धूप की मछलियाँ /डाॅ. अनीता कपूर

लघुकथा-संग्रह  : धूप की मछलियाँ 

कथाकार  :  डाॅ. अनीता कपूर 

© स्वत्त्वाधिकार : डॉ. अनिता कपूर प्रथम संस्करण : 2021 

ISBN: 978-93-93028-66-2

मूल्य : $3 USD

प्रकाशक :

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विपणक :

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आवरण सज्जा : विनय माथुर

शुभकामना सन्देश

यह जानकर विपुल हर्षानुभूति हुई है कि सुश्री अनिता कपूर द्वारा सर्जित हिन्दी लघुकथा संग्रह 'धूप की मछलियाँ' का प्रकाशन होने जा रहा है।

पुरातन संस्कृत साहित्य में रामायण, महाभारत तथा विशाल पुराण साहित्य पद्य में रचे गये थे, अर्थात उस समय पद्य का प्रभाव अधिक था । हालांकि समय के साथ व्यवाहारिक महत्व के कारण गद्य का प्रभाव बढ़ा और यह कहा जाने लगा कि गद्य कविनां निकषं वदन्ति ।" अर्थात गद्य कवियों की कसौटी बनने लगा। मानवीय सभ्यता की अभिव्यक्ति, भाषा के विकास के साथ-साथ, गद्य में अधिक प्रभावोत्पादक होती गई । न केवल गद्य बल्कि साहित्य सहित जीवनोपयोगी कृत्यों में संक्षिप्तता भी उच्च स्थान पर आसीन होती गई। कहना न होगा कि संक्षिप्त कथाओं और लघुकथाओं का महत्व आज अपेक्षाकृत अधिक है। एक लघुकथा उस फूल की भांति है जो न केवल खुशनुमा वातावरण बनाता है व स्वास्थ्यवर्धक होता हैं बल्कि कांटे भी चुभा सकता है । पढने में सतर्कता आवश्यक हैं क्योंकि लघुकथाएं आज बाज़ार में भरी पड़ी हैं। वे आकर्षक भी हो सकती हैं लेकिन सार्थक सन्देश दें ही, यह चुनाव ज़रूरी है।

वस्तुतः हिन्दी साहित्य में सार्थक कार्यो की महती परम्पराओं द्वारा पाठकों में उचित सन्देश प्रेषित करती लघुकथाओं का यह संग्रह 'धूप की मछलियाँ सामयिक पाठक पीढी के लिये सत्प्रेरणादायक सिद्ध हो सकता है जो कि अभिनंदनीय है। सुश्री अनिता कपूर का यह रचनात्मक उपक्रम एक मूल्यवान दस्तावेज के रूप में जन-जन में आदृत हो यही कामना है। आपको हृदय से शुभकामनाएँ व साधुवाद अर्पित ।

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी 

अध्यक्ष, राजस्थान इकाई, 

विश्व भाषा अकादमी (रजि.), 

भारत ब्लॉगर, लघुकथा दुनिया ब्लॉग, 

सहायक आचार्य (कम्प्यूटर विज्ञान)

कहानी लिखना एक कला है

कहानी लिखना एक कला है। हर कहानी- लेखक अपने ढंग से कहानी लिखकर उसमें विशेषता पैदा कर देता है। वह अपनी कल्पना और वर्णन-शक्ति से कहानी के कथानक, पात्र या वातावरण को प्रभावशाली बना देता है। लेखक की भाषा-शैली पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है कि कहानी कितनी अच्छी लिखी गई है।

आकार की दृष्टि से कहानियाँ दो तरह की होती हैं- कुछ कहानियाँ लम्बी होती हैं जबकि अन्य कुछ कहानियाँ छोटी। आधुनिक कहानी मूलतः छोटी होती है, जिसे लघु कथा कहते हैं .... लघु मतलबः कम, छोटा, संक्षेप में, अल्पकालीन, सारांश ।

कथा मतलब : कहानी, कथा, कथानक, वृतांत, खंड ।

पुरानी कहानियों का अंत अधिकतर सुखद होता था, किन्तु आज की कहानियाँ मनुष्य की दुःखान्तक कथा को उसकी जीवनगत समस्याओं और अन्तहीन संघर्षों को अधिक-से-अधिक प्रकाशित करती हैं।

आज की कहानी बड़ी हो या छोटी वे व्यक्तिवादी है, जो व्यक्ति के 'मनोवैज्ञानिक सत्य' का उद्घाटन करती है । कहानी-लेखन की परिभाषा और कहानी-लेखन के कई प्रकार हैं।

लघुकथा एक ऐसी विधा है जिसका आकार 'लघु' हैं पर उसमे "कथा" तत्व विद्यमान है। लघुकथा लेखन के लिए माइक्रोस्कोपिक दृष्टि की आवश्यकता पड़ती है। जैसे मान लीजिये कविता का पूरा दृश्य और अभिव्यक्ति को लघु रूप में लिखना हो तो वो "हाइकु" हो जाता है ... हाइकु को तय वर्णों की सीमा रेखा में ही लिखना होता है। परंतु लघुकथा के लिए कोई सीमा तय नहीं, पर लघु शब्द पर ध्यान देते हुए ही कथा-लेखन केन्द्रित रहता है।

शब्दों का सही चयन में कमी रह जाने से अच्छी लघुकथा भी विकलांग हो सकती है। लघुकथा आसान विधा नहीं है। लेखन के समय कथा को लघु रखने के लिए एक लंबी कहानी में कहे जानी वाली बात को शब्दों की स्वतन्त्रता नहीं मिलती। बहुत ज्यादा शब्द लेखन में खर्च नहीं किए जाते .....बिन निर्धारित ही शब्दों की सीमा स्वत ही तय करनी होती है ताकि लघुकथा बन पाये और पूरी कहानी भी लेखक कह पाये । इसीलिए एक लघु कथाकार को बेहद सावधान और सजग रहना होता है। कथानक, उद्देश्य, भाषा, शिल्प, शैली, शीर्षक, अंत और आकार में लघु और कथा - तत्व से सुसज्जित रचना को ही लघुकथा कहा जाता है। कथा में नवीनता भी होनी चाहिए। शीर्षक पढ़ते ही कथा में लिखी कुछ बात तो वही समझ आ जाती है इसीलिए शीर्षक को लघुकथा का प्रवेश द्वार माना गया है। लघुकथा एकांगी रचना होती है । लघुकथा का अंत अच्छा हो तो अंदर की कुछ कमियाँ भी ढक जाती है । लघुकथा लेखन उतना सरल नहीं जितना एक लंबी कहानी लिखना । कोई भी लेखन सीमित दायरे में करना हो तो वहाँ लेखक को अपने ज्ञान का कौशल दिखाना होता है, अन्यथा रचना अपना अस्तित्व को देती है । कथानक हमें अपने आस-पास से ही मिल जाता है और इन्ही सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मैंने लघुकथा लेखन का प्रयास किया और मेरा पहला लघुकथा संग्रह "धूप की मछलियाँ" आपके समक्ष प्रस्तुत है ।

डॉ. अनिता कपूर


अनुक्रम

1. मानसिकता

2. मास्क

3. फाहा

4. अमिया

5. बेटी

6. विसर्जन

7. गर्व

8. आइनों के जाले

9. ग्रहण

10. गरीबी का इलाज़

11. गंगा-जल

12. पेट की सरहद

13. असुरक्षा

14. इतिहास

15. एक बेटी यह भी

16. सही तस्वीर

17. हैलो 911

18. दिस इस अमेरिका

19. सेवा

20. बंटवारा

21. आई लव यू

22. बुजुर्ग

23. उतरन

24. प्रतिक्रिया

25. ईश्वर का डबल प्रेम

26. सोने की मुर्गी

27. चाबी का गुच्छा

28. मेहँदी

29. तीसरी पारी

30. आराम

डॉ. अनीता कपूर

जन्म : ( रिवाड़ी), भारत

शिक्षा : एम.ए. (हिंदी एवं अंग्रेजी), पी-एच.डी (अँग्रेजी), सितार, कत्थक नृत्य, जर्मन भाषा और पत्रकारिता में डिप्लोमा ।

अनुभव : “बे-एरिया इमिग्रेशन एवं लीगल सर्विसेस" के लिए अनुवादिका का कार्य करना अमेरिका में प्रथम हाइकु कार्यशाला आयोजन। नाड़ी और वैदिक हस्तरेखा/रो/ वास्तु ज्योतिष विद्या में निरंतर लेखन एवं प्रकाशन और सम्मान प्राप्त ।

विशिष्ट उपलब्धियाँ :

अध्यक्ष : “ग्लोबल हिन्दी ज्योति” वर्ष 2011 से स्थापित, कवि सम्मेलनों का आयोजन, कम्यूनिटी,, मंदिर तथा स्कूलों में हिन्दी पढ़ाना और हिन्दी के प्रचार प्रसार हेतु बच्चों में निबंध और कविता प्रतियोगिता आदि करवाना। कुछ एन.जी.ओ के साथ जुड़ कर जरूरतमन्द महिलाओं की हर संभव मदद करना। कई वर्षों तक अमेरिका में हिन्दी समाचारपत्र का सम्पादन ।

अध्यक्ष: “विश्व हिंदी संस्थान कनाडा”, कैलिफोर्निया शाखा । आध्यात्मिक संस्था “Divine Rhythm of Soul" नामक संस्था के माध्यम से मेडीटेशन के आयोजन करवाना यहाँ की और बहुत सी संस्थाओं के साथ जुड़ाव और उनके साथ मिल कर कममुनिटी में कार्यक्रम आयोजन ।

भ्रमण : लगभग संपूर्ण भारत (कश्मीर व आसाम के अतिरिक्त), लगभग संपूर्ण अमेरिका, मक्सिको, कनाडा, इंग्लैंड, जर्मनी, नेपाल, दुबई व ईरान आदि।

संपर्क :

Hayward, California, USA

Ph: (510) 8949570 E-mail : anitakapoor.us@gmail.com, anitakapoor.astro@gmail.com

Website : www.dranitakapoor.com www.akdivineastro.com http://bikharemotee.blogspot.com

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