कथा-समय (दस्तावेजी लघुकथाएँ)/अशोक भाटिया (सं.)
लघुकथा रचना व आलोचना संकलन :
कथा-समय (दस्तावेजी लघुकथाएँ)
सम्पादक : डॉ. अशोक भाटिया
प्रकाशक : अनुज्ञा बुक्स, दिल्ली-110032
आईएसबीएन : 978-93-89341-10-2
ईमेल : anuugyabooks@gmail.com
फोन : 01122825424 / 93508 09192
प्रकाशन वर्ष : 2020
अनुक्रम
भूमिका एक
भूमिका : दो
भूमिका : तीन
इन लघुकथाओं में समय
भगीरथ
वक्तव्य
आग
बैसाखियों के पैर
अन्तहीन ऊँचाइयाँ
आत्मकथ्य
अफसर
चेहरा
चेतना
धर्म निरपेक्ष
चुनौती
क्रेडिट कार्ड
दोज़ख
दुपहरिया
हड़ताल
हक
जीविका
क्या मैंने ठीक किया ?
लोमड़ी
मौनव्रत
पेट सबके हैं
फूली
रेंजर दौरे पर
रोजगार का अधिकार
सपने में माँ
सपने नहीं दे सकता
तानाशाह और चिड़ियाँ
शिक्षा
यथार्थ
जीवन स्थगित
बलराम अग्रवाल
वक्तव्य
समन्दर: एक प्रेमकथा
बुधुआ
नदी को बचाना है।
रुका हुआ पंखा
उसकी हँसी
मिठास
गोभोजन कथा
अलाव के इर्द-गिर्द
मन अनन्त में
जहाँ मैं खड़ा हूँ
यह कौन-सा मुल्क है
दुःख के दिन
मुलाकातें
गरीब का गाल
मन की मथनी
बिना नाल का घोड़ा
गाँव अभी भी
लगाव
यात्रा में लड़कियाँ
मौत का मामला
उजालों का मालिक
लेकिन सोचो
प्रेमगली अति सौकरी
अशोक भाटिया
वक्तव्य
बैताल की नई कहानी
तब और अब
तीसरा चित्र
युग मार्ग
देश
रंग
रिश्ते
लोक और तन्त्र
बीसवीं सदी की आखिरी शाम
कपों की कहानी
समय की ज़ंजीरें
स्त्री कुछ नहीं करती !
मोह
चौथा चित्र
भीतर का सच
आत्मालाप
सपना
लगा हुआ स्कूल
रोमान्स
नमस्ते की वापसी
गेट सम्राट
श्राद्ध
कुंडली
पहचान
राम-राज्य सामने
मुक्ति उससे पहले
सुकेश साहनी
वक्तव्य
ईश्वर
डरे हुए लोग
गोश्त की गंध
त्रिभुज के कोण
आइसबर्ग
कुआँ खोदने वाला
पैण्डुलम
बैल
मृत्युबोध
ठंडी रजाई
धुएँ की दीवार
बिरादरी
स्कूल
प्रतिमाएँ
अथ उलूक कथा
आधी दुनिया
उतार
जागरूक
नंगा आदमी
कसौटी
चादर
शिनाख्त
कोलाज
मेढकों के बीच
मास्टर
कमल चोपड़ा
वक्तव्य
छोनू
है कोई
कल्पना
बताया गया रास्ता
निशानी
कैद बा मशक्कत
वैल्यू विश
सपने
इतनी दूर
मेरा खून
एक उसका होना
खुदकुशी
मंडी में रामदीन
कत्ल में शामिल
शहर में अफसोस
प्लान
मलबे के ऊपर
लिव इन
बहुत बड़ी लड़ाई
छिपे हुए
माधव नागदा
वक्तव्य
आग
कुणसी जात बताऊँ
उलझन में शताब्दियाँ
क्या समझे ?
वह चली क्यों गई?
शहर में रामलीला
पहेली
शिखर
माँ बनाम माँ
ऋण मुक्ति
असर
सृजन
धरती के बेटे
कर्मयोगी
निर्णय
सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी
कॉर्पोरेट
अपना-अपना आकाश
गाय नहीं काउ
मेरी बारी
माजना
जली हुई रस्सी
एक कालजयी कथा
वोटर
बिग बॉस
चन्द्रेश कुमार छतलानी
वक्तव्य
गरीब सोच
मानव-मूल्य
तीन संकल्प
इतिहास गवाह है
विधवा धरती
इन्सान जिन्दा है
धर्म प्रदूषण
अन्नदाता
उम्मीद
मुआवज़ा
रसीला फल
बच्चा नहीं
खरीदी हुई तलाश
मृत्यु दंड
आँखों का दायरा
ममता
जानवरीयत
सिर्फ चाय !
दायित्व बोध 1
अपरिपक्व
भेद अभाव
अपवित्र कर्म
मारते कंकाल
स्वप्न को समर्पित
दीपक मशाल
वक्तव्य
इज्जत
सोच
बेचैनी
पानी
भाषा
औरों से बेहतर
सयाना होने के दौरान
बँटवारा
रेजर के ब्लेड
खबर
माचिस
सूद समेत
शिकार
जंगल का क़ानून
मुआवज़ा
साँचा
बड़े बच्चे
कुएँ में भाँग
दूध
दास मलूका कह गए...
खेल-ए-लोकतंत्र
अशोक भाटिया
जन्म : 1955 अम्बाला छावनी (पूर्व पंजाब)
मातृभाषा: पंजाबी ।
रिटायर्ड एसोसिएट प्रोफेसर ।
प्रकाशित पुस्तकें : अब तक 35 पुस्तकें प्रकाशित। लघुकथा रचना और आलोचना के प्रमुख हस्ताक्षर। दो कविता संग्रह, दो - लघुकथा संग्रह – 'जंगल में आदमी', 'अँधेरे में आँख़' (मराठी, - तमिल, बांग्ला में भी), 'बालकाण्ड' (बाल लघुकथाएं)। बहुचर्चित संपादित पुस्तकों में 'पैंसठ हिंदी लघुकथाएं (दो सं.), 'निर्वाचित लघुकथाएं' (चार सं.) और 'नींव के नायक' । लघुकथा - विमर्श में 'परिंदे पूछते हैं (दो सं.) और आलोचना में 'समकालीन हिंदी लघुकथा' आदि ।
सम्मान : हरियाणा साहित्य अकादमी के घोषित 'बाबू बालमुकुंद गुप्त सम्मान' (2017) सहित अमृतसर, कोलकाता, पटना, शिलॉन्ग, इंदौर, हैदराबाद, रायपुर आदि की संस्थाओं द्वारा सम्मानित ।
संपर्क : बसेरा, 1882, सेक्टर 13, करनाल - 132001 (हरियाणा) ।
फोन : 184-2201202,
मो. : 9416152100
ईमेल : ashokbhatiahes@gmail.com
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