हिन्दी-लघुकथा : संवेदना और शिल्प/सत्यवीर 'मानव' (डॉ.)
लेखक : डॉ. सत्यवीर 'मानव'
प्रथम संस्करण : 2019
ISBN: 978-93-84569-76-1
प्रथम संस्करण : 2012 द्वितीय : 2019
प्रकाशक : समन्वय प्रकाशन, के.बी. 97, (प्रथम तल), कविनगर, गाज़ियाबाद-201002
email: samanvya.prakashan@gmail.com
Website : www.samanvayprakashan.com
अनुक्रमणिका
प्रथम अध्याय : लघुकथा का स्वरूप एवं परिचय
१.१ प्रस्तावना
१.२ 'लघुकथा' का स्वरूप
१.२.१ 'लघुकथा' का अर्थ
१.२.२ 'लघुकथा' का स्वरूप
१.२.३ "लघुकथा' की परिभाषा
१.३ लघुकथा तथा नीतिकथा, बोधकथा और जातककथा
१.४ लघुकथा और लघुव्यंग्य
१.५ लघुकथा का स्वरूप विकास
१.६ लघुकथा का उद्भव एवं विकास
१.७ लघुकथा का महत्त्व
१.८ निष्कर्ष
द्वितीय अध्याय : प्रमुख हिन्दी-लघुकथाकार
२.१ प्रस्तावना
२.२ प्रतिमानक लघुकथाकार
२.२.१ विष्णु प्रभाकर
२.२.२ सुगनचन्द 'मुक्तेश'
२.२.३ डॉ० सतीशराज पुष्करणा
२.२.४ डॉ० सतीश दुबे
२.२.५ पृथ्वीराज अरोड़ा
२.२.६ डॉ० रामनिवास 'मानव'
२.२.७ डॉ० कमल चोपड़ा
२.२.८ सुकेश साहनी
२.२.९ डॉ० कृष्ण कमलेश
२.२.१० प्रेमसिंह बरनालवी
२.२.११ डॉ० परमेश्वर गोयल
२.२.१२ डॉ० शंकर पुणताम्बेकर
२.२.१३ डॉ० स्वर्णकिरण
२.२.१४ भगीरथ
२.२.१५ रमेश बतरा
२.३ विशिष्ट लघुकथाकार
२.३.१ बलराम
२.३.२ विकेश निझावन
२.३.३ अशोक लव
२.३.४ रामकुमार आत्रेय
२.३.५ पूरन मुद्गल
२.३.६ विक्रम सोनी
२.३.७ दर्शनलाल कपूर
२.३.८ मधुकांत
२.३.९ अंजना अनिल
२.३.१० प्रबोधकुमार गोविल
२.३.११ सिद्धेश्वर
२.३.१२ रूप देवगुण
२.३.१३ राजकुमार निजात
२.३.१४ चैतन्य त्रिवेदी
२.३.१५ एन० उन्नी
२.३.१६ डॉ० शिवनाथ राय
२.३.१७ रोहित यादव
२.४ अन्य लघुकथाकार
२.५ निष्कर्ष
तृतीय अध्याय: हिन्दी-लघुकथा में संवेदना
३.१ प्रस्तावना
३.२ संवेदना' का अर्थ एवं परिभाषा
३.२.१ 'संवेदना' का अर्थ
३.२.२ 'संवेदना' की परिभाषा
३.३ लघुकथा के सन्दर्भ में 'संवेदना' का अभिप्राय
३.४ हिन्दी-लघुकथा में संवेदना
३.४.१ दाम्पत्य जीवन में संवेदना
३.४.२ पारिवारिक जीवन में संवेदना
३.४.३ नारी के प्रति संवेदना
३.४.४ दलित-शोषित के प्रति संवेदना
३.४.५ मानवीय संवेदना
३.५ निष्कर्ष
चतुर्थ अध्याय : हिन्दी-लघुकथा का शिल्प
४.१ प्रस्तावना
४.२ 'शिल्प' शब्द का अर्थ, परिभाषा एवं स्वरूप
४.२.१ 'शिल्प' का अर्थ
४.२.२ 'शिल्प' की परिभाषा
४.२.३ 'शिल्प' का स्वरूप
४.३ हिन्दी-लघुकथा का शिल्प
४.३.१ भाषा
४.३.२ प्रतीक
४.३.३ बिम्ब
४.३.४ शीर्षक
४.३.५ शैली
४.३.५.१ वर्णनात्मक शैली
४.३.५.२ विवरणात्मक शैली
४.३.५.३ प्रतीकात्मक शैली
४.३.५.४ आत्मकथात्मक शैली
४.३.५.५ पत्र- शैली
४.३.५.६ डायरी- शैली
४.३.५.७ समाचार-शैली
४.३.५.८ काव्यात्मक शैली
४.३.५.६ संवादात्मक शैली
४.३.५.१० व्यंग्यात्मक शैली
४.४ निष्कर्ष
पंचम अध्याय : उपसंहार
परिशिष्ट :
१ आधार-ग्रन्थों की सूची
२ सन्दर्भ ग्रन्थों की सूची
३. सन्दर्भित पत्र पत्रिकाओं की सूची
डॉ. सत्यवीर मानव द्वारा, प्रस्तुत पुस्तक में लिखित 'भूमिका का प्रारम्भिक अंश :
अस्सी के दशक में जब हिन्दी में लघुकथा - आंदोलन की शुरुआत हुई, मैं तभी से लघुकथा-लेखन से जुड़ा हुआ हूं। लेकिन प्रारम्भ से लेकर आज तक भी लघुकथा के नाम पर बहुत कुछ ऐसा लिखा और छापा जा रहा है, जो लघुकथा के अतिरिक्त और कुछ भी हो सकता है। इस कार्य में अनेक कथित मूर्धन्य लघुकथाकार एवं प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाएं तक शामिल रही हैं। यह सब देख पढ़कर, लघुकथा के अन्य शुभचिन्तकों की तरह, मेरे दिल में भी यह उत्कट इच्छा थी कि लघुकथा-लेखन के क्षेत्र से ऐसे अतिक्रमण को हटाया जाये। हालांकि अब तक इस दिशा में काफी कार्य हो चुका था, तथापि संभावनाएं अब भी शेष थीं। अतः मैंने हिन्दी - लघुकथा : संवेदना और शिल्प' विषय पर शोधकार्य करने का निर्णय लिया, ताकि लघुकथा के मानक रूप-स्वरूप के निर्धारण के यज्ञ में मैं भी अपनी विनम्र आहुति दे सकूं ।
हिन्दी लघुकथा - साहित्य का भंडार इस समय तक काफ़ी समृद्ध हो चुका है तथा लघुकथाकारों की एक लम्बी सूची मौजूद है। लेकिन अपनी सीमाओं के चलते उन सबका समावेश अपने शोग्रन्थ में करना मेरे लिए संभव नहीं था । अतः मैंने कुछ चुनिन्दा लघुकथाकारों और उनके साहित्य को ही अपने अध्ययन एवं शोध का आधार बनाया है। इन लघुकथाकारों की रचनाओं में अभिव्यक्त संवेदनाओं और उनके शिल्पगत वैशिष्ट्य के विवेचन एवं विश्लेषण को प्रमुखता देते हुए, श्रेष्ठ लघुकथाओं की पहचान मेरे शोध का उद्देश्य एवं प्रयास रहा है।
डॉ. सत्यवीर 'मानव'
जन्म : 9 जून, 1958 को तिगरा, जिला महेन्द्रगढ़ (हरि) के प्रतिष्ठित स्वतन्त्रता सेनानी परिवार में श्री मातादीन एवं श्रीमती मूर्ती देवी के घर ।
शिक्षा : बी. ए. ऑनर्स (संस्कृत), एम.ए. (हिन्दी और समाजशास्त्र), पीएच.डी. (हिन्दी) तक।
कृतियां : 'सबसे प्यारा हिन्द हमारा', 'आओ बच्चो खेलें खेल', 'हिन्द के सपूत चल, नानी ऐसी कहो कहानी' (बालगीत-संग्रह), 'कैक्टस की छांव तले' और 'आवरण) के आर-पार' (लघुकथा संग्रह), 'सलीब पर टंगा सूरज', डॉ. सत्यवीर 'मानव' 'अक्षर-अक्षर पीर', 'सुनो, कहूँ मैं', 'सागर में सीप' और 'जीवन धूप-छांव' (काव्य संग्रह), 'दक्षिणी हरियाणा के लौकिक कवि और उनका काव्य' प्रकाशित । 'कुछ कांटे, कुछ फूल' (दोहा-संग्रह), 'शीश झुकाये द्रोण' (द्विपदी-संग्रह), 'शेष रही कब रात' (त्रिपदी-संग्रह), 'पंडित सुखीराम : व्यक्तित्व एवं कृतित्व' (समीक्षा ग्रंथ) आदि एक दर्जन कृतियाँ प्रकाश्य ।
विशेष: दर्जनों संस्थाओं द्वारा सम्मानित। मंडी अटेली और नारनौल में सार्वजनिक अभिनन्दन
• विद्यासागर (डी.लिटू) की मानद उपाधि प्राप्त • 'कैक्टस की छांव तले' लघुकथा संग्रह ब्रजभाषा में अनूदित तथा प्रकाशित । कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र द्वारा एम. फिल. हेतु दो बार एवं विनायक मिशन्स विश्वविद्यालय, सेलम (तमिलनाडु) से एक बार साहित्य पर शोध कार्य संपन्न एवं दो विश्वविद्यालयों में पीएच.डी. हेतु पंजीकरण। पीएच. डी. एवं एम. फिल. हेतु हुए एक दर्जन से अधिक शोध कार्यों में आधार ग्रंथों के रूप में कृतियाँ सम्मिलित ।
संप्रति : सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक से वरिष्ठ प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्ति के बाद फाइनेंशियल एडवाइजर के रूप में स्वतंत्र रूप में कार्यरत ।
संपर्क : 642, सैक्टर-1, नारनौल 123001
मोबाइल: 09416238131, 07082406131
ई-मेल : svmanav@gmail.com
"हिन्दी- लघुकथा सम्वेदना और शिल्प" लघुकथा की एक अच्छी पुस्तक होगी, ऐसा मेरा मानना है...जैसा कि पुस्तक परिचय से प्रतीत होता है...बहुत बहुत बधाई.
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