चिया / सुषमा दुबे

लघुकथा-संग्रह : चिया

कथाकार  :  सुषमा दुबे

साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद भोपाल के सहयोग से प्रकाशित

कुल पृष्ठ  : 104

मूल्य : 175.00 रुपये (पेपरबैक)

ISBN : 978-93-90593-58-3 

प्रथम संस्करण : 2022 

© सुषमा दुबे

कवर चित्र : नरेन्द्र त्यागी

प्रकाशक :

शिवना प्रकाशन

पी. सी. लैब, सम्राट कॉम्प्लैक्स बेसमेंट बस स्टैंड, सीहोर - 466001 (म.प्र.)

फोन : +91-7562405545

मोबाइल : +91-9806162184 (शहरयार )

ईमेल : shivna.prakashan@gmail.com

अनुक्रम

नन्हीं कोपल / 13

तेरी माँ मेरी माँ / 14

आशीर्वाद या श्राप / 15 

अनमोल भेंट / 16

औरतों वाले काम / 17

गृहप्रवेश / 18

रिश्वत / 20

रिमोट वाली डॉल/21

नजरिया अपना अपना / 22

तुम डरो मत हिन्दी / 23

बदलाव / 25

हवा / 26

इन्तजार... / 27

जवाब / 28

समझदार / 29

टेक केयर / 30

कन्या पूजन / 31

अलसी का झाड़/32

पगड़ी / 33

जानवर / 34

करोड़पति / 35

छोटी सोच / 36

छुअन / 37

बेइज्जती / 39

चिया / 40

समाजसेवा / 41

कुंड स्नान / 42

बेटा / 44

ग़रीब कौन / 45

ओवर रिएक्ट / 46 

फ़र्स्ट इंप्रेशन / 47

अटाला / 49

सही या ग़लत / 51

प्रार्थना / 52

आराम कुर्सी / 53 

वे तीन / 54

मातृ दिवस / 55

उच्च शिक्षा / 56

ख़बर/ 57

दो आँसू /58

निर्जीव / 59

कुंभ स्नान / 60

सुर्ख गुलाब / 61

उपहार / 62

प्रेम प्रदर्शन / 63

प्रॉमिस डे / 64

पीर पराई / 65

चोर-उचक्के /66

ख़ुशी की दुकान / 68

प्रपोज डे / 70

दोगलापन / 72

काम की कीमत / 73

बहू या बेटी / 74

दीर्घायु / 75

सासू मम्मा / 76

आशय / 77

गाँव वाली / 78

अपना घर / 79

ऊँचा खानदान / 80

मैडम / 81

दब्बू/82

माटी की महक़ / 83

दूसरी बेटी / 84

डुबकियाँ / 85

विधवा / 86

जीजी माँ /87

कटी पतंग / 88

आत्मरक्षा / 89

कटु सत्य / 90

सुई/91

गुनगुना अहसास / 92

रक्तदान / 93

कसम / 94

झूठ की बुनियाद / 95

फालतू का सामान /97

इनाम / 98

सैनिक / 99

प्रथम गुरु / 100

सीढ़ियाँ / 102

आशीर्वचन

जीवन की चैतन्यता का नूतन दिग्दर्शन 

मालवा अंचल के चर्शित रचनाधर्मियों में श्रीमती सुषमा दुवे एक महत्वपूर्ण हस्ताक्षर हैं। इनके पहले एकल लघुकथा संग्रह "चिया" में शामिल लघुकथाओं की विषय वस्तुओं में बाल्यकाल, किशोर्य, युवा और प्रौढ़ अवस्था की मनो स्थितियों का चित्रण मनोविज्ञान की तुलिका पर तौलकर किया गया है। आनंद अनुभूति के साथ मानव की वेदनाओं और प्रताड़नाओं के विभिन्न स्वरूपों को पाठक के समक्ष उपस्थित किया गया है।

ये लघुकथाएँ चलचित्र के समान अपनी दुखांत एवं सुखांत परिणिति की ओर बढ़ती दिखाई देती हैं किन्तु सामाजिक, पारिवारिक, व्यक्तिक, आर्थिक एवं दाम्पत्य जीवन की आर्द्रता के साथ-साथ मीठा-मीठा अमीय रस भी प्रदान करती है। मानव जीवन सुख दुःख की अनवरत श्रृंखला है। एक ओर कुछ पाने की • पीड़ा है तो दूसरी ओर प्राप्ति का गहन आत्मीय संतोष है। पीड़ा अधिक समय तक विद्यमान नहीं रहती। हर्ष भी स्थाई रूप से निवास नहीं करता। नियति के कार्य कलाप निश दिन चलते रहते हैं। सुषमा दुबे ने इन्हीं सूक्ष्म स्तर संकेतों का आभास अपनी कथाओं में प्रदर्शित किया है।

चिया संग्रह की लघुकथाएँ अर्जन, सृजन और विसर्जन का संगम है। सकारात्मकता के साथ नकारात्मकता भी कहीं-कहीं इन कहानियों के मुक्ताकाश में अपने पंख फैलाए विचरण करती दिखाई देती हैं। यह कथाएँ वर्तमान, विगत और आगत तीनों सोपानों में समन्वय के पथ निर्धारित करती है। कथानकों की विषय वस्तु बहिर्जगत से अंतर्जगत तक फैली है। प्रतीकात्मकता के साथ-साथ स्याह कथन भी लेखिका की उपलब्धि है। अधूरे कृत्रिम एवं छल प्रपंच से भरे जीवन का यथार्थ चित्रण करते हुए भी कहानियों का लोकमंगल एवं सनातन मान्यताओं के साथ आदर्शोन्मुखी जामा भी पहना दिया गया है।

अधिकतर कहानियों को जीवन की परिवर्तन शीलता एवं जड़ता के तानों बानों के साथ नव शिल्पगत कलात्मकता को भी उकेरा गया है। पात्रों के मध्य कहीं अंतर्विरोध संशय एवं परिस्थितिजन्य घटनाएँ नैराश्य को जन्म देती है और दूसरी ओर मन की प्रसन्नता, रागात्मकता, सहिष्णुता, प्रेमानुभूति अपना वैभव फैलाती है।

इन लघुकथाओं का सबसे अहम गुण है पाठकों को अंत तक जिज्ञासु बनाएँ रखना। सुषमा दुबे इसमें सिद्ध हस्त है। बहुत सी कहानियों में सम-सामयिक परिदृश्यता के साथ पुरातन कथानकों को नए शिल्पगत आवरण से श्रृंगारित करना भी दिखाई देता है। कहानियों में उल्लास है, उमंग है, देह और मन की आंकाक्षाएँ है, आक्रोश है, व्यंग्य है गतिरोध है शोषण है विद्रूपता है सुखद पहलू यह है कि इनमें जीवन की चैतन्यता है, समाधान है, विश्वास का पुनरागमन है।

कला पक्ष की दृष्टि से कहानियाँ अपने कथानक, शिल्प, शीर्षक एवं उद्देश्य के प्रति न्याय करते हुए एक संदेश भी प्रेषित करती है। भाषा आम बोलचाल की होकर पात्रनुकूल है, शिल्पगत एवं भावगत नए प्रयोगों को नूतन परिधानों से सजाया गया है। विश्वास है कि सुषमाजी का यह लघुकथा संग्रह 'चिया' पाठकों में लोकप्रियता के साथ-साथ पठनीयता के नए मापदंड स्थापित करेगा। सामाजिक सरोकारों को रेखांकित करने का यह हिमालयीन प्रयास है। सृजनशील, सौम्य, सरल एवं संस्कारित सुषमा जी को बधाई एवं शत-शत शुभकामनाएँ।

-नरेन्द्र मांडलिक दिग्ठान, धार (मध्यप्रदेश)


सुषमा दुबे

जन्म  : 9 मार्च 1970

शिक्षण : बेचलर ऑफ साइंस, बेचलर ऑफ जर्नलिज्म, डिप्लोमा इन एक्यूप्रेशर। 

प्रकाशन एवं संपादन  : राष्ट्रीय एवं स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में 700 से अधिक कविताओं, लघुकथाओं, व्यंग्य, बालकथाओं और आलेखों का प्रकाशन। राज्य संसाधन केंद्र इंदौर से नवसाक्षरों के लिए बतौर लेखक 15 से ज्यादा पुस्तिकाओं का प्रकाशन एवं बतौर संपादक/सहसंपादक 30 से अधिक पुस्तकों का लेखन पुनर्लेखन एवं सम्पादन। एक साझा लघुकथा संग्रह' का 'प्रवाह' का प्रकाशन। म. प्र.  शासन की योजना 'सांझी सेहत अभियान' के ऑनलाइन न्यूजलेटर 'सांझी सेहत हमारी कहानियाँ' का संपादन। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन में स्क्रिप्ट लेखन। रेडियो रिपोर्ट्स लेखन। दूरदर्शन एवं आकाशवाणी  केन्द्रों से कई हिन्दी और मालवी रचनाओं का प्रसारण। 

सम्मान : 'राष्ट्रीय साहित्य कीर्ति अलंकरण', 'राष्ट्रीय अभिव्यक्ति गौरव सम्मान', 'वूमन ऑफ द ईयर (राष्ट्रीय सम्मान)'। देश एवं इंदौर की कई सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थाओ द्वारा अनेक

सम्मान एवं पुरस्कार।

विशेष : मानवी बोली के प्रचार-प्रसार हेतु प्रयासरत, मालवी में लेखन एवं अभिनय। कई मंचीय कवि मेनों और माहित्यिक गोष्ठियों में शिरकत। कोरोना काल में 'जागेगा इंदौर' वीडियो का निर्देशन। संप्रति आकाशवाणी केंद्र, इंदौर में आकस्मिक उद्योषक। अध्यक्ष, संस्था विचार प्रवाह साहित्य इंदौर।

पता- विजय नगर, इंदौर 

मोबाइल - 8982372410

ईमेल - sushmadubey7n@gmail.com

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तपती पगडंडियों के पथिक/कमल कपूर (सं.)

आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र रचनावली,भाग-1/डाॅ. ऋचा शर्मा (सं.)

पीठ पर टिका घर (लघुकथा संग्रह) / सुधा गोयल (कथाकार)