क्षितिज/सतीश राठी-दीपक गिरकर

                       क्षितिज                                     (अप्रकाशित लघुकथा विशेषांक)       (•अंक:15 •वर्ष:2024)

                       सम्पादक                           सतीश राठी-दीपक गिरकर

भूमिका

'क्षितिज' संस्था अब 41 वर्ष पूर्ण कर चुकी है। किसी भी संस्था के लिए किसी एक विधा को लेकर इतने लंबे समय तक काम करना महत्वपूर्ण है, जिसे लघुकथा समाज ने रेखांकित करना चाहिए। सिर्फ लघुकथा विधा के लिए समर्पित इस संस्था ने कई विषयों पर कई अंक निकाले हैं और संपादित पुस्तकों का भी प्रकाशन किया है। कुछ ई-पत्रिका भी प्रकाशित की हैं। संस्था के ये सब विविध आयाम उसके सहयोगियों की बदौलत आप सबके सामने आ चुके हैं। गत वर्ष क्षितिज संस्था ने बुजुर्ग जीवन की लघुकथाओं पर विशेष अंक निकाला था और इसके पहले संवादात्मक लघुकथा अंक, समालोचना अंक, विवेचना अंक, सार्थक लघुकथा अंक और भी बहुत कुछ सामग्री प्रकाशित की जा चुकी है। हमारे कुछ साथियों ने यूट्यूब पर वीडियो बनाकर भी क्षितिज संस्था के विभिन्न प्रकाशित अंकों एवं क्षितिज संस्था के विभिन्न आयोजनों की प्रशंसा की है। क्षितिज संस्था के सदस्यों के निवास पर पारिवारिक लघुकथा संगोष्ठी किए जाने का उपक्रम भी इस वर्ष चालू किया गया है जिसे सभी की सराहना प्राप्त हुई है। वर्ष 2018 में क्षितिज संस्था के द्वारा पहला अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसकी विभिन्न पत्र पत्रिकाओं ने अपने विशेष अंकों में भूरी-भूरी प्रशंसा की थी। इस प्रसंग पर क्षितिज संस्था के द्वारा 35 वर्षों में किए गए समग्र कार्यों का अवलोकन करते हुए एक विशिष्ट अंक का प्रकाशन किया गया था, जिसे सारे देश में सराहा गया था। वर्तमान अंक अप्रकाशित लघुकथाओं को लेकर आपके सामने आया है, ताकि पुरानी लघुकथाओं की पुनरावृत्ति से बचा जा सके और नवीन लेखन सामने आ सके।

प्रारंभ में 21वीं सदी की लघुकथाओं का अवलोकन करते हुए श्री बलराम अग्रवाल का एक महत्वपूर्ण आलेख इसमें शामिल है, जिसमें उन्होंने न सिर्फ वर्तमान लेखन के अधिक तीक्ष्ण, संवेदनात्मक, व्यंजनात्मक और कलात्मक स्पर्श वाले स्वरूप की प्रशंसा की है, अपितु उसके प्रभाव पर भी बातचीत की है। यह हम सबके लिए सुखद अनुभूति की बात है। श्री भगीरथ ने अपने आलेख में रचनात्मक लेखन को परिभाषित किया है और उसके प्रभाव की विवेचना की है। नेतराम भारती नई सदी के एक समृद्ध लेखक हैं। उनकी दृष्टि बिल्कुल स्पष्ट है। विविध लघुकथाकारों से साक्षात्कार का महत्वपूर्ण कार्य उन्होंने किया है। लघुकथाकार के साहित्यिक दायित्व पर उन्होंने अपने आलेख में चर्चा की है। ब्रजेश कानूनगो लघुकथा के पुराने लेखक हैं। उनकी दृष्टि बहुत संपन्न है। उन्होंने लघुकथा में प्रयोग की सार्थकता पर अपने विचार रखे हैं। एक और महत्वपूर्ण टिप्पणी सीमा व्यास की है जो स्वयं शीर्ष पर बैठी हुई एक उत्कृष्ट लेखिका हैं। उनका आलेख भी साहित्य को संजीवनी के रूप में लघुकथा को मानता है।

कई लघुकथाकारों की अप्रकाशित लघुकथाएं प्रस्तुत करने के साथ-साथ इसमें क्षितिज के द्वारा आयोजित की गई वैश्विक लघुकथा प्रतियोगिता 2024 में सम्मानित लघुकथाकारों की लघुकथाएं शामिल हैं। कुल मिलाकर यह अंक 21वीं सदी में लघुकथा की दिशा की ओर इंगित करता है और लघुकथा लेखन के लिए एक नई दृष्टि प्रस्तुत करता है। निश्चित रूप से यह अंक लेखकों को उतना ही प्रिय लगेगा जितना उन्होंने पिछले अंकों को पसंद किया है। विविध संस्थाएं प्रदेश में और देश में लघुकथा के लिए निरंतर कार्यरत हैं। उससे भी विधा को समृद्धि प्राप्त हो रही है। क्षितिज संस्था के द्वारा वार्षिक आयोजनों को इस तरह से आयोजित किया जाता है ताकि आने वाले सहभागी एक कार्यशाला के रूप में उस कार्यक्रम से अपने लेखन को और अधिक समृद्ध कर सकें। देशभर से विभिन्न लघुकथाकारों की भागीदारी इस आयोजन में होती है तथा इस प्रतिष्ठित आयोजन में निरंतर सारे देश के विभिन्न लघुकथाकारों का सम्मान किया जाता रहा है जिससे उन समस्त लेखकों का सम्मान हो रहा है जिनके योगदान को सराहा जाना बहुत जरूरी है। मध्य प्रदेश लघुकथा के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित होता जा रहा है जिसमें लघुकथा शोध केंद्र समिति, भोपाल की निदेशक श्रीमती कांता राय का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने लघुकथा कौशल के माध्यम से एक कोर्स का संचालन किया है जिसके द्वारा लघुकथा लेखन कौशल का ज्ञान नए लेखकों को दिया जा रहा है। आने वाला भविष्य उज्ज्वल है और लघुकथा की नई पीढ़ी इस विधा को बहुत आगे तक लेकर जाएगी, इसका हमें पूर्ण विश्वास है। •

सतीश राठी-दीपक गिरकर


अनुक्रमणिका

आलेख 

आने वाला कल / बलराम अग्रवाल 

रचनात्मकता और कथा लेखन / भगीरथ 

लघुकथाकार और उसका साहित्यिक दायित्व  / नेतराम भारती

लघुकथा में प्रयोग:कितने सार्थक कितने निरर्थक  / ब्रजेश कानूनगो

लघुकथा साहित्य की संजीवनी है / सीमा व्यास 

लघुकथाएँ

1. सेल्फ लव/डॉ. अंजना चक्रपाणी मिश्र

2. साँसें जिंदगी की/अंजू निगम

3. ताप/अंतरा करवड़े

4. हिम्मत/आशा वडनेरे

5. एक सरप्राइज/आशागंगा प्रमोद शिरढोणकर

6. धन्यवाद/अदितिसिंह भदौरिया

7. विमर्श/डॉ. अखिलेश शर्मा

8. कामवाली बाई/बी.एल. तिवारी

19. लकड़ी की घंटी/ब्रजेश कानूनगो

10. कथनी-करनी/बालकृष्ण नीमा

11. प्रत्युत्पन्नमति/डॉ. चंद्रा सायता

12. पश्चाताप /चंद्रशेखर दिघे

13. फूल और काँटे/चेतना भाटी

14. पितृ देवो भवः/दिलीप जैन

15. उपहार/दीपक गिरकर

16. सॉरी/कर्नल डॉ. गिरिजेश सक्सेना

17. सुखदायी ज़िद/हनुमान प्रसाद मिश्र

18. पगड़ी का बोझ/ज्योति जैन

19. शर्मिंदगी/डॉ. ज्योति सिंह

20. परिवर्तन/जया आर्य

21. बदलाव की बयार/जितेन्द्र गुप्ता

22. घी की रोटी/कनक हरलालका

23. लौटना होगा/कमल चोपड़ा

24. चलन/कान्ता रॉय

25. चुप्पी/कोमल वाधवानी 'प्रेरणा'

26. ताकत/किशन शर्मा 'कौशल'

27. साथी/ललित समतानी

28 . सम्मोहन/मनोरमा पंत

29. अस्तित्व/मृदुल त्यागी

30. मान/महिमा शुक्ला

31. व्यथा/मनीषा संजीव व्यास

32. इंसानी मोड/डॉ. नीना छिब्बर

33. ममता/नंदकिशोर बर्वे

34. रिहर्सल/डॉ. नखशब मसऊद

35. प्रतीक्षा/निधि जैन

36. बाप, बेटे और माँ/पवन शर्मा

37. हरियाली/पवन जैन

38. निर्णीत झूठ/डॉ. पुरुषोत्तम दुबे

39. घालमेल/आर.एस. माथुर

40. स्पेस/रश्मि स्थापक

41. पगड़ी/रश्मि चौधरी

42. जरूरत/डॉ. रंजना शर्मा

43. जरूरी मैच/राजेन्द्र वामन काटदरे

44. मदर्स डे/रामचंद्र धर्मदासानी

45. कुदरत के बंदे /डॉ. रामकुमार घोटड़

46. आधा-आधा/रेखा सक्सेना

47. थाप/डॉ. ऋचा शर्मा

48. कुछ अधूरे अरमान/रुचिता तुषार नीमा

49. सच्ची सहेली/सपना सी.पी. साहू 'स्वप्निल'

50. रिचार्ज/सतीश राठी

51. सद्भाव/सतीशचंद्र श्रीवास्तव

52. स्वर्ग की सीढ़ी/सुरेश रायकवार

53. बाँसुरी/डॉ. सुनीता श्रीवास्तव

54. दर्द का रिश्ता/सुषमा शर्मा 'श्रुति'

55. नैत्री का बालप्रेम/सुषमा व्यास 'राजनिधि'

56. दुर्योग/सीमा व्यास

57. लघुता/सूर्यकांत नागर

58. सुकून / शेफालिका श्रीवास्तव

59. और चित्र बन गया/डॉ. वसुधा गाडगिल 60. मेहनत की रोटी/डॉ. वर्षा ढोबले

61. रक्षाबंधन/विजय जोशी 'शीतांशु'

62. स्वाभिमान/डॉ. विद्यावति पाराशर

63. दादा/डॉ. विजया त्रिवेदी

64. रिश्तों की परिपक्वता/विनिता शर्मा

65. सुकून/ यशोधरा भटनागर 

66. उल्टा-पुल्टा/प्रो. डॉ. योगेन्द्रनाथ शुक्ल 

पुरस्कृत लघुकथाएँ

67. डफली और राग/मुकेश पोपली

68. सौदागर/डॉ. नीरू मित्तल 'नीर'

69. वापसी/शर्मिला चौहान

70. चयन/डॉ. अखिलेश पालरिया

71. अंतिम बूँद/डॉ. नितिन उपाध्ये

72. मतलब/सतीशचंद्र श्रीवास्तव

73. रिश्ते/सुनीता प्रकाश 

74. जरूरत/लायकराम मानव


सतीश राठी
















दीपक गिरकर 


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