लघुकथा संग्रह-2021/डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
*लेखिका-डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'
*प्रकाशक-अयन प्रकाशन, नई दिल्ली
*प्रथम संस्करण-2021
*कुल लघुकथाएं-65
*पृष्ठ-128
*भूमिका-डा.घमंडीलालअग्रवाल
*एक नजर-
डा.अंजु दुआ जेमिनी,फरीदाबाद
कल्पना मिश्रा,कानपुर
लघुकथाओं के शीर्षक-
महकता हरसिंगार, जीने का तरीका, चार हाथ, स्वीकृति, चाबियां, मोती की माला, जयहिन्द, गरबा रास, बस स्टैंड, आस्था, मिसालःबेमिसाल, निर्णय,कर्फ्यू, वायरस, रोशनी की किरण, अंधाधुंध, बेटी बचाओ:बेटी पढ़ाओ, सैनिक, जिंदगी है जंग, प्रेम की डोर, यही प्यार है, तमाशा, समझौता, धरती के आंसू, पैसों की खनक, स्पर्श दंश, साथी हाथ बढ़ाना, नई पौध, कैद में मुस्कान, दहलीज, झूठा वादा, अहसास, वफादारी, इंतजार, मेलजोल, एक मुट्ठी आसमान, स्वागत, वीडियो गेम, मॉर्निंग वाॅक, मिठास, सीटी, पुत्र-मोह के पाश, एक कप चाय, वर्किंग डे, दूसरी कुर्सी, सुहागिन, नए युग की नींव, कोट पैंट, कठपुतलियां, अकेलापन, लोभ संवरण, मैंने कसम ली, समर्पण, मैडम, मीरा और वो, ब्वाय फ्रैंड, पगली, नया सफर, राम जी की कृपा, दूरियाँ, कर लो दुनिया मुट्ठी में, अहसास नया, चलो, चलें उस ओर, आश्वस्त, हैप्पी बर्थ डे.
'महकता हरसिंगार' से एक लघुकथा 'रोशनी की किरण' :
-अरे सुषमा! तू तो बड़ी मोटी हो गई है रे!
-क्या करूँ भाभी! ये लाॅकडाउन जो ठहरा. बैठे बिठाए दोनों टाइम ही पका पकाया खाना जो मिल जाता है स्कूल में जाकर. घर में सारे खाली बैठे रहते हैं. बस टाइम पास कर रहे हैं घर पर.
-क्यों? तेरे दोनों बेटे और पति तो सिलाई का काम करते हैं न?
-कौन सिलवाएगा भला ऐसे में कपड़े? न कोई घर से बाहर निकलता है, न शादी ब्याह, न बाजार आना जाना. चौपट ही हो गया है इनका धंधा तो.
-अरे तो मास्क बनाओ, अभी तो जरूरत है इनकी. लो मैंने अभी बीस तीस सूती ब्लाउज पीस रखे हैं निकालकर. तुम सारे ही लेती जाना. अब तो साड़ियों में ही जुड़े मिलते हैं ये. इनकी जरूरत भी नहीं होती।
-मैं सिलाई के पैसे भी दे दूंगी तुम्हें. बस तुम इस काॅलोनी की सभी घरेलू सेविकाओं और रोज यहाँ ठेली लेकर आने वाले फल और सब्जी वालों, अखबार विक्रेताओं और प्रेस वाले को ये कपड़े के मास्क बंटवाने में मेरी मदद जरूर कर देना.
-ये तो बहुत बढ़िया काम रहेगा भाभी! भला मना क्यों करूँगी मैं?
-हम भी मास्क बांटने में हैल्प करेंगे आंटी जी.
पड़ोस की बालकनी से झांकते हुए वर्मा जी के बच्चे बोले.
-अरे वाह! शाबाश! मैं एलोविरा और स्प्रिट से सेनिटाइजर भी बना रही हूँ घर पर बच्चो! यू ट्यूब से सीखकर. वो भी आप सबको बांटना होगा.
-भाभी! खाली बैठे बैठे बिना मेहनत किये तो मुफ्त का खाना हमें भी नहीं भाता है. आपने तो बड़ी अच्छी सलाह दी है.
मैं आश्वस्त थी--अंधेरा जल्दी ही छंट जाएगा। रोशनी की किरणें झांकने लगी हैं अब.
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*रचनाकार का पूरा नाम-डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम'*जन्म-2जुलाई, 1957, गाजियाबाद (उ.प्र.)
*शिक्षा-एम.ए.(हिंदी), पी-एच.डी, बी.एड.
*केंद्रीय विद्यालय संगठन, नई दिल्ली में स्नातकोत्तर हिंदी शिक्षिका एवं विभागाध्यक्षा के पद पर तीस वर्षों का अध्यापनानुभव.
* प्रकाशित पुस्तकें-
1."हिंदी के आंचलिक उपन्यासों के परिप्रेक्ष्य में स्व. फणीश्वरनाथ रेणु का विशेष अध्ययन" शोध-प्रबंध पुस्तक, सूर्य भारती प्रकाशन,नई सड़क,दिल्ली. (2004)
2. "काव्यांजलि" बाल कविता संग्रह, सूर्य भारती प्रकाशन, नई सड़क, दिल्ली. (2006)
3."सारे जमीं पर", जीवन मूल्यों से जुड़ी प्रेरक कविताओं का संग्रह, सूर्य भारती प्रकाशन,नई सड़क,दिल्ली. (2016)
4."महकता हरसिंगार", लघुकथा-संग्रह, अयन प्रकाशन, नई दिल्ली (2021)
*अनेक सम्मान एवं पुरस्कार.
*संपर्क-सूत्र-
पत्नी/श्री देवेंद्र सिंह गहलौत
सी-211,212,पर्यावरण काम्प्लेक्स,
सैदुलाजाब,समीपस्थ-गार्डन ऑफ फाइव सैंसेज
नई दिल्ली-30.
ई-मेल-anjusinghgahlot@gmail.com
दूरभाष-9868176767/9868166767.
Atyant prabhaavi 🙏🏻👍🏻
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