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मधुदीप केंद्रित विशेषांक-2023 / उमेश महादोषी (संपादक)

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पत्रिका : अविराम साहित्यिकी (जनवरी-मार्च।                   2023) संपादक  : डाॅ. उमेश महादोषी ।। माइक पर / उमेश महादोषी ।। ■ मधुदीप जी दैहिक रूप में आज हमारे बीच नहीं हैं किन्तु क्या हममें से कोई कह सकता है कि मधुदीप जी आज हमारे बीच नहीं हैं? निश्चित रूप से नहीं! एक सुगन्ध है, जिसमें वे हैं। एक भावना है, जिसमें वे हैं और भावना का प्रेरक जो यथार्थ है, उसमें भी वे हैं। वास्तविकता तो यह है कि यथार्थ ने ही उन्हें जीवन देकर भावना के उन्नयन और सुगन्ध के विस्तार में समाहित किया। यदि ऐसा नहीं होता तो इक्कीसवीं सदी में किसी ने उनका नाम नहीं सुना होता। सेतु हेतु और परिणाम के पड़ावों से गुजरती यात्रा के साक्षी बिरले ही बन पाते हैं। मधुदीप जी के सन्दर्भ में लघुकथा श्रृंखला पड़ाव और पड़ताल उतना महत्वपूर्ण नहीं है, महत्त्वपूर्ण दिशा प्रकाशन, दिशा सम्मान भी नहीं हैं, महत्वपूर्ण 'नमिता सिंह के माध्यम से लघुकथा के पात्रों की सक्रियता एवं साहस का रेखांकन भी नहीं है, 'लघुकथा के समीक्षा - बिन्दु के माध्यम से लघुकथा को विभिन्न कोणों से समझने का आधार भी महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह भी नहीं है क

काले दिन / बलराम अग्रवाल

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समीक्षा-1 / डाॅ. संध्या तिवारी   समीक्षा-2 /  धर्मपाल साहिल लघुकथा-संग्रह  : काले दिन  कथाकार  : बलराम अग्रवाल   प्रथम संस्करण  : 2021 द्वितीय संस्करण  : 2023 प्रकाशक : मेधा बुक्स एक्स 11, नवीन शाहदरा दिल्ली-110 032 मोबाइल  : 98910 22477  ई-मेल : medhabooks@gmail.com मूल्य : ₹ 100.00 $ 10.00 £5.00 © बलराम अग्रवाल द्वितीय संस्करण सन् 2023 आवरण : के. रवीन्द्र KAALE DIN Laghukathas (short short stories) by Balram Agarwal ISBN 978-81-8166-21-5 बतौर भूमिका (पहले संस्करण से ) काले और डरावने दिन इस संग्रह में यों तो 2018-19 में लिखित भी कुछ रचनाएँ हैं; लेकिन अधिकतर लेखन जनवरी 2020 से अक्टूबर 2020 के मध्य का है। 19 मार्च 2020 के बाद पहली बार मैं जुलाई में घर से निकला । 90-95 वर्ष के बुजुर्गों के मुँह से बार-बार सुनने को मिला कि भय का ऐसा तांडव अपनी जिन्दगी में इससे पहले उन्होंने कभी नहीं देखा। अस्पताल में मृत व्यक्ति का शव परिवार को न सौंपा जाना पहली बार हुआ। शव को आपादमस्तक पोलिथीन में इस कदर लपेटकर श्मशान पहुँचाया और जलाया / दफनाया गया कि उसका चेहरा तक देखने की अनुमति किसी को नहीं थी। ऐसे मे

अंततः / मधु जैन

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लघुकथा-संग्रह  : अंततः  कथाकार  : मधु जैन प्रकाशक : वनिका पब्लिकेशन्स रजि. कार्यालय : एन ए-168, गली नं 6. विष्णु गार्डन, नई दिल्ली-110018  मुख्य कार्यालय : सरल कुटीर, आर्य नगर, नई बस्ती, बिजनौर- 246701, उ.प्र.  फोन: 09412713640 Email: contact@vanikaapublications.com, vanikaa.publications@gmail.com Website: www.vanikaapublications.com संस्करण प्रथम : 2023 कुल पृष्ठ संख्या : 144 मूल्य : दो सौ पचास रुपये $ 15 (पेपरबैक) मुद्रक : प्रतीक प्रिंटर्स, दिल्ली ISBN- 978-93-86436-89-4 अपनी बात मेरा प्रथम लघुकथा संग्रह 'एक कतरा रौशनी' पर दोस्तों, पाठकों और  समीक्षकों की सराहना से उत्साहवर्धन हुआ है। इसी फलस्वरूप अब आपके  सम्मुख दूसरा लघुकथा संग्रह 'अंततः' है। पाठकों की सकारात्मक टिप्पणियाँ तो  उत्साह बढ़ाती ही हैं पर आलोचनात्मक टिप्पणी लेखन में सुधार लाने में  महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। 'अंततः' लघुकथा संग्रह में 86 लघुकथाएँ हैं। मेरी  कथाएँ समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वास पर चोट करते हुए उसके समाधान को भी इंगित करती हैं। संग्रह की लघुकथाएँ आपको रोमांचित तो करेंगी

बेमिसाल लघुकथाएँ : बलराम अग्रवाल / जितेन्द्र जीतू (संपादक)

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लघुकथा-संग्रह  :  बेमिसाल लघुकथाएँ           कथाकार : बलराम अग्रवाल         चयनकर्ता : जितेन्द्र जीतू ISBN: 978-93-92581-55-7 श्रृंखला संपादक : डॉ. जितेन्द्र जीतू © बलराम अग्रवाल मुद्रक : मणिपाल टेक्नोलॉजीज लिमिटेड आवरण: महेश्वर प्रकाशक : पुस्तकनामा,  डी-77/ एसएफ-202, शौर्यपुरम सोसाइटी, जिन्दल पब्लिक स्कूल के नजदीक एनएच-24, बम्हेटा, पोस्ट - कविनगर, गाजियाबाद 201002 (उ.प्र.)  ईमेल: info@pustaknama.com प्रथम संस्करण: 2023 मूल्य : ₹200 अपनी बात बलराम अग्रवाल विधा के उत्थान को एक मिशन की तरह लेने वाले सच्चे, संकल्पित लघुकथाकार हैं। इनके पास भाषा का चमत्कार और शिल्प की बहार है जिनका ये येन केन प्रकारेण अपनी लघुकथाओं में प्रयोग-अनुप्रयोग-उपयोग करते हैं। बलराम अग्रवाल उस दौर के हैं जब लघुकथा अल्हड़-सी थी और यौवन की अंगड़ाई भी नहीं ली थी। इनके तब के साथियों में से बहुतों ने दूसरी विधाओं में हाथ आजमाया किंतु ये लघुकथा से ही जुड़े रहे एवं उसे विधा का दर्जा दिलाकर ही माने। आरंभ में जिस लघुकथा लेखन को ये मिशन के तौर पर अपनाकर चल रहे थे. हैरानी व संतोष का विषय है कि अभी तक इन्होंने लाख रुकावटों व स