चाणक्य के दाँत -2019/कर्नल (डॉ) गिरिजेश सक्सेना
कथाकार : कर्नल (डॉ) गिरिजेश सक्सेना
ISBN: 978-81-941365-4-5
प्रथम संस्करण : 2019
प्रकाशक : अपना प्रकाशन
म.नं. 21, सी-सेक्टर, हाई टेंशन लाइन के पास, सुभाष कॉलोनी, गोविंदपुरा, भोपाल-462023 फोन: 9575465147
ई-मेल roy.kanta69@gmail.com
अनुक्रम
दो कदम भी न चले
आवाज दो हम एक हैं
चेहरे पर लिखे दाम
नकल में अकल
उमर का तकाजा
भूख
बाज़ी
पेशी
पेट की आग
गजानन उवाच
कूकर सभा
मेरी मिट्टी
सुबह का भूत
तीसरा नेत्र
नन्हीं का थैंक्यू
जो नहीं होता वो होता है
चुटकी की ताकत
माँ के लिए रोटी
पुल
राष्ट्रीयता
होली रंग बदरंग
इस्तीफा
चौकीदार
हम क्यों जीते वो क्यों हारे
भस्मासुर
सावधानी
बेईमानी का ईमान
घड़ी से लटका आदमी
सफेद चोर
दस्तूर
जहाँ चाह
हर शाख पे उल्लू
वो नादानी
पानवाला
पीछे आँख नहीं है ना
वय व्याधि
दुआ
ट्रायल
सहेली
सपनों की राख
जे की रही भावना जैसी
खुदा
मैं माँ हूँ, द्रौपदी नहीं
शेरनी
सत्ता
सत्ता परिवर्तन
श्रम का अभिमान
डूबते सूरज
कार सेवा
योग संयोग
चाणक्य के दाँत
फटी जेब
भविष्यवक्ता
हस्तरेखा
माँ सिर्फ माँ
आस्था
ऐसा भी होता है
दत्तक माँ
जलवे
पूर्वाभास
एक संयोग मुलाकात
गर्ल फ्रेण्ड
सम विधान
आरक्षण : एक त्रासदी
पूत कपूत तो...
नेकी का ज़माना नहीं
डॉक्टर ऑन ड्यूटी
दूध का दूध, पानी का पानी
फिर मर गया हज़ार का नोट
सेल
चार दाने
अंदाज़ अपना-अपना
डॉ. अशोक भाटिया द्वारा लिखित 'भूमिका' का अंश :
लघुकथा मानव-जीवन के किसी पक्ष की अपेक्षाकृत छोटे आकार में कही गई, कथा रचना है। इस कथन के तीन पहलू है। एक, लघुकथा में कोई कथा तत्व हो, चाहे क्षीण रूप में हो । वैचारिक और काव्यात्मक धरातल की लघुकथाओं में कथा-तत्व अपेक्षाकृत क्षीण रूप में मिलता है। दूसरे, लघुकथा का बाह्य आकार कहानी की अपेक्षा छोटा होता है। प्रतिनिधि लघुकथा-साहित्य के अध्ययन के आधार पर हम कह सकते हैं कि लघुकथा एक वाक्य से एक हजार शब्दों तक की कथा-रचना होती है। तीसरे, लघुकथा कही जाती है अर्थात् यह घटित से कहन तक की यात्रा करने के पश्चात अपना स्वरूप ग्रहण करती है। किसी वास्तविक अथवा काल्पनिक प्रसंग की, एक उद्देश्य-विशेष के साथ, संवेदना के जल से कलात्मक निर्मिति लघुकथा है, जिसमें रचना के अन्य पक्ष भी अपेक्षित हैं। आज लघुकथा ने हिंदी साहित्य के एक कोने में सही, पर अपना स्थान बना लिया है ।
संग्रह से एक लघुकथा 'गर्लफ्रेंड' :
- और बेटा कोई गर्ल फ्रेन्ड बनाई क्या ?
-क्या पापा आप भी, लड़के ने शर्माते हुए मुँह छुपा कर कहा। - अरे, इसमें शर्माने की क्या बात है, इस उमर में नहीं बनायी तो कब बनाओगे ?
-आजकल के माँ बाप कुछ अधिक ही मॉड (आधुनिक/मॉडर्न) हो गए हैं, फिर लड़के के माँ बाप हों तो करेला और नीम चढ़ा, उनकी मानसिकता एक कद ऊँची होती है। नमन अभी-अभी ही कालेज में गया था। अठारह पूरे हो चुके थे। थोड़ी-थोड़ी दाढ़ी मूँछ भी आ चुकी थी भरा-पूरा कद काठी का बदन। किसी लड़की को आकृष्ट करने का पूरा सामान, माँ ने भी पति की हाँ में हाँ मिलते हुए कहा- बेटा, इसमें शर्माने की क्या बात है, है तो बताओ।
नमन पापा से तो कुछ कह ना पाया, माँ की ओर मुड़ कुछ खीझ भरे अंदाज़ में कहा- माँ, दीदी मुझसे बड़ी है, दो साल से कालेज जा रही है। उनसे पूछो ना कोई बॉय फ्रेंड बनाया क्या ?
-क्या ऊल-जलूल बक रहा है, वो लड़की है। शर्म नहीं आती, अपनी दीदी के बारे में ऐसी बात करते? पिता कुछ बोलते उसके पहले ही माँ ने डाँट दिया।
- क्या माँ आप भी, अपनी बेटी की बात आयी तो ऊल-जलूल, जो मेरी गर्ल फ्रैन्ड बनेगी वो भी तो किसी की बेटी बहन होगी ना ?
कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना
जन्म : 23 मार्च 1947 को भोपाल में ।
BSc, M.B.B.S, PGDHA, MDBA, PGDMLS, NABH Quality councellar, MIHA, MIPHA. MIMA, AMC (Rtd).
आर्मी मेडिकल कोर (1972-2003), ईसीएचएस (2003-08), जे.के. हॉस्पिटल भोपाल (मेडिकल सुपरिंटेंडेंट), वर्तमान में अस्पताल भोपाल स्वास्थ प्रबंधन सलाहकार तथा नेशनल एक्रीडीटीटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल (NABH) के सलाहकार के रूप में कार्यरत ।
पुरस्कार एवं सम्मान : 'लघुकथा भूषण' अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मालवा प्रान्त मध्य प्रदेश. 'लघुकथा श्री' लघु कथा शोध केन्द्र दिल्ली, 'क्षितिज सम्मान' क्षितिज संस्था इंदौर, 'लघुकथा गौरव' शिव संकल्प साहित्य परिषद, होशंगाबाद मप्र, उत्कृष्ट लेखन सम्मान', सच की दस्तक (वाराणसी), 'मीरा श्री' सम्मान काव्य कृति हेतु हिंदी भाषा.कॉम द्वारा श्री सतीश चंद्र चतुर्वेदी आजीवन साहित्य सेवा राष्ट्रीय अलंकरण-2020, 'सत्य तथ्य-कथ्य' (कहानी संग्रह) पर वार्षिक अलंकरण पर कृति सम्मान, अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मलेन, भोपाल (म.प्र.), श्री विक्रम सोनी स्मृति लघुकथा कृति सम्मान 2021, 'चाणक्य के दाँत' (लघुकथा संग्रह) हेतु लघुकथा शोध केन्द्र, भोपाल का वार्षिक अलंकरण ।
प्रकाशित कृतियाँ : कामयाब सफरनामा (कर्मठ जीवनी संग्रह -2012), प्रतीक्षालय (काव्य संग्रह-2012). चाणक्य के दाँत (लघुकथा संग्रह 2019), सत्य तथ्य कथ्य (कहानी संग्रह 2020) ।
साझा प्रकाशन : अक्षय मामिक राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, हिंदी भवन, भोपाल, गुजित मौन, समय की दस्तक दस्तावेज (2017-18 ई-लघुकथा संग्रह जुलाई 2021 ) दृष्टि समकालीन लघुकथाएँ जनवरी 2020 श्रेष्ठ काव्य संगम (खंड-1) हम और तुम ( काव्य संग्रह), कर्णामृत (मैथिल त्रिमासिक, लघुकथा विशेषांक, मेरी हिंदी रचनाओं का मैथिल अनुवाद) उर्वशी भोपाल लघुकथा विशेषांक, ई-लघुकथा संग्रह जुलाई 2021 विश्व भाषा एकेडमी (राजस्थान) आदि के अतिरिक्त अक्षरा, सत्य की मशाल, सच की दस्तक, लघुकथा वृत अनेक पत्र पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशन।
संपादन : वर्ष 2003 से 2012 तक एक द्विभाषी पत्रिका 'एक्स मेन' का संपादन प्रकाशन। प्रकाशनाधीन : पतझड़ के फूल, झूमर, टुकड़े, जिज्ञासा आदि।
संपर्क : जी 1 इन्द्रप्रस्थ एयरपोर्ट रोड, भोपाल-462030
9425006515, 07554265389
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