खिड़की / यशोधरा भटनागर
कथाकार : यशोधरा भटनागर
प्रथम संस्करण : 2022
सर्वाधिकार : © यशोधरा भटनागर
ISBN : 978-93-93552-03-7
प्रकाशक : संस्मय प्रकाशन
8. सी.एस.सी., ए.डी. ब्लॉक, शालीमार बाग, दिल्ली-110088
दूरभाष : (कार्या.) 07067455455, (मो.) 07049577455
अणुडाक : sansmayprakashan@gmail.com
अंतरताना : www.sansmay.com
मूल्य : ₹ 220.00
लेखिका की कलम से
जब शाम सुरमई होकर हौले-हौले गहराती निशा की ओर बढ़ती है, जब तारे छिटककर आसमां में टंक जाते हैं, जब चाँद बादलों के घूंघट में आँख-मिचौली खेलता है, जब मंद पवन रात-रानी को छूकर खुशबू का संसार रचती है, तब दूधिया चाँदनी खिड़की का द्वार खटखटाती है।
खिड़की चारदीवारी की वो सुन्दर आँखें होती हैं, जो बाहर से भीतर और भीतर से बाहर की यात्रा कराती है। जब मन उदास होता है तो झट स्मृतियों की खिड़की खोल लेती हूँ और जब मन प्रफुल्लित होता है तो खुली खिड़की से आसमान नाप लेती हूँ।
जब सृजन का सागर हिलोरें लेने लगता है तो प्रकृति की कलम बना आसमानी स्याही से आसमां रंग देती हूँ और जब मन व्यथित होता है तो खिड़की के शीशों पर जमी ओस की बूंदों में अपने आँसू ढूँढ लेती हूँ। अंतर्मन से बहिर्मन और बहिर्मन से अंतर्मन की मेरी यात्रा का दस्तावेज़ है यह लघुकथा संग्रह 'खिड़की'।
एक हवा बही... साथ ले आई... कुछ भूरे पत्ते, खड़खड़ाते पत्ते। हरे पत्ते, पीले पत्ते उड़े और कांधे पर आकर बैठ गए।
जागा इक एहसास! हृदय को भिगोता एक कहानी लिए एहसास!
कुछ सुखद, कुछ संत्रास लिए, कुछ प्रतीक और कुछ बिंब लिए।
दरकते मन की पीर लिए एहसास! जब महामारी ने सारी दुनिया को अपने शिकंजे में कस लिया और नाते-रिश्ते, जीवन-मृत्यु सब कुछ बेमानी हो गए।
एक अदृश्य नन्ही-सी शक्ति ने इंसान को चारदीवारी में कैद कर दिया ।
अकल्पनीय! भयावह! वीभत्स! करुण सत्य लिए जीवन के विविध रंगों से रंगी है 'खिड़की'।
खिड़की से झाँकती है, स्वार्थ बिंदु पर सिमटे रिश्तों की करुण व्यथा 'तीरथ', नारी शक्ति का साकार रूप 'तपस्विनी', नौकरी के सिलसिले में घर से दूर हुए बच्चों के माता-पिता की हृदय को द्रवित करती 'चिंताएँ', विदेश में रह रहे बेटे की पीड़ा कहती 'इट्स टाइम टू गेट अप', जिंदगी में लगातार दौड़ने की मजबूरी लिए 'रफ़्तार', वृद्धावस्था में झुर्रियों से पगे चेहरे पर उभरी रेखाओं की कहानी लिए 'रेखाएँ' और अपनी ही बात कहते-गुनते 'डस्टबिन', 'धर्मशाला हाइट्स', 'ब्रिज', 'मटके', 'चार दीवारें', 'पत्थर दिल', 'आँगन', 'फोल्डर', 'बीज', 'पोखर', 'पराली' और 'चूल्हा' जैसी लघुकथाएँ शब्दों का कलेवर धारण कर 'खिड़की' के रास्ते इस पुस्तक के पृष्ठों में समाहित हो गई हैं।
हे कल्याण स्वरूप! हे आनंद स्वरूप शिव शंभु! शशिशेखर! चंद्र-सी शीतलता, सुंदरता, संपूर्ण विश्व में व्याप्त हो। बासंती बयार का बासंती रंग हर मन को रंग जाए, आनंद की रिमझिम में हर मनवा भीग जाए।
विरंचि! हर्षोल्लास 'खिड़की' के रास्ते हृदय में उतर आए। सबका मंगल, सबका मंगल होय रे... ।
यशोधरा भटनागर
देवास
अनुक्रम
खिड़की
तीरथ क्वारंटाइन
गिरफ्त
फाइटर्स
मुक्ति
सोशल डिस्टैंसिंग
अम्मा
सफ़ाई
चन्नी
मेरे पापा
कबाड़
बीजी
प्यासा कौआ
इट्स टाइम टू गेट अप...
मैया
बासंती बयार
ढोल
बसेरा
तपस्विनी
मानपत्र
जंग
स्माइली
चिंता
डस्टबीन
गुब्बारे पर सवार सपने
नज़रिया
सरस्वती पूजन
ट्रांस
रिश्तों के रंग
पानी का मोल
रेखाएं
खट् खट् खट्
घड़ी
हिसाब-किताब
हलवा
मटके
सर्कल
बूट
अंबा
व्यथा कथा
रफ़्तार
गुलाब
चार दीवारें
पत्थर दिल
आँगन
बहू माँ
एंग्री बर्ड
प्रीत
फोल्डर
ब्रिज
मुस्कान
बेबी गर्ल
विश्वास
उनतीस दिन
उपयोगिता
झम्मक लड्डू !
परिवर्तन
विस्तार
आँखें
बाय-बाय
आशीष
बोझ
आउटडेटेड
अल्लाह की गाय
बुजुर्गियत
वर्चुअल लव
धर्मशाला हाइट्स
भिक्षुक
रंग
चढ़ाई-उतराई
निमंत्रण पत्र
तारा
पोखर
अंतिम संस्कार
अकेली
पराली
घंटी
माटी
चूल्हा
रोटी
बोनसाई
भरी गगरिया चुपके जाय
बोया पेड़ बबूल का
हमसफ़र
भीगी बूंद
धरम-करम
डोंगी में तारे
घर
यशोधरा भटनागर
जन्म स्थान : ग्वालियर, मध्य प्रदेशशिक्षा : बी.ए. (विशेष) हिन्दी, दिल्ली विश्वविद्यालय, एम.ए. हिन्दी साहित्य (मेरिट स्कॉलर) डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, बी. एड. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल। सेंट मेरीज सीनियर सैकेंडरी स्कूल, देवास में तीस वर्षों से अधिक हिन्दी अध्यापन का कार्य कर विभागाध्यक्ष हिन्दी के पद से सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन का कार्य निरंतर जारी ।
अभी तक दो काव्य संग्रह 'रणवीर' व 'तरंगिणी' तथा एक लघुकथा संग्रह 'एलबम' प्रकाशित। अध्यापन के दौरान 'हिन्दी विकास मंच' द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित रचनात्मक लेखन में वर्ष 2018 में द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित। वर्ष 2019 में ग्लोबल इंटरनेशनल स्कूल (आबूधाबी) में हिन्दी शिक्षण तकनीक पर कार्यशाला आयोजन में रिसोर्स पर्सन के रूप में आमंत्रित। 'मधुबन एजुकेशनल बुक्स' द्वारा हिन्दी शिक्षण को विशिष्ट प्रगतिशील एवं रचनात्मक बनाने हेतु वर्ष 2020 में सम्मानित। साहित्यिक सम्मान के अंतर्गत 'साहित्य कलश' संस्था इंदौर (म.प्र.) द्वारा काव्य संग्रह 'रणवीर' के लिए 'श्री विशनदास मोर्यानी स्मृति अलंकरण' 2021-22 से सम्मानित । 'श्री नर्मदा प्रकाशन लखनऊ' द्वारा 'साहित्य प्राज्ञ सम्मान' 2022 से सम्मानित। लघुकथा संग्रह 'एलबम' 'लघुकथा शोध केन्द्र भोपाल' द्वारा 'कृति सम्मान' 2022 से सम्मानित । इंदौर प्रेस क्लब द्वारा 'डॉ. एस. एन. तिवारी स्मृति सम्मान' 2022 से सम्मानित। 'क्षितिज साहित्य संस्था इंदौर द्वारा वर्ष 2022 में 'श्याम सुंदर व्यास सम्मान' से सम्मानित। 'कादंबरी' साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था जबलपुर द्वारा लघुकथा विधा हेतु 'स्व. डॉ. गायत्री तिवारी सम्मान' 2022 से सम्मानित। नवाचार के साथ शिक्षण परिकल्पना के अंतर्गत स्वयं का हिंदीशाला यूट्यूब चैनल आरंभ कर 100 स्वनिर्मित वीडियो अपलोड किए।
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