अंतर की पीर / अविनाश अग्निहोत्री

लघुकथा-संग्रह : अंतर की पीर

कथाकार  : अविनाश अग्निहोत्री

ISBN 978-81-954875-3-0

प्रथम संस्करण : 2021

प्रकाशक : श्री सर्वोत्तम प्रकाशन, इन्दौर

मूल्य : मात्र सौ रुपए (Rs. 100/-)


अनुक्रम

पसीना

उर्वरक

भारतीय

करवाचौथ 

काबिल

अहसास

किताबी ज्ञान

परीक्षा परिणाम

अंधविश्वास

कद की बराबरी

देश की माटी

एक औरत

विरासत

स्कॉर्फ

तितली 

अंतर स्पर्श

निवाला

आंकलन

माँ का गणित

उलटी गिनती

ये नदियां

परिवर्तन का बोझ

पहचान

स्त्री

अनुभव

रौनक

सुखी कौन

नारी

कृतज्ञता

देशप्रेम

ऊँचाई 

रक्षाकवच

अदृश्य बेड़ियाँ

अंकुश

क्रिसमस

मजबूरी

फरिश्ता

फर्क

फिक्र

सेहत

विजयादशमी

खोटे सिक्के

इंसान

गरीब

भिखारी

माँ 

अतृप्त

शिक्षा

बदलाव

इंसानियत

विघ्नहर्ता

कठपुतली

ट्री गार्ड

अभिन्न मित्र

शिक्षक

ऑनलाइन क्लासेस

स्नेहबंध

दोषी कौन

दूरी

जड़ें

इंतजार

धनवान

प्रयास

बचपन

राष्ट्रप्रेम

बेटियाँ 

अदृश्य रंग

गीली मिट्टी

गुणवती

लोरी

संवेदनहीन

तजुर्बा

सेवा

उपहार

भोग की थाली

गणेश विसर्जन

संतान सुख

बदलाव

खोज

सोच

सावन

फर्ज

निशानी


भूमिका


जमीन से जुड़ी लघुकथाएं

हिंदी एक सशक्त भाषा है, अपनी भावनाओं, अभिव्यक्ति को व्यक्त करने के लिए। हिंदी के उत्थान के लिए जब नई पीढ़ी अगुवाई करती है तो ऐसी अनुभूति होती है कि हमारी राष्ट्रभाषा का भविष्य सुरक्षित हाथों में है और यह गर्व का विषय हो जाता है। अविनाश अग्निहोत्री ऐसी ही होनहार पीढ़ी को प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने अपने भावों को व्यक्त करने के लिए हिंदी भाषा को माध्यम बनाया जो गर्व भी कराता है और एक वर्ग विशेष का मार्गदर्शन भी करता है ।

अविनाश पेशे से शिक्षक हैं। तभी इतनी कम उम्र में भी उनकी रचनाओं में लेखन का कच्चापन नहीं दिखता। आप अच्छे संगीत का शौक रखते हैं। ये वजह हो सकती है कि आपने अपनी रचनाओं में शब्दों के सुर बहुत ठोक-बजा कर साधे हैं ।

जमीन से जुड़ी उनकी लघुकथाएं बहुत अपनेपन का अहसास कराती हैं और तभी ये पाठक वर्ग से गहराई से जुड़ जाती हैं । पाठक इनमें अपने को तलाशते हैं। घर-आँगन का सोंधापन, साझापन आपकी लघुकथाओं की विशेषता है। घर की चारदीवारी में चलती हर हलचल को आपने अपनी पैनी नजर से नाप तौल कर कलम की स्याही में डुबोया है । जिंदगी या आस-पास घट रहे हर तेवर का गहरा अवलोकन आपकी लघुकथाओं को अलग और ऊँचे मुकाम तक ले जाता है। संस्कृति और संस्कार, इन दो शब्दों को पूरा मान देते हुए आपने अपनी कलम चलायी है।

सामाजिक विषयों पर मजबूत पकड़ रखते हुए आपने जीवन के हर रंग को जिया और कलमबद्ध किया है। चाहे वह देशप्रेम हो, माँ के आँचल की खुशबू हो, विचारणीय प्रश्न हो, भ्रष्टाचार में जकड़ा समाज हो, अवसाद से घिरा मन हो। इंसान के व्यक्तित्व का आंकलन उसकी रचनाओं से स्वमेव हो जाता है। संवेदनशीलता और परिस्थितियों के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण आपकी लघुकथाओं में प्रत्यक्ष उपस्थित रहता है। आपकी रचनाएँ थोड़े में गहरी बात कह जाने की क्षमता रखती है और यह खूबी लघुकथा के मानकों पर एकदम खरी उतरती है।


'पसीना' में मेहनत के पसीने का अंतर बेहतरीन तरीके से किया गया है। सोशल मीडिया किस कदर रिश्तों में घुसपैठ कर भावनाओं की मिट्टी को सुखा गया है इसकी बानगी 'उर्वरक' में पढ़ने को मिली। देश प्रेम में पगी कई लघुकथाओं को इस संग्रह में स्थान दिया गया, जिसमें पहचान' अपनी अलग पहचान बना गई ।


अविनाश की कई लघुकथाओं का अंत कई घुमावदार मोड़ों से होता हुआ, चौकाने वाला होता है जो अनकहा प्रश्न छोड़ जाता है, यही लघुकथा को उच्च स्थान प्रदान करता है । 'सेवा' इंसानी चेहरों के पीछे छुपे मुखौटों का आवरण हटाने में सक्षम रहे। 'किताबी ज्ञान' ने प्रभावित किया ।

अविनाश चूँकि पेशे से शिक्षक हैं शायद इसलिए वे बच्चों के मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझ पाते हैं जो उन्होंने 'परीक्षा परिणाम' में साबित किया। पति पत्नी के बीच की महीन बुनाई भी 'कद की बराबरी' में आपकी किताब का हिस्सा रही। रसोई के बर्तनों से 'विरासत' की बातें कहलवा जाना आपकी लेखनी का ही कमाल कहा जा सकता है । मानवीय संवेदनाओं की दृष्टि से 'स्कॉर्फ', ' तितली' महत्वपूर्ण लघुकथा रही । 'माँ के गणित' में कितनी सहजता से माँ के आँचल की खुशबू रच-बस गयी। अविनाश की लघुकथाओं में गाँव के पनघट, रहट, मिट्टी का भी उतना ही असर दिखा जितना शहरीकरण का ।

'रौनक', 'कृतज्ञता', 'अदृश्य बेड़ियाँ', 'क्रिसमस', 'फरिश्ता', 'इंसान' में अविनाश ने अलग-अलग विषयों को उठाया है, जो प्रभावित करता है।

सहज, सरल, सकारात्मक, संवेदना' से पूर्ण यह लघुकथा संग्रह 'अंतर की पीर' पाठकों को जरूर प्रभावित करेगा। इस किताब को पाठकों का अथाह स्नेह मिले ऐसे शुभाशीष सहित अविनाश को उनके पहले लघुकथा संग्रह के लिए असीम बधाई एवं शुभकामनाएं।

अंजू निगम, दिल्ली.


अविनाश अग्निहोत्री

पिता :

स्व. श्री सुरेशचंद्र अग्निहोत्री




जन्मतिथि  : ३०/०१/१९८६

शिक्षा : एम. कॉम.

जीविका : सहायक शिक्षक

रचना प्रकाशन :

राष्ट्रीय स्तर पर पत्र-पत्रिकाओं में २०० से अधिक लघुकथाओं का प्रकाशन ।

साझा प्रकाशन :

लघुकथा संग्रह 'प्रवाह', 'अनाथ होने का दर्द', 'कथा दर्पण' में रचनाओं को स्थान ।

सम्मान व पुरस्कार :

● विचार प्रवाह मंच से रचना पुरुस्कृत हुई।

• कथा दर्पण साहित्य मंच में लघुकथा को प्रथम स्थान ।

• स्टोरी मिरर मंच द्वारा साहित्य में योगदान के लिए 'साहित्य कप्तान' का प्रमाण-पत्र ।

स्थायी पता :

८९ - बी, लोकनायक नगर इंदौर (म.प्र.)

संपर्क :

वाट्सएप ९७१३२६१४९२, मो. ६२६०१३५३४४

email : avinashag08@gmail.com

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