काँटों बीच गुलाब (लघुकथा-कहानी संग्रह / पुष्पा सिन्हा
पुस्तक : काँटों बीच गुलाब (लघुकथा-कहानी संग्रह
कथाकार : पुष्पा सिन्हा
इस पुस्तक में व्यक्त विचार लेखिका के व्यक्तिगत हैं। इस पुस्तक में व्यक्त विचारों से शब्द संयोजक, मुद्रक एवं प्रकाशक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है। यह पुस्तक लेखिका की मौलिक रचना है। किसी भी वाद-विवाद की स्थिति में न्यायिक क्षेत्र केवल नई दिल्ली होगा।
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ISBN 978-93-92214-20-2
मूल्य : 395.00
प्रथम संस्करण: 2023
© सुरक्षित
प्रकाशक
: लिटरेचर लैण्ड (प्रकाशक एवं वितरक)
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मुद्रक : प्रिंटबिलिटी, नई दिल्ली-110059
आमुख
'कांटों बीच गुलाब' पुस्तक छोटी-बड़ी कहानियों का ऐसा संग्रह है, जिसमें जीवन की विसंगतियों की चर्चा व समाधान का ज्ञान भी समाहित है। साथ ही इसमें मानवीय मूल्यों जैसे सच्चाई इमानदारी, सहयोग, दुनिया की जानकारी रखते हुए स्वयं में स्थित रहना, आदि की भी इन कहानियों में चर्चा है।
इस पुस्तक की कई कहानियों में ज्ञान, विज्ञान और परोपकारिता के साथ-साथ मनोरंजन भी भरपूर है। ये कथाएं समसामयिक चिंतन से ओतप्रोत हैं। पुस्तक की एक कहानी में यह भी बताने की कोशिश की गई है कि. सोचने से कहाँ मिलता है तमन्नाओं के शहर, चलने की जिद भी जरूरी है मंजिलों के लिए। साथ ही कहानियों के माध्यम से यह भी संवेदना दी गई है कि. 'खुशियाँ बाँटो जहाँ-जहाँ भी जाओ, और बटोरो सुखद मीठे पल दिल के दामन में।"
साथ ही इस पुस्तक की एक कहानी में आपको यह भी पता लगेगा कि हमारे द्वारा बोले गए शब्दों की ताकत का अनुमान लगाना कठिन है। कई शब्द अर्थ का अनर्थ करते हैं, और इस प्रकार दिल में गहरे जख्म कर देते हैं. जिसका धाव कभी नहीं भरता है, क्योंकि शब्दों का घाव तलवार के दिए घाव से अधिक गहरा होता है।
- पुष्पा सिन्हा
अनुक्रम
गीता-ज्ञान
कल्पना
रंगदारी
मन की शांति
आशा और शांति
तोते की चीख
रातों की नींद और दिन का चैन
छोटा मुकदमा
दुख को क्या ओढ़ना
मानुष चेतना
उस दिन का संचालक
विसंगति
आपदा में अवसर
सिंहावलोकन
स्वयं के प्रति कठोर बनें
भगवान! यह तूने क्या किया
कैदी को सूचना
पूर्णता में आनंद
पर्यावरण क्रांति
संसद में जनता का चीरहरण
एक क्षण में बदली दुनिया
मैं और मेरा देश
तिरंगा पुलक - पुलक लहराए
बटुआ चोर
आखरी डाक
अपनी-अपनी समझ और भरोसा
जब पाप का घड़ा फूटा !
मैं तुम्हारे कत्ल का बदला लूंगा, दोस्त!
न्याय का गर्भपात
लोग क्या कहेंगे?
चिंता और चिंतन
हत्या
जीवन का नया मोड़
धर्म के चार चरण
अपूर्णता में पूर्णता
गुरूर
आखिर मिल ही गई
माया ढगंनी
जीवन सूत्र
मुझे जीने का हक नहीं
जान हथेली और पटरी पर जिंदगी
कानूनी आतंकवाद
धन के साथ धर्म
अफवाह का आनंदलोक
कानून का अपवाद
न अपेक्षा न उपेक्षा
चल री सजनी !
संक्रांति का दान
निर्णय
पुकार
सही जोड़ी
हलचल
सहमति
कल्पनाशीलता
गवाही
प्रेम
सीख
क्षमा
दोषी कौन!
मनोरंजन
मदारी
लिफाफा
योग्यता
कोख
उजाला- अंधेरा
हिंसक होता बचपन
मन की शक्ति
मन तो बच्चा है जी
मुझे मैं मिल गई
वजूद का निर्माण
पुष्पा सिन्हा
'महिलानामा' उपन्यास के लिए राष्ट्रीय प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत लेखिका, पुष्पा सिन्हा की अबतक विभिन्न विषयों एवं विधाओं में पच्चीस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।भारत के मुख्य न्यायाधीशों की जीवनी, पर्यावरण पर 'धरती माता पिता आकाश', 'मानवाधिकार की असीमित सरहदें', 'बारहमासा', 'तिरंगा तले', 'औरत:कल, आज और कल',
नाटक : इच्छामृत्यु,
कविता संग्रह : बेटी बचाओ-बेटी पढाओ
आदि हैं।
महिलानामा उपन्यास के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा 2004 में प्रथम पुरस्कार, साहित्य में योगदान के लिए "आधी आबादी" विमेन अचिवर्स अवार्ड, समग्र लेखन तथा साहित्य धर्मिता के लिए 'डॉ महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान', कविता संग्रह पुस्तक के लिए, 'शिल्पी चड्ढा स्मृति सम्मान', कहानी संग्रह पुस्तक के लिए, 'पुष्पा विश्वनाथ मेहता कथा सम्मान' प्राप्त हुए हैं ।
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