लघुकथा-संग्रह-2021/कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना
कथाकार : कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना
ISBN: 978-81-951461-7-8
प्रथम संस्करण : 2021 © लेखकाधीन
प्रकाशक : आईसेक्ट पब्लिकेशन
25 ए, प्रेस कॉम्प्लेक्स एम. पी. नगर, जोन - 1, भोपाल-462011 : 0755-4923952
अनुक्रम...
बाईस रोटियाँ : एक संयोग / 25
मटकिया / 26.
अनुभव / 27
स्वाबलंबन / 28
अर्द्धनारीश्वर / 29
दो दिन का चूल्हा / 30
मौत का डर (दो धारी) / 31
सोचने का फुर्सत किसको / 34
टोकरी टोकरी उजाला / 35
खून का रिश्ता / 36
डॉक्टर भी इंसान भी / 37
गाँधी के आँसू / 38
ईमानदारी / 40
दत्तक धर्म / 41
आत्मग्लानी (दो धारी) / 42
लास्ट फ्लाईट / 44
जैसे को तैसा / 45
हर जनम की राधा / 47
इस सदी का धृतराष्ट्र / 48
सत्यमेव जयते / 49
टीआरपी का सवाल है/पेट का वास्ता / 51
वापसी / 52
सबका मालिक एक / 53
उस्ताद तो उस्ताद है / 55
चक्षु विमोचन / 56
ऊँट पहाड़ के नीचे / 57
समाधान / 58
बेटी का मान / 59
जनम दिन / 60
वो बा-वफा / 61
रामायण / 62
करुणा भाईरस / 63
अन्तर / 65
लॉकडाउन में लॉकइन / 67
राम नाम सत्य है !! / 69
दारुण दुःख / 71
पूर्ण विराम / 73
दूसरा दधिची / 75
अपना गाँव / 77
गाँव से / 78
लकीर पीटना / 80
ठेके पर यमराज / 82
जिग किम संवाद / 84
लाइफ टाइम गारंटी / 85
इधर के रहे न उधर के रहे / 86
हाय बुढ़ापा / 88
माँ का सब / 89
झुमका गिरा रे / 90
कोरोना : सेक्युलर दी ग्रेट / 91
किसका साथ किसका विकास/92
ये दाने हमारी जान है / 93
आधी रोटी / 94
अभिशाप या वरदान / 96
मुस्तैदी / 98
इंग्लिश मीडियम / 100
कागज का पेट / 101
अज्ञान उजड्ड / 102
हूटर / 103
हिन्दी देश के माथे की बिंदी / 104
सब खोटे : अब चौखे / 106
दुर्घटना से देर भली / 108
अतृप्तता / 109
छपास तृष्णा प्रकाशन / 110
कर्म ही धर्म है / 112
दहशते कोरोना / 114
क्या फर्क है / 115
धरम-कौन-सा? कैसा? किसका? / 116
गुठलियों के दाम / 118
औरत की दुश्मन...? / 119
उलट बाँसुरी.../ 121
अघोरी / 125
अस्मिता /126
घर का चिराग / 128
राजनीति 129
आचार सौष्ठव / 130
दूर की कौड़ी 131
मुफ्त का मकान / 132
घर नहीं मकान 133
कर्मवाद - भाग्यवाद / 134
इन्तहा ऐ नजाकत / 135
पराया देस अपने लोग / 137
बैगानी शादी में... / 138
बली का बकरा / 140
पठन पाठन / 141
पठन पाठन माध्यम / 142
वसीयत (दो धारी) / 143
दुनिया न बदली / 145
डॉक्टर की वेदना / 146
ऑनलाईन / 147
चयन समिति / 149
पितृ दोष / 151
मातृ दोष / 153
मातृ बचन / 154
वाकया / 156
औरत की दुश्मन औरत (एक और ) / 157
बस कर मेरी अम्मा / 158
जन्मपत्री की कब्र / 159
परिधि / 161
नाम में क्या रखा है? / 163
मिठास (दो धारी) / 164
संग्रह की प्रस्तावना से एक अंश :
इन लघुकथाओं को पढ़ते हुए लेखक की जिंदादिली, परिस्थितियों का विश्लेषण करने की क्षमता और कल्पना शक्ति का अनुभव होता है। सीधी सपाट भाषा में बुन्देली की मिठास का आनंद भी पाठक को मिल जाता है। कोरोना काल के अनुभवों और उनके विरोधाभासों को भी खूबी के साथ उकेरा गया है। इन कहानियों को पढ़ते हुए लेखक के 'मन के बोल' में लिखा यह वाक्य कौंधता है- “सृजन अपने आप में एक सुखद अनुभूति है। हर वो क्षण जब लेखनी हाथ में होती है. एक ब्रह्म मुहूर्त होता है। मन मस्तिष्क में एक अलौकिक अनुभूति होती है और जब उन क्षणों का सार संसार कागज पर बिखरता है तो स्वयमेव ब्रह्मत्व का आभास होता है । " जिस रचनाकार की ऐसी अनुभूति होती है वही वैयक्तिकता से परे जा कर सामाजिकता का निर्वाह कर पाता है। मुझे विश्वास है कि कर्नल सक्सेना की लेखनी तब तक चलती रहेगी जब तक वे इस ब्रह्मत्व की चरम सार्थकता को प्राप्त नहीं कर लेते।
कैलाश चंद्र पन्त, मंत्री / संचालक, म प्र हिंदी राष्ट्र भाषा समिति, हिंदी भवन, भोपाल (म.प्र.)
संग्रह से एक लघुकथा
'बाईस रोटियाँ : एक संयोग'
ऐजाज़ आज सुबह-सुबह अम्मा आयी थीं सपने में। क्या हुआ सब खैरियत तो है? ऐजाज़ ने पूछा।
कुछ नहीं कह रहीं थीं काली गाय को बाईस रोटी खिला दो। अब यार तुम्हारी अम्मा भी.... खैर खिला दो। यूँ भी तुम रोज़ गाय को रोटी देती हो इत्तेफ़ाकन वो गाय तो काली है। आज उसे बाईस रोटी खिला दो। सीधी जानवर है दुआ ही देगी।
रफ़िया ने अहमदन को बोला- आज बाईस रोटी ज्यादा बना देना अभी हमेशा की तरह ऐजाज़ और रफ़िया दफ्तर लिए निकले, एजाज़ रफ़िया को उसके दफ्तर छोड़कर अपने दफ्तर जाते थे। हमेशा की तरह आज भी वही काली गाय दरवाजे पर खड़ी थी। रफिया ने सभी बाईस रोटियाँ एक डलिया में लीं और गाय के सामने रख दीं। आदतन रोज़ एक दो रोटियां हाथ से पाने वाली गाय ने हाथ से रोटी न खिलाने पर प्रतिरोध स्वरुप एक बार ज़ोर से सर हिलाया और डलिया की ओर झुक गयी। थोड़ी ही देर में डलिया खाली थी। पेट से संतुष्ट गाय ने ऊपर की ओर मुंह किया, ज़ोर से रम्भाई और आगे बढ़ गई। ऐजाज़ ने भी कार आगे बढा दी ।
दिन के तीन बजे ऐजाज़ का फ़ोन बजा, रफ़िया का कॉल था- ऐजाज़ जल्दी आओ घर जाना है। अब्बा की तबियत नासाज़ है। ऐजाज़ रफ़िया को उसके दफ्तर से ले कर अपनी ससुराल पहुँचा। अब्बा को अस्पताल शिफ्ट किया जा चुका था चुनांचे अस्पताल की ओर रवाना हुए। अस्पताल पहुँचने पर पता चला उन्हें सीरियस हार्ट अटैक था, केथलेब में ले जाया जा चुका था। बाहर इंतजार करने के सिवा कोई चारा न था।
थोड़ी ही देर में दरवाजा खुला हरी टोपी मास्क में एक डॉक्टर निकले सब ठीक है, तीनों आर्टरी ब्लोक थी, अन्जिओप्लास्टी कर दी है, अब कोई ख़तरा नहीं है।
रफ़िया ने नज़र दीवार घड़ी पर नजर डाली- अम्मा के सपने से ठीक बाईस घंटे का वक्फा था।
कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना
जन्म : 23 मार्च 1947 को भोपाल में ।
BSc, M.B.B.S, PGDHA, MDBA, PGDMLS, NABH Quality councellar, MIHA, MIPHA. MIMA, AMC (Rtd).
आर्मी मेडिकल कोर (1972-2003), ईसीएचएस (2003-08), जे.के. हॉस्पिटल भोपाल (मेडिकल सुपरिंटेंडेंट), वर्तमान में अस्पताल भोपाल स्वास्थ प्रबंधन सलाहकार तथा नेशनल एक्रीडीटीटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल (NABH) के सलाहकार के रूप में कार्यरत ।
पुरस्कार एवं सम्मान : 'लघुकथा भूषण' अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मालवा प्रान्त मध्य प्रदेश. 'लघुकथा श्री' लघु कथा शोध केन्द्र दिल्ली, 'क्षितिज सम्मान' क्षितिज संस्था इंदौर, 'लघुकथा गौरव' शिव संकल्प साहित्य परिषद, होशंगाबाद मप्र, उत्कृष्ट लेखन सम्मान', सच की दस्तक (वाराणसी), 'मीरा श्री' सम्मान काव्य कृति हेतु हिंदी भाषा.कॉम द्वारा श्री सतीश चंद्र चतुर्वेदी आजीवन साहित्य सेवा राष्ट्रीय अलंकरण-2020, 'सत्य तथ्य-कथ्य' (कहानी संग्रह) पर वार्षिक अलंकरण पर कृति सम्मान, अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मलेन, भोपाल (म.प्र.), श्री विक्रम सोनी स्मृति लघुकथा कृति सम्मान 2021, 'चाणक्य के दाँत' (लघुकथा संग्रह) हेतु लघुकथा शोध केन्द्र, भोपाल का वार्षिक अलंकरण ।
प्रकाशित कृतियाँ : कामयाब सफरनामा (कर्मठ जीवनी संग्रह -2012), प्रतीक्षालय (काव्य संग्रह-2012). चाणक्य के दाँत (लघुकथा संग्रह 2019), सत्य तथ्य कथ्य (कहानी संग्रह 2020) ।
साझा प्रकाशन : अक्षय मामिक राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, हिंदी भवन, भोपाल, गुजित मौन, समय की दस्तक दस्तावेज (2017-18 ई-लघुकथा संग्रह जुलाई 2021 ) दृष्टि समकालीन लघुकथाएँ जनवरी 2020 श्रेष्ठ काव्य संगम (खंड-1) हम और तुम ( काव्य संग्रह), कर्णामृत (मैथिल त्रिमासिक, लघुकथा विशेषांक, मेरी हिंदी रचनाओं का मैथिल अनुवाद) उर्वशी भोपाल लघुकथा विशेषांक, ई-लघुकथा संग्रह जुलाई 2021 विश्व भाषा एकेडमी (राजस्थान) आदि के अतिरिक्त अक्षरा, सत्य की मशाल, सच की दस्तक, लघुकथा वृत अनेक पत्र पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशन।
संपादन : वर्ष 2003 से 2012 तक एक द्विभाषी पत्रिका 'एक्स मेन' का संपादन प्रकाशन। प्रकाशनाधीन : पतझड़ के फूल, झूमर, टुकड़े, जिज्ञासा आदि।
संपर्क : जी 1 इन्द्रप्रस्थ एयरपोर्ट रोड, भोपाल-462030
9425006515, 07554265389
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