लघुकथा-संग्रह-2021/डॉ. शील कौशिक
प्रकाशन वर्ष : 2021
कथाकार : डॉ. शील कौशिक,
चलभाष: 94168-47107
प्रथम संस्करण : 2021
मूल्य: 250 रुपये
प्रकाशक :
देवशीला पब्लिकेशन पटियाला- 147001 (पंजाब) चलभाष: 98769-30229 Email: corellover@gmail.com
अनुक्रमणिका
स्वकथन / शील कौशिक
संवेदनाओं के क्षरण का समय / बलराम अग्रवाल
लघुकथाएँ
1. पर्त-दर-पर्त
2. बौना
3. आश्वस्ति
4. सेवानिवृत्ति
5. जाति के पार
6. बेबसी
7. आत्मसम्मान
8. माँ का मरना
9. छूटा हुआ सामान
10. गाली
11. अंतिम यात्रा
12. ज़िद अच्छी है
13. एक ही बेटा
14. बेटी का हिस्सा
15. उत्सव बोध
16. बदलती प्रश्नावली
17. बोल न मुन्ना
18. सच तो यही है
19. वही किरदार
20. कुपात्र
21. ख़बर
22. बोझिल कंधे
23. तब और अब
24. गुंजाइश
25. वरीयता
26. खेल
27. हाईटेक रिश्ते
28. जागृति
29. ऐसे शिष्य
30. वार्तालाप
31 प्रतियोगिता
32. पहचान
33. अगला शिविर
34. अनर्गल प्रलाप के बीच
35. श्रद्धांजलि
36. दूसरी पारी
37. विषबीज
38. पुल की मज़बूती
39. प्रतिनियुक्ति
40. जो बोया है
41 अंतर्दृष्टि
42. नास्तिक कहीं का
43. प्रतिरूप
44. अच्छे मम्मी पापा
45. बिगड़ैल
46. मिटते शब्द
47. एकदम निकम्मे
48. इम्तिहान
49. निशानियाँ
50. ऐसे लोग
51. घर-घर
52. नियुक्ति पत्र
53. दीवाली से रिश्ता
54. फोटो एल्बम
55. इन्सानियत की ख़ुशबू
56. बधाई
57. नेह छाया
58. बहन की शादी
59. न्याय
60. पड़ोसन
61. पति-पत्नी
62. एक उसका होना
63. कलाकार
64. औरत65. अनाथ
66. कड़वी चाय
67. स्वर्ग की ओर
68. असल कमाई
69. खोते जा रहे पल
70. ख़ुशी का रोपण
71. माँ की होली
72. ट्रैक कथा
73. कमज़ोर कलाई
74. चिड़िया ने कहा था
संग्रह से एक लघुकथा 'दूसरी पारी' :
"क्या बात जगदीश तुम सैर करने कभी किसी समय, कभी किसी समय आते हो; ठीक छह बजे आओ तो हम दोनों एक साथ सैर कर लिया करेंगे।” जगदीश के सहकर्मी रामेश्वर ने कहा। "ठीक है यार! कल से मैं ठीक छह बजे आने का प्रयास करूंगा।”
एक-दो दिन समय पर आने के बाद जगदीश का फिर वही हाल, कभी किसी समय, तो कभी किसी समय। रामेश्वर आज सैर करने के बाद पार्क से बाहर निकला ही था कि सामने जगदीश आता दिखाई पड़ा, “वाह! भाई वाह ! बड़े मस्तमौला आदमी हो, लगता है सेवानिवृत्ति का पूरा आनंद ले रहे हो... जब जी करता है तब चले आते हो सैर को। ”
“कहाँ रामेश्वर भाई, बेफ़िक्री तो अपने राज में थी। सेवानिवृत्ति के बाद तो बहू-बेटे की नौकरी बजा रहा हूँ। सुबह पानी की मोटर चलाने की ड्यूटी मेरी है और पानी आने की मर्ज़ी नगरपालिका के कर्मचारी की है। पानी आने के बाद टंकी भरता हूँ, पौधों में पानी देता हूँ, फिर जाकर कहीं सैर को आ पाता हूँ। यदि कभी मेरा पोता जल्दी उठ जाए तो उसे सँभालने की भी मेरी ज़िम्मेवारी । दूध, ब्रैड, सब्ज़ी लाने के बाद पोती को स्कूल छोड़कर आता हूँ। बिजली-पानी का बिल भरना... आई.टी.आर, सेल टैक्स के काग़ज़ात सी.ए से पूरे करवाने.... दिन में बेटे की दुकान में आने वाले ग्राहकों को उसकी अनुपस्थिति में देखभाल करता हूँ। अब तू ही बता, मैं आज़ाद मैं और बेफ़िक्र कैसे हुआ... घर में दूसरी पारी की नौकरी बजा रहा हूँ मेरे भाई!”
"सचमुच यार!" रामेश्वर ने अपना हाथ जगदीश के कंधे पर रखा तो उसकी आँखें नम हो गईं।
डॉ. शील कौशिक
जन्म : 19-11-1957, फरीदाबाद (हरियाणा) शिक्षा: एम.एस. सी., एल.एलबी, एम.एच.एम (होम्योपैथी), विद्यासागर (मानव)
सम्प्रतिः सेवानिवृत्त जिला मलेरिया अधिकारी, स्वास्थ्य विभाग, हरियाणा
कुल प्रकाशित पुस्तकें : 32 (मौलिक: 22, सम्पादितः ॐ अनुवादित लेखिका पर पुस्तकः1) कहानी-संग्रह : महक रिश्तों की, एक सच यह भी
लघुकथा संग्रह : उसी पगडंडी पर पाँव, कभी भी कुछ भी, मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ
कविता-संग्रह : दूर होते हम, कविता से पूछो, कचरे के ढेर पर जिंदगी, कब चुप होती है चिड़िया, खिडक़ी से झाँकते ही, मासूम गंगा के सवाल
बाल कहानी-संग्रह : बचपन के आईने से, धूप का जादू, करे तोक्या करे, माशी की जीत, रुनझुन और टिन्नू
बालकविता-संग्रह : बिल्लो रानी, पंजाबी बालकथा संग्रहः - रिमोट वाली गुड्डी
अनुवादित पुस्तकें: 'एक सच यह भी' (कहानी-संग्रह) तथा 'कभी भी कुछ भी (लघुकथा-संग्रह) का पंजाबी अनुवाद। 'खिड़की से झाँकते ही' का अंग्रेज़ी में अनुवाद 'पीपिंग थ्रू दी विंडो' द्वारा डॉ० मेजर शक्तिराजा
प्रमुख सम्मान व पुरस्कार : हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा 2014 में श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान, 2018 में हरियाणा साहित्य रत्न (पंडित माधवप्रसाद मिश्र सम्मान) व लघुकथा-संग्रह 'कभी भी कुछ भी को श्रेष्ठ कृति पुरस्कार, हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला द्वारा लघुकथा पुस्तका कभी भी कुछ भी' के लिए साल 2012 का श्रेष्ठ कृति पुरस्कार, अखिल भारतीय हिंदी प्रसार प्रतिष्ठान, पटना द्वारा 'लघुकथा रत्न सम्मान, श्री ओम प्रकाश यादव मेमोरियल समिति, अटेली मंडी एक हरियाणा ग्रंथ अकादमी, पंचकूला द्वारा 'लघुकथा शिरोमणि सम्मान 2010, हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच, गुरुग्राम द्वारा 'लघुकथा मणि सम्मान', डॉक्टर मनमुक्त मानव लघुकथा गौरव सम्मान- 2019 द्वारा मनुमुक्त 'मानव' मेमोरियल ट्रस्ट, नारनौल, दिशा प्रकाशन द्वारा समीक्षा सम्मान-2020 की घोषणा
संबद्धता : संस्थापक अध्यक्ष हरियाणा लेखिका मंच (सिरसा),' महादेवी कौशिक बाल साहित्य संस्थान (सिरसा); संयोजक हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच (सिरसा)
पता : 'मेजर हाउस, 17, हुडा सेक्टर-20, सिरसा-125055 (हरियाणा)
चलभाष : 94168-47107
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