अनुपयोगी / कपिल शास्त्री

लघुकथा-संग्रह  : अनुपयोगी

कथाकार  : कपिल शास्त्री

प्रकाशक

वनिका पब्लिकेशन्स

रजि. कार्यालयः एन ए-168, गली नं-6, विष्णु गार्डन, नई दिल्ली-110018 

मुख्य कार्यालयः सरल कुटीर, आर्य नगर, नई बस्ती, बिजनौर-246701, उ.प्र.

फोन: 09412713640

Email:

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Website: www.vanikaapublications.com

शीर्षक : अनुपयोगी

C : कपिल शास्त्री

संस्करण: प्रथम 2024

मुखावरण : देवीराम प्रजापति

मूल्य : दो सौ तीस रुपये $ 20

मुद्रक : प्रतीक प्रिंटर्स, दिल्ली

Title : Anupayogi (Laghukatha in Hindi)

Writer: Kapil Shastri

Price: Rs. 230/- $ 20

ISBN: 978-81-978084-0-1

अपनी बात

वर्ष 2015 से जो लघुकथा लेखन के सफर की शुरुआत हुई थी उसे वर्ष 2017 में वनिका पब्लिकेशंस, बिजनौर द्वारा प्रकाशित मेरे पहले नघुकथा संग्रह 'जिंदगी की छलाँग' द्वारा एक सम्मानजनक पड़ाव मिला। सी वर्ष प्रकाशित होते साथ ही उज्जैन की साहित्यिक संस्था 'शब्द प्रवाह' द्वारा लघुकथा विधा में प्रथम पुरस्कार मिल जाना और वर्ष 2018 में इंदौर की साहित्यिक संस्था 'क्षितिज' द्वारा नवोदित लेखक सम्मान का मिल जाना निश्चित ही मेरे जैसे नवोदित के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। इससे पूर्व भी फेसबुक लघुकथा ग्रुप्स 'गागर में सागर' व 'लघुकथा के परिंदे', लघुकथा साहित्य', 'नया लेखन' में पाठकों की विश्लेषणात्मक टिप्पणियों ने मेरा काफी उत्साहवर्धन किया था। दो वर्षों में ही मैंने नवीन कथानकों पर अपनी शैली में 100 लघुकथाएँ लिख मारी थीं। निश्चित रूप से इसमें डॉ. नीरज शर्मा जी व लघुकथा शोध केंद्र की निदेशक कांता राय जी द्वारा किए गए उत्साहवर्धन का बहुत हाथ रहा है। आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, बलराम अग्रवाल जी, श्यामसुंदर अग्रवाल जी, सुभाष नीरव जी व स्मृतिशेष मधुदीप गुप्ता जी भी समय-समय पर मार्गदर्शन करते रहे हैं जिसने लघुकथा विधा के प्रति उत्साह बनाए रखा।

इसके उपरांत लघुकथा लेखन का सिलसिला थमा तो नहीं लेकिन उसकी रफ्तार ज़रूर कम हो गई। मेरे लिए सशक्त लघुकथाकार जैसा विशेषण मुझे डरा-डराकर और अशक्त कर देता था और किसी खिलाड़ी की तरह प्रेशर ऑफ परफॉर्मेंस बढ़ा देता था, नतीजतन अगले सात सालों में कुल 50 लघुकथाएँ ही लिख पाया। वरिष्ठ लघुकथाकार व समालोचक जितेंद्र जीतू जी भी अक्सर सलाह देते हैं कि 'अभी पकने दो, और पकने दो।' लेकिन कब पक गई यह तो पाठक ही बता सकते हैं। हो सकता है कि पचास वर्ष के जीवन के अनुभवों के भोगे हुए यथार्थ से मैं कई कथानक निचोड़ चुका था और अब किसी कथानक के घटित होने में इंतज़ार में झक मार रहा था। अब किसी दिए गए विषय पर तुरत-फुस लघुकथा लिख मारने के बजाय में इंतजार करने लगा कि कोई नवीन कथानक ऐसा मिले जो दिल को कचोटे तो लिखूँ। महसूस किया कि ऐस होता भी है कि कोई लघुकथा खुद हमसे लघुकथा लिखवा लेती है। थोड़ी हकीकत थोड़े फसाने के साथ हमारी कल्पना शक्ति मिल जाए तो एक मुकम्मल लघुकथा बन जाती है बशर्ते वो मिले और हमसे कहे कि कलम उठा और लिख। किसी भी प्रतियोगिता के लिए या दिए गए विषय पर लघुकथा लिखने में तो मेरी नानी मरती है। नानी से याद आया कि इसी वर्ष मेरा संस्मरण संग्रह 'नानी का घर' भी प्रकाशित हो चुका है।

लघुकथा ग्रुप्स में जब विश्लेषणात्मक टिप्पणियों का अभाव दिखने लगा तो मैंने और अर्चना तिवारी जी ने वरिष्ठ, गरिष्ठ लघुकथाकार राजेश उत्साही जी को उकसा कर एक स्तंभ 'लघुकथा चौपाल' उनकी ही वॉल पर शुरू करवाया जिसमें राजेश जी आपकी राय लेकर लघुकथा का पहले संपादन करते फिर प्रकाशित करते। इसमें पहले लघुकथाकार का नाम गुप्त रखा जाता तो पाठक बिना नाम जाने बेबाकी से विश्लेषण करके टिप्पणी देते। इस संपादन और विश्लेषण की चक्की में पिसकर भी कई लघुकथाएँ निखरी हैं।

सोचा था कि तीन-चार साल में दूसरा लघुकथा संग्रह प्रकाशित करवा लूँगा लेकिन कोरोना वायरस ने मृत्यु का ऐसा तांडव मचाया कि सब धरा- का-धरा रह गया। इस दौरान हमने अपने परिजन, मित्र व कई साहित्यिक मित्रों को खोया है जो अपूर्णणीय क्षति है। स्वयं मेरी धर्मपत्नी आभा मौत के जबड़े से निकलकर आई है।

अब वर्ष 2024 में मैं अपना दूसरा लघुकथा संग्रह 'अनुपयोगी' प्रकाशित करवाने की हिम्मत जुटा पाया हूँ तो यह सब आप सब पाठकों का प्यार ही है जो हौसला देता है। वरिष्ठ लघुकथाकार व समालोचक डॉ. पुरुषोत्तम दुबे जी ने तबियत से इसकी भूमिका लिखी है। उनके प्रति आभार प्रकट करता हूँ। आशा करता हूँ कि नवीन कथानकों पर आधारित, विविध रंगों में रंगा 'अनुपयोगी' लघुकथा संग्रह पाठकों के लिए उपयोगी साबित होगा।

● कपिल शास्त्री

अनुक्रम

सामान्य-असामान्य

उलट-पुलट जिंदगी

तोरे कारन मेरे साजन

वंश

आभासी विरह

पर्सनेलिटी डेवलपमेंट

गुलाबी बालों वाली गुड़िया

पुकारो... मुझे नाम लेकर पुकारो

फादर्स डे

क्यों नहीं लड़ी

चाँटा

जिंदगी मेरे घर आना

प्रेम का बोध

आर यू श्योर

मकर संक्रांति

सहूलियत (प्रथम-भाग)

सहूलियत (द्वितीय-भाग)

भगवान से नाराज़गी

अबोध

दूसरी विदाई

वक्त-वक्त की बात

कूल अंकल

नीकैप

नए ज़माने की हवा

वो साठ रुपये

जाति-बिरादरी

दुनिया बदल गई प्यारे

तू मेरे साथ कोई रात गुज़ार

न्योछावर

कैश नहीं काइंड

देशी स्वाद

आमना-सामना

जो नहीं लगी

वो माँ नहीं था

अनुपयोगी

आश्वासन

गरीबी का खेल

बरक

अधिकार

अगली डकलिंग

आसक्ति

तलाक

चतुर कौन

आई एम सॉरी

सहारा

योजनाएँ

अच्छा-बुरा

बेटों की माँ

दुर्घटना

स्वयंवर

दृश्यम

कपिल शास्त्री

पता : निरूपम रीजेंसी, S-3, 231A/2A, साकेत नगर, भोपाल-462026 (म.प्र.)

संपर्क : 9302137088

ईमेल : kshastri121@gmail.com

पिता का नाम : स्व. विनोद शास्त्री

माता का नाम : स्व. कविता शास्त्री

जन्म : सन् 1965, भोपाल (म.प्र.)

शिक्षा : मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल, टी.टी. नगर. से वर्ष 1982 में ग्यारवीं पास, बी.एस. सी. (मोतीलाल विज्ञान महाविद्यालय 1986), एम.एससी. (एप्लाइड जियोलॉजी-यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट) बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, वर्ष 1989

लेखन विधा : लघुकथा (2015 से लेखन आरंभ)

प्रकाशित कृतियाँ : लघुकथा संग्रह 'जिंदगी की छलाँग' वर्ष 2017 में वनिका पब्लिकेशंस, बिजनौर द्वारा प्रकाशित। संस्मरण संग्रह 'नानी का घर' वर्ष 2024 में ज्ञानमुद्रा पब्लिकेशन, भोपाल द्वारा प्रकाशित।

• वनिका पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित लघुकथा संकलन 'बूँद बूंद सागर', 'अपने अपने क्षितिज' (संपादन डॉ. जितेन्द्र 'जीतू' व डॉ. नीरज सुधांशु) में चार-चार लघुकथाएँ प्रकाशित।

• राष्ट्रीय पत्रिका 'सत्य की मशाल' और 'अविराम सहित्यकी' में लघुकथा प्रकाशित। 'लघुकथा के परिंदे', 'गागर में सागर', 'लघुकथा साहित्य' जैसे प्रतिष्ठित फेसबुक लघुकथा ग्रुप्स में नियमित रूप से प्रकाशन। 'स्टोरी मिरर.कॉम', 'होप्स मैगजीन', 'प्रतिलिपि.कॉम' में अनेक रचनाएँ प्रकाशित ।

पुरस्कार/सम्मान : शब्द प्रवाह सामाजिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक मंच उज्जैन द्वारा

'ज़िंदगी की छलाँग' को लघुकथा विधा में प्रथम पुरस्कार। इंदौर की 'क्षितिज' साहित्यिक

संस्था द्वारा वर्ष 2018 में नवोदित लेखक सम्मान ।

अट्टाहास पत्रिका में कुछ व्यंग्य भी प्रकाशित। 'पड़ाव और पड़ताल' के 29वें खंड में ग्यारह लघुकथाओं का प्रकाशन व उनकी समीक्षा। हरियाणा रेडियो पर रवि यादव जी द्वारा 'चार रुपये की खुशी' व 'इतना न करो प्यार' लघुकथाओं का प्रभावशाली वाचन व प्रसारण।

संप्रति : राष्ट्रीय, साहित्यिक पत्रिका 'सत्य की मशाल' में समाचार संपादक। वर्ष 1990 से 2004 तक प्रतिष्ठित फार्मा कंपनी 'वोखहार्ड' में कार्यरत। 2004 से वर्तमान तक मेडिकल होलसेल का व्यापार।

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