लघुकथा-संग्रह-1981/नन्द किशोर पारीक 'नन्द' (सं.)

(शराफत अली खान  के सौजन्य से)

प्रेरणा  (लघु कथा संग्रह)

नूतन वर्ष के शुभ अवसर पर हमारी शुभकामनायें

संपादक • नन्द किशोर पारीक 'नन्द'

प्रधान संपादक ● डा. अमर सिंह

उपसम्पादक--विप्लव चक्रवर्ती क्रांतिकारी • गोपालचन्द्र विश्वास श्रीतूफान ● रामशंकर शर्मा •अजय सक्सेना • मदुला पारीक • पुरुषोत्तम पारीक • आर. बी.

सहयोग राशि : पांच रुपए मात्र 

संपादन, प्रबन्ध--अवैतनिक / व्यावसायिक है.

प्रकाशक :

आदर्श भारतीय साहित्यकार परिषद, एक-59, कालीदास मार्ग, बनीपार्क, जयपुर-302006 (राजस्थान)

संकलन के  आकर्षण

1-सम्पादकीय

13-लघुकथाएँ

डा. अमर सिंह, श्रीराम ठाकुर 'दादा' कमलेश भारतीय, रामनिवास मानव, मुकुट सक्सेना गुलशन मदान 'राम', महेन्द्र सिंह महलान, संजय सुल्तानपुरी, विक्रम सोनी, जयकान्त शर्मा (आजाद रामपुरी), भूपाल सिंह अशोक, मधुकांत, कमल चौपड़ा, श्रीराम मीना, प्रबोध कुमार गोविल, सुशील कुमार गोड़ 'मधुकर', विन्देश्वर प्र० गुप्ता, विप्लव चक्रवर्ती 'क्रान्तिकारी'

24. आपके अपने 

25. आलेख

लघुकथा : स्वरूप-विवेचन--रामनिवास मानव

27. लघुकथाएँ

कुवंर अजान, नन्दकिशोर पारीक 'नन्द', सिद्धेश्वर, महेश प्र० साहू आश, श्याम भारती, रामकृष्ण विकलेश, हीरालाल नागर, शंकर पुणतांबेकर, नारायण वसुले, भगवती प्रसाद द्विवेदी, मधुदीप, हरि राजस्थानी

39. आलेख

नवीन लघुकथाकारों का दृगभ्रमन / भूपाल सिंह अशोक.

45. लघुकथाएँ

शराफत अली खान, कालीचरण प्रेमी, ललित कुमार गोयल, हसन जमाल, राम शंकर शर्मा 'अजय' कलीम मानन्द, मनोज मित्र, इन्द्रा स्वप्न सतीश सारंग, वसंत निरगुणे, राजकुमार जैन 'राजन, कृष्णा बांसल, सत्यवीर मानव, नन्दकिशोर पारीक 'नन्द', मोहन वर्मा 'जोगी', राकेश कुमार गुप्त, जीत कौर, दर्शन दीप, मिथलेश कुमार गुप्त, अर्चना अर्ची, मुकेश रावल

63. आपके अपने

65. पुस्तक समीक्षा

68. सूक्ष्म सबूत

सम्पादकीय


लघुकथा !  लघुकथा !!   लघुकथा !!!

आजकल यह शब्द हर पत्र-पत्रिका में पढ़ने को मिलता लघुकथा क्या है ? लघुकथा वह छोटा करण है जो फटते ही सारे शरीर में बिखर जाता है याने दिलों दिमाग को भंभोर सा देता है कलेवर में लघु कथा बहुत छोटी होती हैं लेकिन सारा रहस्य इन शब्दों में ही युग रहता है लघुकथा विद्या निरंतर प्रगति के पथ पर है लेकिन कुछ लेखक इसे चुटुकला या व्यंग्य में धकेल रहे हैं जो लघुकथा के नाम को दूषित कर रहे हैं इससे लबुकथा का क्षेत्र जितना विस्तृत हो रहा है उतना जल्दी गिर भी सकता है.


जबकि कुछ ऐसे लेखक भी हैं जो लघुकथा की चोटी पर पह चाने का भरसक प्रयत्न कर रहे हैं और वास्तव में वही श्रेष्ठ लघुकथाकार कहलाने योग्य हैं.


आज हर पत्र / पत्रिका लघुकथा को उचित स्थान दे रही है, कई पत्रिकाए तो लघुकथा विशेषांक निकाल रही है यह उनका प्रयास सराहनीय है लेकिन दुःख तो तब होता है जब यह समकदार सम्पादक अपने विशेषांकों को कूड़ा पात्र बना डालते हैं बेसिर पर की भद्दी लघुकथाएं छापकर.

अधिकांश पत्र/ पत्रिकाओं में प्रकाशित लघुकथाओं का स्तर निम्न रहता हैं लघुकथा विद्या को जहाँ उच्च स्थान मिला है व मिलता रहेगा उसका श्रेय इन पत्रिकाओं को विशेष तौर पर है- तारिका, आघात, नवतारा, शब्दलता प्रगतिशील समाज, ग्रहण, दर्शन मंथन आदि.

आज जो लघुकथाकार उभरकर हमारे सामने  आए हैं उनमें प्रमुख निम्न हैं : श्री शंकर  पुणतांबेकर, कमलेश भारतीय, श्रीराम ठाकुर "दादा", रामनिवास 'मानव', विक्रम सोनी, डा. अमरसिंह, भगीरथ, बलराम अग्रवाल, श्रीराम मीना, जगदीश कश्यप, रमेश बतरा, वेद हिमांशु, प्रबोध कुमार गोविल, निशा व्यास पृथ्वीराज परोक्ष रमेश जाधव, शकुन्तला किरण, हीरालाल नागर, बलराम, सत्य शुचि, भूपाल सिंह अशोक।

इन लेखकों के गहन अध्ययन व कठिन परिश्रम से ही प्राजनयुष्या पूरी प्रगति पर है अगर कहीं बु लघुकथा का स्तर गिरता नजर आता है तो ये हस्ताक्षर उसको पुनः उठाने में पीछे नहीं हटो दस गुणों में एक गुण विदित हो जाता है, इसी प्रकार घिसी पिटी लघुकथाएं इनकी श्रेष्ठ रचनाओं के नीचे दबकर दम तोड़ देती है.

लघुकथा के माध्यम से ही लेखक समाज में हो रहे भ्रष्टाचार बाजारी, जमाखोरी, बेईमानी. अस्पृश्यता पूरा गरीबी का चित्रण कुछ ही शब्दों में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करता है।

आज हर व्यक्ति इतना व्यस्त है कि उसे कहानी या उपन्यास पढ़ने का समय कहाँ है ? इसलिए लघुकथा ही उनके मनोरंजन का सरल साधन है दस मिनट में 7-8 लघुकथा पढ़ी जा सकती है। इस विषय पर कई लोगों से परिचर्चा के असंगत बातचीत भी हुई (लघुकथाकार, पाठक, शक्टर, वकील विद्यार्थी, पत्रकार, राजनेता, ) सभी का मत था कि लघुकथा पढ़ने में एक तो समय कम लगता है फिर उन थोड़े से शब्दों से ही मानस पटल पर गहरा असर पड़ता है, मस्तिष्क को सोचने को मजबूर कर देता है.


" रखा" प्रतियोगीता व संग्रह मेरा प्रथम प्रयास है प्राशा है पाप इस नवोदित की छोटी बड़ी गत्तियों के लिये क्षमा कर देंगे ।

संग्रह को संवारने तथा रचनाओं के चयन में निर्णायक मण्डल ने इस बात का पूरा ध्यान रखा हैं कि अधिकतर स्वनाए पाठकों के प्रस्तराल को स्पर्श कर सके.

में उन सभी सम्पादकों, प्रकाशकों, साहित्यकारों, सहयोगियों का हृदय से प्रभारी हूं जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय एवं सद् विचार देकर के. संग्रह के प्रकाशन में सहयोग दिया.

अन्त में मैं सभी से आग्रह करता हूँ कि वे संग्रह पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य देवें. गल्तियों की ओर ध्यान आकर्षित करवायें जिससे अगला प्रयास सफल हो सके. 

विनीत : नन्द किशोर पारीक 'नन्द'


नन्दकिशोर पारीक 'नन्द'

जन्म :  जून 13, 1963 जयपुर में 

लेखन : कहानी, लघुकथा, लेख, गजल, फिल्मी लेख समीक्षायें आदि लघु आघात राज पत्रिका, नवज्योति सर्व सचेत ऋचा, ग्रहण कथाविव दर्शन सत्यप्रकाशमन आदि अनेक पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। अखिल भारतीय कला संस्कृति साहित्य विद्यापीठ मथुरा द्वारा 'कहानी' पर 'साहित्य सरस्वती मे विभुषित वर्तमान समाज, पुलिस बनाम लघुकथा उपकार आदि संकलनों के लिए लघुकथाएं स्वीकृत।

सम्प्रति : सम्पादक- "प्रेरणा" उप संपादक वर्तमान समाज, उपकार, अन्जली भरधूप (लघु कथा व काव्यसंग्रह) सचिव- आदर्श भारतीय साहित्यकार परिषद (राजस्थान)

अभिव्यक्ति : समाज में फैले दिवारों को सुनता व देखता हूं, लेकिन उसके विरोध में कुछ न बोल पाता तब अन्त में गहराई में डूब जाता हूँ तब जाकर कलम उठ पाती है, फिर तो कागज पर उन्हें बिखेर देता हूँ.

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