बड़ी कथाएँ / बलराम अग्रवाल
बड़ी कथाएँ (लघुकथा-संग्रह)
कथाकार : बलराम अग्रवाल
ISBN: 978-93-84453-01-5
प्रकाशक : Vijay Goel, English-Hindi Publisher, S-16, Naveen Shahdara, Delhi-110032
फोन : 011-22324833, 09810461412
ई-मेल: goelbooks1@gmail.com goelbooks@rediffmail.com
मूल्य : रु. 150.00 (पेपरबैक)
©: बलराम अग्रवाल
प्रथम संस्करण : फरवरी 2024
आवरण एवं भीतरी रेखांकन : के. रवीन्द्र
मुद्रक : अमन बुक प्रिंट्स, दिल्ली-32
क्रम
लघुकथा : सृजन और चुनौतियाँ / बलराम अग्रवाल
1. तलाश
2. अधजल गगरी
3. तीसरा आदमी
4. कामरेड कबूतर
5. आम आदमी
6. लोटन साँप
7. विश्वास
8. अन्तर्बोध
9. मच्छी-मार
10. नदी से नेह
11. बातचीत एक देशभक्त से
12. डर
13. बावरा
14. वन्दे मातरम्
15. मनोहर से बातचीत
16. मिलना एक योद्धा से
17. नया विधान
18. मुर्दे बतियाते हैं
19. घोड़ों के व्यापारी
20. सिर्फ रोटियाँ
21. बालकनी में धूप
22. विलाप
23. दांव पर देश
24. साल की पहली सुबह
25. सबूत, दलीलें और फैसले
26. पिता-पुत्र और गधे की कहानी
27. कुत्ते नर्क में नहीं जाते
28. लालची लोमड़
29. दो जिद्दी
30. देश
31. वैशाखनन्दन
32. माँ-बेटा संवाद
33. कथा कहो शिवनाथ
34. आंगन की सफाई
35. ...और अंत में, शून्य
36. बेमुकाबला
37. उपवन
38. अच्छी मम्मी गंदी मम्मी
39. बड़ी खबर
40. निहत्थे लोगों का कोरस
41. सुरंग में लड़कियाँ
42. तम से टक्कर
43. अति सूधो...
44. खारा पानी
45. नरवाहन
46. जिन्दगी-2
47. पालनहार
48. सृजन और विध्वंस
49. दो सखियाँ
50. वसुधैव कुटुम्बकम्
51. हजार बालकों की माँ
52. दिल, देह, सूरज और चाँद
53. जुड़ाव
54. कहानी पुरानी
55. कोउ नृप होय....
56. गुरुमंत्र
57. वनिता वार्ता
58. पलायनवादी
59. मानस जात
60. अहं ब्रह्म अस्मि
61. तत् त्वं असि
62. उसका जाना
63. कुशल प्रभारी
64. अन्तर्सम्बन्ध
65. मलाई वंचित होने पर
बलराम अग्रवाल
जन्म : उत्तर प्रदेश (भारत) के जिला-बुलन्दशहर में 26 नवम्बर 1952 को।
शिक्षा : पीएच.डी. (हिंदी), अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा।
पुस्तकें : कथा संग्रहः सरसों के फूल, जुबैदा, चन्ना चरनदास, खुले पंजों वाली चील, पीले पंखों वाली तितलियाँ तैरती हैं पत्तियाँ, काले दिन, सूली ऊपर सेज। बालसाहित्य : दूसरा भीम, ग्यारह अभिनेय बाल एकांकी, आधुनिक बाल नाटक, अकबर के नौ रत्न, भारत रत्न विजेता, सचित्र वाल्मीकि रामायण आलोचनाः हिन्दी लघुकथा का मनोविज्ञान, परिदों के दरमियां, लघुकथा का प्रबल पक्ष, लघुकथा : चिंतन-अनुचिंतन, कथा काल और प्रवृत्तियाँ, उत्तराखंड ।
अनुवाद व पुनर्लेखन : अण्डमान व निकोवार की लोककधाएँ', 'करोड़पति भिखारी', 'खलील जिब्रान', अनेक विदेशी कहानियाँ, सम्पूर्ण वाल्मीकि रामायण।
सम्पादन : 'मलयालम की चर्चित लघुकथाएँ', 'तेलुगु की मानक लघुकथाएँ' तथा 'समकालीन लघुकथा और प्रेमचंद' (आलोचना)। वरिष्ठ कथाकारों की चर्चित कहानियों के 26 संकलन। 'वर्तमान जनगाथा' का वर्ष 1993 से 1996 तक प्रकाशन संपादन। अनेक पत्रिकाओं के लघुकथा-विशेषांकों का अतिथि संपादघन।
विशेष : लघुकथा संग्रह 'जुबेदा' पर वर्ष 2005 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा से तथा 2020 में उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, मद्रास से 'तैरती हैं पत्तियाँ' पर एम.फिल. किया गया। 2022 में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ से सुश्री चन्द्रेश द्वारा 'बलराम अग्रवाल की लघुकथाओं में अभिव्यक्त सामाजिक सरोकार' विषय पर पी-एच.डी.।
केरल शिक्षा विभाग द्वारा एक बाल एकांकी कक्षा 7 के पाठ्यक्रम में, हि.प्र. शिक्षा विभाग द्वारा एक बाल एकांकी कक्षा 4 के पाठ्यक्रम में, मधुवन बुक्स, मुम्बई द्वारा शिक्षण संस्थाओं के लिए तैयार पाठ्यपुस्तक माला 'गुंजन' में कक्षा 6 के लिए बाल एकांकी 'सूरज का इंतजार' को, ऑक्सफोर्ड एडवांटेज हिन्दी साहित्य माला-3 में वर्ष 2017-18 से काव्य नाटिका 'नहीं रहेंगे अगर जंगल' को तथा लीड संपूर्ण हिंदी फुल बुक सोल्यूशन योजना में 'लालच की सजा' को सम्मिलित किया गया है।
संपर्क : 88264 99115
'बड़ी कथाएँ' पर जोधपुर (राजस्थान)
निवासी वरिष्ठ कथाकार हरिप्रकाश राठी की सम्मति :आदरणीय,
आपकी लघुकथाएँ सचमुच 'बड़ी कथाएँ' ही थीं, अपने कथ्य, तेवर, सम्प्रेषणीयता एवं आंतरिक संदेश में भी। इस पुस्तक को दो रोज पूर्व प्राप्त करना मेरा सौभाग्य था। पुस्तक के 'प्रसंगवश' में आपने ठीक कहा कि विचारधारा की गाँठ लेखकीय स्वातंत्र्य में बाधा है। इस बाधा के चलते लेखकीय-फूल नैसर्गिक रूप से नहीं खिलते। पुस्तक की अनेक लघुकथाएँ आकर्षक, स्ट्राइकिंग बन पड़ी हैं। गागर में सागर जैसी इन कथाओं में आपका कथा-शिल्प देखते बनता है। पैसठ लघुकथाओं का यह संग्रह गुलदस्ते की तरह खुशबू से लबरेज एवं निश्चय ही संग्रहणीय है।
शुभकामनाएँ।
स्नेहाधीन
हरिप्रकाश राठी
4जनवरी 2025
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