मैच बॉक्स 81 / लता कादंबरी


लघुकथा-संग्रह : 

मैच बॉक्स 81

 कथाकार  : 

लता कादंबरी

प्रकाशक : 

ग्रंथ अकादमी,

भवन संख्या- 19, पहली मंजिल, 2, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली-110002 

संस्करण प्रथम : 2021 

मूल्य : ₹ 300/_ तीन सौ रुपए मात्र

ISBN 978-93-86870-75-9

हृदय-स्पंदन (अपनी बात)

कभी-कभी मन में खयाल आता है--मैं क्यों लिखती हूँ ? मन की कोटरों में जब अंदर घुसकर देखा तो पाया--न जाने कितनी कुंठाएँ, कितने आदर्श, कितने भाव और कितनी जिम्मेदारियाँ अंदर दुबकी बैठी थीं !

मैंने कहा,  “यूँ छुपकर बैठने से काम न चलेगा, आओ! कहानियों की शक्ल में तुम्हें सँवार दूँ ।" और तब से लेकर अब तक न जाने कितने भाव और विचार कहानियों की शक्ल लिये मेरी पुस्तकों में आ समाए हैं । मैंने महसूस किया है कि कोई बात सीधी कहने से ज्यादा कहानियों की शक्ल में जब आती है तो उसका सीधा प्रभाव पाठकों के मन पर पड़ता है। इस बार मैंने अपने समाजोपयोगी विचारों और भावों को 'मैच बॉक्स 81' में डाला है। जरा निकालिए तो मैच बॉक्स में से एक तीली... और फिर उसको जलाइए। कैसी नीली, पीली, लाल, गुलाबी 'लौ' छोड़कर अचानक बुझ जाती है वो नन्हीं-सी 'तीली'। ऐसी ही नन्हीं-नन्हीं कहानियों की शक्ल लिये ये 'तीलियाँ', मेरा मतलब मेरी ये छोटी-छोटी कहानियाँ हैं, जो रोशनी बिखेरकर बुझ जाती हैं। जीवन के अंधकार से निकलने का एक छोटा-सा प्रयास कर रही हूँ अपनी इन कहानियों के माध्यम से। आपमें से अगर किसी एक की भी समस्या का समाधान करने में सक्षम हो जाती हूँ तो समझ लीजिएगा कि मेरा लिखना सार्थक हुआ।

आपकी

'लता' कादंबरी गोयल

अनुक्रम 

1. पच्चीस सालों बाद 

2. चतुर खिलाड़ी और जज्बात

3. फूली रोटी

4. फेसबुक वाली बहू

5. स्मृतियों में माँ

6. नदी और नारी संवाद

7. भगवान् अकेला है

8. औरत और मर्द

9. सचमुच माँ !

10. आइसोलेशन 

11. चड्डी-बनियान

12. फिक्र मत करना चाँद

13. अच्छे लोग

14. शुक्रिया पापा

15. नर न मादा

16. हार या कि जीत

17. साहित्य और मीडिया

18. वो लड़का

19. ब्लैक ऐंड व्हाइट

20. चौराहे पर खड़ी लड़की

21. गरजो नहीं, बरस जाओगे 

22. इश्क और प्यार

23. वाह जनाब

24. तूफान के बाद

25. मिक्स पैक

26. शर्म न हया

27. लेखिका

28. गुस्ताखियाँ

29. छिलके

30. अंदर - बाहर

31. दरख्त पर बैठी चिड़िया

32. चाय का प्याला

33. दिलों की बातें

34. समाजवाद

35. नाटक भीतर नाटक

36. समय की समझ

37. अपना घर

38. राक्षस

39. इज्जत और पैसा

40. कुत्तेजी

41. कल और आज

42. गहराई

43. कठौती में गंगा

44. यह कैसा न्याय ?

45. साहित्य की आत्मकथा 

46. शादी डॉट कॉम

47. गुनहगार

48. सॉयोनारा

49. किसका पोस्टमार्टम ?

50. किताबें बोलती हैं

51. चैंबर

52. बूढ़ा - बचपन

53. कभी-कभी ऐसा भी होता है

54. जीवन-मृत्यु

55. आत्ममुग्ध

56. अधूरा स्वप्न

57. अपने-पराए

58. अजनबी

59. बादल और धरती

60. बुढ़ापे की माँ

61. चर्चा लूट की

62. छोटा कमरा

63. दूर की आवाज

64. अनुपमाजी

65. गिद्ध

66. हिंदी की कक्षा

67. हम औरतें

68. जानती हो माँ

69. जीवन - नृत्य

70. कानाफूसी

71. क्यों बहकते हो तुम ?

72. क्यों करते तुम माथा-पच्ची !

73. नन्हे- नादान

74. देव- पितर

75. राधा

76. रसोई में पकते खयाल

77. छूमंतर

78. वास्तुशास्त्र

79. वाह, वाह, क्या बात है ! 

80. पॉलिथीन और गौ-हत्या

81. बार हाउस

82. अंतिम पन्ना

डॉ. लता कादंबरी गोयल

प्रसिद्ध कपड़ा व्यवसायी हनुमान प्रसाद तुलस्यान की पौत्री तथा उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध लॉटरी व्यवसायी श्री बद्रीप्रसाद गोयल की पुत्रवधू ।

कृतित्व : कविता, कहानियाँ, व्यंग्य, रिपोर्ताज, यात्रा - वृत्तांत तथा लेख दैनिक जागरण, अमर उजाला, आई नेक्स्ट, सरिता, रूपायन, हैलो कानपुर जैसी प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित तथा रेडियो से प्रसारित ।

सन् 1998 से आर्किटेक्चरल फर्म कर्वे मुंजाल ऐंड एसोशिएट्स के साथ एक इंटीरियर डिजाइनर के रूप में कार्यरत । सन् 1997 में पति श्री राकेश गोयल के साथ 'कादंबरी ज्वैलर्स' की स्थापना की। सेवा संस्थान काकदेव कानपुर की फाउंडर ट्रस्टी, FICCI (FLO) कानपुर की सक्रिय सदस्य, लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी की संस्थापक सदस्या। उ. प्र. के राज्यपाल द्वारा पुरस्कृत साहित्य वाचस्पति सम्मान तथा दैनिक जागरण, कानपुर में लोकपाल की पदवी से सम्मानित ।

लेखन व स्टोरी टेलिंग में विशेष रुचि ।

E-mail :

latakadambari@gmail.com info@kadambarijewellers.com

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