आदित्य संस्कृति (लघुकथा-विशेषांक) / भानु प्रकाश शर्मा (सं.)
पत्रिका : आदित्य संस्कृति (लघुकथा-विशेषांक)
अंक : अप्रैल 2023संपादक : भानु प्रकाश शर्मा
अतिथि संपादक उवाच ......
लघुकथा का ई-विशेषांक निकलना हर्ष का विषय है और प्रयोजन मूलक भी। जीवन की जटिलताओं ने मानव-दैनंदिनी को मकड़जाल सरिस बना दिया है। अब 24 घंटे का एक दिन छोटा पड़ने लगा है जबकि इसे बढ़ाना असंभव है। ऐसे में मनुष्य बहुधंधी हो गया है। एक समय में एकाधिक कार्यों को समाप्त कर लेने की चाहत में कोल्हू के बैल की तरह पिस रहा है फिर भी कार्यों की सूची छोटी होने की जगह बड़ी ही हो रही है। जबकि इन जटिलताओं का कारण भी वह स्वयं है।
समय सबसे मूल्यवान है, अनमोल है और सीमित भी । यही कारण है कि मनुष्य सदैव से अधिकतम इच्छाओं की पूर्ति हेतु अधिकाधिक वस्तुओं के संयोग को चुनता है। साहित्य में भी एक बड़ी कृति लिखने या पढ़ने की अपेक्षा एकाधिक छोटी कृतियाँ लिखने या पढ़ने का चलन बढ़ा है। महाकाव्य, खंडकाव्य, उपन्यास, नाटक आदि चलन से बाहर हो रहे हैं। छोटे आकार की रचनाएँ पसंद की जा रही हैं। 'लघुकथा' इसी समयाभाव की वरीय उपज है।
इस अंक में वरिष्ठ साहित्यकार अमरनाथ जी का लेख 'लघुकथा का इतिहास' इस विधा का सर्वांगीण परिचायक है। देश के विभिन्न भागों रहने वाले वैविध्य परिवेश के 121 प्रतिनिधि लेखकों की 121 लघुकथाओं से यह अंक समृद्ध है। चूँकि लेखकों में विविधता है इसलिए लघुकथा के विषय और स्तर में भी विविधता का होना स्वाभाविक है। इसमें सिद्धहस्त लेखकों की मानक लघुकथाएँ और नवोदितों की अधिगम प्रक्रिया जनित - अप्रौढ़, अविकसित, अमानक लघुकथाएँ भी हैं। नवागंतुकों को भविष्य की पूँजी मानते हुए सम्मिलित करने का जोखिम अत्यंत रोमांचकारी है। शोधार्थियों और साहित्य प्रेमियों के लिए स्वस्थ मानसिक खुराक से परिपूर्ण भी है यह अंक । कुशल संपादक श्री भानु प्रकाश शर्मा द्वारा दतिया की ऊर्वर साहित्यिक भूमि से हिंदी साहित्य को समर्पित 'आदित्य संस्कृति' का यह अंक भी पूर्व की ही तरह मील का पत्थर साबित होगा ।
डॉ अवधेश कुमार 'अवध', मेघालय साहित्यकार व अभियंता
संपर्क - ८७८७५७३६४४
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