टुकड़े-टुकड़े संवाद-2022/डॉ. सुमन राठी

लघुकथा-संकलन : टुकड़े-टुकड़े संवाद 

संपादक  : डॉ. सुमन राठी

ISBN : 978-93-93219-21-3

मूल्य: चार सौ रुपये

प्रथम संस्करण : 2022

सर्वाधिकार लेखक

प्रकाशक : राइजिंग स्टार्स

600/5-ए, आदर्श मोहल्ला, गली नं० 15

मौजपुर, दिल्ली-110053 

चलवार्ता : 9891985727

संपादक की  'भूमिका'

व्यक्ति के विचारों की अभिव्यक्ति का मुख्य साधन भाषा होती है, जब तक मनुष्य के पास भाषा नहीं होती तब तक वह अपनी चिन्तन व मनन शक्ति को उजागर नहीं कर सकता, उसे अभिव्यक्त नहीं कर सकता। इसी भाषा का सम्भाषण रूप संवाद कहलाता है जिससे व्यक्ति की भावनाओं और विचारों को व्यक्त किया जाता है। अत: कह सकते हैं कि संवाद समान रूप से विचारों का आदान-प्रदान होता है। संवाद मौखिक और लिखित दोनों रूपों में समाहित होते हैं। मौखिक रूप किये गए संवाद संक्षिप्त या सीमित होते हैं जिनका अधिक प्रचार नहीं हो पाता, लेकिन लिखित रूप में संवाद विस्तृत रूपधारण कर लेते हैं, क्योंकि यह केवल एक या दो व्यक्तियों के मध्य ही नहीं रहते, ये तो प्रत्येक पाठक, श्रोता व लेखक के मध्य समाहित होते हैं ।

संवाद के बिना व्यक्ति सामाजिक प्राणी नहीं बन सकता। संवादों से केवल शब्दों का ही आदान-प्रदान नहीं होता बल्कि उसका प्रयोग करनेवालों के चेहरे पर भिन्न हाव-भाव भी प्रकट होते हैं जो कहानी व नाटक को स्वाभाविकता प्रदान करते हैं। इसके बिना व्यक्ति की बातचीत गति नहीं पकड़ सकती। संवादहीनता की स्थति तो जड़ालस्था को जन्म देती है। इस तरह सामान्य बातचीत लड़ाई-झगड़ा, हँसी-मजाक, प्रेम-घृणा, वाद-विवाद आदि सभी संवादों के सहारे पूर्ण होते हैं। जिस तरह संवाद जीवन से जुड़े होते हैं उसी तरह संवाद साहित्य से भी जुड़े होते हैं। यह साहित्य की रीढ़ व आधार है। चाहे वह गद्य में हो या पद्य में, लेकिन पद्य साहित्य में संवाद गद्य साहित्य की अपेक्षा अल्प दिखाई देते हैं। अतः संवाद का मुख्य आधार गद्य साहित्य की विभिन्न विधाएँ होती हैं जिसे कहानी, नाटक, उपन्यास आदि।

संवाद आधुनिक लघुकथाओं में विशेष दृष्टिपात होता है जो पात्रों के माध्यम से व्यक्ति की भावनाओं को व्यक्त करता है और उनकी प्रत्येक समस्या से रूबरू करवाता है यही यथार्थ रूप मधुकांत जी की लघुकथाओं में विशेष है रूप से दिखाई देता है। मधुकांत जी ने अपनी प्रत्येक लघुकथा के माध्यम से समाज की प्रत्येक उस समस्या को दर्शाया है जो समाज में फैली हुई है और उन समस्याओं से कैसे निदान पाना है? यह सब उनकी लघुकथाओं के पात्रों के संवादों से चित्रित होता है। संवादों के माध्यम से ही लोगों को सचेत व जागरुक कर अपनी समस्याओं के समाधान की ओर अग्रसर करने का प्रयास किया है जो समाज के प्रत्येक व्यक्ति के लिए सिद्धहस्त होगी। इन लघुकथाओं के रचनाकार डॉ० मधुकांत का हृदय से आभार प्रकट करती हूँ, जिन्होंने मुझे अपनी लघुकथाओं को सम्पादित करने का अवसर प्रदान किया तथा प्रो० पुष्पा का भी बहुत बहुत धन्यवाद जो मेरे इस कार्य की माध्यम तथा सहयोगी रही।

                                         - सुमन राठी 

अनुक्रम 

1. जिन्दगी

2. सास और माँ

3. बड़ी बात

4. विस्तार

5. आदमी बिकता है

6. निरीक्षण

7. भिखारी

8. जीवन-मृत्यु

9. नए रास्ते

10. सम्पर्क

11. नाखूनों की जबान

12. संवाद

13. मन्त्री पुत्र

14. मौसम

15. नई सदी

16. जिंदा वे

17. कुत्तिया और माँ

18. नकली नोट

19. बेबस

20. अपना-अपना पेट

21. उन्मुक्त

22. सामण की कोथली

23. भय का भूत

24. हाथ की रोटी

25. तलाश

26. बड़े सपने

27. मुक्तिबोध

28. आम बजट

29. विद्या मन्दिर

30. शेर की खाल

31. खोटा सिक्का

32. बदलाव 

33. अपनी-अपनी भूख

34. भिखारी कौन

35. कुंडी

36. पोते की शिक्षा

37. वजूद

38. भूख के लिए 

39. काश ! लड़की

40. छोटा मुंह बड़ी बात

41. मेरी पटरी

42. ढाबे की दाल

43. प्रेरणा

44. नियम

45. पहचान

46. दवा का दर्द

47. दूध और पानी

48. नरसी का भात

49. शंका समाधान

50. मेरा क्या

51. जल बूँद 

52. विवाह

53. रक्त दानी बेटा

54. खून का कर्ज

55. फरिश्ता

56. विवश

57. घोषणा पत्र 

58. रक्तदान

59. खून लो, खून दो

60. लघुकथा की दुकान

61. वैलें टाइम डे

62. जिंदा सोच

63. दोस्त

64. दान को न माँग

65. लम्बी मुस्कान

66. अन्नदेवता

67. अर्थबल

68. मेरा वृक्ष

69. पेंशन वाली माँ

70. बर्फ पिघल गई

71. डरे- डरे संरक्षक

72. टुकड़े-टुकड़े रिश्ते

73. बेटी होने का अहसास

74. तरुपुत्र

75. हिस्से का टूक

76. शुरुआत

77. प्रार्थना

78. रजाई

79. अच्छा पति

80. फोन

81. किसान का बैल

82. ताई का आशीर्वाद

83. समय का पहिया

84. पुस्तक

85. होमवर्क

86. दूसरा दर्जा

87. सहारा

88. प्रथम

89. मन का आतंक

90. वोट बिकेगी नहीं

91. उबाल

92. अंधा बांटे रेवड़ी

93. लेखक परिचय

डॉ. सुमन राठी

जन्म :          05 अगस्त 1980 (पाकस्मा, हरियाणा)

जीवन साथी : रूपेन्द्र राठी ।

माता-पिता : श्रीमती राजबाला देवी-श्री महेन्द्र सिंह

शिक्षा : एम. ए. एम. फिल. पीएच.डी. (हिंदी)

प्रकाशित पुस्तकें : चन्द्रकांत देवताले के काव्य में यथार्थ बोध, महेंद्र भटनागर के काव्य में अन्तर्वस्तु

राष्ट्रीय अन्तरराष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में 15 लेख।

शोध लेख : 20 

शोध निर्देशक : 7 शोधार्थी, 5 वर्तमान

रुचि: अध्ययन, अध्यापन

सम्प्रति : सहायक प्राध्यापक (हिंदी विभाग), 

बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय, रोहतक-124001 (हरियाणा)

सम्पर्क : मो. 9896101034


मधुकान्त 

11 अक्टूबर 1949 (सांपला हरियाणा)

प्रकाशित साहित्य : विभिन्न विधाओं में 160 पुस्तकें प्रकाशित।

उपन्यास 9 लघुकथा संग्रह 28, नाटक संग्रह 12, कविता संग्रह 15, कहानी संग्रह 13, व्यंग्य संग्रह 2, निबंध 4, संस्मरण 1, दोहा संग्रह 1, किशोर साहित्य 22, बाल साहित्य 16, सम्पादन 21, अनुवाद 3, रचनावली 15 भाग, नाट्य रूपांतर 1 ( कुल 163)

पुरस्कार/सम्मान : हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला से बाबू बालमुकुन्द गुप्त साहित्य सम्मान से महामहिम राज्यपाल तथा पूर्व मुख्यमंत्री हरियाणा द्वारा पुरस्कृत अन्य कई सामाजिक धार्मिक तथा साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।

सम्प्रति : सेवानिवृत प्राध्यापक, स्वतंत्र लेखन, स्वैच्छिक रक्दान सेवा तथा साहित्यिक पत्र प्रज्ञाल का सम्पादन / प्रकाशन / प्रज्ञा साहित्यक मंच के सरंक्षक।

सम्पर्क : मधुकांत 211 एल, मॉडल टाउन, डबल पार्क, रोहतक (हरियाणा)- 124001

मोबाईल : 9896667714

ई-मेल : madhukant@snrohtak.com, वेबसाईट : madhukant.com

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