सुना अनसुना / विनोद भट्ट
(व्यंग्यकार अर्चना चतुर्वेदी के सौजन्य से प्राप्त)
लघुकथा-संग्रह : सुना अनसुनाकथाकार : विनोद भट्ट
मूूल गुजराती से हिंदी अनुवाद : इन्दु दीवान
हिन्दी में पहली बार राजकमल पेपरबैक्स में प्रकाशित
प्रथम संस्करण: 1984
चौथा संस्करण: 1991
© इंदु दीवान
राजकमल पेपरबैक्स : उत्कृष्ट साहित्य के जन- सुलभ संस्करण
राजकमल प्रकाशन प्रा. लि., 1-बी, नेताजी, सुभाष मार्ग, नई दिल्ली- 110002
द्वारा प्रकाशित
पाठ्यभाग मेहरा ऑफसेट प्रेस,
नई दिल्ली- 110002 तथा आवरण मॉडर्न प्रिंटर्स, माडल टाउन, facf-110009
द्वारा मुद्रित
मूल्य : रु. 10.00
आवरणचित्र : भवेशचन्द्र सान्याल
SUNA-ANSUNA
Satirical short stories by Vinod Bhatt Translated from original Gujarati by Indu Diwan
ISBN: 81-7178-237-X
अनुवादक की ओर से
गुजराती के आधुनिक हास्य-व्यंग लेखकों में विनोद भट्ट बहुत जाना माना नाम है। उन्होंने अपनी बातें कभी 'आंख आडा कान' से सुनाई हैं तो कभी 'इदम् तृतीयम' के माध्यम से। कभी दुनिया को 'विनोद नी नजरे दिखायी है तो कभी 'सुनो भाई साधो' की आवाज लगायी है । कभी 'विनोद ना प्रेम पत्र' लिखकर अपने प्यार करने वालों को मोह लिया है तो कभी 'ग्रन्थ की परवड' करके दोस्तों के दिलों में हलचल मचा दी है। उनकी कलम की खूबी है कि वह गुदगुदाती भी है. चिकोटी भी काटती है और जरूरत पड़ने पर नम्तर भी लगाती है। यह वह कलम है जिससे व्यंजना टपकती है, सरलता बोलती है, मामिकता हस्ती है और सूक्ष्मता झलक मारती है। उन्होंने ज्यादातर लघुकथाएं लिखी हैं जिनका सम्बन्ध आज की जिन्दगी की किसी-न-किसी विसंगति और विडम्बना से है । अपनी लघुकथाओं में कहीं उन्होंने पंच की किसी कहानी को आज का नया संदर्भ दिया है तो कही किसी सुपरिचित पौराणिक कथा में नया अर्थ भरा है और कहीं आज की किसी छोटी-सी घटना को लेकर एक बड़ी सच्चाई का उद्घाटन किया है। लघुकथा विनोद भट्ट के हाथों एक सशक्त विधा बन गयी है। यह पहली फरवरी 83 की वह शाम आज भी मुझे अच्छी तरह याद है जब बिनोद भट्ट ने यह कहते हुए मेरा दरवाजा खटखटाया था कि क्या मैं बन्दर मा सकता हूँ। थोड़ी ही देर में वे अपनी सहज आत्मीयता से इस तरह घुलमिल गये गोया वर्षों की पहचान हो। इस मुलाकात ने उनकी कृतियों में एक नया आकर्षण पैदा किया और मैंने उनकी लघुकथाओं को हिन्दी पाठकों के सामने प्रस्तुत करने का निश्चय कर डाला । विनोद भाई ने इसके लिए स्वीकृति ही नहीं दी बल्कि मुझे प्रोत्साहित भी किया। आभार प्रकट करना तो शायद उनके सौजन्य का अपमान होगा। उनका तो अभि- वादन ही हो सकता है।
प्रस्तुत पृस्तक की लघुकथाएँ मुख्यतः उनकी दो पुस्तकों - 'आंख आडा कान' और 'दम तृतीयम्' से ली गयी हैं। इनसे विनोद भट्ट के कृतित्व का बहुत कुछ प्रतिनिधित्व हो जाता है। अनुवाद में कहीं-कहीं गुजराती रंगको कायम रखते हुए भी हिन्दी की अपनी प्रकृति को ही ध्यान में रखा गया है। यदि बिनोद भट्ट की इन लघुकथाओं से हिन्दी पाठकों का कुछ भी विनोद हो सका तो मेरा यह श्रम सार्थक होगा ।
इन्दु दीवान
क्रम
कुबेर का इस्तीफा
किस्सा कुर्सी का
युधिष्ठिर
उत्तम उपाय
शबनम
भ्रष्टाचार का राक्षस
सास-बहू की खिचडी
अलादीन का चिराग
प्रतिक्रिया
अपशकुन
मुखौटा कानून
किराये का दिमाग
शब्द
चवन्नी में भविष्य
तमाशा
सपने सभी सुहाने
परख
भाग्यवादी
सच्चे नल की पहचान
प्रार्थना
लंका-दहन
भक्त श्रवण
डुप्लिकेट
पूरन भगत की परीक्षा
नसीब
उत्क्रान्ति
शान्ति की तलाश में
कुम्भकरण की नींद
सत्यमेव जयते
खुल जा सिम-सिम
माधव कहाँ है ?
जंगल-दिन
भोला कौआ
एक था फरहाद
स्त्री
प्रमोशन
मुर्गी के सोने के अण्डे
मदद
प्रधान को कुत्ते ने काटा, तब...
महाभिनिष्क्रमण
मेनका का नृत्य देख,
फकीर आया
परी कथा
एक लोमड़ी का निवेदन
स्पर्धा
टके सेर भाजी टके सेर खाजा
सेतुबन्ध
नकलची फेरीवाला
कहानी गर्दभ की
माणिकनाथ की चटाई
चुटकी भर नमक
दोषी कौन ?
जन गायक
गरीबी हटाओ
तीन बन्दर
न्याय का घण्टा
कृष्ण-सुदामा
ह्वल मछली का आक्रमण
अद्भुत तमाशा
महान लेखक
षड्यन्त्र
लक्ष्मीजी
'मारो-काटो कत्ल करो'
नल-दमयन्ती
पापात्मा - स्वर्ग में ?
पुनर्जन्म का रहस्य
खबरदार !
परीक्षा
नरक, स्वर्ग और समाजवाद
'जमीन छीन लो !'
प्रेम का महत्त्व
सावित्री सत्यवान
उपाय
छानबीन
तीसरा नेत्र
भिक्षापात्र
मॉडेल
धर्मगुरु की शराब
समाजवादी कोआ
डिग्री पी-एच. डी. की
चौथा बन्दर
हनुमान चालीसा — गांधी-युग का
विधाता के लेख
विनोद भट्ट
जन्म : 14 जनवरी 1938;जन्म स्थान अहमदाबाद (गुजरात)।
शिक्षा : बी. ए., एल. एल. बी ।
जीविका के लिए वकालत और लेखन ।
गुजराती के विशिष्टतम व्यंग्य रचनाकार | लेखन का आरम्भ 1955 से। तब से लघुकथा, निबन्ध, पत्र, संवाद आदि विभिन्न साहित्य-रूपों में निरन्तर हास्य-व्यंग्य लेखन । विभिन्न साहित्य-समारोहों, गोष्ठियों और कवि सम्मेलनों में बतौर संचालक - एक अपरिहार्य व्यक्तित्व । पहली बहुचर्चित पुस्तक 'विनोद नी नजरें' (विनोद की दृष्टि से)। अब तक 12 महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन । रचनाओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद। कई पुस्तकें विभिन्न पुरस्कारों से पुरस्कृत - सम्मानित । कुछ पाठ्यक्रमों में भी सम्मिलित ।
प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें : विनोद नी नजरे, अने हवे इतिहास, इदम् चतुर्थम्, नरो वा कुंजरो वा, आँख आडा कान एवं ग्रन्थ नी गरबड ।
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