प्रकारान्तर/रूपसिंह चन्देल (सं.)

(पवन शर्मा के सौजन्य से)

लघुकथा-संकलन : प्रकारान्तर 

सम्पादक  : रूपसिंह चन्देल

प्रथम संस्करण : 1991

© सम्पादक

प्रकाशक :

हिमाचल पुस्तक भण्डार, सरस्वती भण्डार, गांधी नगर,  दिल्ली-110031

मूल्य : सौ रुपये

आवरण : सत्य सेवक मुकर्जी

क्रम

पूर्व आयाम

अयोध्याप्रसाद गोयलीय : शहीद बकरी / 30, घमण्ड कब तक / 31, चाहत का परिणाम/32, औकात के बाहर / 32, एक समान / 33

आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री: पंडित जी / 35

आचार्य जगदीशचंद्र मिश्र: संसार की यात्रा / 38

आनंद मोहन अवस्थी : बंधनों की रक्षा / 39

उपेन्द्रनाथ अश्क : गिलट / 42

कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' : सेठजी/44, शत्रु या भोजन /44, मारिया और बसंती / 46

कामताप्रसाद सिंह 'काम' : अपशगुन / 48

छबीलेलाल गोस्वामी : विमाता / 49

जयशंकर प्रसाद : पत्थर की पुकार / 52

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी : झलमला / 55

प्रेमचंद : राष्ट्र का सेवक / 58, कश्मीरी सेब / 58

भारतेंदु हरिश्चंद्र : मेहमान / 62, ज्ञान चरचा / 62, दुआ मांगना / 62

माखनलाल चतुर्वेदी : अधिकारी पाकर / 64, बिल्ली और बुखार/65

माधवराव सप्रे : एक टोकरी-भर मिट्टी / 67

रामधारी सिंह 'दिनकर': नदिया और समुद्र / 70

रामवृक्ष बेनीपुरी : घासवाली / 72, 

रावी : डुगडुगी / 75, अपना सब दे : मेरा सब ले/76, टीन महल / 77, झील के किनारे/80, शपथहीन / 82

विष्णु प्रभाकर : फर्क / 85, शैशव की ज्यामिति–तीन कोण / 86, दोस्ती / 87, मरा यक्ष / 88 ईश्वर का चेहरा / 89

सुदर्शन : मेरी बड़ाई / 92

उत्तर आयाम

आजाद रामपुरी : प्रमोशन / 96, काम का तरीका / 96, पहुंच/ 97, दानवीरता / 98, निःशुल्क 98

कमल चोपड़ा : एक उसका होना / 100, जानवर / 101, इस तरह / 102, अमर बेल/102 प्रथा / 103

कमलेश भारतीय : व्यवस्था / 106, दहशत /107, पत्थर का दर्द/107, चौराहे का दीया, 108, मुक्ति-मार्ग / 109

कालीचरन प्रेमी : जहरीला इन्सान / 111, बदलते रिश्ते / 111, पैदाइशी दीवार/112, बीसवीं सदी का राजकुमार / 112, पत्थर के लोग / 114

चित्रेश : तमाचा / 116, जादुई अंगूठी / 116, आदमी / 117, प्रेरणा / 118, प्रार्थना / 118 

चित्रा मुद्गल : राक्षस / 121, सुविधा / 122, व्यावहारिकता / 123, रिश्ता / 124, ऐब/ 125

जया नर्गिस : टुकड़े-टुकड़े जीवन / 128, विद्रोह / 128, निश्चित / 129, सीमांत/ 129, श्रद्धा / 130

ज्ञानप्रकाश विवेक : सदुपयोग / 133, पहचान / 133, फूल उदास था / 134, मेहमाननवाजी / 135 दरहकीकत / 135

पवन शर्मा : विघटन / 138, स्थायी तलखी / 139, इनका उनका दु:ख / 140, रिश्ते-नाते / 141, बेकारी में / 142

पृथ्वीराज अरोड़ा : तम्बाकू की मां/ 144, स्थिति / 144, दीवार / 145, नाखून का मांस / 146, मर्जी / 147

प्रतिमा श्रीवास्तव : गुनहगार / 150, आदमी का दर्द / 151, एक सच दायित्व का / 152 

फजल इमाम मलिक : तकदीर / 154, भूख की भूख / 154, फर्क / 155, भेड़िया / 155

बलराम : रफा-दफा / 157, माध्यम / 158, बेटी की समझ / 158, बहू का सवाल / 159

बलराम अग्रवाल : पुश्तैनी काम / 162, शोषित को देखकर/162, गुलमोहर 163

बालेन्दुशेखर तिवारी : समय के साथ / 166, नये-पुराने भगीरथ / 166, योजनांत 167, पर्दे के पीछे / 167, जनवादी / 168

भगवती प्रसाद द्विवेदी : मेहनताना / 170, उम्मीद की परिवरिश/ 171,  मोहभंग / 171, अपाहिज / 172, विस्थापित / 173

भगीरथ : बन्दूक / 176, औरत/ 176, अंधेरे द्वीप/177, तुम्हारे लिए/ 178, रोमांस के रंग / 179

मधुकांत : आम बजट/181, बोध/181, शुरुआत / 182, नंगी / 183, इन्टरव्यू / 184

मधुदीप : अपनी-अपनी मौत / 186, अस्तित्वहीन नहीं / 186, ओवरटाइम / 187 ऐसे / 188, नरभक्षी/ 188

महेश दर्पण : इस्तेमाल / 191, इज्जत 191, मतदान / 192, मुहल्ले का फर्ज / 192

माधव नागदा : मजाक नहीं / 195, असर / 196, निर्णय / 196, पता-ठिकाना / 197

मार्टिन जॉन 'अजनबी' : भूखे पेट की नैतिकता / 200, भगवान के नाम पर /200, खिताब 201 ढीली पड़ती मुट्ठियां / 202, वापसी का डर / 203

यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' : एक और नचिकेता 205, राजनीति / 205, सिंहासन का चमत्कार 205 न्याय: साजिश / 206, तीन मित्र तीन साधें / 207, अमीर देश की कथा / 207

रमाकांत : जनमत / 210, स्वांग युद्ध / 211, बालहठ / 212, सबसे ऊपर / 214, पसंद / 215

रमेश बतरा : मांएं और बच्चे / 217, नौकरी/ 217, नागरिक / 28, बीच बाजार /220

राजकुमार गौतम : अभियान / 223, यात्रा / 224, मजबूरी/ 224, अन्तिम शर्त / 225, असल बात, 226

रूपसिंह चंदेल : उनके लिए 229, प्यार/ 229, कुलटा / 230

विक्रम सोनी : बनैला डर/ 233, राजपथ / 233, नियमानुसार / 234, कोढ़ का पेड़ / 235 उस दिन के लिए / 235

शंकर पुणतांबेकर : चुनाव 238, साइको पैन्ट / 238, कैसी विडम्बना / 239

श्यामसुन्दर चौधरी : सलीब पर टंगा विद्रोह / 241, पिता / 241, प्रतिवाद ) 242, समझौता/ 243

डा० सतीश दुबे : एक और श्रवण / 245, बड़ा आदमी / 245, बदस्तूर 246

सतीशराज पुष्करणा : सिसकती जिन्दगी / 248, फर्ज / 248, पत्नी की इच्छा / 249, क्षितिज 250

सुनील कौशिश : जवाब / 252, सरकारी ब्राह्मण / 252, तैमूरलंग / 253, सवा सेर / 253, बचत 254

सुभाष नीरव : कमरा / 256, बड़े बाबू / 256, दिहाड़ी/ 257, दृष्टि / 259

सुमति अय्यर : प्रशस्ति पत्र / 261, सलीब / 261, दिनान्त/ 262, पोस्टर / 263, सिर्फ एक बिंदु/264

सुरेन्द्र मंथन : कार्यकर्त्ता / 267, ऊंचाई / 268, जिंदा मैं/ 268,, अदना-सी चीज / 269 मुआवजा / 270

हीरालाल नागर : एक आत्मा की मौत / 272, मच्छर और सिपाही/ 272, रिजर्व डिब्बा/ 273 पतं दर पतं / 274, बोना आदमी / 275

'दो शब्द' सम्पादक की ओर से

अब तक अनेक संपादित लघुकथा संकलन प्रकाशित हो चुके हैं, लेकिन लघुकथा आज भी विवाद का विषय बनी हुई है। वास्तव में रचनात्मक दृष्टि के अभाव के कारण इनमें से अधिकांश ने लघुकथाकारों की भीड़ तो बढ़ाई, किन्तु इनसे वास्तविक उद्देश्य की प्राप्ति न हो सकी। कुछ लोग तो व्यावसायिक स्तर पर उतरकर रचनाकारों से धन लेकर संकलन प्रकाशित करने लगे और कुछ क्षेत्रीयता के मोह में भ्रमित होकर किसी क्षेत्र विशेष के ही रचनाकारों की भीड़ ले जुटे, जिसने लघुकथा को लेकर अनेक भ्रान्तियों को जन्म दिया।

इस सबके परिणामस्वरूप एक ओर जहां सतही और अर्थहीन लेखन को प्रोत्साहन मिला, जिसने विवादों को घटाने के बजाय बढ़ाया, वहीं लघुकथा को स्थगित एवं विकसित करने की दिशा में कुछ रचनाकार गंभीरतापूर्वक लेखन कार्य से जुड़े रहे, जिसके फलस्वरूप आज लघुकथा एक सशक्त साहित्यिक विधा के रूप में अपनी पहचान बनाने में सफल हो सकी।

कहानी की भांति लघुकथा में भी कथा की प्रधानता होती है, अतः कहानी के लिए निर्धारित कथातत्त्वों को अपनी सीमा के अनुरूप अपने में समेटे इस विधा के पाठकों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। यद्यपि यह कहानी के अत्यधिक निकट है, तथापि कुछ आधारों पर इससे भिन्नता भी रखती है। इसीलिए इस संकलन का नाम 'प्रकारांतर' रखा गया हैं ।

‘प्रकारांतर' में मैं उन लघुकथाकारों की रचनाएं संकलित करने का सौभाग्य प्राप्त कर रहा हूं, जिन्होंने अपने मौलिक चिन्तन एव लेखन द्वारा लघुकथा के क्षेत्र में सक्रिय योगदान देते हुए इसे समुन्नत एवं सशक्त बनाया और आज भी निरन्तर प्रयत्नशील हैं। संकलन पाठकों के हाथ में देते हुए प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है। सुहृद् पाठक स्वयं निर्णय करेंगे कि मुझे कहां तक सफलता प्राप्त हुई है।                                   

रूपसिंह चन्देल

जन्म : 12 मार्च 1951 को कानपुर, उ.प्र. के गांव (नौगवां गौतम) में जन्म। 

शिक्षा : कानपुर विश्वविद्यालय से हिन्दी में पी-एच.डी.।

अब तक 65 पुस्तकें प्रकाशित : जिनमें 12 उपन्यास, 15 कहानी संग्रह, तीन संस्मरण पुस्तकें, 3 किशोर उपन्यास, 3 आलोचना पुस्तकें, 10 बाल कहानी संग्रह सहित, यात्रा संस्मरण, लघुकथा संग्रह, साक्षात्कार, शोधपूर्ण जीवनी (दॉस्तोएव्स्की के प्रेम); महान रूसी लेखक लियो तोल्स्तोय के अंतिम और अप्रतिम उपन्यास-हाजी मुराद का अनुवाद और 'तोलस्तोय का अंतरंग संसार' (तोल्स्तोय पर उनके परिजनों, मित्रों, लेखकों, रंगकर्मियों आदि के 30 संस्मरणों का अनुवाद)।

हेनरी त्रायत लिखित लियो तोल्स्तोय की जीवनी 'तोल्स्तोय' का अनुवाद (700 पृष्ठ ) ।

विशेष : आलोचनात्मक पुस्तक 'रूपसिंह चन्देल का साहित्यिक मूल्यांकन' (सम्पा. डॉ. माधव सक्सेना 'अरविन्द') पुस्तक प्रकाशित।

22 छात्रों द्वारा पी-एच.डी. और एम.फिल (3) 9 उपन्यासों का मराठी भाषा में अनुवाद कहानियों के अनुवाद पंजाबी, अंग्रेजी, मराठी, कन्नड़ और गुजराती भाषाओं में प्रकाशित।

सम्मान : हिन्दी अकादमी दिल्ली से 1990 और 2000; उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से 1994 में सम्मानित दिसम्बर 2013 में आचार्य निरंजन नाथ सम्मान (राजसमंद-राजस्थान) ।

संप्रति : स्वतंत्र लेखन।

संपर्क : फ्लैट नं. 705, टॉवर-8, विपुल गार्डन, धारूहेड़ा (हरियाणा)-123106

मोबाइल:8059948233

ई-मेल : rupchandel@gmail.com एवं

roopchandel@gmail.com

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