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निन्यानवे का फेर / ज्योति जैन

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निन्यानवे का फेर ज्योति जैन ISBN: 978-93-87310-84-1  प्रथम संस्करण : 2019 © ज्योति जैन 1432/24 नंदानगर, इन्दौर - 452 011  चलभाष: 93003-18182  ईमेल: jyotijain218@gmail.com प्रकाशक : शिवना प्रकाशन पी.सी.लैब, सम्राट कॉम्प्लेक्स बेसमेंट बस स्टैंड, सीहोर-466001 (म.प्र)  मोबाइल : 09806162184 (शहरयार) फ़ोन : 07562-405545, 07562-695918 E-mail: shivna.prakashan@gmail.com साज-सज्जा : संजय पटेल : 97525-26881 मूल्य : ₹200/- कथा लघु-अर्थ सुदीर्घ बहुत ख़ामोशी के साथ काम करते रहने का अपना एक आनंद है, तो उसके ख़तरे भी हैं। ख़तरे यह; कि हो सकता है आपका काम अनदेखा ही रह जाए; हो सकता है आपके काम की कहीं भी चर्चा ही न हो। सृजन के इस आत्म-आनंद के अपने ख़तरे होते ही हैं। कला की सारी विधाएँ असल में आत्म-आनंद ही तो हैं, इसीलिए कला की सारी विधाओं के साथ यह दुविधा बनी ही रहती है। ज्योति जैन जी ने अपने लिए आनंद का चयन किया है, और ख़तरों की परवाह अक्सर तो नहीं ही की है। वे कहानीकार हैं, उपन्यासकार हैं, स्तंभकार हैं, कवयित्री हैं और लघुकथाकार तो सबसे पहले हैं ही। साहित्य की लगभग सारी विधाओं को एक साथ साधना जरा मुश

दूसरे के बोल (प्रतिनिधि लघुकथाएं) / के.पी. सक्सेना 'दूसरे'

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दूसरे के बोल (प्रतिनिधि लघुकथाएं) के.पी. सक्सेना 'दूसरे' ISBN: 978-81-89242-50-3 © के.पी. सक्सेना 'दूसरे' प्रकाशक : अर्चना पब्लिकेशन, ए-5, गली नं. 5-सी, नियर बाबा स्वीट कॉर्नर, पश्चिमी करावल नगर, दिल्ली-110090  मो.: 9818500779 प्रथम संस्करण : 2022 मूल्य : 495.00 परत-दर-परत के बाद... इसके पहले कि आप मेरी रचनाओं पर दृष्टिपात करें मैं इस बात का उल्लेख करना उचित समझता हूँ कि संभव है मेरी ये कथाएँ लघुकथा के निर्धारित मापदण्ड या... आपेक्षित अर्हताएँ पूरी न कर पायें, या यूँ कहूँ कि लघुकथा की कसौटी पर खरी न उतरें, मैंने इन्हें लघुकथा के रूप में ही जाना समझा और बुना है। मेरे अग्रज और लघुकथा में ही अपना पूर्ण कालिक समय देने वाले कथाकारों ने लघुकथा पर न केवल अनेक शोध किये हैं, बल्कि साहित्य जगत को अमूल्य रचनाएँ देकर कथा-साहित्य को समृद्ध भी किया है। उनकी तुलना में ये कथाएँ प्रसंग भी नहीं हैं, किंतु मेरे आस-पास जो गुजरा और उसमें से जो भी कथा के रूप में उकेर सका, उसे आप सब गुणी जनों के समक्ष परोसने का यह साहस इसलिए कर रहा रहा हूँ कि यदि एक भी रचना आपको उस मनःस्थिति तक पहुँचाने में स

बॉस का डिनर (लघुकथा संग्रह) / डाॅ. महेन्द्र कुमार ठाकुर

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बॉस का डिनर (लघुकथा संग्रह) डाॅ. महेन्द्र कुमार ठाकुर  ISBN: 978-81-970626-3-6 प्रथम संस्करण : 2024 प्रकाशक : अद्विक पब्लिकेशन 41 हसनपुर, आई. पी. एक्सटेंशन पटपड़गंज, दिल्ली 110092 Tel: 011-43510732, 9560397075, ई मेल: advikpublication1@gmail.com Web:www.advikpublication.com © स्वत्वाधिकार : डॉ. महेन्द्र कुमार ठाकुर आवरण : संजय भारद्वाज पुस्तक सज्जा : बिपिन राजभर मूल्य : 240/- लघुकथा का विराट संसार लघुकथा जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह लघु कथा है। लघु अर्थात् छोटी कथा अर्थात् कहानी की कोमलता युक्त कथारस। अर्थात् लघु आकार की कथा यानी कहानी नहीं। वर्तमान में लघुकथा की यह विधा अत्यंत लोकप्रिय हो चुकी है। इसका भविष्य अत्यधिक उज्जवल है। लघुकथा की परिभाषा जो मैंने अपने पूर्ववर्ती लघुकथा संग्रह में दी थीः- लघु आकार का कथात्मकता से युक्त वह गद्यात्मक कथ्य जिसमें स्वयं को लघुतम आकार में अपनी विराटता को व्यक्त करने का सामर्थ्य, कथ्यानुरूप पाठकीय संवेदना को जगाने की क्षमता, विसंगतियों व सामाजिक बुराइयों पर तीक्ष्ण प्रहार करने की सामर्थ्य एवं विराट अनुभूति के दिव्यतम व्यक्तीकरण की योग्यता हो, जिसका

धूप में छिपी छाँह / वंदनागोपाल शर्मा "शैली"

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धूप में छिपी छाँह  वंदनागोपाल शर्मा "शैली" ISBN 978-93-93901-11-8 सर्वप्रिय प्रकाशन 1569, प्रथम मंजिल, चर्च रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली-110006 मो. 94253-58748 e-mail: sarvapriyaprakashan@gmail.com आवरण सज्जा : कन्हैया साहू प्रथम संस्करण : 2022 मूल्य : 100.00 रुपये कॉपी राइट : लेखिकाधीन DHOOP MEIN CHHIPEE-CHHAANH BY: VANDANAGOPAL SHARMA 'SHAILEE' Published by Sarvpriya Prakashan 1569, First Floor Church Road, Kashmiri Gate, Delhi-110006 Raipur Office Changora Bhatha, Road Behind Imrald Hotel, P.S. City -492013 Mob.: 9425358748 e-mail: sarvapriyaprakashan@gmail.com First Edition: 2022 Price: Rs. 100.00 अनुभव आजादी का अमृत महोत्सव में शामिल होने जा रहे हैं हम सब... और इसी उपलक्ष्य में आप सबके सामने है प्रस्तुत मेरी लघुकथाएं नये स्वरूप में ... नाम है किताब का 'धूप में छिपी छाँह' आतुर है आप सबका स्नेहाशीष पाने के लिए !! अपने विचारों को संगठित कर किया है नया सृजन लघुकथा के रूप में ... हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहें हैं... परंतु पूर्णतः संतुष्ट भी नहीं है... यह सोचक

ख्वाहिशों का आसमां / कंचन शर्मा 'कौशिका'

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ख्वाहिशों का आसमां (लघुकथा संग्रह) कंचन शर्मा 'कौशिका' गुवाहाटी-असम प्रथम संस्करण : जनवरी, 2022 ISBN: 978-93-93538-01-7 मूल्य : 251 रुपये लेखक : कंचन शर्मा 'कौशिका' 1-A, 1st Floor, Rishav Plaza, A.K. Azad Road, Rehabari, Guwahati-781008, Assam सर्वाधिकार : लेखिकाधीन प्रकाशक : गोपाल कृष्ण जायसवाल प्रकाशन : नवनिर्माण साहित्य प्रकाशन मुद्रक : पूर्वांचल प्रिंट्स भांगागढ़, गुवाहाटी-5 अनुक्रमणिका 1. शुभकामना संदेश 2. भूमिका 3. अपनी बात 4. स्वप्न 5. मुट्ठी भर गुलाल 6. ख्वाहिश 7. अमानत 8. रक्तदान 9. बेटी तो जिंदा है !! 10. भाग्यशाली 11. नये साल का जश्न 12. पतंग 13. प्लानिंग 14. हिसाब-किताब 15. पहला करवाचौथ 16. एजुकेटेड इंडियन 17. बेटी का रिश्ता 18. वैलेंटाइन डे 19. माँ सिर्फ माँ होती है !! 20. ठंडी-ठंडी बयार 21. रावण इतना भी बुरा न था !!!. 22. 'राजनीति वाली आपदा' 23. पूर्णविराम 24. जिम्मेदारी 25. मनोकामना 26. फर्स्ट हनीमून 27. तर्क की गहराई 28. इम्तिहान 29. मोह के बंधन 30. स्पर्श 31. माँ मैं हूँ ना !! 32. अनमोल दौलत 33. बड़े लोगों की बड़ी बात 34. गुरु दक्षिणा 35. '

सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे/2023-2024

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(सूचना सौजन्य : प्रो. (डाॅ.) ऋचा शर्मा) सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे Savitribai Phule Pune University, Pune नई शिक्षा नीति 2020 [NEP] के अंतर्गत एम. ए. हिंदी का पाठयक्रम  Under The New Education Policy 2020 [NEP] M.A. Hindi Course संबद्ध महाविद्यालयों के लिए  For Affiliated colleges एम. ए. हिंदी द्वितीय वर्ष तृतीय एवं चतुर्थ अयन Academic year 2023-2024 M.A. II Hindi Syllabus/2023/Hindi/BOS Chairman/JBG. Doc शिक्षा विधि (Pedagogy): व्याख्यान पद्धति, विश्लेषण पद्धति, प्रत्यक्ष कार्यपद्धति, अध्ययन यात्रा पद्धति। इकाई - 1 1. हिंदी लघुकथा का उद्भव एवं विकास (कालक्रमानुसार)। 2. लघुकथा - परिभाषा एवं स्वरूप । 3. लघुकथा के तत्व कथावस्तु, पात्र, कथोपकथन, देशकाल और वातावरण, उद्देश्य, भाषा-शैली शब्द प्रयोग, आलंकारिकता, व्यंग्यात्मकता, मुहावरें, संप्रेषणीयता आदि । 4. महाराष्ट्र में लघुकथा लेखन तथा महाराष्ट्र के प्रमुख लघुकथाकार । इकाई - II 1. भारतेंदु हरिश्चंद्र - अंगहीन धनी, अद्भुत संवाद 2. आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र संसार की यात्रा, मिट्टी के आदमी, स्त्री - पूजा, तीसरे पैर का खोट 3. शं

अपकेन्द्रीय बल / सन्तोष सुपेकर

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अपकेन्द्रीय बल सन्तोष सुपेकर  ISBN 978-93-91738-08-2 प्रथम संस्करण 2022  मूल्य- 300/- (तीन सौ रुपये मात्र) प्रकाशक एचआई पब्लिकेशन 302-303, तीसरी मंजिल, शान्ति प्लाजा, होटल समय के सामने, फ्रीगंज, उज्जैन (म.प्र.)- 456 007 मो. 9754131415 मुखपृष्ठ - सिद्धेश्वर (पटना) आत्मकथ्य 'बस इतना' ही विचारों के संक्रमण काल के इस युग में हर व्यक्ति के अपने भीतर ही अपरिचय के पहाड़ खड़े हो गए हैं, बाहरी प्रकाश के चकाचौंध ने अंदर के अंधकार को सघन कर रखा है। मन्थन तो हो रहा है पर सिर्फ अपने-अपने हित में। आज का, लगभग हर आदमी सिर्फ अपने में खोया हुआ है। उसको स्वहित के सिवाय कुछ नहीं सूझता, दिखता। अपने चारों ओर, वह केवल, 'मैं' से परिवेष्टित है। Narcissist बनकर अपने ही छोटे-छोटे कार्यों का वह स्वयं प्रशंसक बन जाता है, बार-बार सबके सामने वही बात करता है, अपने ही कार्यों, उपलब्धियों का बखान करता है। उसके सारे विचार, सारी सोच स्वयं पर ही केन्द्रित रहते हैं। उसे लगता है कि कोई वस्तु उसके जिस काम आयी है तो वह वस्तु सिर्फ वही काम करेगी या कर सकती है, उसके आगे वह सोचने की जुर्रत ही नहीं करता। पर जब उस

फेयरवेल / पदम गोधा

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फेयरवेल (लघुकथा-संग्रह) पदम गोधा  ISBN: 978-81-19511-83-9 Price: ₹210 Publishing Year 2023 Published by: Sankalp Publication Head Office:  Ring Road 2 Gaurav Path, Bilaspur,  Chhattisgarh - 495001 Phones: +91 9111395888  +91 9111396888 Email: support@sankalppublication.com Website: www.sankalppublication.com मेरी अपनी बात काव्य क्षेत्र से टहलते टहलते जीवन के उत्तरार्ध में सहज ही लघुकथा लेखन क्षेत्र में प्रवेश हो गया। आभासी दुनिया के बने साहित्य ग्रुप 'लघुकथा के परिन्दे' में लिखना शुरू किया तो पाठकों के प्रोत्साहन से लगा इस क्षेत्र में आगे बड़ा जा सकता है। फिर कुछ पत्र पत्रिकाएं व संकलन जिनके सम्पादक अशोक भाटिया, बलराम जी अग्रवाल, योगराज प्रभाकर, कांताराय जी जैसे थे में अपनी लघुकथाओं को स्थान मिला तो अपने लेखन पर संतोष हुआ। कांता राय जी ने एक दिन कहा कि अब तो लघुकथाएं पुस्तक रुप में आ जानी चाहिए। मैंने उन्हें ही ये दायित्व स्वीकारने का अनुरोध किया और बर्डफाईल में "हौसलों के पंख" शीर्षक में अपनी लघुकथाएं तकरीबन दो वर्ष पहले भेज दी। शायद उनकी अत्यधिक व्यस्तता के कारण वह