सोंधी महक / शर्मिला चौहान

                  सोंधी महक                    (लघुकथा-संग्रह)

 शर्मिला चौहान 

प्रकाशक

वनिका पब्लिकेशन्स

रजि. कार्यालयः एन ए-168, गली नं-6, विष्णु गार्डन, नई दिल्ली-110018 

मुख्य कार्यालयः सरल कुटीर, आर्य नगर, नई बस्ती, बिजनौर-246701, उ.प्र

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शीर्षक : सोंधी महक

कथाकार : शर्मिला चौहान

संस्करण: प्रथम 2024

मुखावरण : अपूर्वा चौहान

मूल्य : तीन सौ पचास रुपये $ 25

मुद्रक : प्रतीक प्रिंटर्स, दिल्ली

Title : Saundhi Mahak (Laghukatha in Hindi)

Writer: Sharmila Chauhan

Price: Rs 350/- $ 25

ISBN: 978-81-980288-0-8

सजग और संवेदनशील बनाती लघुकथाएँ

साहित्य अपने समय का कलात्मक इतिहास होता है। मनुष्य के सुख-दुःख, उसकी सोच की परिधि, उसकी शक्ति और कमज़ोरियाँ- सब साहित्य का रूप ग्रहण कर, इतिहास में अंकित हो जाती हैं।

जहाँ लघुकथा का अनेकविध बढ़ता प्रसार, इक्कीसवीं सदी का एक बड़ा साहित्यिक तथ्य है वहीं इसकी कलात्मकता और स्थायित्व को लेकर संशय भी कम नहीं हैं। ऐसे में उन रचनाकारों की ओर ध्यान जाना स्वाभाविक है, जो रचना के दायित्व और गंभीरता को समझते हैं। ऐसे में ही शर्मिला चौहान का पहला लघुकथा-संग्रह 'सोंधी महक' का आना महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

शर्मिला चौहान ने 2019 से ही लघुकथा लिखना प्रारंभ किया है। 'सोंधी महक' की लघुकथाएँ, लेखिका द्वारा अपनी स्वतंत्र शैली विकसित करने के प्रयासों की ओर संकेत करती हैं। दो प्रसंगों या पात्रों की सादृश्यता के साथ समान उद्देश्य का लक्ष्य लेकर, लघुकथा की बुनावट शर्मिला चौहान की प्रिय कथा-युक्ति है। ऐसे में रोचकता, गुणवत्ता, समाहार शक्ति और एक अर्थ में रचनात्मक भाषा आदि की खूबियाँ रचना में आने की प्रबल संभावना रहती है। संग्रह की कुछ लघुकथाओं पर चर्चा करते हैं।

आठ उपखंडों में रखी गई, इस संग्रह की लघुकथाओं में मुख्य रूप से स्त्री-जीवन के विविध प्रसंग मिलते हैं, जिनमें लैंगिक भेदभाव, शोषण, बाल-विवाह, देह-व्यापार, स्त्री की स्वतंत्रता और उसके अस्तित्व के लिए संघर्ष पाठक को कहीं उद्वेलित करते हैं, कहीं पुनर्विचार को बाध्य करते हैं तो कहीं प्रतिरोध-प्रतिकार के ज़रिये आड़े वक्त में राह सुझाते हैं।

इनके अतिरिक्त किसानी, बेरोज़गारी, आर्थिक अभावों की त्रासद स्थितियों के अनेक चित्र खींचे गए हैं।

'गौरैया-बाज' में दफ्तर और बस के दो भिन्न, किंतु वृत्ति-प्रवृत्ति की दृष्टि से एक ही दिशा में जा रहे प्रसंगों को जिस रचनात्मक धैर्य से बुना गया है, वह हिंदी लघुकथाओं में कम ही दिखाई पड़ता है। दोनों प्रसंगों में प्रतीक रूप में बाज भी है और गौरैया भी लेकिन वे कथा के अंग रूप में हैं। इसी कारण पाठक पर उनका स्थायी प्रभाव पड़ता है। इसी गुण के कारण रचना को मुझे 'प्रतिरोध' नाम पुस्तक में शामिल करना पड़ा था।

भारतीय परिवारों में बेटे की अदम्य चाह और बेटी की उपेक्षा का रोग बड़ा पुराना है, जिसके पीछे 'सास' नामक जीव की ऐसी इच्छा कभी अवसर नहीं चूकती। 'रोल' लघुकथा में दादी के शब्द हैं-'हमारे घर में बेल की नहीं, पौधे की ज़रूरत है' जिसका उत्तर पोती के इन शब्दों में है- 'बीज से ही तय होता है कि बेल होगी या पौधा। इसमें मिट्टी का कोई रोल नहीं है।' गूढ़ अर्थ को सहज प्रसंग के प्रतीकात्मक प्रयोग ने जिस सहजता से स्पष्ट किया है, वह पाठक पर अपना तार्किक प्रभाव छोड़े बिना नहीं रहता। ऐसी सांकेतिकता इस संग्रह की अनेक रचनाओं को समृद्धि और सांकेतिकता का आधार प्रदान करती चलती है।

'गाँठें' लघुकथा के अंत में धुनकी का दीवार से टकराना, संकेत की शक्ति से युक्त प्रतिरोध और प्रतिकार का सूचक है। इसी प्रकार 'तालियाँ' का अंत स्त्री के संदर्भ में लेखिका की सदिच्छा का भी सूचक है- 'हरे सिग्नल ने आगे का मार्ग खोल दिया था।' ऐसे प्रसंग (विशेष रूप से घटनाओं का अंबार लगाने वाले, दनादन छपते लघुकथा-संग्रहों के बीच) राहत देने वाले हैं। जरा 'कागवृत्ति' लघुकथा को पढ़ें तो मालूम होगा कि रचनात्मक कल्पना से निःसृत यथार्थ उसे कैसे सहज सौंदर्य से समृद्ध कर जाता है- 'सुशीला ने पास पड़ा एक कपड़ा उठाया और मनोहर को देखते हुए अपने पैरों को समेटकर उन पर डाल लिया।'

लघुकथा के छोटे आकार में अधिक कह आने की सामर्थ्य बहुत कम लेखक विकसित कर पाए हैं। यह कला लेखक को बड़े फलक पर विचरण करने का अवकाश प्रदान करती है।

शर्मिला चौहान की रचना 'टूटता तिलिस्म' में इसे सफलता से साधने का प्रयत्न हुआ है। इसकी एक पंक्ति देखें- 'रिश्तों के महीन धागों में, किसने उसे कितना और कब लपेटा, मालूम नहीं।' भाषा को गहन, अर्थगर्भी और सुंदर बनाने की ऐसी चेष्टाएँ इस संग्रह में अनेकानेक स्थानों पर मिलती हैं।

किसान-जीवन में अभावों की दारुण व्यथा की मर्मांतक कथा पढ़नी हो, तो 'अंतिम सूची' पढ़ जाएँ--पढ़कर मन चीत्कार कर उठता है। संवेदनाओं से भरपूर इस लघुकथा को पढ़ने के बाद पाठक और कुछ नहीं पढ़ सकता। केदारनाथ सिंह जी की, किसानी जीवन की एक कविता की अंतिम पंक्ति याद आ रही है- 'बस यही नहीं जो भूख मिली, सौ- गुना बाप से अधिक मिली।'

संग्रह में और बहुत-सी लघुकथाएँ अपनी खूबियों के कारण ध्यान खींचती हैं। 'सोंधी महक' एक उपेक्षित किंतु गुणवती युवती के साथ पाठक को जोड़ने के कलात्मक प्रयत्न के कारण विशिष्ट कोटि की लघुकथा बन गई है।

'तेजाब', 'काले-उजाले', 'बिन पानी सब सून', 'मन बैरी' (तीन लघुकथाएँ) आदि अनेक लघुकथाएँ सरल वर्णनात्मकता के मार्ग से वि-चलन का नया मार्ग चुनकर, अपनी रचनात्मक क्षमता को सिद्ध करती हैं। इन लघुकथाओं को शब्दों की अल्पव्ययिता, सजग वाक्य विन्या और शिल्पान्विति की दृष्टि से भी पढ़ना नए लेखकों को विशेष रूप सुखद अनुभव प्रदान करेगा।

संग्रह में कुछ कमजोर लघुकथाएँ भी हैं। ध्यान रहे, शर्मिल चौहान का यह पहला संग्रह है। लेखिका सच में बधाई की हकदार है।

अशोक भाटिया

मो - 9416152100

ashokbhatiahes@gmail.com

दिल की कलम से...

माँ आशापुरा की असीम कृपा से, मेरा प्रथम लघुकथा संग्रह 'सोंधी महक' अस्तित्व में आया है। जीवन के सभी पड़ावों को सुखों से संजोने वाली परमशक्ति के आगे, सदा नतमस्तक हूँ।

कहानियाँ लिखने का शौक बचपन से था। लघुकथाओं के आकार, विस्तार के बारे में बहुत जानकारी नहीं थी परंतु अपने भावों को कलम के माध्यम से प्रभावी और कलात्मक रूप देकर, कहानियाँ लिखती रही और पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही।

'लघुकथा के परिंदे' समूह से 2019 में जुड़ाव हुआ, लघुकथा संसार में यहीं से मेरी शुरुआत हुई। विधा को समझने, सीखने और उस पर कलम चलाने के अवसर प्राप्त हुए।

अखिल भारतीय प्रथम लघुकथा प्रतियोगिता 2020 के परिणाम ने, लघुकथा विधा पर मेरे विश्वास को दृढ़ कर दिया। एक नवोदित लघुकथाकार की लघुकथा 'सोंधी महक' को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ।

अब कहानियों से साहित्यिक दृष्टि ने कुछ विचलन किया और जटिलता से सरलता, स्थूल से सूक्ष्म, बृहद से लघु की ओर बढ़ने लगी। हृदय में उपजी संवेदनाओं को अपनी सोच, भाषा के अस्त्र-शस्त्र से शृंगारित करके, सामाजिक विसंगतियों के उन्मूलन में, मैंने लघुकथाओं को सक्षम पाया।

प्रथम पुरस्कृत लघुकथा से प्रथम लघुकथा संग्रह के प्रकाशन तक की मेरी इस यात्रा में अनेक वरिष्ठ लघुकथाकारों, मित्रों एवं परिवारजनों का भरपूर सहयोग मिला।

आदरणीय श्री अशोक भाटिया सर एवं आदरणीय श्री सुकेश साहनी सर (प्रथम पुरस्कृत लघुकथा के निर्णायकद्वय) का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने विधा में आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा दी। आदरणीय अशोक भाटिया सर का मैं विशेष आभार व्यक्त करती हूँ जिन्होंने अपने व्यस्ततम जीवन का अमूल्य समय मेरे लघुकथा संग्रह के लिए दिया। पुस्तक की भूमिका लिखकर आपने मेरे प्रथम लघुकथा संग्रह को अपने मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद से परिपूर्ण किया है, सदैव आभारी हूँ।

अपने लघुकथा संकलनों में मुझे प्रकाशित करके, लघुकथाओं पर परिचर्चाओं के माध्यम से विधा को सहज ग्राही बनाकर, अपने सुझाव एवं प्रतिक्रियाओं के द्वारा मेरी लघुकथाओं को समृद्ध करने हेतु मैं सभी सम्माननीय वरिष्ठ लघुकथाकारों, आदरणीय लघुकथाकार मित्रों की हृदय से आभारी हूँ।

मेरा परिवार, मेरे लेखन का प्रथम समीक्षक और आलोचक है। लघुकथाओं को ध्यान से सुनकर, अपने सच्चे विचारों से मुझे अवगत कराने हेतु, मैं अपने पति श्री राजेन्द्रसिंह चौहान, बेटा अनंत, बहू आकांक्षा को दिल से धन्यवाद देती हूँ।

बेटी अपूर्वा चौहान, जिसने अपने चित्र से 'सोंधी महक' के आवरण को सजाया, धन्यवाद सह आशीर्वाद देती हूँ। मेरी कई लघुकथाओं के उद्गम स्थल, बिटिया के बनाए चित्र रहे हैं।

लघुकथाओं को, पुस्तक का सुंदर मूर्त रूप देने के लिए मैं वनिका पब्लिकेशंस एवं आदरणीया डॉ. नीरज सुधांशु जी का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ। आपके सहयोग, सुझावों के बिना यह असंभव था। मेरे प्रिय सहृदय पाठको, आप हमेशा ही मेरी साहित्यिक यात्रा के सहयात्री रहे हैं। आपका प्यार, विश्वास और प्रतिक्रियाएँ, मेरे लेखन का आधार हैं।

विश्वास है कि मेरे प्रथम लघुकथा संग्रह 'सोंधी महक' को आप वैसा ही प्रेम देंगे जैसा मेरी पूर्व प्रकाशित पुस्तकों को दिया है। आपकी प्रतिक्रियाओं का हमेशा इंतज़ार रहेगा...

शर्मिला चौहान

अनुक्रम

खंड 1: स्त्री विमर्श पर लघुकथाएँ

1. बिकाऊ

2. तेज़ाब

3. गाँठें

4. अंतिम किरदार

5. ऑफर

6. रोल

7. बहती संवेदना

8. अस्तित्व

9. टूटता तिलिस्म

10. घुन

11. काश

खंड 2: प्रतिरोध संबंधी लघुकथाएँ

1. चिंगारी

2. स्वयंसिद्धा

3. न्याय

4. लीक से हटकर

5. गौरैया-बाज

6. तालियाँ

7. हाथी के दाँत

8. कागवृत्ति

9. महुआ

10. अपना आसमान

11. मोलभाव

खंड 3: बाल विसंगतियों पर लघुकथाएँ

1. बेड़ियाँ

2. नई फ्रॉक

3. मुक्ति

4. कच्छप गति

5. कठपुतली

6. गिरगिट

7. दत्तक

खंड 4: समाज के शूल

1. गर्म कोट

2. लाइलाज मर्ज़

3. विस्थापित

4. जकड़न

5. अक्स

6. संभ्रांत

7. माहिर

8. बिन पानी सब सून

9. काले उजाले

10. अंतिम सूची

11. तुष्टिकरण

12. ड्रायक्लीन

13. बोलती मूर्तियाँ

14. अर्धांगिनी

15. अंतर

खंड 5: मानवीय संवेदनाओं से छलकती लघुकथाएँ

1. सोंधी महक

2. भूख

3. सुबह का भूला

4. अपना अपना सच

5. धर्म

6. खुशी

7. बोध

8. बदलता ज़ायका

9. मौन संप्रेषण

10. रसधार

11. विनिमय

12. उजियारा

13. बड़भागी

14. जड़ें

15. हस्ताक्षर

16. मिड डे मील

17. कूबड़

18. संरक्षक

19. शक्ति

20. वापसी

21. अच्छे दाग

खंड 6: पर्यावरण (मेरी आवाज़ सुनो)

1. मन की बात

2. स्पंदन

3. स्वाद

4. घुटन

5. पुनरागमन

6. उन्मुक्त

खंड 7: विभिन्न कलेवरों में लघुकथाएँ

1. मन बैरी

2. मन बावरा

3. जीत का फंडा

4. असैनिक सैनिक

5. एक नाव पर सवार

6. संक्रमण (100 शब्दों की लघुकथा)

7. भ्रमपाश (100 शब्दों की लघुकथा)

8. नामकरण

खंड 8: नए दौर की नई लघुकथाएँ

1. अटैक

2. किरायेदार

3. बागी यंत्रणा

4. आर्तनाद

5. विडंबना

6. बैलेंसिंग

7. कंपनी

8. हकीकत

शर्मिला चौहान 

शिक्षा : एम.एच.एससी., बी.एड.

विधाएँ : लघुकथा, कहानी, हास्य-व्यंग्य, संस्मरण एवं कविताएँ।

प्रकाशित कृतियाँ :

कहानी संग्रह : 'मुट्ठी भर क्षितिज' 2019 ।

कहानी संग्रह : 'रोशनी की अमरबेल' 2024 ।

लघुकथाएँ अनेक साझा संकलनों, पत्र-पत्रिकाओं, साहित्यिक पत्रिकाओं एवं ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित ।

सम्मान एवं पुरस्कार : अखिल भारतीय लघुकथा आयोजन 2020 में प्रथम पुरस्कार, कथा दर्पण साहित्य लघुकथा प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, अंतरा समूह लेखन स्पर्धा 2022 में द्वितीय पुरस्कार, श्रीमती कृष्णा देवी सारस्वत लघुकथा सम्मान 2022 में, साहित्य समीर दस्तक लघुकथा प्रतियोगिता 2022 में पुरस्कृत, सौ शब्दों की लघुकथा आयोजन में प्रथम उपहार, आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र लघुकथा प्रतियोगिता 2023 में द्वितीय पुरस्कार, सिरसा (हरियाणा) हिंदी लघुकथा प्रतियोगिता 2023 में प्रथम, सुगनचंद मुक्तेश स्मृति लघुकथा सम्मान, क्षितिज साहित्य संस्था इंदौर, लघुकथा प्रतियोगिता 2023 का निरंजन जमींदार स्मृति लघुकथा सम्मान, क्षितिज साहित्य संस्था इंदौर, लघुकथा प्रतियोगिता 2024 का सुरेश शर्मा स्मृति सम्मान, कहानी संग्रह 'मुट्ठी भर क्षितिज' को अखिल भारतीय लेखिका संघ म.प्र. द्वारा 2020-21 का गिरजावती देवी पुरस्कार, 'मुट्ठी भर क्षितिज' को स्व. सिद्धार्थ वाटवे स्मृति 2023-24 में विद्योत्तमा साहित्य शिरोमणि सम्मान, लघुकथा के विभिन्न समूहों एवं मंचों से निरंतर पुरस्कृत।

निवास : ठाणे, महाराष्ट्र

मोबाइल : 9967674585

Email: sharmilachouhan.27@gmail.com

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