लघुकथा-संग्रह-1952/कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर
(अनिता रश्मि जी के सौजन्य से)
संग्रह की रचनाओं को 'लघु कथा-चित्र' बताया गया है।
संग्रह का नाम : आकाश के तारे, धरती के फूलकथाकार : कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर
पहला संस्करण : 1952
ISBN : 81-263-0717-X
प्रकाशक : भारतीय ज्ञानपीठ,
18, इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड,
नयी दिल्ली-110003
अनुक्रम
नन्दन
मृत्यु की चिन्ता में
कवि की पत्नी
सती
आकाशवाणी
झोंपड़ी
पहचान
कलाकार का स्वप्न
और तू
टहनियाँ
संसार की साक्षी
किसके चरणों में ?
असफलता
मध्यस्थ
तीन गुच्छियाँ
पेड़ की पीड़ा
रजकण
गनीमत हुई
शास्त्रीजी
प्रश्नोत्तर
लाल बिजार
योजना
सामने और पीछे
पुरस्कार और दान
रण-दुन्दुभि
कम्पा और चम्पा
झरना हँसा
तृप्ति और अतृप्ति
सुराही और प्रतिभा
वे तीनों
उनकी वाणी
उदार
आरम्भ
एक प्रश्न
छोटे वृक्ष
डाकू और फौजी
शृंगार
चूहड़
दो घोड़े
नन्दन
रसोइयाजी
तीन मित्र
सुखनन्दन माली
वृद्ध और युवक
युवक
भिखारी
जीवन का ज्ञान
क, कि, की,
मैं जान गया !
दो साधक
वे दोनों
मनुष्य
दो मेमने
भोजन या शत्रु
पेंसिल स्कैच
सौदा
दो बहनें
धन्नू भगत
असन्तोष
क्यों रो रहे हो ?
दिनचर्या
रामनाम सत्य है
दो मित्र
उन्नति
इंजीनियर की कोठी
मेरा घर
अंधों का जुलूस
बंदूक
काँच का जौहरी
भला क्यों ?
दियासलाई
इसी संग्रह से एक लघुकथा 'वे तीनों' :
चम्पू, गोकुल और वंशी, तीनों एक उत्सव में गये । यहाँ तब तक कोई न आया था। वे तीनों ही आगे की कुर्सियों पर बैठ गये। लोग आते गये, नम्बरवार बैठते गये, हॉल भर गया ।
उत्सव आरम्भ हुआ। संयोजक ने सबका स्वागत किया ।
तब आये एक महानुभाव अपनी मोटर में।
उत्सव की बहती धारा रुक-सी गई और सब उन्हें लेने-लेने को झपटे।
वे हॉल मे यों आये कि कोई जलूस हो।
संयोजक ने आगे झपटकर 'उठो' के उद्घोष के साथ आँखों की वक्रता का झटका देकर उठा दिया चम्पू, गोकुल और वंशी को। अब उन कुरसियों पर बैठे थे--महानुभाव, उनकी पत्नी और पुत्र।
चम्पू, गोकुल और वंशी एक ओर खड़े ताकते रहे। तभी उन महानुभाव ने 1111 रुपये का चैक संयोजक को दिया। माइक पर इसकी घोषणा हुई और हॉल तालियों से गूँजा ।
"ओह, यह बात है!" तीनों ने एक साथ कहा और उत्सव से लौट आये ।
चम्पू ने सोचा–“ठीक है, मेरे भाग्य में कुरसी होती, तो मै उस महानुभाव के घर न जन्मता!"
गोकुल ने सोचा–“लाख धुर्पट रचने पड़ें, मै लाखपति बनूँगा।"
वंशी ने सोचा–“चाँदी के गज से आदमी को नापनेवाली इस समाज-व्यवस्था के विरुद्ध मैं विद्रोह करूँगा।"
और चुपचाप, तीनों अपने-अपने घर चले गये ।
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर
जन्म : | 29 मई, 1906 |
जन्मभूमि : | देवबन्द, सहारनपुर |
निधन : | 9 मई 1995 |
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