तीसरा तांडव / कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना

पुस्तक  :         तीसरा तांडव                      (लघुकथा-संग्रह)

कथाकार  : कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना

ISBN: 97893-91484-52-1

मूल्य : रु. 260/-

प्रथम संस्करण 2024

© लेखक

आवरण : कांता रॉय

प्रकाशक 
अपना प्रकाशन, 54/ए, सेक्टर-सी, बंजारी, कोलार रोड, भोपाल 462042 (म.प्र.) 
फोन: +91 9575465147 roy.kanta69@gmail.com

अपनी बात

सतत् सृजन शृंखला के तारतम्य को जारी रखते हुए मैं, 'गिरिजेश' एक बार फिर 'तीसरा तांडव' शीर्षक से आपके सन्मुख हूँ। तीसरा तांडव कोई धर्म गाथा या आदि पुरुष शंकर भोले नाथ का नया शाहकार या अवतार नहीं है, सीधे साधारण शब्दों मैं पहला लघुकथा संग्रह 'चाणक्य के दाँत' (72), आपके समक्ष रखा। आपका प्यार प्रेरणा स्वरुप 'गांधी के आँसू' (101) आपके समक्ष रखने का साहस कर पाया।

उसके बाद थोड़ा विधा परिवर्तन हुआ और 'निजाम-ए-भोपाल' सैनिक इतिहास हिंदी रूपांतरण, 'पतझड़ के फूल', 'प्रेमगीत काव्य संग्रह' और 'तुणीर' (व्यंग्य काव्य संग्रह) आपके कर कमलों तक पहुँचे। इस मध्य लघुकथाएँ जो जीवन का एक निरंतर प्रवाह हैं, भी आकार लेती रहीं, गति थोड़ी-धीमी रही तो क्या, इसलिए कि लघुकथाएँ लिखी या रची नहीं जातीं अपितु मन-प्राण, घट-घट घटना में प्रतिभूत होती हैं। मेरा सम्पूर्ण लेखन ही सामाजिक ताने-बाने की अल्वटों के समान है और लघुकथाएँ तो आती ही जीवंत पलों से हैं। 'तीसरा तांडव' में मैंने कुछ विभिन्न प्रकार का कलेवर यानी घर-संसार परिवार से हटकर जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूना चाहा है।

नारी-विमर्श में हर कोई नारी सशक्तिकरण, नारी शोषण आदि पर भेड़-चाल में लिख रहा है, मैंने इससे हटकर नारी जीवन के अन्य पक्षों को भी छूना चाहा है जो आप विभिन्न रचनाओं में परिलक्षित पायेंगे। कुछ लघुकथाएँ लोकोक्ति आधारित हैं जिनमें लोक विषयों को उठाया है, कहीं मानवेतर विषयों को उठाया है, कोरोना की विभीषिका के भी कुछ उद्धरण हैं, इन्हीं कारणों से तीसरे लघुकथा संग्रह को अनायास ही 'तीसरा तांडव' कह गया, कह दिया सो कह दिया और वही नाम रख दिया।

'तीसरा तांडव' नामकरण करने के पूर्व लेशमात्र भी आभास नहीं था कि जीवन का असली और भयावह 'तांडव' मेरी प्रतीक्षा कर रहा है। प्रेमव्यथा 'पतझड के फूल' और व्यंग्य काव्य 'तूणीर' प्रकाशक को अगस्त 2023 में देकर नववर्ष का आगाज, अभिनन्दन इस संग्रहों से करना चाहता था पर करनी को कुछ और करना था। मेरे प्रेरणा स्त्रोत्र चार स्तंभों मीना-पूजा-आरती उपासना में से एक स्तम्भ 'उपासना' 05 जनवरी 2024 को ढह गया। महाकाल के इस अकाल प्रहार से एक जनवरी मैंने अपने आपको टूटा-सा पाया। (उपासना जो अब साथ ना होकर भी साथ है) गिर कर उठना, टूट कर जीना ही तो मानव जीवन है। एक बार फिर... संग्रह की अंतिम रचनाओं में कुछ कटु अनुभव चित्रित हैं, संभव है वे लघुकथा की परिधि में न समायें, पर यदि साहित्य समाज का दर्पण है और लेखक को समाज के साथ जीना है तो समाज को भी लेखक के साथ जीना होगा, लेखक के साथ जीना होगा, उसका हाथ थामना होगा। जब समाज की बात हो तो समाज का हर सदस्य जो आपके साथ खड़ा हो महत्वपूर्ण होता है। जी हाँ, उपासना के बाद मैं एक माँस के लोथड़े के समान बिखरा पड़ा था, जब कांता ने परिवार के सदस्य के माफिक मुझे, मेरी रचनाओं को समेटने का जतन किया और 'तीसरा तांडव' का ड्राफ्ट तैयार कर 19 जून 2024 'लघुकथा पर्व' के अवसर पर लोकार्पण करा कर मेरा मनोबल बढ़ाया। मुझे दोबारा खड़े होने में लाठी बन सहारा दिया। मैं बहन कांता को आभार या धन्यवाद जैसे छोटे शब्दों से तौल कर उऋण नहीं हो सकता, उनका स्थान इनसे कहीं परे....।

अंत में उन सभी पात्रों एवं काल्पनिक पात्रों का आभार जिनने जाने-अनजाने में ही सही, मेरी रचनाओं को आधार पृष्ठभूमि दी। प्रियेश्वरी मीना-के साथ पूजा-आरती-उपासना (उपासना) जो अब साथ न हो कर भी साथ है को कृति का मन-प्राण समर्पण।

भोपाल                                    गिरिजेश
05 अप्रैल 2024

अनुक्रम

1. अनजानी माँ
2. अनर्थ
3. कमाल ए कोरोना
4. कलयुग का धन्वन्तरी
5. जिन्दगी हार-जीत
6. आँख का दर्द
7. एहसान फरामोश
8. कंकालों की अंत्येष्ठी
9. मेरा गुनाह
10. गौ हत्या पाप-निवारण
11. जिद करो-खुद से
12. टच
13. दत्तक धर्म का मर्म
14. दुर्घटना के बाद
15. दुःस्वप्न
16. नारी उत्पीडन
17. निर्बल के बलराम
18. पीढ़ी अन्तर
19. प्रत्युत्पन्नमति
20. प्रश्न
21. बँटवारा
22. बराबरी
23. बहू-बेटी
24. भीख
25. भूल सुधार
26. माँ के डैने
27. मौत का मुकदमा
28. राष्ट्र और राष्ट्रवादिता
29. राष्ट्रीय सरकार
30. लिव-इन
31. शहर में शेरनी
32. नसीहत
33. फायदे का गणित
34. पेशी
35 और कछुआ जीत गया
36. दोषी
37. जिन्दगी का 'पाला बदल'
38. गणेशोत्सव
39. भैंस खड़ी पगुराये
40. कर्तव्य बोध
41. बिन ब्याही माँ
42. परसा परसु परसराम
43. धुरंधर पारी
44. इंसानी फितरत
45. लाठी में देर है
46. बेईमान ईमानदार
47. पराई औलाद
48. साँप का बच्चा
49. मकड़ी
50. बारह बजे
51. वात्सल्य
52. हिन्दी
53. सूरत सीरत
54. नाक में नकेल
55. हत्यारिन
56. सोच की बदल
57. शॉर्ट सर्किट
58. आदमी मैं आदमी
59. जिसकी लाठी
60. हादसा
61. एक वार्तालाप
62. दूध का दूध
63. अपना तो फाइनल
64. उत्तम विद्या
65. पहले आप
66. उपहार
67. खुद्दार
68. खोटा सिक्का
69. देव लोक में आग
70. सॉरी
71. ठहाका
72. हद्दे बेहयाई
73. हारी हुई बाजी
आत्म परिचय

कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना

जन्मादि : जन्म 23 मार्च 1947 को भोपाल में। पुत्र स्व. श्री श्याम किशोर सक्सेना

प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा : बिर्जीसिया स्कूल, भोपाल उच्चतर माध्यमिक शिक्षा शा.उ.मा विद्यालय, होशंगाबाद

बी.एस.सी. - नर्मदा महाविद्यालय होशंगाबाद (म.प्र)- (1965-1966)

एमबीबीएस - गाँधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल म.प्र. (1966-1970)

PDGHA- आई.एस. एस. आर. वेल्लोर तमिलनाडु- (1990-1992)

MDBA- सिम्बायोसिस पुणे (1996-98)

PGDMLS- सिम्बायोसिस पुणे (1998-99)

MIHA - मेम्बरशिप इंडियन हॉस्पिटल असोसिएशन, MIPHA - मेम्बरशिप इंडियन पब्लिक हेल्थ असोसिएशन, MIMA- मेम्बरशिप इंडियन मेनेजमेंट असोसिएशन, NABH- क्वालिटी कंट्रोल काउन्सिल आफ इंडिया (2010)

लघुकथा लेखन प्रमाणक रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल (2024) करियरः भारत-पाक युद्ध 1971 से मार्च 2003 तक दीर्घ सेवा के पश्चात् मिलिटरी अस्पताल, भोपाल से सेवानिवृति। सेवानिवृति के पश्चात् ई सीएचएस पॉलिक्लिनिक भोपाल तथा जे.के. हॉस्पिटल, भोपाल में मेडिकल सुपरिंटेंडेंट पद पर कार्य किया। वर्तमान में प्राइवेट प्रक्टिस, अस्पताल एवं स्वास्थ प्रबंधन सलाहकार तथा नेशनल एक्रीडीटीटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल (NABH) के सलाहकार के रूप में कार्यरत।

साहित्यक यात्राः हिंदी साहित्य में सृजन साठ के दशक से सदा सर्वदा निर्बाध, परन्तु सैनिक के बंजारा खानाबदोश जीवन के कारण स्वान्तः सुखाय। 'दी एक्स मैन' (द्विभाषी) पत्रिका-सेवानिवृति के बाद 2003 से 2012 तक का लेखन, संपादन एवं प्रकाशन किया।
प्रकाशित कृतियाँ:

कामयाब सफरनामा - (कर्मठ जीवनी संग्रह 2012) हेक्सास चेम्बर्स, एयरपोर्ट रोड, भोपाल, रीप्रिंट नोशन प्रेस, चेन्नई (2016), किंडल-ई बुक नोशन प्रेस चेन्नई 11 जनवरी 2021

प्रतीक्षालय - (काव्य संग्रह-2012) हेक्सास चेम्बर्स, एयरपोर्ट रोड, भोपाल चाणक्य के दाँत - (लघुकथा संग्रह-2019) अपना प्रकाशन, भोपाल सत्य तथ्य कथ्य - (कहानी संग्रह:-2020) आईसेक्ट प्रकाशन, भोपाल

गांधी के आँसू - (लघुकथा संग्रह-2021) आईसेक्ट प्रकाशन, भोपाल

पतझड़ के फूल - (काव्य संग्रह-2024) आईसेक्ट प्रकाशन, भोपाल

तुणीर - (व्यंग्य काव्य संग्रह-2024) आईसेक्ट प्रकाशन, भोपाल

अनुवाद - निजाम ए भोपाल (भोपाल नवाब शाही रियासत का सैन्य इतिहास) विज बुक्स इंडिया, दरियागंज, नई दिल्ली।

साँझा प्रकाशन - अक्षरा मासिक-राष्ट्र भाषा प्रचार समिति, हिंदी भवन, भोपाल, गुंजित मौन, समय की दस्तक, दस्तावेज (2017-18 ई- लघुकथा संग्रह जुलाई 2021)

दृष्टि - समकालीन लघुकथाएं जनवरी 2020, श्रेष्ठ काव्य संगम (खंड-1) हम और तुम (काव्य संग्रह), कर्णामृत (मैथिल त्रिमासिक) लघुकथा विशेषांक, मेरी हिंदी रचनाओं का मैथिल अनुवाद, लघुकथा कलश-योगराज प्रभाकर, पटियाला, उर्वशी, भोपाल लघुकथा विशेषांक, लघुकथा संग्रह (जुलाई 2021)- विश्व भाषा एकेडमी (राजस्थान), संरचना वार्षिक, दिल्ली संपादक-कमल चोपड़ा, मानवता की लड़ाई, सम्पादक-कान्ता रॉय, अपना प्रकाशन, भोपाल। कथा भोपाल (कहानी संग्रह)-आईसेक्ट प्रकाशन भोपाल, संपादक, संतोष चौबे, आदि के अतिरिक्त अक्षरा, लहक मासिक पत्रिका, सत्य की मशाल, सच की दस्तक, लघुकथा वृत अनेक पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर प्रकाशन।

प्रकाशनाधीनः अनाम कहानियाँ (कहानी संग्रह), जिज्ञासा (विज्ञान आधारित बाल कहानियां), झूमर (काव्य संग्रह), टुकड़े (काव्य संग्रह), प्रेम सागर (काव्य संग्रह), फलसफा (काव्य संग्रह) आदि ।

Contact : 
9425006515 / 07554265389 
E mail : girijeshsaxena@gmail.com, sgirijesh@rediffmail.com

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