धूप के गुलमोहर-2021/ऋता शेखर 'मधु'

लघुकथा-संग्रह  : धूप के गुलमोहर 

कथाकार  : ऋता शेखर मधु

© कॉपीराइट - ऋता शेखर 'मधु' (रीता प्रसाद) (लेखिका) 

प्रथम संस्करण 2021

प्रकाशक :

श्वेतांशु प्रकाशन,

L-23. शॉप 6 गली नं. 14/15, न्यू पहावीर नगर, नई दिल्ली - 110018

दूरभाष 8178326758, 9971193488

ईमेल : shwetanshuprakashan@gmail.com 

K-53, न्यू महावीर नगर, नई दिल्ली - 110018

मूल्य: ₹ 340/

ISBN: 978-93-91437-28-2

लेखिका की ओर से 'मेरी बात'

जीवन जीते हुए, आसपास के लोगों से मिलते हुए कई पल ऐसे आ हैं जो मन मस्तिष्क पर अपनी जगह बना लेते हैं। जिस प्रकार हम विशेष पलों को कैमरे में क़ैद करते हैं और बाद में तस्वीर देखते हुए उन पलों को याद तो करते ही हैं, साथ ही तस्वीर में दिख रही चीजों की अच्छाई-बुराई पर भी विचार करते हैं; बिल्कुल इसी तरह कुछ क्षण विशेष पर, कोई विशेष बात मन के कैमरे में या मन की डायरी में अंकित हो जाती हैं। वे विशेष पल, जो हमे चिंतन के लिए मजबूर करते हैं, उन्हें साझा करना हो, तो हम हू-ब-हू साझा नहीं कर पाते। उन्हें अभिव्यक्त करने के लिए उपयुक्त शब्दों का चयन करना पड़ता है। उपयुक्त वातावरण तैयार करना पड़ता है। यदि साहित्य से सम्बंध है, तो अभिव्यक्ति पर विशेष विचार आवश्यक हो जाता है। साहित्य में कई विधाएँ हैं, जिनमें अपनी बात कही जा सकती है। उन्हीं विधाओं में आधुनिक काल में लोकप्रिय विधा लघुकथा एक । एक पाठक और एक रचनाकार के तौर पर इस विस्तृत विधा को कुछ पंक्तियों में कहने की कोशिश कर रही हूँ।

लघुकथा क्या है ?

1. लघुकथा विधा गद्य की विधा है, जो पिछले पचास वर्षों में साहित्य जगत में अपना स्वतन्त्र स्थान बना चुकी है । 

2. यह लघु कलेवर में रची गई एक स्वतंत्र एवं अपने आप में संपूर्ण विधा है।

3. यह विधा किसी क्षण विशेष से उपजे चिंतन को कम से कम शब्दों में ढालकर एक नए चिंतन को जन्म देने की कला है।

4. कथानक के चुनाव का आधार अक्सर सामाजिक, मनोवैज्ञानिक या राजनीतिक होता है। 

5. कथानक ले लिए प्रभावी पात्रों का चुनाव अति आवश्यक है। वे पात्र मानव के साथ-साथ मानवेतर भी हो सकते हैं।

6. लेखन शैली में संकेत के साथ बेधकता के गुण भी विद्यमान हों, तो वह लघुकथा विशिष्ट बन जाती है।

7. भूमिका न हो, सीधे-सीधे कथा तत्त्व की कलात्मक प्रस्तुति हो । 

8. चूँकि लघुकथा किसी विशेष पल की कथा है, इसलिए उसी पल को लिखा जाना चाहिए। यदि पूर्व में घटित कुछ बताना हो, तो उसे का के बीच में ही समाहित करना चाहिए ।

9. दृष्टांत द्वारा बातें कही जाएँ या सिर्फ़ भाव द्वारा, मगर लघुकथा का कोई न कोई उद्देश्य अवश्य हो ।

10. लघुकथा का समापन, उसकी प्रस्तुति चिंतन के लिए बाध्य कर दे, ऐसी कोशिश अवश्य रहनी चाहिए।

11. लघुकथा के मूल भाव के अनुसार ही शीर्षक पर विचार अवश्य करना चाहिए; क्योंकि शीर्षक लघुकथा की रीढ़ है। सीधे-सपाट शीर्षक से बचना चाहिए। शीर्षक के शब्द लघुकथा में हों ही, यह आवश्यक नहीं, पर भाव स्पष्ट उभर कर आएँ ।

आशा है मेरी लघुकथाएँ विधा के मापदंडों पर खरा उतरेंगी। पाठकीय ही इसे स्पष्ट कर पाएँगी। पाठक के बिना लेखक अधूरा होता है। पुस्तक को आप सभी का स्नेह मिले... इसी आकांक्षा के साथ आप सभी को शुभकामनाएँ।

ऋता शेखर 'मधु' (रीता प्रसाद)

अनुक्रमणिका

सामाजिक सरोकार की लघुकथाएँ

1 माँ

2 युग परिवर्तन

3 मासूम अपराध

4 दर्द

5 नया दरवाज़ा

6 साझा अनुशासन

7 नैतिकता

8 वक़्त का बदलाव

9 विकल्प

10 अपनी-अपनी उम्मीदें

11 बेतार संदेश

12 भूख का पलड़ा

13 कासे कहूँ

14 गठबंधन

15 सूरत

16 कसम

17 प्रेरणा

18 फ़ीनिक्स

19 देवदूत

20 आदर्श घर

21 संस्कारहीन

22 डील

23 प्राथमिकता

24 रिटायर्ड

25 प्रैक्टिकल नॉलेज

26 गरीब का पेट

27 पागल

28 कुछ नया

29 चिपको

30 बेपेंदी का लोटा

31 युग का दास

32 सोई आत्मा

33 गुलामों की भीड़

34 कोरे विचार 

35 वजन

36 नेग

37 जिजीविषा

38 गुलामी

39 रंगा सियार

40 आत्मनिर्भरता

41 ठनी लड़ाई

रिश्तों की लघुकथाएँ

1 काठ की हाँडी

2 मुक्ति 

3 सक्रांति की सौगात

4 अंतर्देशीय

5 शापित फल्गु

6 कब तक

7 पुनर्घटित

8 मनमर्जी

9 हो जाएगा न

10 धनवान

11 कॉमन एरिया

12 बीज का अंकुर

13 समस्या

14 विमाता

15 सागर की आत्महत्या

16 उसे क्यों नहीं

17 हमारी दोस्ती

18 राशिफल

19 आप अच्छे हो

20 धातु के बरतन 

21 अपनी अपनी नौकरी

22 प्रॉपर्टी

23 पूजा के फूल

24 पत्ते और फूल

25 रसकदम

26 पुत्रीरत्न

27 भूल

28 उधम

29 न्यू ईयर

30 दुनियादारी

31 पिता की कोख़

32 रिमाइंडर

33 ठोस रिश्ता

34 पुण्यदान

35 तोहफा

36 जज़्बात

37 गोलट

38 स्तब्ध

39 घर

40 पत्थर की ख़ुशबू

41 भटकन

42 बेरोज़गार

43 सुख की बागडोर

44 पावर बैंक

45 क्रेडिट कार्ड

मानवेतर लघुकथाएँ

1 जंगल की नदी

2 नम्रता

3 व्यवस्था का नक़ाब

4 प्यासी आत्मा

5 कैसे बिगाहूँ

कोरोनाकाल की लघुकथाएँ

1 भीड़-निर्माता

2 साँस की आज़ादी

3 बिवाई

4 दाग अच्छे हैं

विविध लघुकथाएँ

1 तटस्थ

2 समझौता

3 अस्तित्व

4 धुँधली आँख

5 सोच के बादल

6 आकलन

7 नचिकेता

8 कुछ अच्छा भी

9 मरियम

10 वंशबेल

11 वक्त की झुर्रियाँ

12 हैप्पी बर्थडे

13 प्रतिकार

14 तुम ज़िन्दा हो

15 सुराख़ वाले छप्पर

16 संवेदना

17 पक्की छत

18 निर्जला

19 चुप रहो

20 सच्ची भक्ति

21 बात बन गई

22 परमात्मा वाली नज़र

23 क्यू

24 डेट पर डेट 

25 प्रथम स्वेटर

26 नासमझी

27 मास्साब

28 लाचार

29 विश्वास

30 ईश्वरीय भूल

31 सुनहरा रंग

32 सिद्धार्थ

33 तृप्ति

34 तुस्सी ग्रेट हो

35 कॉपी पेस्ट

36 त्रिशूल

37 आदमी होने की विवशता

38 मायका

39 ब्लॉक

40 त्रिशंकु

41 कुर्सी मायावी है

42 अहसासों की दीपावली

43 शपथ

ऋता शेखर 'मधु' (रीता प्रसाद) 

शिक्षा : एम. एस. सी (वनस्पति शास्त्र), बीएड

जन्म : 3 जुलाई (पटना)

सम्प्रति : सहायक शिक्षिका

प्रकाशन :- इंटरनेट एवं प्रिंट पत्रिकाओं में विभिन्न विधाओं में रचनाएँ प्रकाशित। 

प्रिंट प्रकाशन :- वर्ण सितारे (हाइकु संग्रह), कई साझा संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित।

सम्मान :

अंतर्जाल पर साहित्यिक समूहों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में मिले सम्मान |

शारदेय प्रकाशन द्वारा शारदेय शिक्षक सम्मान।

इमेल :- hrita.sm@gmail.com

मेरे ब्लॉग्स :

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