संरचना-13/कमल चोपड़ा (सं.)
संपादक : डॉ. कमल चोपड़ा
वर्ष : 2020
सम्पादकीय कार्यालय :
संरचना,
1600/114, त्रिनगर, दिल्ली-35
फोन: 011-27381899 / 9999945679
अनुक्रम
विचार
1. कमल चोपड़ा आंतरिक संरचना में संवेदनाओं की उपस्थिति 7
2. भगीरथ - आठवें दशक के लघुकथाकार-14 3. कुलदीप जैन- आठवाँ दशक : लघुकथा की पुनर्स्थापना का स्वर्णकाल - 20
4. विक्रम सोनी- नौवें दशक के नागरिक-25
5. रामकुमार घोटड़- शिखर शताब्दी का हिन्दी लघुकथा-साहित्य (1991-2000)-30
6. माधव नागदा- इक्कीसवीं सदी के प्रथम दशक की हिन्दी लघुकथा: एक पुनरवलोकन 40
7. राधेश्याम भारतीय- इक्कीसवीं शताब्दी के दूसरे दशक की लघुकथा- 51
8. लता अग्रवाल- लघुकथा में नारी पात्रों के सकारात्मक तेवर-65
9. कल्पना भट्ट - हिन्दी लघुकथा में भाषा का महत्त्व - 70
स्मृति
10. सतीशराज पुष्करणा-लघुकथा जगत् में निशांतर की उपस्थिति - 79
11. ध्रुव कुमार- समय के सच से रचना-संसार गढ़ने में माहिर थे कृष्णानंद कृष्ण-84
सृजन
1. अंजलि सिफर रंग- 89
2. अंजू खरबन्दा सौ बटा सौ-91
3. अनवर शमीम-घड़ी-92
4. अनिता रश्मि - चिल्लै कलाँ-94
5. अयाज़ ख़ान - क्षरण - 95
6. अशोक भाटिया - शिव सांईं / विलीन - 96
7. आलोक चोपड़ा- इज्जत - 99
8. आशा शर्मा- साँकल 100
9. इंदिरा किसलय - मिठाई - 102
10. उमाकांत खुबालकर पदांतर - 104
11. ऋता शेखर मधु- तटस्थ - 106
12. कनक हरलालका बन्धन मुक्ति - 108
13. कमल चोपड़ा- मदर/सेफ हैंड्स- 110
14. कमलेश भारतीय-सात ताले और चाबी / शुक्र है भीख नहीं माँगी- 113
15. कल्पना भट्ट- जीवन की दौड़ - 115
16. कान्ता रॉय-अभागा रतन / भय- 116
17. कुँवर प्रेमिल-रोटी - 119
18. कुमार नरेन्द्र श्रद्धा में 120
19. कृष्णचन्द्र महादेविया- पापी नजर 121
20. गिरिजेश सक्सेना सीख - 123
21. गोपाल नारायण आवटे-माँ ने कहा था- 125
22. गोविंद शर्मा - तानाशाह - 126
23. घनश्याम अग्रवाल- फिर एक मासूम-सा इल्जाम- 127
24. जसबीर चावला- छुरी बाबा / किस हाथ सात्विक - 129
25. ज्योति जैन- डिस्टेंस - 131
26. दिव्या राकेश शर्मा - सिलौटा-132
27. देवांशु पाल- दरअसल 134
28. नमिता सचान-रिश्ते -135
29. नरेन्द्र कौर छाबड़ा- मजबूरी
30. नीना छिब्बर- कंधा- 137
31. नीरज सुधांशु- - सक्षम- 139
32. नीहार गीते - माँ की उम्र 141
33. पंकज शर्मा- खुराक - 143
34. पवन जैन- नई राह - 145
35. पवन शर्मा- ऐसा नहीं देखना- 147
36. पवित्रा अग्रवाल - हमरी सौं- 149
37. पुरुषोत्तम दुबे वे दो - 150
38. पूनम चन्द्रलेखा- दुकानदारी - 152
39. पूनम सिंह- नया संदेश- 155
40. पूर्णिमा मित्रा- ऊँची दुकान - 157
41. प्रताप सिंह सोढ़ी- -ममता- 158
42. प्रेरणा गुप्ता - भावनाओं का सम्बल 159
43. बलराम अग्रवाल - दरख्त/मुल्क और हम- 160
44. भगीरथ दर्द का धुआँ हो जाना / पुरुषार्थ- 163
45. भारती कुमारी खामोशी - 166
46. मधु जैन - आस्तिक- 167
47. मधुदीप हड़कम्प - 169
48. महाबीर रवांल्टा-बड़ा आदमी 170
49. महाबीर राजी- रावण- 172
50. महेश शर्मा-पिता - 173
51. माधव नागदा- फैमिली - 175
52. मार्टिन जॉन डिजिटल स्लेव - 176
53. मालती बसंत-अपने लिये नहीं- 178
54. मिथिलेश दीक्षित वसीयत 179
55. मिन्नी मिश्रा - महाभारत से रामायण 180
56. मीना गुप्ता आजादी 183
57. मीनू खरे बढ़त 185
58. मुकेश शर्मा- उलझो मत सुलझो 187
50. मृणाल आशुतोष- आवाज 189
60. योगराज प्रभाकर जड़ें 190
61. योगेन्द्रनाथ शुक्ल- माँ- 193
62. रजनीश दीक्षित अभाव- 194
63. रमेश गौतम- अम्मा 196
64. रवि प्रभाकर आजादी /रियरव्यू 198
65. राघवेन्द्र रावत- मदारी- 202
66. राजकमल सक्सेना- आखिरी सूत्र- 204
67. राधेश्याम भारतीय अन्तिम इच्छा-206
68. रामकरन-काँटा-208
69. रामकुमार घोटड़- कुदरत का तोहफा/आतंकवादी
70. राममूरत राही- जंगल की ओर - 212
71. रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' - अपराधी - 214 72. रूप देवगुण-चिज्जी-216
73. रेनू सिंह अपना आँगन 217
74. लता अग्रवाल ठण्डे रिश्ते - 218
75. लाजपत राय गर्ग-शह- 220
76. विजय कुमार- सॉरी- 221
77. विभा रश्मि दूध - 222
78. विरेन्द्र वीर मेहता - आदर्श एक जुनून
79. शराफत अली खान-प्यार-226
80. शर्मिला चौहान- गर्म कोट- 227
81. शशि सक्सेना संबोधन- 229
82. शील कौशिक - बेबसी 230
83. श्यामसुन्दर अग्रवाल प्रहरी/भिखारी - 231
84. श्यामसुन्दर दीप्ति- तमन्ना / सुबह का इन्तजार 233
85. श्रवणकुमार सेठ- दुआ - 236
86. संजय रॉय धर्म-238
87. संजीव ठाकुर-दुखी - 239
88. संतोष श्रीवास्तव निगरानी - 240
89. संतोष सुपेकर सर्द जवाब 242
90. सतीशराज पुष्करणा-कदमों की बढ़ती गति-243
91. सतीश राठी-गणित / राशन - 245
92. सत्या शर्मा 'कीर्ति'- प्रोफाइल पिक- 247
93. सविता इन्द्र गुप्ता- नदी बहती रही- 248
94. सविता प्रथमेश - फूलबाई-250
95. सारिका भूषण कैद प्रजाति - 253
96. सिद्धेश्वर - दुलारा-255
97. सीमा जैन 'भारत' दिखावा 256
98. सीमा वर्मा - भोला- 257
99. सुकेश साहनी - चिड़िया / माँ जाये 258
100. सुधा भार्गव - पालना- 261
101. सुभाष नीरव - चिड़िया की दोस्ती-263
102. सुरेन्द्र कुमार अरोड़ा- निमंत्रण - 265
103. सुरेन्द्र गुप्त- असुरक्षा - 266
104. सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक'- बहिष्कार-268
105. सुरेश बाबू मिश्रा - अपराधबोध - 270
106. सुषमा गुप्ता- अतीत में खोई हुई वर्तमान की चिट्ठियाँ- 272
107. सूर्यकांत नागर - केसर की छोरी का दसेरा / साझी चिंता - 274
108. हरभगवान चावला- किस्से-276
109. हरि जोशी- टिट फॉर टैट-277
110. हरीश कुमार 'अमित' मदद - 278
111. हरीश चन्द्र- कोथली - 279
112. हेमंत उपाध्याय - पंचतत्त्व के मालिक - 281
आकलन
■ कथा-समय दस्तावेजी लघुकथाएँ - सूर्यनारायण रणसुभे - 282
■ गहरे पानी पैठ-समकाल की सार्थक अभिव्यक्ति-रमेश गौतम 291
■ अँधेरे में आँख-सूर्यनारायण रणसुभे 296 लघुकथा रचना-प्रक्रिया - मृणाल आशुतोष - 299
■ सामाजिक यथार्थ का प्रामाणिक दस्तावेज-मृत्युंजय उपाध्याय - 302
● लघुकथा वर्ष 2020-305
'शिखर शताब्दी का हिन्दी लघुकथा-साहित्य (1991-2000) : डॉक्टर रामकुमार घोटड़ के आलेख का एक अंश :
लघुकथा लेखन में यूँ तो हर दशक में ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं लेकिन इस समीक्ष्य दशक के लघुकथा-साहित्य से गुजरते वक्त यह सामने आया कि इस दसवें दशक में अन्य दशकों की तुलना में कुछ ज्यादा ही उतार-चढ़ाव परिवर्तित हुए हैं। लघुकथा पुस्तक प्रकाशन पर भी नजर डालें तो इस दशक में तुलनात्मक दृष्टि से कम ही पुस्तक प्रकाशित हो पायी हैं। दशक के शुरुआती वर्षों में लघुकथा लेखन सन्तोषप्रद रहा लेकिन ज्यों-ज्यों दशक बीतता रहा, लघुकथा लेखन कम होता गया। इस दशक के अन्तिम वर्षों के सन् 1999 में सिर्फ एक लघुकथा संकलन 'तीसरी आँख' (सं० सूर्यकान्त नागर, गजानन देशमुख) का प्रकाशन होना, लघुकथा लेखन की धीमी गति की ओर इशारा करता है। सम्भवतः इसके पीछे इस दशक में आते-आते नियमित लघुकथाकारों का लघुकथा विधा से मोहभंग होना, लघुकथा लेखन में रुचि न लेना, अन्य विधाओं में पालन करना तथा नये लघुकथाकारों का लघुकथा साहित्य से न जुड़ पाना जैसे कुछ कारक रहे होंगे, या जो भी कारण रहे हों, इस शिखर शताब्दी दशक काल में लघुकथा लेखन धीमी गति से हुआ। अत: यह शिखर शताब्दी दशक, हिन्दी लघुकथा लेखन का सुषुप्त दशक-काल के रूप में जाना जायेगा।
अन्तत: ‘कुछ न होने से, कुछ होते रहना बेहतर होता है। इस भारतीय पौराणिक अवधारणा का अनुसरण करने पर हमें प्रसन्नता होती है और इस समीक्ष्य कालखण्ड का हिन्दी लघुकथा साहित्य हमारे दिलोदिमाग को सन्तुष्टि प्रदान करता है ।
इस अंक से एक लघुकथा :
रेनू सिंह / अपना आँगन
जब भी भाभी से बात करती उसके भीतर मायके के आँगन की खुशबू और पोर में समा जाती है। वह ललक कर पूछती, " आम में बौर आए होंगे। करौंदें खूब फलते होंगे। सामनेवाला पीला गुलाब भी खिलता होगा। नींबू में छोटी चिड़िया अपने घोंसले बनाती होगी। "
भाभी खूब लरज-लरजकर एक-एक के बारे में विस्तार से बताती। आम में खूब बौर आए थे आँधी में कुछ गिर गये। उनसे खटाई बना ली है। करौंदे और नींबू का अचार डाला है। बहुत अच्छे बने हैं। हाँ बहुत सी चिड़ियों ने घाँसले बनाये। कौवों ने कितने ही घोंसले नोच डाले, अंडे फोड़ दिये। सामनेवाला पीला गुलाब भी खिलता है। रातरानी अब भी महकती है।
भाभी की बातें सुन एक हूक-सी उठती। आज इतने बरस हो गये, उस चौखट को देखे हुए। वो कपड़ा मुँह में ठूस रो लेती ।
भाभी खुश होकर देर तक कहानियां सुनाती। वो आँसू बहा बहाकर सुनती।
भाभी बहुत सारी बातें करती, बस एक बात छोड़कर कि, “आकर घूम जाओ, ये तुम्हारा भी आँगन है।" ०
डॉ. कमल चोपड़ा
जन्मतिथि : 21 सितम्बर, 1955
शिक्षा : चिकित्सा-स्नातक
लेखन : कहानी, बाल-कहानी, लघुकथा आदि लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, लघुकथाएँ व बाल कहानियाँ प्रकाशित ।
प्रकाशित कृतियाँ : अतिक्रमण, भट्ठी में पौधा (कहानी-संग्रह); अभिप्राय, फंगस, अन्यथा, अनर्थ, अकथ (लघुकथा संग्रह); मास्टरजी ने कहा था (बाल उपन्यास)।
सम्पादित लघुकथा-संकलन : हालात, प्रतिवाद,
अपवाद, आयुध, अपरोक्ष, समकालीन लघुकथा : सृजन और विचार।
विशेष : संरचना (वार्षिक) नामक लघुकथा केन्द्रित पत्रिका का 2008 से सम्पादन/प्रकाशन।
सम्प्रति : स्वतन्त्र लेखन एवं चिकित्सा।
सम्पर्क : 1600/114, त्रिनगर, दिल्ली 110035
फोन: 011-27381899
मोबाइल : 9999945679
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें