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कथा चलती रहे / स्नेह गोस्वामी

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लघुकथा-संग्रह : कथा चलती रहे कथाकार : स्नेह गोस्वामी प्रथम संस्करण : 2022 ISBN : 978-93-5536-100-4 प्रकाशक : बोधि प्रकाशन सी - 46, सुदर्शनपुरा इंडस्ट्रियल एरिया एक्सटेंशन नाला रोड, 22 गोदाम, जयपुर-302006  फोन : 0141-2213700, 9829018087 ई-मेल : bodhiprakashan@gmail.com अनुक्रम नई महाभारत कथा चलती रहे एक सुर विशेषज्ञ द्विदाम्नी हमसाया रक्षक सुनो सुमुखी कभी तो सुनो ये शहर तो .... तीन तलाक़ दावेदारी पत्थर में दूब कोटा शाखाओं से जुड़ा आदमी सौदेबाज दीमक कोशिश प्रार्थना सोनू की माई सौत चर्चा जारी है : एक चर्चा जारी है : दो भीड़ और भेड़ें नो प्रॉब्लम ताजा हवा काम बेवकूफ बलि का बकरा अशोक नई सुबह हो गई  आँखों की ज्योति अपराधी अकथ जुगाड़ बारिश का पानी मकान न. 6/1499 पुरानी चीज़ सम्भाल नियति विश्वास की नींव गुम हुआ पुल कैक्टस से बिंधी तितली छोटी बहू का स्वागत जगत अभी सो रहा है रंग बदलता गिरगिट विद्रोहिणी दीवाली की पार्टी लूट अपराजेय नया सच बिखरी गुठलियाँ समर्था तुम कहाँ खो गई हो बिटिया बड़ा होता बचपन चक्र - दुष्चक्र टपरवास पत्थर फुर्सत हसरत सुकून नंगू लालच के बिना होना एक शहर का हिलना पूँछ का मानमर

रोहितकुमार 'हैप्पी' (ऑकलैण्ड, न्यूजीलैंड) की पाँच लघुकथायेंलघुकथा संग्रह-2023

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दूसरा रुख "चित्रकार दोस्त ने भेंट स्वरूप एक तस्वीर दी। आवरण हटाकर देखा, तो निहायत खुशी हुई। तस्वीर भारत माता की थी। माँ-सी सुन्दर, भोली सूरत, अधरों पर मुस्कान, कंठ में सुशोभित जेवरात, मस्तक को और ऊँचा करता हुआ मुकुट और हाथ में तिरंगा। मैं लगातार उस तस्वीर को देखता रहा। तभी क्या देखता हूँ कि तस्वीर में से एक और औरत निकली। अधेड़ उम्र, अस्त-व्यस्त दशा, आँखों से छलकते आँसू उसके शरीर पर काफी घाव थे। कुछ ताजे घाव, कुछ घावों के निशान मैंने पूछा, "तुम कौन हो?"  वह बोली, "मैं तुम्हारी माँ हूँ, भारत माँ!" मैंने हैरत से पूछा, "भारत माँ? पर तुम्हारी यह दशा! चित्रकार ने तो कुछ और ही तस्वीर दिखाई थी! तुम्हारा मुकुट कहाँ है? तुम्हारे ये बेतरतीब बिखरे केश, मुकुट विहीन मस्तक और फटे हुए वस्त्र नहीं, तुम भारत माता नहीं हो सकती!" मैंने अविश्वास प्रकट किया। वह कहने लगी, “तुम ठीक कहते हो। चित्रकार की कल्पना भी अनुचित नहीं है। पहले तो मैं बंदी थी। फिर बंधन से तो छूट गई, पर अब घावों से ग्रस्त हूँ। कुछ घाव गैरों ने दिए हैं, तो कुछ अपने ही बच्चों ने। रही बात मेरे मुकुट और ज़ेवर

वामन से विराट -2022/सुमतिकुमार जैन (सं.)

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विवरण प्रेषक : ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' लघुकथा संकलन : वामन से विराट  संपादक :   सुमतिकुमार जैन (89490 29953) प्रकाशक : दीपज्योति ग्रुप ऑफ पब्लिकेशन, महावीर मार्ग, अलवर- 301001  मोबाइल नंबर : 94148 93120 पृष्ठ संख्या- 164  मूल्य- ₹300 आईएसबीएन  : 978-81-952984-2-6 संकलन की 'वर्तमान परिपेक्ष में लघुकथा की प्रासंगिकता और प्रयोजन' भूमिका प्रसिद्ध कथाकार माधव नागदा ने लिखी है । पिचहत्तर लघुकथाकारों की लघुकथाओं का संकलन पठनीय ही नहीं संग्रहणीय बन पड़ा है। रचनाकारों के संक्षिप्त परिचय सहित सचित्र साज-सज्जा के साथ संकलन प्रकाशित हुआ है। संकलित कथाकार   आभा दुबे डॉ. आदित्य कुमार 'अंशु' अलका मित्तल आनंद दीवान अनिल कुमार वर्मा 'मधुर' डॉ. अंजु दुआ 'जैमिनी' डॉ. अंजु कंसल कनुप्रिया' डॉ. आरती भदौरिया डॉ. आशा मेहता आशीष पारीक चैतन्य बीना चतुर्वेदी डॉ. दीपिका राव धर्मिष्ठा पंडया दिनेश छाजेड़ दिव्या आबूसरिया गिरधारी विजय 'अतुल' गोविन्द भारद्वाज ज्ञानप्रकाश 'पीयूष' ज्ञानवती सक्सेना हरिश्चन्द्र शर्मा 'सरगम' हेमंत यादव हिमाद्री 'समर

हिन्दी लघुकथा का इतिहास /डॉ. सत्यवीर मानव

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लघुकथा आलोचना कृति : हिन्दी लघुकथा का                                      इतिहास  लेखक : डॉ. सत्यवीर मानव ISBN : 978-93-84569-99-0 प्रथम संस्करण : जून, 2020 प्रकाशक : समन्वय प्रकाशन के. बी. 97, (प्रथम-तल), कविनगर, गाज़ियाबाद-201002  मो. : 09911669722 हिन्दी - लघुकथा का इतिहास/ डॉ. सत्यवीर 'मानव' मूल्य : पाँच सौ रुपये email: samanvya.prakashan@gmail.com Website : www.samanvayprakashan.com कम्प्यूटरीकृत : लक्की कम्प्यूटर, गाज़ियाबाद मुद्रक : शर्मा ऑफसेट प्रोसेस, गाज़ियाबाद आवरण : शशि © डॉ. सत्यवीर 'मानव' प्राक्कथन लघुकथा का प्रारंभ तभी से माना जाना चाहिए, जब से इस विधा के लिए लघुकथा' अभिधान का प्रयोग प्रारंभ हुआ। इस दृष्टि से सन् 1998 में प्रकाशित हृदधनुष के नीचे' को हिन्दी की प्रथम लघुकथा तथा इसके लेखक नित्यानंद को हिन्दी का प्रथम लघुकथाकार माना जा सकता है। नित्यानंद द्वारा रचित 'हृदधनुष के नीचे' शीर्षक रचना इलाहाबाद (उत्तर प्रदेश) से प्रकाशित होने बाले मासिक पत्र विशाल भारत' के सितंबर, सन् 1998 अंक में फिलर के रूप में प्रकाशित हुई थी। संयोग से, बना

प्राची(लघुकथा विशेषांक-2022)/डॉ. रामनिवास 'मानव' (सौजन्य संपादक)

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लघुकथा विशेषांक  :  प्राची (मासिक, संयुक्तांक अप्रैल-मई 2022) सौजन्य संपादक  : डॉ. रामनिवास 'मानव' वर्ष 12, अंक 11-12 अप्रैल-मई 2022 संपादक : राकेश भ्रमर मो. : 09968020930  Email : rakeshbhramar@rediffmail.com सहायक संपादक : डॉ. भावना शुक्ल M : 09278720311  Email: bhavanasharma30@gmail.com प्रकाशक व प्रबन्ध संपादक : श्रीमती किरन वर्मा संपादन संचालन  पूर्णतया अवैतनिक, अव्यावसायिक सम्पादक : राकेश भ्रमर  सम्पादकीय पता : 96-सी, प्रथम तल, डीडीए फ्लैट्स, पॉकेट-4, मयूर विहार फेज-1, दिल्ली-110095 Email:- prachimasik@gmail.com लघुकथाएँ डॉ. दीपक मशाल 03; डॉ. भावना कुँवर 05; सुधा ओम ढींगरा 07; डॉ. शैलजा सकसेना : 09; रोहित कुमार 'हैप्पी' 11; डॉ. उर्मिला मिश्रा 13; प्रीति अग्रवाल 'अनुजा' 15 मंजू श्रीवास्तव 17; राज छेत्री 'अपुरो' 19; डॉ. पुष्करराज भट्ट 21; प्रगीत कुंवर : 23; रामदेव धुरंधर 25; रेखा राजवंशी: 27; नीलम सिंह 29; कल्पना लालजी : 31; रेणु चन्द्रा माथुर : 33; अंजू घरभरन 35 रचना शर्मा 37; डॉ. अंजलि मिश्रा : 38; डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा : 39; डॉ. सुरेशचन्द्र शुक्