प्राची(लघुकथा विशेषांक-2022)/डॉ. रामनिवास 'मानव' (सौजन्य संपादक)

लघुकथा विशेषांक  :  प्राची (मासिक, संयुक्तांक अप्रैल-मई 2022)

सौजन्य संपादक  : डॉ. रामनिवास 'मानव'

वर्ष 12, अंक 11-12 अप्रैल-मई 2022

संपादक : राकेश भ्रमर

मो. : 09968020930 

Email : rakeshbhramar@rediffmail.com

सहायक संपादक : डॉ. भावना शुक्ल

M : 09278720311 

Email: bhavanasharma30@gmail.com

प्रकाशक व प्रबन्ध संपादक : श्रीमती किरन वर्मा

संपादन संचालन 

पूर्णतया अवैतनिक, अव्यावसायिक

सम्पादक : राकेश भ्रमर 

सम्पादकीय पता :

96-सी, प्रथम तल, डीडीए फ्लैट्स, पॉकेट-4, मयूर विहार फेज-1, दिल्ली-110095

Email:- prachimasik@gmail.com

लघुकथाएँ

डॉ. दीपक मशाल 03; डॉ. भावना कुँवर 05; सुधा ओम ढींगरा 07; डॉ. शैलजा सकसेना : 09; रोहित कुमार 'हैप्पी' 11; डॉ. उर्मिला मिश्रा 13; प्रीति अग्रवाल 'अनुजा' 15 मंजू श्रीवास्तव 17; राज छेत्री 'अपुरो' 19; डॉ. पुष्करराज भट्ट 21; प्रगीत कुंवर : 23; रामदेव धुरंधर 25; रेखा राजवंशी: 27; नीलम सिंह 29; कल्पना लालजी : 31; रेणु चन्द्रा माथुर : 33; अंजू घरभरन 35 रचना शर्मा 37; डॉ. अंजलि मिश्रा : 38; डॉ. रमा पूर्णिमा शर्मा : 39; डॉ. सुरेशचन्द्र शुक्लः 40; रीटा कौशल 42; आशा मोर 43; कृष्ण बजगाई 44; अनुराग शर्मा : 46; डॉ. कुँवर प्रेमिल 48; डॉ. गीता गीत 49; डॉ. रामनिवास 'मानव' 50; डॉ. रामकुमार घोटड़: 51; आभा सिंह : 52; डॉ. ऋचा शर्मा: 53; डॉ. दीपा रस्तोगी 54; डॉ. सत्यवीर 'मानव' : 55; डॉ. अरुण कुमार वर्मा 56; गोविंद शर्मा: 57; राकेश भ्रमर 58

इस अंक के संपादक : डॉ. रामनिवास 'मानव'

रेखांकन : ओ.पी. कादयान

संपादकीय 

वैश्विक हिंदी - लघुकथा विशेषांक


डॉ. रामनिवास मानव 
भारत में ही नहीं, विश्व के अन्य अनेक देशों में भी लिखी जा रही हैं लघुकथाएं। लेकिन भारत में प्रवासी और भारतवंशी लेखकों की कम ही लघुकथाएं प्रकाशित होती थीं उन सबकी लघुकथाएं कभी कहीं एकसाथ प्रकाशित हुई हों, इसकी जानकारी मुझे नहीं है। इसीलिए वर्ष 2020 में मैंने गुरुग्राम के दैनिक 'हरियाणा प्रदीप' में एक साप्ताहिक स्तंभ आरंभ किया था- 'लघुकथाकार एक लघुकथाएं अनेक'। मेरा विचार भारतीय, प्रवासी और भारतवंशी लेखकों की लघुकथाएं इस स्तंभ में प्रकाशित करने तथा बाद में 'वैश्विक हिंदी लघुकथाएं' शीर्षक से उनका संकलन निकालने का था। किंतु वह स्तंभ अधिक दिनों तक नहीं चल पाया तथा लगभग दो दर्जन लघुकथाकारों की लघुकथाएं प्रकाशित करने के पश्चात बंद हो गया। मेरे पास देश-विदेश के अनेक लेखकों की लघुकथाएं एकत्रित हो गई थीं; लघुकथा संकलन के प्रकाशन की योजना भी मन के किसी कोने में अभी जीवित थी। मुझे प्रसन्नता है कि राकेश भ्रमर जी के सहयोग से, उनकी प्रतिष्ठित पत्रिका 'प्राची' के 'वैश्विक हिंदी लघुकथा विशेषांक' के रूप में मेरी कल्पना अब साकार हो रही है।

भारत से बाहर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका में अनेक लेखक न केवल लघुकथाएं लिख रहे हैं, बल्कि अच्छी लघुकथाएं लिख रहे हैं। न्यूजीलैंड, नॉर्वे, मॉरीशस आदि देशों के भी कुछ लेखकों ने लघुकथाएं लिखी हैं; वहीं जापान, श्रीलंका, ओमान, कुवैत, मॉरीशस, बुल्गारिया, स्वीडन और ट्रिनिडाड के कुछ लेखकों को मैंने लघुकथा-लेखन हेतु प्रेरित किया है। मॉरीशस के विख्यात कथाकार रामदेव धुरंधर तो पांच हजार से अधिक लघुकथाएं जी के प्रति । लिखकर अघोषित विश्व रिकॉर्ड बना चुके हैं। लेकिन नेपाल की स्थिति कुछ भिन्न है। वहां सैकड़ों लेखक लघुकथाएं लिख रहे हैं, लेकिन उनकी लघुकथाएं नेपाली भाषा में होती हैं। कुछ वर्ष पूर्व मैंने नेपाली लेखकों को हिंदी भाषा और भारतीय हिंदी पत्र-पत्रिकाओं से जोड़ा, तो उसके सुखद परिणाम भी सामने आये। अब अनेक नेपाली लेखकों की, स्वयं उन्हीं के द्वारा अनूदित लघुकथाएं, हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही हैं। अतः मैंने ऐसे कुछ प्रतिनिधि नेपाली लघुकथाकारों की लघुकथाओं को भी इस विशेषांक में सम्मिलित कर लिया है।

इस विशेषांक को निकालने का मेरा एकमात्र उद्देश्य है, विश्व भर के लघुकथाकारों की लघुकथाओं की एकत्र प्रस्तुति लघुकथाएं कैसी हैं? उनका स्तर क्या है? उनकी भाषा का स्वरूप कैसा है? जैसे प्रश्नों को मैंने भविष्य के लिए छोड़ दिया। वैसे भी, मेरी स्पष्ट मान्यता है कि लघुकथा के भारतीय मानदंडों के आधार पर हम प्रवासी भारतवंशी लघुकथाकारों की लघुकथाओं का मूल्यांकन नहीं कर सकते। जब भारत में ही अलग-अलग प्रदेशों और भाषाओं में लिखी जा रही लघुकथाओं में एकरूपता नहीं है, तो विश्व भर में लिखी जा रही लघुकथाएं उन मानदंडों पर कैसे खरी उतर सकती हैं! हिंदी में जो लघुकथा है, पंजाबी में वह मिनी कहानी और उर्दू में अफसांचा है; बंगाली और मराठी में उसका नाम शायद कुछ और हो । लघुकथाओं के स्वरूप में भी अंतर है। हिंदी लघुकथा में हम संकलन-त्रय को आवश्यक मानते हैं, किंतु अन्य भाषाओं में ऐसा नहीं है। पंजाबी और मराठी सहित कई भाषाओं की लघुकथाएं हिंदी की लघुकहानी के अधिक निकट हैं। अतः जहां, जिस देश में, जैसी लघुकथाएं लिखी जा रही हैं, उन्हें उसी रूप में पढ़िये । और हां, यह भी ध्यान रखिये कि विदेशों की हिंदी भारत की हिंदी नहीं है।

बरहाल, 'प्राची' का प्रथम 'वैश्विक हिंदी लघुकथा विशेषांक' आपको समर्पित है। देखिये, पढ़िये और बताइये कि कैसा लगा । अंत में आभार सभी लघुकथाकारों और विशेष रूप से राकेश भ्रमर

डॉ रामनिवास 'मानव'

सौजन्य संपादक

सम्पर्क : 571, सैक्टर-1, पार्ट-2,

नारनौल- 123001 (हरियाणा)

मोबाइल : 80535 45632



डॉ. राकेश भ्रमर (संपादक)

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