर राममूर्ति त्रिपाठी ने निराला साहित्य मंडल, उज्जैन के संरक्षक बनने की स्वीकृति प्रदान की । तत्कालीन अध्यक्ष बाबूलाल कोठारी जी के संपादन में 'विशाला' तथा 'प्रेरणा' काव्य संकलन  श्रीयुत आनंद चतुर्वेदी के संपादन में प्रकाशित हुआ। मंडल द्वारा आयोजित परिचर्चा, परिसंवाद, निबंध प्रतियोगिता के सफल आयोजन भी मंडल की देन रहे । निराला साहित्य मंडल के प्रयासों से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला कृत सरस्वती वंदना 'वीणा वादिनि वर दे' की रिकार्डिंग करवाकर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एस. राधाकृष्णन ने आकाशवाणी के दिल्ली केन्द्र से कई वर्षों तक प्रातःकालीन सभा का आयोजन करवाया जो अनेक वर्षों तक निरंतर जारी रहा । निराला साहित्य मंडल के कार्यक्रमों में वरिष्ठ साहित

लघुकथा वृत्त मई-जून 2021/ कांता रॉय (सं.)

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लघुकथा वृत्त मई-जून 2021 संयुक्तांक *** दिल्ली विशेषांक  के 20 पृष्ठों में दिल्ली लघुकथा का सम्पूर्ण परिदृश्य *** अनुक्रम  :  पृष्ठ संख्या - 4 *** आलेख - लघुकथा में समालोचना का भविष्य : रामेश्वर कांबोज 'हिमांशु' साहित्य की सारी विधाएँ, सभी साहित्यकार निष्पक्ष चिन्तन और तटस्थ मूल्यांकन से ही परखे जा सकते हैं । जिस साहित्य में पक्षपात और संकीर्ण चिन्तन से ग्रस्त होकर साहित्यकार या कृति का मूल्यांकन किया जाएगा, उसका नुकसान सभी को उठाना पड़ा। सैंकड़ों वर्षों से जिस शोशेबाजी की शुरुआत हुई थी, वह कमोबेश आज तक सभी विधाओं में जारी है । किसी ने मूल्यांकन किया यह कहकर-- सूर सूर, तुलसी शशि , उड़गन केशव दास । अबके कवि खद्योत सम, जहँ- तहँ करत प्रकास ॥ कुछ इनसे भी आगे निकले कि सूरदास सूर्य कैसे हो सकते हैं; सो बात पलट दी गई-- सूर शशि, तुलसी रवि, उड़गन केशव दास । इतना फ़तवा जारी हो गया तो अब अक़्ल से कुछ सोचने के लिए कुछ नहीं बचा । इस हल्लेबाजी में कबीर खो गए। रामचन्द्र शुक्ल ने सूर और तुलसी को आगे बढ़ाया तो खरी-खरी कहने वाले कबीर में मन नहीं रमा । डॉ हज़ारी प्रसाद जी ने कबीर को परखा तो डॉ रा

आदित्य संस्कृति (लघुकथा-विशेषांक) / भानु प्रकाश शर्मा (सं.)

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पत्रिका : आदित्य संस्कृति (लघुकथा-विशेषांक) अंक : अप्रैल 2023 संपादक  : भानु प्रकाश शर्मा  अतिथि संपादक उवाच ...... लघुकथा का ई-विशेषांक निकलना हर्ष का विषय है और प्रयोजन मूलक भी। जीवन की जटिलताओं ने मानव-दैनंदिनी को मकड़जाल सरिस बना दिया है। अब 24 घंटे का एक दिन छोटा पड़ने लगा है जबकि इसे बढ़ाना असंभव है। ऐसे में मनुष्य बहुधंधी हो गया है। एक समय में एकाधिक कार्यों को समाप्त कर लेने की चाहत में कोल्हू के बैल की तरह पिस रहा है फिर भी कार्यों की सूची छोटी होने की जगह बड़ी ही हो रही है। जबकि इन जटिलताओं का कारण भी वह स्वयं है। समय सबसे मूल्यवान है, अनमोल है और सीमित भी । यही कारण है कि मनुष्य सदैव से अधिकतम इच्छाओं की पूर्ति हेतु अधिकाधिक वस्तुओं के संयोग को चुनता है। साहित्य में भी एक बड़ी कृति लिखने या पढ़ने की अपेक्षा एकाधिक छोटी कृतियाँ लिखने या पढ़ने का चलन बढ़ा है। महाकाव्य, खंडकाव्य, उपन्यास, नाटक आदि चलन से बाहर हो रहे हैं। छोटे आकार की रचनाएँ पसंद की जा रही हैं। 'लघुकथा' इसी समयाभाव की वरीय उपज है। इस अंक में वरिष्ठ साहित्यकार अमरनाथ जी का लेख 'लघुकथा का इतिहास' इ

66 प्रयोगधर्मी लघुकथाएँ और उनकी पड़ताल / मधुदीप (संपादक)

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(इस पुस्तक के संपादक मधुदीप जी दिवंगत हैं और अब उनका संपर्क सूत्र इस पुस्तक के प्रकाशक ही हैं।) 66 प्रयोगधर्मी लघुकथाएँ और उनकी पड़ताल    संपादक : मधुदीप   प्रकाशक वनिका प्रकाशन (Vanikaa Prakashan ) बी-14, आर्य नगर, नई बस्ती,  बिजनौर - 246701, उ. प्र फोन : 9837244343  Email : sudhanshu.k.sharma@gmail.com, vanikaaprakashan@gmail.com Website: www.vanikaapublications.com संस्करण : प्रथम 2023 मुखावरण : सत्यपाल ग्राफिक्स मूल्य : चार सौ पचास रुपये $30 (हार्डबाउंड) कुल पृष्ठ  : 248 मुद्रक : प्रतीक प्रिंटर्स, दिल्ली क्रम लघुकथा में प्रयोगधर्मिता (सम्पादकीय) / मधुदीप / 11 पड़ाव 1. अनघा जोगलेकर / हालात / 19 2. अनिल शूर आजाद / जिन्दगी के पन्ने / 20 / 21 3. अनुराग शर्मा / बिग - क्लाउड - 2068  4. अर्चना राय / दूर क्षितिज पर / 23 5. अशोक यादव / वसीयत / 25 6. अशोक वर्मा / तुम यहीं हो / 26 7. अश्विनीकुमार आलोक / थोड़ा लिखा / 28 8. आशा भाटी / मीठी नीम, कड़वी नीम / 30 9. उपमा शर्मा / विडम्बना / 31 10. उमेश महादोषी / उस दिन के बाद / 32 11. कनक हरलालका / अनकही / 34  12. कमल चोपड़ा / जर्रे / 35 13. कमलेश

काँटों बीच गुलाब (लघुकथा-कहानी संग्रह / पुष्पा सिन्हा

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पुस्तक  :  काँटों बीच गुलाब (लघुकथा-कहानी संग्रह  कथाकार  : पुष्पा सिन्हा इस पुस्तक में व्यक्त विचार लेखिका के व्यक्तिगत हैं। इस पुस्तक में व्यक्त विचारों से शब्द संयोजक, मुद्रक एवं प्रकाशक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है। यह पुस्तक लेखिका की मौलिक रचना है। किसी भी वाद-विवाद की स्थिति में न्यायिक क्षेत्र केवल नई दिल्ली होगा। सर्वाधिकार सुरक्षित इस पुस्तक के किसी भी अंश का किसी भी रूप में चाहे इलेक्ट्रॉनिक अथवा मैकेनिक तकनीक से, फोटोकॉपी द्वारा या अन्य किसी प्रकार से पुनः प्रकाशन अथवा पुनः मुद्रण, लेखक / प्रकाशक की पूर्व लिखित अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता है। ISBN 978-93-92214-20-2 मूल्य : 395.00 प्रथम संस्करण: 2023 © सुरक्षित प्रकाशक : लिटरेचर लैण्ड (प्रकाशक एवं वितरक) जे-75-76, गली नं. 7, रामापार्क रोड,  मोहन गार्डन, उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059 चलभाष +91-7290973151, 8383863238 अणुडाक : literaturelandindia@gmail.com लेआउट : कॉन्वेक्स पब्लिशिंग सोल्यूशन, नई दिल्ली  मुद्रक : प्रिंटबिलिटी, नई दिल्ली-110059 आमुख 'कांटों बीच गुलाब' पुस्तक छोटी-बड़ी कहानियों का ऐसा संग्रह है, जिसमे

बीसवीं सदी की दहेज विषयक लघुकथाएँ और उनका वैशिष्ट्य / रामदुलार सिंह 'पराया'

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पुस्तक : बीसवीं सदी की दहेज विषयक लघुकथाएँ और उनका वैशिष्ट्य (शोध) लेखक : रामदुलार सिंह 'पराया' (डाॅ.) मूल्य : 250 रुपये सर्वाधिकार : सुरक्षित  प्रथम संस्करण : 2023 ई. प्रकाशक : जानकी दानी प्रकाशन 836, जीएच -3, साईंनाथ अपार्टमेंट,  सेक्टर - 28, रोहिणी, नयी दिल्ली-110042 दूरभाष : 9801699936, 8789335785  E-mail : jankidaniprakashan@gmail.com सार-संक्षेप यह शोध प्रबंध  'दहेज की अवधारणा से जुड़ी हुई हिंदी लघुकथा का अनुशीलन' वस्तुतः एक सामयिक अनुष्ठानिक प्रयास है, जो समाज को एक कुप्रथा की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करता है । दहेज के कारण आज अनेकानेक बहुओं की हत्या अथवा आत्महत्या के दृश्य देखने को मिलते हैं। दैनिक समाचार पत्रों के पन्नों में दहेज से संबंबद्धधित हत्या के समाचार विरल नहीं है। ऐसे में कन्या के पिता की दयनीय स्थिति की कल्पना सहज संभावित है। उत्तर प्रदेश के मुख्यालय लखनऊ से डेढ़-दो दशक से निकलने वाले प्रतिष्ठित 'दहेज दानव' पत्र ( सप्ताहिक - लखनऊ) के द्वारा समस्या उपचार पर्याप्त नहीं है। यह शोध प्रबंध इसी क्रम में आठ अध्यायों में लिखित है । दहेज का अर्थ, दहेज की

चुटीली लघुकथाएं / ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' (सं.)

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लघुकथा-संकलन  : चुटीली लघुकथाएं   संपादक : ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' अं.मा.पु.सं.( ISBN ) : 978-93-9256451-2 (पेपरबैक)  ©  : रचनाकार संस्करण : प्रथम (सन् 2023) किताबगंज प्रकाशन ICS (रेमण्ड शोरूम), राधाकृष्ण मार्केट, SBI बैंक के पास, गंगापुर सिटी - 322201 जिला-सवाई माधोपुर (राजस्थान) भारत ई-मेल : kitabganj@gmail.com facebook.com/kitabganjbooks www.kitabganj.com Mobile : 91-8750-660-105 आवरण : तथास्तु मुद्रक : बुक फैक्ट्री, नई दिल्ली ऑनलाईन : www.amazon.in मूल्य : ₹ 200/- (भारत में) $8.95 (विदेश में) अनुक्रमणिका अनिता रश्मि अरुण अर्णव खरे अशोक जैन डॉ. इन्दु गुप्ता उषा सोमानी अंजू खरबंदा अंजू निगम कनक हरलालका कल्पना भट्ट डॉ. कुंवर प्रेमिल कुसुम पारीक कृष्ण मनु कोमल वाधवनी 'प्रेरणा' गोविंद शर्मा तपेश भौमिक तारकेश्वरी 'सुधि' डॉ. चंद्रा सायता डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी नन्दा ठाकुर नीलम राकेश  नूतन गर्ग  पारस कुंज  पूनम कतरियार  पूनम झा डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा  डॉ. प्रमोद सागर  बबिता कंसल डॉ. मालती बसंत  मधुलिका श्रीवास्तव  मीरा जैन  डॉ. योगेन्द्र नाथ शुक्ल रशीद गौरी  र

तिनका तिनका मन / नीरू मित्तल 'नीर'

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लघुकथा संग्रह  : तिनका तिनका मन  कथाकार   :  नीरू मित्तल 'नीर' बोधि प्रकाशन सी-46, सुदर्शनपुरा इंडस्ट्रियल एरिया एक्सटेंशन नाला रोड, 22 गोदाम, जयपुर-302006  फोन : 0141-2213700, 9829018087  ई-मेल : bodhiprakashan@gmail.com कॉपीराइट © नीरू मित्तल 'नीर' प्रथम संस्करण : 2022 ISBN : 978-93-5536-359-6 कम्प्यूटर ग्राफिक्स : बनवारी कुमावत  आवरण संयोजन : बोधि टीम मुद्रक : तरु ऑफसेट, जयपुर मूल्य : ₹250/- तिनका तिनका मन यानी जीवन के मार्मिक प्रसंग यह सुनिश्चित है कि समकालीन लघुकथा के केन्द्र में मनुष्य है और मनुष्य की पूर्णता उसकी चौतरफा दुनिया (सराउंडिंग) के बिना अधूरी है। इसलिए पात्र के तौर पर लघुकथा को जितनी आवश्यकता मनुष्य की है, उतनी ही आवश्यकता उसकी चौतरफा दुनिया की भी है। चौतरफा दुनिया से तात्पर्य है, उसके चारों ओर विद्यमान नदी, तालाब, पोखर, पेड़, पौधे, घास, पशु, पक्षी, पहाड़, पहाड़ों और मैदानों में होने वाली बारिश, बादल यहाँ तक कि इन सबसे निर्मित उसका परिवेश भी। इसलिए कुछेक उन विद्वानों को, जो समकालीन लघुकथा में मानवेतर पात्रों की निर्मिति को पुरातनपंथी समझते हैं, सलाह है,