एक और नाम / डॉ. शील कौशिक
एक और नाम (बालमन की लघुकथाएँ)
डॉ. शील कौशिक
© लेखिकाधीन :
विपिन पब्लिकेशन
VIPIN PUBLICATION
ISBN : 978-81-966504-8-3
पंजीकृत कार्यालय : दूसरी मंजिल, आर.के. टॉवर, एससीओ-2 ओमेक्स सिटी, सेक्टर-28, तिलयार झील के पास, दिल्ली रोड़, रोहतक-124001 हरियाणा (भारत)
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मो. : +91-87995 29553
प्रथम संस्करण : 2024
मूल्य : 300.00 रुपये
मुद्रक : विशाल कौशिक प्रिंटर्स, दिल्ली
आत्मकथ्य
विविध विषयक मेरी इन लघुकथाओं में आसपास के परिवेश और रोजमर्रा के भोगे हुए जीवित पलों की ही यात्रा है। इन जीवंत पलों ने समय-समय पर मुझे स्तब्ध किया, मेरे मन को विचलित किया..
कांटों-सी चुभन से घायल किया... अंतर्मन को कचोटा तथा आक्रोश पैदा किया। इन लघुकथाओं के पात्र (बच्चे) मेरा हाथ पकड़ कर मानो मुझे लिखने के लिए बाध्य करते रहे। मेरी ये लघुकथाएं किसी न किसी अनकहे सत्य की अभिव्यक्तियां हैं।
प्रस्तुत संग्रह के दूसरे भाग में लघुकथा विद्वानों, आलोचकों और समीक्षकों द्वारा समय-समय पर मेरे लघुकथा लेखन पर दी गई बहुमूल्य समीक्षाएँ हैं।
आभार प्रकट करने के शृंखला में सर्वप्रथम लघुकथा में मेरी समीक्षा दृष्टि को पहचानने वाले मेरे बड़े भाई स्व. मधुदीप जी की मैं सदैव कृतज्ञ रहूंगी।
आभारी हूँ मेरी लघुकथाओं का नीर, क्षीर, विवेक से विश्लेषण करने वाले लघुकथा मर्मज्ञों, आलोचकों, विद्वानों सर्वश्री डॉ. पुरुषोत्तम दुबे, बी.एल अच्छा, सविता इंद्र गुप्ता, राधेश्याम भारतीय, कल्पना भट्ट तथा श्रीमती कृष्णलता यादव जी की विशेष रूप से आभारी हूं जिन्होंने मेरी लघुकथाओं को केंद्र में रखकर एक पूरी पुस्तक 'डॉ. शील कौशिक की लघुकथाएं : समीक्षा के वातायन से' का प्रणयन किया।
मेरे जीवनसाथी साहित्यकार डॉ. मेजर शक्तिराज जी एवं परिवार के सदस्यों का सहयोग व प्रोत्साहन मुझे निरंतर मिलता रहा है। यह सदैव बना रहे इसीलिए आभार प्रकट कर उनकी इस भावना से मैं उऋण नहीं होना चाहती।
और अंत में आभारी हूँ प्रकाशक महोदय डॉ. विपिन गुप्त जी की, जिन्होंने इस कृति को अविलम्ब आपके हाथों में सौंपा।
आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि ये लघुकथाएँ आपको पसंद आएंगी। क्योंकि किसी कृति के पाठक ही निर्णायक भूमिका अदा करते हैं कि रचनाकार कहाँ तक सफल हो पाई है। कृपया अपनी प्रतिक्रियाओं से मुझे अवगत अवश्य कराएं ताकि मेरे लेखन को बेहतर दिशा मिलती रहे।
शुभाकांक्षी
शील कौशिक
अनुक्रमणिका
खण्ड 1
क्र. लघुकथा
1. विष बीज
2. बड़ी होती बेटी
3. छुटकारा
4. समझदार
5. एक और नाम
6. पहला पाठ
7. इम्तिहान
8. घर-घर
9. सबसे अच्छे मम्मी-पापा
10. बदलती प्रश्नावली
11. शिक्षा
12. सतर्कता
13. अछूता बचपन
14. संधिकाल की संधि
15. दुखते गोड़े
16. धाकड़ बम्ब
17. मुझसे दोस्ती करोगी
18. दादी-पोती
19. खोते जा रहे पल
20. नई पौध
21. अमंगल
22. उपहार
23. उन जैसे
24. अंतर
25. तमाशा
26. माशी की गुड़िया
27. छोटू का सवाल
28. विजयी मुस्कान
29. टीचर नहीं, ताईजी
30. रंगोली का एक रंग
31. खुशी का रोपण
32. पाँच रुपये का नोट
33. बदल गये पापा
34. जीवन के लिए
35. अच्छा बच्चा
36. फीके गुलाबजामुन
37. लौटता बचपन
38. खाना बनाम रोटी
39. नन्हा शायर
40. बदली हुई दादी
41. बंधन
42. बच्चे... और बच्चे
43. उलझन
44. इच्छाएँ
45. कहाँ गई माँ
46. भूखे नंगे
47. अच्छी दोस्त
48. सच में दादू
49. पर कटी तितली
50. नासमझ
51. चिड़िया क्यों नहीं आती?
52. अवतार
53. नई सदी
54. नास्तिक कहीं का
55. मिटते शब्द
56. फोटो एल्बम
57. असली सपना
58. रिक्शे वाले का बेटा
खण्ड 2
क्र. समीक्षाएँ
1. सामाजिक चेतना को उद्वेलित करते संदली बयार के झोंके - सविता इन्द्र गुप्ता
2. नामचीन लघुकथाकारों की लघुकथाओं की प्रकृति और पाठ पर लिखे समीक्षात्मक आलेखों का दस्तावेजीकरण डॉ. पुरुषोत्तम दुबे
3. समीक्षा : लघुकथा छूटा हुआ सामान - डॉ. बी.एल.आच्छा
4. अनुभव से अनुभूति का अहसास करवाता लघुकथा संग्रहः छुटा हुआ सामान डॉ. राधेश्याम भारतीय
5. संवेदना जागृत करती लघुकथाओं का संग्रह है 'छूटा हुआ सामान' कल्पना भट्ट
लघुकथाकार डॉ. शील कौशिक
हिन्दी साहित्य की विविध विधाओं यथा लघुकथा, लघुकविता, कविता, कहानी, आलेख, समीक्षा व आलोचना की कुल 56 पुस्तकें प्रकाशित ।
मौलिक कृतियां-39, संपादित-7, लेखिका की पुस्तकों का अनुवाद-5, लेखिका पर पुस्तक-5
चार लघुकथा-संग्रह उसी पगडंडी पर पांव, कभी भी कुछ भी, मेरी चुनिन्दा लघुकथाएं, छूटा हुआ सामान।
समीक्षात्मक पुस्तकें डॉ. मानव. की लघुकथाओं का अंतर्पाठ, अनिल शूर आजाद की लघुकथाओं का विवेचनात्मक अध्ययन, हिंदी लघुकथा विश्लेषण में खुलते विविध आयाम, समीक्षा के दायरे में : महिला हिन्दी लघुकथा लेखन।
शोध कार्य : कहानी, लघुकथा, कविता तथा बाल कहानी की पुस्तकों पर तीन पीएच.डी. व छह लघु शोध प्रबंध सम्पन्न। 'हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला द्वारा हरियाणा साहित्य रत्न (पंडित माधव प्रसाद मिश्र) सम्मान (2018), हरियाणा की श्रेष्ठ महिला रचनाकार सम्मान (2014), लघुकथा पुस्तक 'कभी भी कुछ भी' को श्रेष्ठ कृति पुरस्कार (2012)। 'हरियाणा की महिला रचनाकार : विविध आयाम' को श्रेष्ठ कृति श्रेष्ठ कृति मानते हुए हरियाणा ग्रंथ अकादमी, पंचकूला द्वारा प्रकाशित। दो विदेशों (मॉरीशस व नेपाल) सहित देश के 15 राज्यों की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्थाओं द्वारा समय-समय पर शताधिक सम्मान एवं कृति पुरस्कार। इनमें लघुकथा के प्रमुख सम्मान व पुरस्कार हैं- 'रवि प्रभाकर लघुकथा सम्मान-2022', लघुकथा पुस्तक 'कभी भी-कुछ भी' को श्रेष्ठ कृति पुरस्कार, पटना 'लघुकथा रत्न', हरियाणा ग्रंथ अकादमी, पंचकूला द्वारा 'लघुकथा शिरोमणि।
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