अपकेन्द्रीय बल / सन्तोष सुपेकर

अपकेन्द्रीय बल

सन्तोष सुपेकर 

ISBN 978-93-91738-08-2

प्रथम संस्करण 2022 

मूल्य- 300/- (तीन सौ रुपये मात्र)

प्रकाशक

एचआई पब्लिकेशन 302-303, तीसरी मंजिल, शान्ति प्लाजा, होटल समय के सामने, फ्रीगंज, उज्जैन (म.प्र.)- 456 007

मो. 9754131415

मुखपृष्ठ - सिद्धेश्वर (पटना)

आत्मकथ्य

'बस इतना' ही

विचारों के संक्रमण काल के इस युग में हर व्यक्ति के अपने भीतर ही अपरिचय के पहाड़ खड़े हो गए हैं, बाहरी प्रकाश के चकाचौंध ने अंदर के अंधकार को सघन कर रखा है। मन्थन तो हो रहा है पर सिर्फ अपने-अपने हित में। आज का, लगभग हर आदमी सिर्फ अपने में खोया हुआ है। उसको स्वहित के सिवाय कुछ नहीं सूझता, दिखता। अपने चारों ओर, वह केवल, 'मैं' से परिवेष्टित है। Narcissist बनकर अपने ही छोटे-छोटे कार्यों का वह स्वयं प्रशंसक बन जाता है, बार-बार सबके सामने वही बात करता है, अपने ही कार्यों, उपलब्धियों का बखान करता है। उसके सारे विचार, सारी सोच स्वयं पर ही केन्द्रित रहते हैं। उसे लगता है कि कोई वस्तु उसके जिस काम आयी है तो वह वस्तु सिर्फ वही काम करेगी या कर सकती है, उसके आगे वह सोचने की जुर्रत ही नहीं करता।

पर जब उसे पता चलता है कि दुनिया में पेट भरने के लिए विवश लोग किसी वस्तु का कैसे, अलग-अलग, कल्पनातीत ढंग से उपयोग करते हैं तब अपने ही ख्यालों में गोल-गोल घूमने वाले, अपनी ही सोच में अभिकेन्द्रित उसके विचार अपकेन्द्रित होते हैं। एक अपकेन्द्रीय बल उसे 'स्व' से बाहर निकालता है और एक झटका सा उसे लगता है।

इस लघुकथा संग्रह 'अपकेन्द्रीय बल' की कुछ रचनाओं जिसमें शीर्षक रचना भी शामिल है के द्वारा मैंने उक्त विषय को उठाया है।

बहरहाल, यहाँ मैं स्वयं की लघुकथा यात्रा के सन्दर्भ में बात करना चाहता हूँ।

1986 में, अब से 36 वर्ष पूर्व, मेरा लघुकथा सफर प्रारम्भ हुआ, जब श्री प्रेमनारायण शर्मा, 'प्रेम पथिक' जी ने उज्जैन से निकलने वाले, साप्ताहिक जनयश में मेरी लघुकथाएँ लगातार प्रकाशित कीं। तब मैं न जाने किस प्रेरणा के वशीभूत होकर सिद्धनाथ सुपेकर नाम से लिखता था पर फिर शीघ्र ही अपने वास्तविक नाम से लिखने लगा।

दैनिक भास्कर में उन दिनों सोमवार को 'युवा भास्कर' स्तम्भ प्रकाशित होता था, जिसके सम्पादक श्री राजेन्द्र कुमार शर्मा (अब स्वर्गीय) थे। उन्होंने 1987-88 के दौरान मेरी अनेक लघुकथाएँ इस स्तम्भ में प्रकाशित कीं। उनके इस प्रोत्साहन के लिए मैं सदैव उनका कृतज्ञ रहूँगा। फिर 1991 में नौकरी के लिए राजकोट, गुजरात चले जाने से लघुकथाएँ कहीं छपीं तो नहीं पर लेखन जारी रहा। इस दरम्यान मेरे व्यंग्य जरूर दैनिक भास्कर के 'आह और वाह' स्तम्भ में छपते रहे।

1995 में पुनः उज्जैन आ जाने पर फिर लघुकथा की ओर मुड़ा तथा दैनिक अग्निपथ में श्रीयुत श्रीराम दवे जी ने मेरी लघुकथाएँ साहित्य पथ स्तम्भ में अनेक बार प्रकाशित की। 2001 में श्री राजेंद्र नागर 'निरन्तर' से सम्पर्क हुआ और उन्होंने भी मेरी काफी लघुकथाएँ अक्षरविश्व के साहित्यविश्व स्तम्भ में प्रकाशित कीं। लघुकथा के प्रति विशेष जुड़ाव भी तभी हुआ। फिर राजेन्द्र नागरजी के माध्यम से ही श्री सतीश राठीजी से मुलाकात हुई जो उन दिनों उज्जैन में पदस्थ थे और परिणामस्वरूप राजेंद्रजी और मेरा प्रथम लघुकथा संकलन 'साथ चलते हुए' (राठीजी के सम्पादन में) सन् 2004 में प्रकाशित हुआ।

सन 2006 में श्री सुरेश शर्माजी (अब स्मृति शेष) से सम्पर्क हुआ जो कि मेरा परम सौभाग्य था। आदरणीय शर्माजी ने न सिर्फ मेरे लेखन में सुधार किया वरन मुझे हर तरह का अपार रचनात्मक सहयोग दिया। उनको अश्रुपूरित नमन। सुरेश शर्माजी 2007 में प्रकाशित मेरे लघुकथा संग्रह 'हाशिये का आदमी' के विमोचन समारोह में भी आए थे। सुरेश शर्माजी ने ही मेरा परिचय डॉक्टर बलराम अग्रवाल से करवाया, 2010 में प्रकाशित मेरे लघुकथा संग्रह 'बन्द आँखों का समाज' के विमोचन समारोह में भी वे ही उन्हें लेकर आए थे। अग्रवालजी से मिलने के बाद मैंने जाना कि लघुकथा में क्या तकनीकी खूबियाँ होना चाहिए, भाषा, संवाद और व्याकरण को कैसे पर्याप्त महत्व देना चाहिए और कैसे लघुकथा को प्रभावी, कालजयी बनाने के लिए अत्यधिक श्रम और धैर्य की जरूरत है। उनकी ही प्रेरणा से मैंने 2011 में लघुकथा को लेकर विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के हिंदी विभागाध्यक्ष, डॉक्टर शैलेन्द्रकुमार शर्मा का साक्षात्कार लिया जो बलराम अग्रवालजी के अतिथि सम्पादन में अविराम साहित्यिकी (प्रधान सम्पादक- डॉ. उमेश महादोषी) के 2012 के लघुकथा विशेषांक में प्रकाशित हुआ। अध्ययन, चिन्तन, मनन और फिर लेखन के प्रबल पक्षधर डॉक्टर उमेश महादोषी मेरे बहुत अच्छे मार्गदर्शक और मित्र हैं। इसी तरह अत्यंत सहज, सरल श्री राममूरत 'राही' भी परम मित्र हैं और भरपूर रचनात्मक सहयोग करते आए हैं। इसी दौरान वर्ष 2013 में मेरा लघुकथा संग्रह 'भ्रम के बाज़ार में', 2017 में 'हँसी की चींखें' और 2020 में 'सातवें पन्ने की खबर' प्रकाशित हुए। इसी अवधि में तीन कविता संग्रह भी प्रकाशित हुए। श्री सूर्यकांत नागरजी, योगराज प्रभाकर, सतीश राठी, स्व. मधुदीपजी, सुकेश साहनी, डॉ. कमल चोपड़ा, रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', (स्व.) डॉक्टर इसाक 'अश्क', डॉक्टर शैलेन्द्रकुमार शर्मा, डॉ. जगदीश शर्मा, डॉ. हरीश प्रधान, रमेशचन्द्र छबीला, बटुक चतुर्वेदीजी (अब स्मृति शेष), कान्ता रॉय, बी.एल. आच्छा, डॉक्टर पुरुषोत्तम दुबे, राकेशजी शर्मा, डॉक्टर रामकुमार घोटड़, राजेन्द्र वामन काटधरे, ज्योति जैन, डॉ. छाया पाटिल, सीमा जैन, कुँवर प्रेमिल, डॉ. प्रभाकर शर्मा, सरस निर्मोही (अब स्व.), सिद्धेश्वर जी, रजनीरमण शर्मा, डॉ. विनायक पांडेय, माधव नागदा, डॉ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल, डॉ. अशोक भाटिया, अशोक जैन, नेपाल के पुष्करराज भट्टी जी, चेतन रवेलिया, खेमकरण सोमण, नरेशकुमार उधास, बड़वेलकर जी, रामयतन यादव, मीरा जैन, राजेन्द्र देवधरे 'दर्पण', बिजेंद्र जैमिनी, प्रतापसिंह सोढ़ी, राजेन्द्र सेन, दीपक गिरकरजी, लता अग्रवालजी, डॉ. वन्दना मुकेश (लंदन), वर्षा हळबे (अमेरिका), श्री सुधीर भालेराव, मृणाल आशुतोष, डॉक्टर अलका पोतदार, दिलीप जैन, आशा गंगा शिरढोणकर, कोमल वाधवानी 'प्रेरणा', डॉ. वंदना गुप्ता और संजय जौहरी आदि कई साहित्यकारों का भरपूर सहयोग, प्रोत्साहन समर्थन, मार्गदर्शन कभी प्रशंसा तो कभी-कभी स्वस्थ आलोचना के रूप में हमेशा मिलता रहा है जो कि मेरा सौभाग्य है। योगराज प्रभाकरजी, स्व. रवि प्रभाकरजी (रविजी को स्वर्गीय लिखते हुए हाथ काँपते हैं पर क्या करें...) ने मुझसे लघुकथा पर आलेख लिखवाया, मेरे लघुकथा अवदान पर राजेन्द्र वामन काटधरेजी से आलेख लिखवाकर 'लघुकथा कलश' में प्रकाशित किया। सुकेश साहनीजी और रामेश्वर काम्बोज जी ने 'लघुकथा डॉट कॉम' के संचयन स्तम्भ में मेरी अनेक लघुकथाएँ प्रकाशित कीं। 'मेरी पसन्द' स्तम्भ में मुझसे लिखवाया। डॉक्टर पुरुषोत्तम दुबे ने इसी पत्रिका के 'मेरी पसंद' स्तम्भ में मेरी लघुकथा 'मुखर होती सिहरन' पर विस्तृत रूप में लिखा। सतीश राठीजी ने इंदौर के लघुकथा जगत से मेरा परिचय करवाया, विभिन्न कार्यक्रमों में मुझसे लघुकथाओं की समीक्षा करवाई, अनघा जोगलेकरजी ने मेरी लघुकथा पर पोस्टर बनाया। डॉ. उमेश महादोषी ने अविराम साहित्यिकी के 'लघुकथा के स्तम्भ' के अन्तर्गत मेरी रचनाएँ प्रकाशित कीं। डॉक्टर शैलेन्द्रकुमार शर्मा, श्री राजेन्द्र नागर, श्री सूर्यकान्त जी नागर, श्रीयुत श्रीराम दवे, डॉक्टर हरीश प्रधान, डॉक्टर शिव चौरसिया, श्री बी.एल. आच्छा, श्री सतीश राठी, श्री ब्रजेश कानूनगो, श्री योगराज प्रभाकर, डॉक्टर योगेन्द्रनाथ शुक्ल, डॉक्टर उमेश महादोषी और डॉक्टर पुरुषोत्तम दुबे ने मेरी विभिन्न कृतियों की भूमिका लिखी। मधुदीपजी ने 'पड़ाव और पड़ताल' श्रृंखला प्रकाशन में लघुकथाएँ लीं। श्री अरुण मिश्र, मुकेश बिजौले, अक्षय आमेरिया, सन्दीप राशिनकर, कुलदीप दासोत और सिद्धेश्वरजी ने मेरी कृतियों के मुखपृष्ठ को अपनी सुन्दर कल्पना से आकर्षक बनाया, आप सबका कोटिशः आभार।

2015 में जिन्दगी को गहरा झटका लगा जब पूज्य माताजी श्रीमती आशा सुपेकर मुझे छोड़कर चलीं गईं। मेरी कई लघुकथाओं की वह पहली पाठक और आलोचक हुआ करती थीं।

वर्ष 2018 में एक विशेष उपलब्धि प्राप्त हुई, मेरी दो लघुकथाएँ 'अर्जी' और 'इन्वेस्टमेंट' महाराष्ट्र राज्य के कक्षा दसवीं (की हिन्दी पुस्तक 'लोकवाणी') के पाठ्यक्रम में सम्मिलित की गईं। यह मेरे साथ ही लघुकथा के लिए भी हर्ष का विषय है।

इसी पिछले दशक में जहाँ मेरे लघुकथा के (प्रस्तुत संग्रह के अतिरिक्त) पाँच संग्रह, दो सम्पादित संकलन, एक सम्पादित लघुकथा फोल्डर प्रकाशित हुए वहीं श्री हीरालाल मिश्र, बिनोयकुमार दास, आरती कुलकर्णी, डी.एन. श्रीनाथ, जयंतीभाई प्रजापति, डॉ. कनकमंजरी पटनायक, मंजूषा मुळे, डॉ. देवी नागरानी, हूंदराज बलवाणी, जगदीश कुलारियाँ, श्यामसुंदर अग्रवाल, कल्पना भट्ट, रचना शर्मा (नेपाल), श्री कुसुम ज्ञवाली (कनाडा), रजनीकांत एस. शाह, आशीष श्रीवास्तव 'अश्क', हेमलता शर्मा, 'भोली बेन', पुष्करराज भट्टजी (नेपाल), डॉ. वसुधा गाडगीळ और अंतरा करवड़े ने मेरी लघुकथाओं का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया। हीरालाल मिश्रजी, कल्पना भट्ट, डॉ. चन्द्रेशकुमार छतलानी और आरती कुलकर्णी जी ने तो मेरी रचनाओं का क्रमशः बांग्ला, अंग्रेजी और मराठी भाषा में अनुवाद कर उन्हें पुस्तक रूप प्रदान किया। रवि यादव जी, आलोक जोशीजी (अब स्वर्गीय) ऋता शेखर 'मधु' जी और हेमन्त मोहन जी ने मेरी लघुकथाओं का रेडियो और यू ट्यूब पर वाचन किया। उदयपुर के श्री भूषण जैन ने लघुकथा पर वीडियो बनाया।

इस अवसर पर मैं अत्यंत श्रद्धा से श्री मधुदीपजी, श्री सुरेश शर्माजी, रविप्रभाकर जी, ग्वालियर के श्री राजकमल सक्सेना जी और खंडवा के श्री आलोक जोशी का भी स्मरण करना चाहूँगा जिनका अपार रचनात्मक सहयोग मुझे हमेशा मिला है और ये सभी, दुर्भाग्य से अब हमारे बीच नही हैं।

ये सारे नाम यादों की तिजोरी में मेरा संचित धन है। 36 वर्ष के लम्बे समय में हो सकता है, बहुत कोशिशों के बाद भी कुछ सहयोगियों का उल्लेख छूट रहा हो, उन सभी से क्षमा। बहरहाल, प्रस्तुत संग्रह मेरा छठवाँ लघुकथा संग्रह है। इसकी भूमिका लेखन के लिए आदरणीय योगराज प्रभाकरजी और डॉक्टर पुरुषोत्तम दुबे जी का कोटि-कोटि आभार। लघुकथा जगत के इन दोनों पुरोधाओं ने अपने व्यस्ततम समय में से इस संकलन की लघुकथाओं को समय दिया, आभारी हूँ कृतकृत्य हूँ। डॉक्टर दुबेजी ने तो भूमिका लिखने से पूर्व संकलन की कई रचनाओं पर मुझसे लम्बी-लम्बी चर्चा की, ऐसे समीक्षक बिरले ही होते हैं। परिवार का सहयोग तो रहा ही है उसके बिना शायद कुछ न हो पाता।

आवरण हेतु पटना के वरिष्ठ लघुकथाकार श्री सिद्धेश्वर, पुस्तक के डिज़ाइन, सेटिंग हेतु श्री इंदर चौधरी, हेमन्त भोपाळे और सुंदर मुद्रण हेतु श्रीजी ऑफसेट का भी आभारी हूँ। उन अनजान श्रमिक हाथों का भी आभार, जिन्होंने इस कृति को छापा, सजाया, सँवारा और आप तक पहुँचाया।

काफी लम्बा विवरण हो गया है, और क्या कहूँ? एक बहुत प्रसिद्ध कॉर्टून रचयिता अपने हर एपिसोड की समाप्ति पर लिखते थे-That's all folks अर्थात आज के लिए बस इतना ही। तो बस ...

आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा में,

27 फरवरी, 2022

अमर बलिदानी

चन्द्रशेखर आज़ाद पुण्यतिथि

• सन्तोष सुपेकर

31, सुदामा नगर, उज्जैन

मध्यप्रदेश

मोबाइल नं. 9424816096

santoshsupekar29@gmail.com

 अनुक्रम

1. इस बार

2. अपकेन्द्रीय बल

3. झुकी नजरों का शुक्रिया

4. 'डेज़ा वू'

5. छोटी बड़ी असमर्थता

6. '24×7'

7. आधे पौने सपने

8. माईम

9. 105 नम्बर

10. उस रक्त स्नान के खिलाफ

11. मीठा-मीठा गप्प

12. वह हत्यारा

13. टूटना और जुड़ना

14. सबसे पहले

15. ऐश और कैश

16. लरजती विनती

17. लौटते कदम

18. ड्रामा और 'ट्रॉमा'

19. आज भी

20. बनकर या दिखकर

21. जमीर की पिटाई

22. बन्द बिजली का झटका

23. गहनार्थी उत्तर

24. झूठ के कैम्प

25. लिस्ट

26. भावनात्मक पटाक्षेप

27. रोशन जवाब

28. त्वरित उदाहरण 

29. कैसे कहूँ?

30. चौदहवें दिन

31. पहियों वाला घर

32. मजबूर ख्वाहिश

33. विवश करवटें

34. आर्तनाद

35. दीवार दरवाजे

36. सहारा

37. विडम्बनाओं के समाज के

38. यू टर्न

39. साइड इफेक्ट

40. सर्विसिंग

41. साथ रहती दूरियाँ

42. अस्सी परसेंट खुशी

43. मरीज की फीस

44. बोनस में !

45. मुस्कुराता मोड़

46. रास्ते का पत्थर

47. आया और आयी

48. दरकार

49. फ्लेशबैक में जाते हुए

50. कड़वी चाशनी

51. इस एंगल से

52. धमाका, शोर के बाद का

53. दूसरा काश

54. होंगे वे कोई और

55. उसने 'नहीं' कहा था

56. बाजार का 'दर्शन'

57. हताशा का लावा

58. एक शाम की सुबह

59. खटाई की मिठास

60. उन मेजों पर

61. बिगड़ते, बनते सुर

62. चक्षु उन्मीलक

63. और, थोड़ी देर बाद

64. बस ऐसे ही, नहीं

65. आशीर्वाद पेटी

66. कड़वी होती मिठाई

67. धारा के विरुद्ध

68. म्यूट

69. सुबह के उस समय

70. प्रॉडक्ट

71. सबसे बड़ी फितरत

72. साढ़े चालीसवाँ बर्थ डे

73. पहली बार

74. उत्ताप

75. बस तभी से

76. पता था उसे

77. यहाँ नहीं

78. रिक्त स्थान

79. जरूरी संकोच

80. अलमारी में रखे 'दिन'

81. पूर्वानुमान

82. एक मई से पहले

83. 'रिमेम्बर'

84. मेरा झूठ

85. विवश प्रस्ताव

86. दिसेंडिंग ऑर्डर-1

87. डिसेंडिंग ऑर्डर-2

88. मुहर

89. अपॉईंटमेंट

90. लेखक-लेखक संवाद

91. अनुताप

92. संकुचन

93. स्थाई कसक

94. एक और अन्वेषण

95. जुड़ाव

96. 'दर्शक दीर्घा'

97. तकनीकी ड्रॉ बैक

98. फायर

99. सिहरन भरा अतीतावलोकन

100. महीन और महान सोच

101. बिना बुलाए

102. रिसाईकलिंग सिस्टम

103. 'संयोग'

104. अपेक्षा और उपेक्षा

105. छः फीट लम्बे हाथ

106. उपचार

107. क्षरण

108. मात्र !!

109. लम्बे समय बाद

110. मरसिया

111. सिजोफ्रेनिया की ओर

112. बर्फ का ताला

113. 'बी प्रेक्टीकल'

114. भूला हुआ विकल्प

115. बैंक फायर

116. अनायास ही

117. ठीक उसी समय

118. रात का सूरज

119. अभी तक

120. शहनाई की कसक

121. विषादयुक्त प्रश्न

122. निवर्सन वस्त्र बाजार

123. वैसे ही

124. किसनू

125. जड़ीभूत

126. लाल बूँदें

127. एनर्जी ड्रिंक

128. टॉपिक चेन्ज

129. रिसाईकल बिन

130. उस दोपहर

131. रिश्तों के रिमोट

132. वरिष्ठ मछली

133. कार्येषु मन्त्री, भोज्येषु माता...

134. हालाँकि

135. वह मजबूरी

136. उदारमना

137. मेले में

138. हल्कापन

139. डैमेज कन्ट्रोल

140. मानवतागिरी

141. रिनोवेशन

142. अंधेरा वितरण

143. मनुष्यों के अलावा

144. दिशा निर्देश

145. केवल दिमाग नहीं

146. भीगी आँखों की हँसी

147. तुआटरा

148. लाइक माइंडेड

149. लाईट-कैमरा रिएक्शन

150. वेल्थ फेसिनेशन

151. लगाम

152. निस्तारण

153. बेताल के सवाल

154. प्रबुद्ध और बुद्ध

सन्तोष सुपेकर

जन्म : 29 जून 1957 को उज्जैन (म.प्र.) में

माता : श्रीमती आशा सुपेकर (स्व.)

पिता : श्री मोरेश्वर सुपेकर 

शिक्षा : एम.कॉम (प्री), आई.टी.आई., पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा

मातृभाषा : मराठी

लेखन के क्षेत्र मेंः वर्ष 1986 से सतत् पत्र लेखन, कविता, लघुकथा, व्यंग्य, कहानी एवं समीक्षा लेखन में भी सक्रिय। आकाशवाणी एवं 40 देशों में सुने जाने वाले इंटरनेट रेडियो 'बोल हरियाणा बोल' पर कविताएँ एवं लघुकथाएँ प्रसारित। विदेशों (मॉरीशस, नीदरलैंड, कैलिफोर्निया) से भी रचनाएँ प्रकाशित। विश्व हिन्दी सचिवालय, मॉरीशस की वार्षिक पत्रिका, 'विश्व हिन्दी साहित्य' में लघुकथाएँ प्रकाशित। 

पुरस्कार व सम्मानः देश की अनेक पत्र-पत्रिकाओं, संस्थाओं द्वारा सम्मानित जिनमें प्रमुख हैं कथादेश नईदिल्ली) की अ.भा. लघुकथा प्रतियोगिता में पाँच बार पुरस्कृत, रेल मंत्रालय का प्रेमचंद पुरस्कार, भोपाल का अम्बिका प्रसाद दिव्य रजत अलंकरण, क्षितिज का प्रथम लघुकथा समग्र सम्मान।

प्रकाशित कृतियाँः 1. साथ चलते हुए (लघुकथा संकलन-2004) 2. हाशिए का आदमी (लघुकथा संग्रह 2007) 3. बंद आँखों का समाज (लघुकथा संग्रह) मराठी संस्करण, 'डोळस पण अंध समाज' पुणे (महाराष्ट्र) से प्रकाशित (2010) 4. चेहरों के आरपार (काव्य संग्रह 2011) अंग्रेजी संस्करण ACROSS THE FACES कोलकाता से 2019 में प्रकाशित 5. भ्रम के बाजार में (लघुकथा संग्रह-2013) 6. यथार्थ के यक्ष प्रश्न (काव्य संग्रह- 2015) 7. हँसी की चीखें (लघुकथा संग्रह-2017) 8. नक्कारखाने की उम्मीदें (काव्य संग्रह- 2020) 9. सातवें पन्ने की खबर (लघुकथा संग्रह-2020), क्षिप्रा थैके गंगा पर्यन्तो (कोलकाता से प्रकाशित संकलन में 20 लघुकथाएँ बांग्ला में अनूदित) :

सम्पादन : शब्द सफर के साथी (लघुकथा फोल्डर-2013), अविराम साहित्यिकी (बरेली, उत्तरप्रदेश) का श्रीकृष्ण 'सरल' विशेषांक (2017), अनाथ जीवन की लघुकथाएँ (2021) तथा उत्कण्ठा के चलते (लघुकथा साक्षात्कार संकलन, 2021)

विशेष : महाराष्ट्र राज्य शिक्षा बोर्ड के कक्षा 10वीं के पाठ्यक्रम में लघुकथाएँ शामिल। लघुकथा कलश (पटियाला) द्वारा स्वयं के लघुकथा अवदान पर आलेख। रचनाएँ अनेक भाषाओं में अनूदित।

सम्प्रति : रेल सेवा से निवृत्ति के पश्चात स्वतन्त्र लेखन में।

सम्पर्क : 31, सुदामा नगर, उज्जैन (मध्यप्रदेश) 456 001 

मो. 94248-16096, santoshsupekar29@gmail.com

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