शोध प्रबंध:2005-2011/शोभा भारती
प्रो. चन्द्रदेव यादव |
शोध का विषय :
लघुकथा का विकास एवं
मूल्यांकन
शोध का केन्द्र ;
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पीएच.डी.
उपाधि हेतु प्रस्तुत शोध-प्रबंध
शोध निर्देशक :
डॉ. चन्द्रदेव यादव
शोधार्थी :
शोभा भारती
हिन्दी विभाग, मानविकी एवं भाषा संकाय,
जामिया मिल्लिया इस्लामिया,
जामिया नगर, नई दिल्ली - 110025
अनुक्रमणिका
भूमिका
प्रथम अध्याय
हिन्दी लघुकथा : विधागत परिचय और स्वरूप
1. हिन्दी लघुकथा का पारंपरिक स्वरूप
2. भारतीय दृष्टांत परंपरा और आधुनिक हिन्दी लघुकथा
3. विधा के रूप में लघुकथा की पहचान
4. हिन्दी लघुकथा के उत्थान के लिए संघर्ष
द्वितीय अध्याय
हिन्दी लघुकथा का विकास
1. हिन्दी लघुकथा के विकास का प्रथम चरण
(सन् 1900 ई० से 1965 ई०)
हिन्दी लघुकथा के विकास का द्वितीय चरण
(सन् 1965 ई० से 2000 ई०)
हिन्दी लघुकथा के विकास का तृतीय चरण
(सन् 2001 ई० से अब तक यानी 2010 )
तृतीय अध्याय
हिन्दी लघुकथा का संरचनात्मक विवेचन
1. लघुकथा और कहानी
2. लघुकथा और लघुव्यंग्य और लघुकहानी
3. लघुकथा लघुकथा और अन्य लघु रचनाएं
चतुर्थ अध्याय
लघुकथा का विषयगत विवेचन
1. पारिवारिक दबाव एवं रागात्मक संबंधों की लघुकथाएं
2. सामाजिक विसंगतियों से संबंधित लघुकथाएं
3. आर्थिक समस्याओं से रूबरू होतीं लघुकथाएं
4. राजनीतिक समस्याओं से जुड़ीं लघुकथाएं
5. धार्मिक समस्याओं पर केंद्रित लघुकथाएं
6. शिक्षा जगत पर आधारित लघुकथाए
7. वैचारिक संघर्ष को उकसाती लघुकथाए
8. व्यवस्था संघर्ष से दो-चार होतीं लघुकथाएं
9. लघुकथाओं में स्त्री-पुरुष संबंध
10. लघुकथाओं में दलित चेतना
11. मिथकीय लघुकथाएं
12. वैज्ञानिक विचारधारा और लघुकथाएं
पंचम अध्याय
लघुकथा का शिल्प
1. शिल्प और शैली का अर्थ
2. भाषिक सौंदर्य बिंब, प्रतीक, मुहावरे और लोकोक्तियाँ
3. पात्र, संवाद और शीर्षक
4. लघुकथा में व्यंग्य की जरूरत
5. लघुकथा में काव्य तत्वों का समावेश
उपसंहार
परिशिष्ट
1. लघुकथा के बारे में प्रमुख साहित्यकारों के विचार
> चित्रा मुद्गल
> बलराम अग्रवाल
2. लघुकथा पर आलोचकों की राय
> विश्वनाथ त्रिपाठी
> बलराम
संदर्भ-ग्रन्थ सूची
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