धुंध के पार-2021/प्रताप सिंह सोढ़ी
लघुकथाकार : प्रताप सिंह सोढ़ी
ISBN 978-81-951416-2-3
प्रथम संस्करण : 2021
प्रकाशक : अयन प्रकाशन
1/20, महरौली, नई दिल्ली-110030 मोबाइल : 9211312372
शाखा : जे-19/39, राजापुरी, उत्तम नगर, नई दिल्ली -110059
e-mail: ayanprakashan@gmail.com
website: www.ayanprakashan.com
अनुक्रम
1. संरक्षण
2. विक्षेप
3. अनाम रिश्ते
4. इस्तीफा
5. खामोश चीखें
6. ममता (1)
7. ममता (2)
8. जलन
9. जन्मदिन
10. तस्वीर
11. फैसला
12. मुझे जीना है
13. मानसिक विकलांगता
14. रावण दहन
15. माइलो, मेरा जिगरी यार
16. दर्द के रिश्ते
17. रिहाई
18. माँ ने कहा है
19. दुविधा
20. प्रहार
21. स्वाभिमान
22. गुल्लक
23. खिलौने
24. शक्ति बिखर गई
25. सिर्फ एक बार
26. साज़िश
27. अंतिम इच्छा
28. वसीयत
29. उपहार
30. बलि
31. फ़रिश्ते
32. मज़दूरी की उमंग
33. जग रचना
34. कर्फ्यू
35. उमंग के क्षण
36. नई क्रांति
37. सहारा
38. पुतला
39. अहमियत
40. खुशनसीब
41. अज़ान
42. रिश्तेदार
43. मौत
44. आत्मविश्वास
45. दंगा-फसाद
46. विरासत
47. सूखे होंठ
48. सौदा
49. उम्मीद की किरण
50. खज़ाना
51. श्रद्धांजलि
52. इस बार भी
53. ढहती जिंदगी
54. टेंशन
55. परेशानी
56. शहीद की माँ
57. मुझे कुछ देना है
58. तीसरी बार
59. हक़ की मज़दूरी
60 नाम की तलाश
61. परिवर्तन
62. स्त्री
63. मुक्ति
64. प्रायश्चित
65. मुराद
66. यीशु कृपा
डॉ. अशोक भाटिया द्वारा लिखित भूमिका 'मानवीय संवेदनाओं की लघुकथाएँ' से एक अंश :
साहित्य अपने समय का वैचारिक और भावानात्मक स्पंदन होता है। यह स्पंदन ही संवेदना, सरोकार और शिल्प की रसायनिक प्रक्रिया में ढलकर साहित्य रूप में हमारे सामने आता है। आज के विघटनशील समय में इस प्रक्रिया से होकर रचे गये साहित्य की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस होती है।
प्रतापसिंह सोढ़ी लगभग पाँच दशकों से साहित्य की विभिन्न विधाओं में सृजन-कर्म करते आ रहे हैं। दो लघु संग्रहों के अलावा, कहानी ग़ज़ल की दो-दो पुस्तकें व यात्रा संस्मरण की एक पुस्तक वे साहित्य जगत को दे चुके हैं।
संपादित पुस्तकों के अलावा भी सोढ़ी जी विभिन्न महत्वपूर्ण आलेखों व समीक्षाओं के साथ-साथ विभिन्न आयोजनों में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज़ करते आ रहे हैं। जीवन के तिहतर वसंत देख चुके श्री सोढ़ी जी अब भी एक युवा की ऊर्जा और सरोकारों के साथ साहित्य साधना में रत हैं।
हिन्दी लघुकथा अब हाशिये की विधा नहीं रह गई । इसके सैंकड़ों लेखक हैं और भरपूर पाठक। इसी के अर्न्तगत श्री प्रतापसिंह सोढ़ी का तीसरा लघुकथा संग्रह आ रहा है। इसकी कुछ खूबसूरत लघुकथाओं की चर्चा करना जरूरी है।
इस लघुकथा-संग्रह से एक लघुकथा 'इस्तीफा':
तीन माह बाद जब गुरुदयाल सिंह हार्ट की बायपास सर्जरी करवा के लौटा, तो सबसे पहले वह गुरुद्वारे गया। अकाल पुरुख के सामने उसने श्रद्धापूर्वक मस्तक झुकाया और आँखें बंद कर सच्चे पादशाह का लाख-लाख शुक्रिया अदा किया। प्रसाद ले, गुरुद्वारे की सीढ़ियाँ उतरते हुए उसका सामना गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष दिलावरसिंह से हुआ। उसकी भौहें तन गईं और चेहरे पर कठोर भाव छा गये। तीन माह पहले जब वह बाई पास सर्जरी के लिये दिल्ली जा रहा था, तब दिलवारसिंह ने व्यंग्य भरे लहजे में तीखा प्रहार करते हुए कहा था, "अब तो तीन माह बाद ही मुलाकात हो पायेगी। बेहतर होगा कि तुम गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सचिव पद से इस्तीफा देकर ही जाओ। क्या पता तुम...।"
इसके आगे के शब्द उसके हलक में अटक गये थे। जहर सने उसके इन शब्दों ने उसे बुरी तरह आहत कर दिया था। खामोश रह वह सब कुछ सहन कर गया था, लेकिन आज वह अपने आप को रोक नहीं पाया। उसने अपनी पेंट की जेब से एक कागज निकाल उसकी हथेली पर रखते हुए रोबदार आवाज़ में कहा, “यह लो मेरा इस्तीफा। बहुत चिंता थी तुम्हें मेरी इस्तीफे की। वाहे गुरुजी ने मुझे नया जीवन दे बहुत बड़ा पद दे दिया है जिसके सामने सभी पद छोटे हैं।"
इतना कह, वह गर्वपूर्ण मुद्रा में सीढ़ियाँ उतर गया। अवाक् दिलावरसिंह देखता रहा। इस्तीफा वाला कागज सर्द मौसम में भी उसकी हथेली जला रहा था।
प्रताप सिंह सोढ़ी
जन्म : 16 मार्च 1937 ( इन्दौर)
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, इतिहास, समाजशास्त्र), एम.एड. प्रकाशित कृतियां : • कतरब्योंत, हम सब गुनहगार हैं (कहानी संग्रह) शब्द संवाद, मेरी प्रिय लघुकथाएँ (लघुकथा संग्रह), जिंदगी की तरफ हौंसले अभी बाकी हैं (गजल संग्रह), सफर में (संस्मरण) ●देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, व्यंग्य, आलेख, समीक्षाएँ, कविताएँ, गज़लें प्रकाशित। लघुकथा संकलनों, विशेषांकों में लघुकथाएँ सम्मिलित, पंजाबी, उर्दू, मराठी, सिंधी एवं नेपाली भाषा में लघुकथाओं का अनुवाद।
अनुवाद : पंजाबी एवं उर्दू कहानियों का हिंदी अनुवाद प्रकाशनाधीन : 'उजाले की ओर' (मुक्तक), 'जिंदगी की तरफ' (भाग दो) ग़ज़ल-संग्रह।
संपादन : • शहादत, समप्रभ, काव्यकुंज, सत्रह आखर, प्रतिनिधि लघुकथाएँ, • पत्रलेखन अतीत के चलन से आधुनिकता के खंडन तक।
सम्मान : • विद्यावाचस्पति विद्यासागर, भारत गौरव (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ गांधीनगर, ईशपुर, भागलपुर द्वारा), मध्यप्रदेश लेखक संघ भोपाल द्वारा "पार्वती मेहता स्मृति लघुकथा गौरव सम्मान", • पंजाब कला साहित्य अकादमी जालंधर द्वारा विशिष्ट अकादमी एवं हरनामदास सहराई सम्मान, • अहिंदी भाषी लोकसंघ दिल्ली द्वारा अमरसिंह जीवनसाहित्य गौरव सम्मान, संस्कृति शोध संस्थान उज्जैन द्वारा सास्वत सम्मान, पंजाबी पत्रिका मिन्नी द्वारा सारस्वत सम्मान, जबलपुर लघुकथा परिषद द्वारा लघुकथा गौरव सम्मान। प्रेमचंद सृजन पीठ उज्जैन (म.प्र. संस्कृति परिषद संस्कृति विभाग भोपाल द्वारा कर्मभूमि सम्मान, • भाषायी एकता की साहित्यिक संस्था हिंदी परिवार द्वारा हिंदी सेवी सम्मान (2020 ) एवं हरियाणा लधुकथा मंच सिरसा द्वारा 2018 में खुशीराम देवगुण स्मृति सारस्वत सम्मान।
सम्प्रति : सेवानिवृत्त प्राचार्य (स्वतंत्र लेखन)
संपर्क : 5, सुखशांति नगर, बिचौली हरसी रोड, इन्दौर-452016 (म.प्र.)
दूरभाष: 0731-2591837
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