लघुकथा-संग्रह-2005/कुँवर प्रेमिल
प्रथम संस्करण : जनवरी 2005
लेखक : कुँवर प्रेमिल
• प्रकाशक : माण्डवी प्रकाशन आर-10, एफ/ 59, राजनगर, गाज़ियाबाद (उ.प्र.)
दूरभाष: 0120-2850260
अनुक्रम
1. भूख
2. पहला आदमी दूसरा आदमी
3. बातचीत
4. अपनी-अपनी दुआएँ
5. भविष्यवाणी
6. फूल और बच्चा
7. फूल और बच्चा (2)
8. होनहार रिंकू बिछुड़ गया
9. मातृत्व सुख
10. दूध की कीमत
11. बिन बुहरे आँगन
12. नमक
13. लड़की लड़का
14. इण्टरव्यू
15. अभिज्ञान शाकुन्तलम
16. पत्नी बोध
17. निगाहें
18. बैडरूम के इर्द-गिर्द
19. उसकी मधुयामिनी
20. पूँजी निवेश
21. भूख अपनी-अपनी
22. गुरेमल का बापू
23. अमरबेल
24. अनुवांशिकी
25. जंगलराज
26. सरकारी गैर सरकारी
27. काबिल गार्ड डगर सिंह
28. चिंता दहेज़ की
29. हितैषी
30. बड़ी मछली का ऐलान
31. कथनी करनी में अंतर
32. सुकन्या
33. बिच्छू और राहगीर
34. औरत ही औरत की दुश्मन
35. पराई औरतः पराये मर्द
36. धंधा और धिक्कार
37. बदला
38. अंर्तज्योति
39. करामाती स्टोव
40. बंटवारा
41. चक्कर पर चक्कर
42. इंद्रजीत
43. दुखती रग
44. अमीर गरीब
45. साज़िश में औरत भी शामिल है
46. घर बस गया या उजड़ गया
47. कटी पतंग
48. लीडरी
49. अक्ल बड़ी या भैंस
50. सह अस्तित्व का भावना
51. मेहरबान की नौकरी
52. बड़ी हस्तियाँ
53. शराब और शराबी
54. शराब
55. शाही विनम्रता
56. उसूल
57. बैताल पच्चीसी
58. भगवान की दुकान
59. झोलाराम
60. मिलावटी पेट
61. पाठ
62. मातृभक्त
63. सपोला
64. ड्राइवर तेजोराम
65. बजट
66. इज़्ज़त और नौकरी
67. जेब
68. दुआएँ
इस संग्रह से एक लघुकथा :
बिन बुहरे आंगन
श्रमजीवियों के मुहल्ले की एक सुबह औरतें आंगन में झाडू लगा रही। हैं, एक आगेन से स्वर उभरता है. मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है... मेरे "ओय होय, बड़ी अंगने वाली है, अरे अपने मर्दुआ को संभाल पनघट पर छैला बना झूमता है... शोटियाँ बजाता है, अबकी बार यदि शीटो बजाई तो रामकसम...
."ऐ ऐ... सुबह-सुबह मूड खराब मत कर कूड़े मगज कहीं की, तेरा ही कौन-सा कम है, दर्जनों प्रेम पत्तर फेंके हैं... शृंगारदान पटा पड़ा है. . बड़ी आयी... घर में जोरू और इश्क बगल-वालियों से "
दो-तीन में काना फूसी होने लगी. "झूठ-मूठ का तोहमत लगाती है. चल फूटा" पहली फिर भड़की। “तू ही इंदर की परी रह गयी है जो प्रेम पत्तर लिखे जायेंगे, जरा दरपन भी देख लिया कर कभी-कभी।"
"तेरा लंगूर है"
"और तेरा भालू। हाथ-हाथ की जुल्फें हैं। नचैया कहीं का। तब तक एक मारवाड़िन बीच-बचाव के लिए चली आयी।
'अपने-अपने आदमी की सफाई मत दो लाड़ो. हम पन सभी के, दूसरे की लुगाई ताकया करे हैं. गंज दूर कई जाऊं... तुम दोनों के ही मुझे लेण देवा हैं, अब कई झगडूं, दंगा करूं"
"गोई देखकर अणदेखा करणो, सुनकर भी अनसुणा करणों असी असी बात भूलणों, सिर फुटाई कराणी हैं... काई "
"म्हारा तो मिलट्री आड़ा (मिलट्री वाला) है। खुद ही उस्ताद है। कहतीतो खोपड़ी चिटका देता पोरया हुन की। "
“हत्-थू! ऐसे मर्दों पर”-दोनों ने ही एक साथ ज़मीन पर थूका और अंदर भाग गयीं। दोनों के ही आंगन बिन बुहरे रह गये।
सारिका विशेषांक (1984) में प्रकाशित
कुँवर प्रेमिल
जन्म स्थान-ग्राम टुइया पानी जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
संपर्क-MIG8 विजय नगर, जबलपुर, मध्य प्रदेश
Pin-482003
मोबाइल नंबर - 09301822782
लैंडलाइन नंबर- 07614046279
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