साकार स्वप्न-2008/ अर्चना अर्ची
(यह जानकारी डॉ. शकुन्तला किरण पुस्तकालय, अजमेर से 2-4-2022 को ली।--बलराम अग्रवाल)
लघुकथा-संग्रह : साकार स्वप्न
कथाकार : अर्चना अर्ची
© प्रकाशक
प्रकाशक : मंजुली प्रकाशन P-4. पिलंजी सरोजनी नगर, नई दिल्ली 110023
दूरभाष- 9810667195, 65728240
ISBN: 81-88170-63-1
Website: www.manjuliprakashan.in
E-mail: manjuli_prakashan@rediffmail.com
मूल्य: 150.00 रुपये
प्रथम संस्करण : सन् 2008
आवरण : सुमित भार्गव,
दूरभाष: 0-9213710070
संग्रह की अनेक भूमिकाओं में से एक भूमिका :
जीवन की कड़वी-मीठी सच्चाईयां
लेखन दो तरह का होता है, एक संभावनाओं वाला और दूसरा उपलब्धि वाला। तुम्हारी ये कहानियां तुम्हारे कथाकार की संभावनाएं प्रमाणित करती है। तुम्हारे पास सूक्ष्म निरीक्षण, संवेदनाएं और भाषा तीनों हैं, और यही कथा-लेखन के मौलिक गुण है। इन तीनों का प्रभावशाली और संतुलित प्रयोग तुम्हें अभी अभ्यास से प्राप्त करना है। अगर लगन और धैर्य से लिखती रहीं तो निश्चय ही उपलब्धि के स्तर पर भी हिन्दी कहानी में अपना योगदान देगी। आसपास के जीवन की कड़वी-मीठी सचाइयों को तुमने लघु-कथाओं का रूप देने का प्रयास किया है अक्सर ही व्यंग्य का स्वर उनमें सबसे मखुर है। व्यंग्य स्थितियों से विक्षुब्ध होने पर फूटता है और यह विक्षोम सामाजिक लगाव से ही आता है। तुम्हारे लेखन है में यह सामाजिक लगाव स्वस्थ दृष्टि का परिचायक है, और इसीलिए तुम्हारी कहानियों का कहीं-कहीं अनसंवरा रूप भी क्षम्य है। यही बहुत बड़ी बात है कि ये सिर्फ सीमित भीतरी दुनिया में डूबे रहने की कहानियां नहीं है। मुझे विश्वास है कि अपने लेखन को निष्ठा से धार और प्रवाह दोगी।
अनेक शुभकामनाओं के साथ।
-मन्नू भण्डारी
103, एस. एफ. एस.
डी.डी.ए. फ्लैट्स हौजखास
दिल्ली-110016
संग्रह की अनेक भूमिकाओं में से एक अन्य भूमिका :
अभिधान
यह जानकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई कि सुश्री अर्चना अर्ची अपने व्यस्त गृहस्थ-जीवन के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी अपना योगदान देती हैं और उनका लघुकथा-संग्रह 'साकार-स्वप्न' शीघ्र ही प्रकाशित होने जा रहा है। साहित्य में लघुकथाओं का विशिष्ट स्थान है और एक कल्पनाशील लेखक अपनी लघुकथाओं के माध्यम से संक्षेप में बहुत कुछ कह जाता है। आज के व्यस्ततम जीवन में इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि जिन पाठकों के पास लंबी कहानियां पढ़ने का समय नहीं होता वे छोटी-छोटी रचनाएं पढ़ने में अधिक रुचि रखते हैं और लघुकथाएं उनकी इस जरूरत को पूरा करती हैं। मेरी शुभकामनाएं हैं कि सुश्री अर्चना अर्ची का लघुकथा-संग्रह 'साकार-स्वप्न' पाठकों में लोकप्रिय हो और वे निरंतर साहित्य सेवा में संलग्न रहें। शुभकामनाओं सहित।
-मृणाल पाण्डे
संपादक: कादम्बिनी, नंदन, हिन्दुस्तान
संग्रह की अनेक भूमिकाओं में से एक अन्य भूमिका :
गागर में सागर को समेटे हुए
अर्चना अर्ची की साहित्यिक प्रतिभा से मैं लगभग किशोरावस्था से ही परिचित । उन दिनों ये नन्हीं-मुन्नी कविताएं लिखकर अपने भावी साहित्यकार का संकेत दिया करती थीं। अर्चना का व्यक्तित्व, विचार प्रवाह, बातचीत करने का सलीका सब कुछ प्रारंभ से ही इनकी साहित्यिक प्रतिभा की ओर इंगित करते थे। उन नन्हीं-मुन्नी कविताओं में धीरे-धीरे गाम्भीर्य उतरा, साहित्य की युवावस्था ने अंगड़ाई ली और अर्चना के साहित्य का सौरभ सर्वत्र बिखरने लगा। अर्चना अर्ची के साहित्यकार ने धीरे-धीरे कविता के बाहर साहित्य की अन्य विधाओं में भी झांका और बड़े आत्मविश्वास तथा सफलता के साथ लघुकथा के क्षेत्र में भी प्रवेश किया। उसी का परिणाम है यह लघुकथा-संग्रह।
साहित्य में लघुकथा की विधा अपेक्षाकृत अधिक कठिन और इसीलिए कम विकसित है। लघुकथा में लेखक को चंद पंक्तियों में ही न केवल संपूर्ण कथा को समेटना होता है, बल्कि परोक्षतः उसका निहितार्थ भी प्रस्तुत करना होता है। लघुकथा के साथ व्यंग्य का तो चोली-दामन का साथ है, लेकिन यहां पर यह व्यंग्य, सामान्य व्यंग्य-विधा से अलग हटकर, सीमित मात्रा में और प्राय: हास्य के आवरण में छुपा हुआ होता है। संक्षेप में कहे तो लघुकथा गागर में सागर को समेटे हुए होती है। इसमें कहानी भी है, व्यंग्य भी है, हल्के हास्य का पुट भी है, प्रयोजन भी है और शब्द-विन्यास का सौंदर्य तो है ही। स्पष्ट हो इन सब बातों को लघुकथा के चंद शब्दों में समेट लेना हर किसी छोटे-बड़े लेखक के लिए संभव नहीं होता। अर्चना अर्ची ने इस कार्य को अपने इस कथा-संग्रह के माध्यम से संभव कर दिखाया है। इसके लिए ये बधाई की पात्र हैं।
हिन्दी साहित्य में यदाकदा पत्र-पत्रिकाओं में लघुकथाएं पढ़ने को अवश्य मिल जाती है, लेकिन उनमें प्रभावोत्पादकता यदा कदा ही दृष्टिगत होती है।
पुस्तकाकार में इनके संग्रह भी अधिक नहीं है। आशा और विश्वास है कि अर्चना अर्ची का यह लघुकथा संग्रह हिन्दी साहित्य में इस अभाव की पूर्ति करते हुए उसकी श्रीवृद्धि करेगा और इसके माध्यम से साहित्य-जगत में अर्चना को विशेष सम्मान प्राप्त होगा।
मेरा अशीर्वाद और शुभकामनाएं अर्चना के साथ सदैव रही हैं और रहेंगी।
- योगेश चन्द्र शर्मा
स्नातकोत्तर विभागाध्य राजनीतिशास्त्र (से.नि.)
साहित्यकार, पत्रकार, कलाकार
उपाध्यक्ष
राइटर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान
10/611, कावेरीपथ, मानसरोवर,
जयपुर-302020 (राजस्थान)
संग्रह की अनेक भूमिकाओं में से एक अन्य भूमिका :
रचना प्रक्रिया को समुचित मोड़ देने में सक्षम
कहानी एक ऐसा दर्पण है जिसमें व्यक्ति और समाज के परस्पर संबंधों, क्रिया कलापों की सजीव हृदयस्पर्शी एवं मार्मिक तस्वीर दिखती है। साहित्य की एक सफलतम विद्या है।
'लघुकथा' कहानी की एक ऐसी विधा है जिसमें गागर में सागर भरने की कला निहित रहती है। कम शब्दों में विचारतत्व कहानी को निर्देश देते हैं। युग जीवन के अनुसार अपनी कहानी की रचना-प्रक्रिया को समुचित मोड़ देकर, कथातत्व का हास किए बिना यर्थाथ की कड़ी परत से हटा संवेदनाओं को अनावृत करना ही लेखिका का उद्देश्य रहा है।
लेखिका अर्चना अर्ची से मेरा परिचय लगभग दो दशक पूर्व से है। अपनी अनुभूतियों को कम से कम शब्दों में सबलतम रूप से व्यक्त करना उनके व्यक्तित्व का गुण है। कविता हो या कहानी हर क्षेत्र में कम से कम शब्दों में चना प्रक्रिया को समुचित मोड़ देने में सक्षम है। गागर में सागर भरने की कला में दक्ष होने के कारण अपने विचार तत्व का सफल प्रस्तुतिकरण लेखिका और पाठकों में तादात्मय प्रस्तुत करने में सफल होगा, ऐसी मेरी आशा है। लघुकथा लेखिका के रूप में यह उनका प्रथम प्रकाशन है। उनके उज्जवल भविष्य को
में कामना करती हूँ। मेरी शुभकामनाएं सदैव उनके साथ है बाजार में सागर भरने की कमा आज रंग लाई. लेखानी हुई गतिशील अनुभूतियों ने ली पूरी हुई इक साथ आज साकार नजर जो आई. तेरी इस सफल कृति पर देती हूं तुम्हें बधाई। शुभकामनाओं सहित,
-राजविज
जिला मातृ शक्ति प्रमुख
अध्यक्षा संस्कार भारती
कला साधिका, पीलीभीत
संग्रह की अनेक भूमिकाओं में से एक अन्य भूमिका :
अभिधान
अत्यन्त हर्ष हुआ, जब विदित हुआ कि अर्चना जी का प्रतीक्षारत लघुकथा-संग्रह साकार- स्वप्न प्रकाशन की देहरी पर आ पहुंचा है। बधाई है!! अर्ची जी की रचनाधर्मिता- उत्कृष्ठ शैली से मैं काफी समय से परिचित हूं, प्रभावित हूं।
सामाजिक धरातल पर कोई अवलम्ब ऐसा मिल जाता है, जो पथ प्रणेता, दृष्टा बन जाता है तो जीवन अनुशासित, उल्लसित हो जाता है। ऐसी क्षमता, ऊर्जा, प्रदत्ता की अपेक्षा है कि यह संग्रह आज की पीढ़ी के लिए। अनुकरणीय हो। व्यस्तता के दौर में लघु-कथाएं प्रेरक होती हैं। पाठक वृन्द सराहेंगे पसंद करेंगे।
शुभेच्छा सहित,
-धीरेन्द्र शर्मा
51. श्रीचन्द्र मार्ग, इलाहाबाद, उ.प्र.
अनुक्रम...
रिश्तों का दर्द
चोर- कौन
भूख क्षुध-पूर्ति
सिद्धान्त
पानी की जाति
परहेज
पालनकर्ता
बेखबर
समय बदलता है
बड़ा आदमी
अंगारों के बीच
अपनी-अपनी राय
धर्मान्ध
धन्धा
पुनरावृत्ति
सबसे बड़ा रूपैया
पूरक
नीयत
सन्यास व्रत
राजनीति या प्रसिद्धि
गुरु दक्षिणा
सच्ची सेवा
नशा और असंतुलन नियम
पत्रिका का स्तर
सुखानुभूति
वजन
मौसेरे भाई
खाना और पचाना
इलाज
रक्षक बनाम भक्षक
हकीकत
बतौर परम्परा
पिछड़ापन
दया का अहसास
तो क्या हुआ
कब्जा
मानवता का अन्तर
खाली हाथ
मूल्यांकन
साकार-स्वप्न
मां- ऐसा क्यों किया?
सौंदर्य
साजिश
स्वप्निल सच
प्रारब्ध-दंश
नेता और चुनाव
पशिखाएं-बुझ गयीं
बेचारे शर्मा जी
नारी की दुश्मन
अर्चना अर्ची
पति : श्री रामावतार खण्डेलाल
पिता : श्री वीरेन्द्र नारायण सक्सेना
माता : श्रीमती उर्मिला सक्सेना
जन्मस्थान : कन्नौज (ऐतिहासिक इत्र-नगरी,उ.प्र.)
शिक्षा : एम.ए. हिन्दी साहित्य
रचनाविधाएं :
लेख, कहानी, कविता, व्यंग्य, गीत एवं लघुकथा रचना यात्रा। आकाशवाणी जयपुर से प्रसारित 7 वर्षों तक हिन्दुस्तान, कादम्बिनी, सरिता, दैनिक जागरण, प्रांतीय विभिन्न पत्रिकाओं में सब ही विद्याओं में प्रकाशित रही। युगदाह आतईम, कथाविंब आदि लघुकथा संग्रहों में निरंतर प्रकाशित रही हैं।
सम्मान :
2006 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग-इलाहाबाद से सारस्वत सम्मान, कई प्रतियोगी लघुकथाएं पुरुस्कृत।
समाजसेवी संस्थाओं में आबद्ध :
● लायनेस क्लब पीलीभीत- अध्यक्षा-2003
● संस्कृति संस्था अध्यक्षा-2004
● संस्कार भारती (महिला शाखा)
● महासचिव संयुक्त सचिव कला साधिका
● अंगूरी देवी इंटर बालिका कालेज, पीलीभीत
व्यवस्थापिका-2005 से
पता : 21ए, नवीन मंडी स्थल, पीलीभीत, (उ.प्र.) - 262001
फोन : (05882)-255682, 255780
मोबाइल : 9358025844, 9410214734
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