बाल-मन की दस्तावेजी लघुकथाएँ / डॉ. रामकुमार घोटड़

बाल-मन की दस्तावेजी लघुकथाएँ

कथाकार : डॉ. रामकुमार घोटड़


प्रकाशक : ग्रन्थ विकास

सी-37, बर्फखाना, राजापार्क, जयपुर

दूरभाष : 0141-2322382, 2310785, 4022382, 

Mob.: 9314202010

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Available on : amazon.in, flipkart.Com

प्रथम संस्करण : 2024

ISBN: 978-93-6119-084-1

मूल्य : दो सौ पचास रुपये मात्र

© : लेखकाधीन

दो शब्द : बतौर बाल-लघुकथा लेखन

  डॉ. रामकुमार घोटड़

मेरे लेखकीय जीवन को चार दशक पूर्ण हो गये। मैं अपने आपको मूलतः एक लघुकथाकार मानता हूँ। मेरे लेखन की निन्यानवें प्रतिशत लेखन सामग्री लघुकथा विषयक है। मैंने साहित्यिक लेखन की शुरुआत व्यंग्य रचनाओं से की, फिर कहानी लेखन की ओर मुड़ गया। लेकिन न जाने मुझे इस लेखन से संतुष्टि नहीं मिली। साहित्यिक पत्रिकाओं में मेरी प्रिय पत्रिका 'सारिका' रही है, विद्यार्थी जीवन में पुस्तकालयों में जाकर जब पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ता था तब मेरा अधिकतर ध्यान 'सारिका' पढ़ने को होता था। सारिका में कहानियों के अलावा लघुकथाएँ भी प्रकाशित होती थीं जो कम से कम शब्दों में बहुत कुछ कहती एक सम्पूर्ण कहानी जैसा मर्म देती थी। मैं सबसे पहले 'सारिका' के पृष्ठों में ऐसी लघु कलेवरीय रचनाएँ तलाशता और एकाग्र भाव से उन्हें पढ़ता था और पूरी पत्रिका न पढ़ पाने के बावजूद भी, इन लघुआकारीय रचनाओं के पठनौपरान्त अपने आपको पूर्ण 'सारिका' पढ़ने जैसा संतुष्ट महसूस करता। इसके बाद सन् 1982 में मुझे स्व. मधुदीप के प्रकाशन संस्था दिशा प्रकाशन, दिल्ली से आपकी कृपा है (विष्णु प्रभाकर) व 'बोलते हाशिये' (राजा नरेन्द्र) लघुकथा पुस्तकें पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ और इनमें प्रकाशित लघुकथाओं ने मुझे इतना प्रभावित किया कि मैं सदा-सदा के लिए इस नई विधा से जुड़ता चला गया और इन चार दशकों में इस साहित्यिक विधा लघुकथा विषयक सामग्री को पढ़ा भी बहुत और लघुकथा लेखन किया भी अच्छा खासा।

लघुकथा लेखन में मैंने आम आदमी सम्बन्धित लघुकथाएँ, नारी विमर्श, दलित संदर्भित, राजनैतिक एवं भ्रष्टाचार विषयक, किन्नर समाज, बुजुर्ग जीवन शैली के अलावा लगभग सभी विषयों को मैंने अपने लघुकथा लेखन में समेटा है। जिसमें एक प्रतिशत से भी कम संख्या में बाल लघुकथाएँ मेरी कलम से निकली हैं। हालांकि मैंने कभी भी बाल-लघुकथा लेखन की मानसिकता लिये लघुकथाएँ नहीं लिखी। स्वतः ही स्वाभाविक तौर से ऐसी रचनाएँ मेरे लघुकथा लेखन के दौरान लिखी गई।

सन् 2023 के शुरुआती माह में मेरे पास राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर (राजस्थान) द्वारा प्रेषित डॉ. कमल चोपड़ा की बाल लघुकथा पुस्तक 'कल की शक्ल' समीक्षार्थ आयी। समीक्षा करते वक्त मैंने इस बाल लघुकथा संग्रह को बहुत गहराई से एकाग्रचित होकर पढ़ा और जाना, परखा पुस्तकीय संगृहित रचनाओं को। पुस्तक में संकलित सभी रचनाएँ, बाल-मन की स्वाभाविक मानसिकता को दर्शाती, बाल जीवन शैली से जुड़ी लघुकथाएँ हैं। डॉ. कमल चोपड़ा की विषय विशेष पर आधारित बाल मनोविज्ञान की अवधारणा को स्पष्ट करती इन बाल लघुकथाओं ने मुझे बाल लघुकथाएँ लिखने को प्रेरित किया जो इस पुस्तक 'बाल-मन की दस्तावेजी लघुकथाएँ' संग्रह का आधार बनी।

मेरे लघुकथा लेखन में जाने-अनजाने में लिखी गयी बाल-मन की लघुकथाएँ भी तलाश करने पर मुझे काफी संख्या में मिल गयी और इतनी संख्या के बराबर मैंने वर्ष भर में नयी लघुकथाएँ भी रच डाली। इस प्रकार एक नये बाल लघुकथा संग्रह की सामग्री तैयार हुई जो एक पुस्तकीय रूप में आपके समक्ष रखने का साहस कर रहा हूँ।

संग्रह में प्रकाशित लघुकथाओं की समीक्षात्मक टिप्पणी देने से पूर्व एक विचार आया कि यह जिम्मेदारी ऐसे साहित्यकार को दी जाये जो एक प्रतिष्ठित लघुकथाकार होने के साथ-साथ, बाल साहित्य में भी स्तरीय भूमिका का निर्वहन करता हो। बहुत सोच-विचार करते हुए तथा साहित्यिक मित्रों से राय मशविरा करने पर डॉ. शील कौशिक का नाम जेहन में उभर कर आया और उन्होंने इस जिम्मेदारी का कुशलतापूर्वक निर्वहन करते हुए, ईमानदारी व निस्वार्थ भाव से स्तरीय समीक्षात्मक दृष्टिकोण रखा, जो पुस्तक की एक धरोहर बन गया। अतः मैं डॉ. शील कौशिक को दिल की अन्तः गहराइयों से हार्दिक आभार करता हूँ।

डॉ. कमल चोपड़ा को भी मैं साधुवाद देना चाहूँगा कि उनकी बाल- लघुकथा लेखन शैली से प्रेरित होकर मैं यह बाल लघुकथा संग्रह, हिन्दी लघुकथा साहित्य में ला पाया तथा साथ में मैं उन सभी साथियों को भी धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने पुस्तक प्रकाशन में मुझे सहयोग दिया।

अन्ततः मैं आप सभी पाठक महानुभावों से निवेदन करना चाहूँगा कि पुस्तकीय उद्देश्य को रखने में मैं कितना सफल रहा हूँ, अपनी बेबाक टिप्पणी दें। धन्यवाद !

बाल-दिवस

2023

अनुक्रम

दो शब्द : बतौर बाल-लघुकथा लेखन।            - डॉ. रामकुमार घोटड़

जिज्ञासु बाल-मन की झकझोरने वाली लघुकथाएँ - डॉ. शील कौशिक

बाल लघुकथाएँ : एक साहित्यिक दृष्टि            - डॉ. रामकुमार घोटड़ (xv)

• भाग-एक • लघुकथाएँ

1. खुशनसीब

2. शूद्र की औलाद

3. धुँधलाते पृष्ठ

4. रोटी की गंध

5. बूढ़ों का रिवाड़ा

6. चाँद पर रोटी

7. शंकित पल

8. पैण्ट की सिलाई

9. टेस्ट-ट्यूब की औलाद

10. समझ का फर्क

11. शक्ल-जात

12. भगवान किसका है?

13. खून का अंश

14. अबोध ज्वाला

15. एक बालक की जिज्ञासा

16. शब्द-यान

17. बेटा-बेटी

18. फिसलन

19. मासूमीयत भरी बातें

20. कोरोना काल

21. बाल-मन

22. दर्पण के उस पार

23. बिछोह

24. नसीब

25. धर्म की जड़

26. दिव्यदृष्टि

27. परनारी गमन

28. आळ-जंजाल

29. भिखारी की चिन्ता

30. अनजान रिश्ते

31. सगुनी दिन

32. उम्र का दौर

33. बंधे हाथ के जीव

34. घर-घर की कहानी

35. पुनर्जन्म

36. कर्मों की परिणिति

37. अँधेरों के दीपक

38. जन्मदिन का तोहफा

39. एक ही भगवान

40. तुनकमिजाजी

41. एक तस्वीर ऐसी भी

42. आश्वासन

43. इस बार

44. एक मासूम की जिज्ञासा

45. एक मजबूरी

46. स्कूली ड्रेस

47. संदेश

48. अवसाद के दिन

49. नियन्ता

50. मजबूरन

51. गुब्बारेवाला

52. जूठन

53. पिंड छोड़

54. नास्तिकता के क्षण

55. संस्कार-बोध

56. जन्मदिन

57. भगवान का मोल

58. पल-पल जीवन

59. खूँसट

60. उखड़ते पेड़

61. कुतिया ही तो है

62. अहंकारी जीव

63. गरीब लोग

64. दुष्कर्म

65. आदम देही

66. पढ़ाई का अन्त

67. समझने की दरकार

68. नारी जूण

69. बालकपणा

70. नसीबीखाना

71. फूल की मार

72. बाल-मानसिकता

73. अनुभव की पाठशाला

74. ऊँच-नीच

75. अल्हड़पना

• भाग-दो • मेरी लघुकथा-यात्रा

मेरी लघुकथा-यात्रा/डॉक्टर रामकुमार घोटड़

डॉक्टर रामकुमार घोटड़


जन्म- 02 दिसम्बर, 1951 गाँव- भैंसली, तहसील- राजगढ़, चूरू (राज.)

शिक्षा- एम.बी.बी.एस., एम.एस. (प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ)

सम्प्रति - राजस्थान सरकार से सेवानिवृत्त, चिकित्सक

प्रकाशित पुस्तकें - एकल-लघुकथा-संग्रह: 1. तिनके तिनके (1989), 2. प्रेरणा (1994), 3. क्रमश: (2002), 4. रूबरू (2006), 5. आधी दुनिया की लघुकथाएँ (2009), 6. मेरी श्रेष्ठ लघुकथाएँ (2009), 7. संसारनामा (2012), 8. रजत कण (2014), 9. दर्पण के उस पार (2015), 10. सामाजिक सरोकार की लघुकथाएँ (2017), 11. प्रजातंत्र के सारथी (2018), 12. मेरी चुनिंदा लघुकथाएँ (2019), 13. बुजुर्ग जीवन शैली की लघुकथाएँ (2019), 14. मेरी बीसवीं सदी की हिन्दी लघुकथाएँ (2021), 15.70 लघुकथाएँ (2022), 16. संवादात्मक लघुकथा (2023), 17. नई सदी की मेरी लघुकथाएँ (2023), 18. बाल मन की दस्तावेजी डॉ. रामकुमार घोटड़ लघुकथाएँ (2024), 19. नौ-रत्नी लघुकथाएँ (2024)

सम्पादित लघुकथा संकलन : प्रतीकात्मक लघुकथाएँ (2006), पौराणिक संदर्भ की लघुकथाएँ (2006), अपठनीय लघुकथाएँ (2006), दलित समाज की लघुकथाएँ (2008), लघुकथा-विमर्श (2009), भारतीय हिन्दी लघुकथाएँ (2010), देश-विदेश की लघुकथाएँ (2010), राजस्थान के लघुकथाकार (2010), भारत का हिन्दी लघुकथा संसार (2011), कुखी पुकारे (2011), एक सौ इक्कीस लघुकथाएँ (2011), हिन्दी की समकालीन लघुकथाएँ (2012), किसको पुकारू (2012), आजाद भारत की लघुकथाएँ (2012), गुलाम भारत की लघुकथाएँ (2014), लघुकथा पड़ाव और पड़ताल खण्ड-12 (2015), हिन्दी की प्रतिनिधि लघुकथाएँ (2016), दलित जीवन की लघुकथाएँ (2017), स्मृति-शेष लघुकथाकार (2018), लघुकथा सप्तक (2018), प्रतिनिधि हिन्दी लघुकथाकार (2019), लघुकथा सप्तक-2 (2019), किन्नर समाज की लघुकथाएँ (2019), लघुकथा सप्तक-3 (2019), लघुकथा सप्तक-4 (2019), लघुकथा सप्तक-5 (2020), दलित सन्दर्भ की लघुकथाएँ (2020), लघुकथा सप्तक-6 (2020), आधुनिक हिन्दी लघुकथा का पूर्वार्द्ध-काल (1971-1990) (2020), लघुकथा सप्तक-7 (2021), हिन्दीत्तर लघुकथाएँ (2021), बीसवीं सदी का हिन्दी लघुकथा इतिहास (2021), विभाजन त्रासदी की लघुकथाएँ (2021), राजस्थान का हिन्दी लघुकथा साहित्य (2023)

अन्य प्रकाशित पुस्तकें : कहानी संग्रह-3, व्यंग्य संकलन-3, बाल साहित्य-3, विविध साहित्य-10, राजस्थानी भाषा में-8 अन्य भाषा में अनुवादित पुस्तकें: 1. डॉ. रामकुमार घोटड़ दी लघुकथावां (पंजाबी-2016) अनुवादः जगदीश राय कुलरियां।

2. डॉ. रामकुमार घोटडेर लघुकथा (बंगाली-2023) अनुवादः बेबी कारफार्मा।

3. डॉ. रामकुमार घोटड 'स 80 शोर्ट स्टोरीज (अंग्रेजी-2023) अनुवादः अशोक कुमार मंगलेश।

सम्मान एवं पुरस्कार- डॉ. अम्बेडकर फैलोशिप (1987), डॉ. परमेश्वर गोयल लघुकथा शिखर सम्मान (2006) एवं राजस्थान साहित्य अकादमी विशिष्ट साहित्यकार सम्मान (2023) सहित राष्ट्रीय स्तर की दर्जन भर विभिन्न साहित्यिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत।

विशेष - डॉ. घोटड़ के लघुकथा साहित्य पर एक शोधार्थी द्वारा पीएच. डी. एवं चार शोधार्थियों द्वारा एम. फिल. शोध किया गया। हिन्दी की प्रतिनिधि लघुकथाएँ (1875-2015) लघुकथा-संकलन, उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, जलगाँव के स्नातक कक्षा के पाठ्यक्रम में स्वीकृत।

सम्पर्क सूत्र - निराला अस्पताल सादुलपुर (राजगढ़), जिला- चूरू (राज.)-331023 

मो.- 9414086800



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