लघुकथा-संग्रह -1989 / उदाहरण / विक्रम सोनी

 (डॉ उमेश महादोषी के सौजन्य से)

लघुकथा संग्रह : उदाहरण

कथाकार : विक्रम सोनी (स्व.)

प्रथम संस्करण : 1989

आई.एस.बी.एन. : उपलब्ध नहीं।

प्रकाशक : महत्व प्रकाशन, आई-169, रविशंकर शुक्ल नगर, इन्दौर-452008


अनुक्रमणिका : 

अनुक्रमणिका नहीं दी गयी है, तथापि संग्रह में निम्न शीर्षक लघुकथाएँ प्रष्ठानुक्रम में शामिल हैं।


1. चश्मा /3 

2. मसीहा/4

3. सर्वशक्तिमान/5

4. पुरस्कृता/6

5. बनैले सुअर/7

6. बड़ी मछली का आहार/8

7. मुआवजा/9

8. बंटवारा/10

9. चिनगारी/11

10. खेल-खेल में/12

11. जूते की जात/13

12. ग्रहस्थ/14

13. कारण/14

14. अंतहीन सिलसिला/15

15. अजगर/16

16. आज से/17

17. लावा/18

18. मझली उंगली का दर्द/19

19. डर/20

20. अन्तर्गोपन/21

21. बीमार आजादी/22

22. बातचीत/23

23. उलझन/24

24. पेट पर लात/25

25. मीलों लम्बे पेंच/26

26. डोम कौवा/27

27. रोगी जमीन/28

28. अनंतदाह/29

29. रोजी-रोटी/31

30. लाठी/32


संग्रह से एक प्रतिनिधि लघुकथा : 

अजगर 

   अपने सात वर्षीय बेटे को मुट्ठी भर गेहूँ के दाने लेकर बाहर जाते देखकर कृषक ने समझाते हुए कहा, ‘ये अन्न है बेटा। इसे नहीं फेंकते। जानते हो जितना खाना तूम खाते हो, उतना ही अन्न तुम्हारी वजह से जिस दिन नष्ट हो जायेगा, उस दिन तुम्हें उपवास करना ही पड़ेगा। थाली तुम्हारे सामने होगी, लेकिन किसी कारणवश तुम खा नहीं पाओगे।’

   बेटे ने मुट्ठी में बंद गेहूँ के दानों को एक बार फिर देखकर कहा. ‘इसे फेकूंगा नहीं बापू। मैंने इत्ते-इत्ते से.....!’ उसने हवा में दो चौकोर घेरे बनाये, और बोला, ‘खेत बनाये हैं। बनिये का छोरा खेत मांग रहा था। मैंने नहीं दिये। उसी में गेहूँ बोऊंगा। सिंचाई करूंगा।’

   ‘फिर.....?’ कृषक को हँसी आ गई।

   ‘पौधे उगेंगे। गेंहूँ फलेगा। पकेंगे तो खलिहान में लाऊँगा। बीज निकालूँगा।’

   ‘और फिर.....?’

   ‘एक मुट्ठी आपको लौटा दूँगा।’

   ‘बाकी.....!’

   ‘बाकी.....?’ पितृ स्नेह उछला।

   ‘आधी मुट्ठी चिड़ियों को खिला दूँगा। अपने लिये रखूँगा। लेकिन वो बनिये का लड़का है न बापू- वह लूटता है। उसे एक दाना भी नहीं दूगा।’ और वह बाहर निकल गया।

   ‘कृषक का भाग्य.....!’ वह बेटे के जाने के बाद बुदबुदाया, ‘तीन मुट्ठियों में कैद है बेटा। तू भूख, साहूकार और सरकार से परिचित नहीं है।’



विक्रम सोनी 

जन्म तिथि : 25.05.1943 

जन्म स्थान : तत्कालीन कोरिया स्टेट (वर्तमान में छत्तीसगढ) का ग्राम बैकुंठपुऱ।

देहावसान : 04 जनवरी 2016।

शिक्षा : हिन्दी में स्नातकोत्तर एवं यान्त्रिकी में उपाधि।

योगदान : 1964 से म.प्र. सरकार की शासकीय सेवा में रहे। 1981 से लघुकथा की समर्पित और महत्वपूर्ण लघु पत्रिका- आघात/लघुआघात के प्रकाशन एवं संपादन के माध्यम से लघुकथा की विकास यात्रा में अतुलनीय योगदान किया। लघुकथा के साथ कविता, कहानी एवं समीक्षा लेखन में कई दशक तक सक्रिय रहे। जीवन के अंतिम वर्षों में शारीरिक अस्वस्थता के कारण साहित्य में सक्रिय नहीं रह सके। कई लघुकथा संकलनों- छोटे-छोटे सबूत, पत्थर से पत्थर तक, मानचित्र एवं लावा का संपादन किया। ‘उदाहरण’ सोनी जी का एकमात्र उपलब्ध लघुकथा संग्रह है। आपके कुछ कविता संग्रह/संकलन भी प्रकाशित हुए थे।

 

सम्मान व पुरस्कार : लघुकथा लेखन-संपादन के लिए अखिन भारतीय स्तर पर 1983 में प्रज्ञा पुरस्कार तथा म.प्र. प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा 1985 में स्व. भवानी प्रसाद स्मृति पुरस्कार।

परिवार का पता : बी-4, तृप्ति विहार, इन्दौर रोड, उज्जैन, म.प्र.

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