लघुकथा संग्रह 2020/कहाँ हो तुम!
कथाकार : कमलेश सूद
प्रथम संस्करण : 2020
आई.एस.बी.एन. : 978-81-949025-1-5
प्रकाशक : एजूकेशनल बुक सर्विस, एन-3/25-ए, डी.के. रोड, मोहन गार्डन, उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059
फोन : +91-9899665810
ईमेल : ebs.2012@yahoo.in
अनुक्रमणिका :
1. नया घर
2. बस! अब और नहीं
3. जज्बा
4. समर्पण
5. हिम्मत मत हारना
6. बड़े साहब
7. रक्षा-कवच
8. माँ बेटे का रिश्ता
9. आधी रात के बाद
10. नवजीवन
11. वह मुस्कुरा उठी
12. महात्मा जी की सीख
13. लायक बेटे
14. सब ठीक हो जाएगा
15. भाग जाओ
16. उम्र की ऐसी की तैसी
17. छत पर भूत
18. छन्नाछन्न बरसीं मोहरें
19. आभार
20. इक्कीसवीं सदी बनाम पच्चीसवीं सदी
21. फरिश्ते
22. गौरी और काली
23. नेत्रदान
24. झाँकी
25. झंझट
24. नई नौकरानी
25. डर
26. कितना मातम
27. भटकन
28. मजबूरियाँ
29. मुखौटे
30. तोहफा
31. भाईचारा
32. भय का भूत
33. दूर के ढोल सुहावने
34. पिंजरे की मैना
35. संबल
36. होश तो आई पर मां को खोकर
37. आतिथ्य
38. अकेलेपन का दंश
39. दूसरी भी लड़की ही हो
40. आप मेरी मां हो
41. कोकिला
42. मीलों की दूरियाँ
43. वर्षगांठ
44. जाको राखे साइयां
45. महामारी
46. वह रात
47. सुबह का सपना
48. बहू नहीं बेटी है
49. अयोग्य
50. थप्पड़
51. सहारा
52. क्वारंटाइन
53. सैर
54. परिवर्तन
55. दादी
56. महक उठी फुलवारी
57. दूध
58. विक्षिप्त
59. बुआ
60. भीख
61. संवादहीनता
62. माँ: परमात्मा
63. मुर्दों के व्यपारी
64. अभी एक और विदाई बाकी है
65. सबक
66. आश्वासन
67. समय चूकि पुनि का पछताने
68. एक योद्धा की शहादत
69. पूर्व और पश्चिम
70. ज़िन्दगी के ठेकेदार
71. निवाला
72. जानवर
73. धरती पर स्वर्ग
74. मोबाइल कितना जिम्मेदार
75. जन्मदिन
76. अपना देश
77. मन की मैल
78. स्वार्गिक सुख
79. राधा-बीच
80. वृद्धाश्रम में माँ
81. मीता मैडम
82. कहाँ रहूँगा
83. लाज ही औरत का गहना है
84. लॉकडाउन
85. अनमोल दोस्ती
86. इन्सानियत अभी ज़िंदा है
87. दहलीज का पहरेदार
88. माँ का स्थान
89. सी-इक्वेरियम
90. कीमत: समय की
91. हादसा
92. स्टील का गिलास
93. डर
94. देव
95. मेरे पंखों का सब्र
96. निःशब्द
97. पगडंडी
98. पीछे से दी आवाज
99. जड़ाऊ कंगन
100. कहाँ हो तुम!
संग्रह से एक प्रतिनिधि लघुकथा : हिम्मत मत हारना
रात के लगभग बारह बज चुके थे और नवीन की आँखों से नींद कोसों दूर थी। उसे रह-रहकर उस छोटी-सी लड़की का ख्याल आ रहा था, जो आज लालबत्ती वाले चौक पर खड़ी आने-जाने वाली गाड़ियों से खाने के लिए माँग रही थी। उसकी सूरत देखकर लग रहा था जैसे उसे कई दिनों से भरपेट भोजन नहीं मिला था।
उस लड़की ने नवीन की गाड़ी का शीशा भी खटखटाया पर नवीन उसे अनदेखा करके आगे बढ़ गया क्योंकि वह लॉकडाउन आरंभ होने से पहले ही घर पहुँच जाना चाहता था।
नवीन घर तो पहुँच गया पर वह उदास लड़की उसे बार-बार याद आ रही थी।
मन ही मन में वह एक दृढ़ निश्चय करके सो गया और सुबह गाड़ी लेकर उसी चौक पर पहुँच गया। उसने देखा कि इतनी सुबह भी वहीं थी।
नवीन ने इशारे से उस लड़की को बुलाया और पूछा- ‘‘तुम कहाँ रहती हो?’’
उसने पुल के नीचे इशारा करते हुए कहा- ‘‘वहाँ।’’
नवीन उसे वहीं रुकने को कहकर बाजार गया और थोड़ी ही देर में चार-पाँच बडे़-बडे़ भरे हुए लिफाफे लेकर लौटा और उस लड़की के साथ पुल के नीचे की ओर चल पड़ा। उसने देखा कि वहाँ एक औरत दो बच्चों को छाती से चिपटाए बैठी हुई थी। नवीन के हाथों में लिफाफे देखते ही उसकी आँखों में जो चमक आई वह उसके दिल को चीर गई। वह सोचने लगा था- ‘‘इतनी बड़ी बीमारी फैलने के बाद भी हम कम से कम अपने घरों में सुरक्षित हैं, हम भरपेट खाना भी खा रहे हैं परंतु यह लोग तोेेेेे...!’’
नवीन का दिल भर आया। उसने लिफाफे उस औरत को पकड़ाते हुए कहा- ‘‘माँ! आप लोग घबराना मत, यह कठिन समय जल्दी ही समाप्त हो जाएगा। मैं दोबारा जल्दी ही आऊँगा। बस! आप हिम्मत मत हारना!’’
कमलेश सूद
जन्म तिथि : 02.10.1950
जन्म स्थान : पालमपुर, हि.प्र.
सम्प्रति : केन्द्रीय विद्यालय संगठन में मुख्य अध्यापिका तक लगभग 32 वर्षों का अध्यापन अनुभव। साहित्य-सेवा के साथ समाज-सेवा में सक्रिय।
प्रकाशित पुस्तकें : दो काव्य संग्रह- ‘आखिर कब तक’ एवं ‘बसंत सा खिलखिलाते रहना’; चार क्षणिका संग्रह- ‘हवाओं के रुख मोड़ दो’, छू लेने दो आकाश’, ‘रिश्तों क डोरी’ एवं ‘उगता सूरज अर्श कर ओर’; एक कहानी संग्रह- ‘मेरी अधूरी कहानी’ तथा एक लघुकथा संग्रह- ‘कहाँ हो तुम!’
सम्मान व पुरस्कार : अंतर्राष्ट्रीय संस्थान की ओर से प्रयागराज में ‘जगद्गुरु शकराचार्य’ द्वारा सम्मानित। काव्य संग्रह ‘बसंत सा खिलखिलाते रहना’ का अमेरिका में प्रमोशन एवं सम्मान।
पता : वार्ड नं. 3, घुघर रोड, पालमपुर-176061, जिला कांगड़ा, हि.प्र.
मोबाइल : +91-9418835456
Very nice,
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