काना-बाती / पदम गोधा

काना-बाती

कथाकार  : पदम गोधा

AUTHORS CLICK PUBLISHING

Area no.55, Ashok Vihar, Phase 2, Bilaspur, Chhattisgarh 495001.

www.authorsclick.com

Copyright © 2024, Padam Godha All Rights Reserved

ISBN: 978-93-6665-672-4

Price: ₹199.00

Printed in India

अपनी बात

ढूंढता रहता हूं मैं ऐ इकबाल अपने आप को आप ही गोया मुसाफिर आप ही मंजिल हूं मैं!

इकबाल का यह शेर मेरी जिंदगी का सारांश है। मैंने अपनी लेखनी कोई उपलब्धि प्राप्त करने के लिये कभी नहीं चलाई। बस स्वांत सुखाय के लिये ही लिखा है। गोष्ठियों में कविता पढ़ते हुए साथी कवियों का आग्रह हुआ कि अब एक पुस्तक आ जानी चाहिए। उनकी प्रेरणा हुई तो मेरी लघु कविताएं "मेरी चाहत, " पुस्तक के रुप में आपके समक्ष प्रस्तुत की। आपका भरपूर प्यार इस पुस्तक को मिला। गुरुग्राम प्रवास में लघुकथा लेखिका कान्ता राय जी के सम्पर्क में आया और उनकी प्रेरणा से लघुकथा लेखन की ओर प्रवृत्त हुआ। आदरणीय योगराज प्रभाकर, अशोक जैन जी ने मेरी रचनाओं को अपने पत्र-पत्रिकाओं में स्थान देकर मुझे प्रोत्साहित किया। डाक्टर अशोक भाटिया, श्री बलराम अग्रवाल जी की रचना प्रक्रिया पर पुस्तकें पढ़ कर मार्गदर्शन मिला। और मैं लघुकथा पर मेरी पुस्तक 'फेयरवेल' 74 लघुकथाओं का संकलन आपके समक्ष प्रस्तुत कर सका। उस पर श्री सुकेश साहनी जी की सराहना, व अग्निधर्मा की लेखिका डाक्टर शोभा जैन की सुंदरतम समीक्षा ने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया। उसी से प्रेरणा पा कर मैं कुछ प्रारम्भ काल की व कुछ नयी 68 लघुकथाएं आपके समक्ष पुस्तक "काना-बाती" के रुप में प्रस्तुत कर रहा हूं। यह मेरा दूसरा लघुकथा संग्रह है और तीसरी प्रकाशित पुस्तक है। मुझे आशा है पिछली पुस्तकों की तरह इस पुस्तक को भी आपका भरपूर सहयोग मिलेगा।

इस पुस्तक की भूमिका श्रीमती डॉ. उषा गोयल जो सेवा निवृत्त वरिष्ठ हिंदी की व्याख्याता हैं और अनेक पुस्तकों की लेखिका हैं ने लिखी है। कई पुरस्कारों से सम्मानित डॉ श्रीमती उषा गोयल का उनके सहयोग के लिये हृदय से आभारी हूं।

सदा की तरह मेरे परिवार जन अगर मेरा सहयोग नहीं करते तो इस पुस्तक का प्रकाशन संभव नहीं था। सुन्दर कलेवर में प्रस्तुत करने के लिये प्रकाशन टीम को भी हार्दिक धन्यवाद देता हूं।

अंत में पाठकों व समीक्षकों की प्रतिक्रिया स्वरूप प्रशंसा, आलोचना समालोचना सभी प्रसाद रूप शिरोधार्य है।

आपकी प्रतिक्रिया के इंतजार में

पदम गोधा

बी 2102 आरियो अपटाउन गोल्फ कोर्स एक्सटेंशन रोड सेक्टर 66 गुरुग्राम हरियाणा 122102

ईमेल padamkgodha@gmail.com

अभिमत...

लघुकथाएं अंधेरे को दर्शाते हुए उजली राह भी खोलती हैं

डाॅ. श्रीमती उषा गोयल

लघुकथा साहित्य की वह विधा है जिसमें कम शब्दों में एक घटना एवं विचार को प्रभावशाली रूप से व्यक्त करने की ताकत होती है, ठीक उसी तरह से जैसे दोहे या लघु कविता में कम शब्दों में गहरे अर्थ व्यंजित करने की सामर्थ्य है। प्रबुद्ध कथाकार श्री पदम गोधा की लघुकथाओं में यह विशिष्टता विद्यमान है। उनकी पैनी नज़र ने जीवन के यथार्थ को परखा है और काना बाती नामक अपनी कृति की लघुकथाओं में उकैरा है। परिवार, समाज, राजनीति, धर्म, पत्रकारिता आदि की सच्चाइयों को दिखाया गया है। उनमें सहजता, सरलता और संवेदनात्मकता है। वे मन को छूती और सोचने के लिये उद्वेलित करती हैं।

यह लघुकथाएं अंधेरे को दर्शाते हुए उजली राह भी खोलती हैं। लेखक का आशावादी सकारात्मक दृष्टिकोण प्रभावित करता है। पारिवारिक रिश्ते परस्पर प्रेम वात्सल्य के साथ कुछ समस्याएं, भ्रूणहत्या, बलात्कार, रुढ़ियों पर प्रहार करते हुए लेखक ने प्रगतिशील सोच व संवेदनशीलता प्रकट की है। राजनीति से लेकर थर्म तक में हो रहे भ्रष्टाचार, आडम्बर व पाखंड के विरुद्ध आवाज उठाई है। लेखक ने महिला विमर्श पर सार्थक अभिव्यक्ति दी है। 'बेचारी बंदरिया 'लघुकथा में घर में सभी बहू के बनाये खाने की तारीफ तो बहुत करते हैं लेकिन कोई भी उससे खाना खाने का आग्रह नहीं करता। उसकी हेल्पर चम्पा ने उससे संवाद में अपनी वेदना इस प्रकार उजागर की है "दीदी ! सब आपको बंदर की तरह नचाते रहे और तमाशबीन की तरह खिसक लिए। "

"तू ठीक कहती है चम्पा ! बेचारी बंदरिया करतब दिखाती है पर डोर किसी ओर के हाथ में होती है... मेरी तरह।"

मोडर्न बनने के दिखावे में औरत को बेइज्जत और बदनाम करने पर प्रहार करते हुए 'इज्जत' कथा में "जमाना कोई भी हो औरत की इज्जत एक फूल की तरह होती है। जरा सी हवा चली नहीं कि पंखुरी पंखुरी बिखर जाती है। आदमी तो एक दरख़्त की तरह होता है जो ठूंठ बनकर भी खड़ा रहता है।"

'पंजों में फंसी चिड़िया' में लड़की की बेबस व दयनीय दशा का अंकन है। उसे प्रतिष्ठित व रक्षक कहे जाने वाले दरिंदे ही अपने पंजों में फंसाते हैं और अंततःआत्मघात से बचाने वाली भी बाजार का ही हिस्सा निकलती है। ढोंगी बाबा की वासना के शिकंजे में भोली लड़की फंस कर बेबस हो जाती है। उसकी व्याकुलता, तड़प और विवश दशा को दर्शाती है लघुकथा 'अर्थ'। एनकाउंटर लघुकथा में कन्या भ्रूणहत्या का विरोध किया गया है।

लेखक ने स्त्रियों की वेदना के चित्रण के साथ ही उनके मधुर प्रेम, ममत्व दाम्पत्य जीवन की नोंक-झोंक तकरार और आत्मीय रिश्तों को भी रूपांतरित किया है। 'अवलम्ब' लघुकथा में जिंदगी से निराश होकर आत्महत्या के विचार से झील के किनारे बैठे युवक में 'आशा' की प्रतीक एक सुन्दर लड़की द्वारा प्यार की सुंदरता से आशा व उत्साह का संचार किया गया है। वह उसे जिंदगी से प्यार करते हुए खुशी से जीने के लिये प्रेरित करती है और उसे सहारा देकर डूबने से बचाती है। अंततः उस युवक के पास जीने का मक़सद होता है। 'अनोखा रिश्ता' में सास बहू परस्पर ताने मारती है फिर भी आत्मीयता की डोर से बंधी रहती है। 'पितृछाया' में बहू की आगे पढ़ने की प्रबल इच्छा को देखकर उसके ससुर पढ़ाने के लिये तत्पर होते हैं और उसके सपनों को पंखा देते हैं। इस कथा में बहू को बेटियों के समान समझने व बेटियों को अधिक से अधिक पढ़ाने, विशेष कर बहू के प्रति परम्परागत पिछड़ी सोच छोड़ कर प्रगतिशील उदार दृष्टिकोण रखने का सकारात्मक संदेश दिया गया है। 'कर्तव्य पथ' में एक स्त्री द्वारा गरीब बच्चों के प्रति ममत्व भावनाओं को दर्शाया गया है। 'धरती-पुत्र' में नेता, सेठ, थानेदार और अर्थशास्त्री के साथ ही डाक्टर, वकील और पत्रकार की स्वार्थपरकता, आडम्बर, भ्रष्टाचार और उनके द्वारा गरीब किसान के शोषण और अत्याचार के फलस्वरूप उसके अंत को दर्शाया गया है। कहानी का अंत मन को आक्रोश से उद्वेलित करता है। भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ते हुए ईमानदारी से डटे रहने की लघुकथा है'-दलदल में एक पौधा'! 'ग़रीब मालिक' में नेता द्वारा वोट के खातिर खुदगर्जी से दलित के घर जाकर गिड़गिड़ाना, चापलूसी करना और हमदर्दी का दिखावा करना और ग़रीब दलित का आत्मविश्वास व आत्मसम्मान बताया है। 'मुहब्बत कभी नहीं मरती' में साम्प्रदायिक दंगो के बाद इन्सानियत और मुहब्बत के प्रकाश पुंज की आशा की गई है।

'जरूरत' लघुकथा में बुजुर्गों के सम्मान को दर्शाया गया है। बुजुर्ग बोझ नहीं होते अपितु उनकी भी समय पर अहमियत है। अन्धाधुंध विकास के नाम पर गांव की बर्बादी बताने वाली लघुकथा है 'मेरा गांव खो गया है!' अमेरिका से एक अंतराल के पश्चात मन की शांति व शुद्ध हवा की चाहत रख कर अपने गांव आए हुए व्यक्ति को वहां की दुर्दशा देखकर घोर निराशा व दुख होता है।

समग्र रूप से प्रस्तुत पुस्तक की लघुकथाएं अपेक्षित प्रभाव पैदा करने बाली है। आम बोलचाल की सरल भाषा में ठेठ देशी शब्द और मुहावरे भी हैं। लेखक कथाकार होने के साथ कवि भी है अतः भाव के अनुसार काव्यात्मकता का भी समावेश है। काना-बाती नामक प्रस्तुत कृति रोचक, उपयोगी, और पठनीय है। मैं लेखक श्री पदम गोधा को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देती हूं।

डॉ. उषा गोयल 

वरिष्ठ व्याख्याता, हिंदी (सेवा निवृत्त) 

एम.एस. पी.जी. कॉलेज, जयपुर 

एवं साहित्यकार गुरुग्राम (हरियाणा)

अनुक्रम

1. इन्द्रधनुष

2. निर्माण

3. पिघला हुआ शीशा

4. हैसियत

5. बंद रास्ते

6. सबक

7. कशमकश

8. कर्तव्य पथ

9. तकरार

10. अपेक्षा

11. मुहब्बत कभी नहीं मरती

12. खरपतवार

13. नौकरी

14. अर्थ

15. खूंखार मछलियां

16. अस्तित्व बोध

17. ज्वार भाटा

18. रगें हाथ

19. पुराने खत

20. ब्रेकिंग न्यूज

21. भंवर

22. एनकाऊंटर

23. बेचारी बंदरिया

24. प्रश्न चिन्ह

25. दलदल में एक पौधा

26. पितृ छाया

27. अवलम्ब

28. अनोखा रिश्ता

29. गरीब मालिक

30. यही है जिंदगी

31. धरती पुत्र

32. तम के पहरेदार

33. जरूरत

34. इज्जत

35. हद से छुटकारा

36. खुला मन

37. अनिर्णित फैसला

38. हादसा

39. रथी रावण

40. फर्ज

41. अवशेष

42. लुढ़कते बैंगन

43. पंजो में फंसी चिड़िया

44. खोया हुआ सुकून

45. मनहूस

46. नोंक-झोंक

47. कमजोर का मोल

48. बगुले हमेशा क्यों जीत जाते हैं?

49. केंकड़ा

50. खुदगर्ज

51. मुझे तलाक चाहिए

52. उखड़े हुए दरख़्त

53. दरकते रिश्ते

54. छोटा सा चंद्रमा

55. मंहगाई

56. किस्सा तोता मैना

57. मेरा गांव खो गया है

58. फटी हुई चादर

59. चमगादड़

60. काग सेवा

61. उम्मीद

62. डिजिटल क्लास

63. अनुत्तरित प्रश्न

64. शराफत

65. लाफिंग बुद्धा

66. हौंसलों के पंख

67. मुंदी आंखें

68. काना-बाती

पदम गोधा


जन्मदिन व जन्मस्थान  :
4-5-1948; कोटा (राजस्थान)

पिता का नाम :  स्मृति शेष नेमीचंद गोधा

माता का नाम : स्मृति शेष भ॔वरी बाई गोधा

जीवन संगिनी : उषा गोधा

पुस्तक प्रकाशन

मेरी चाहत (कविता संग्रह)

फेयर वेल (लघुकथा संग्रह)

संकलन :

चलें नोड़ की ओर, लघुकथा कलश, दृष्टि, परिंदों की रजत श्रृंखला, क्षितिज, लघुकथा दर्पण, उड़ मत जाना इत्यादि

पत्र पत्रिकाएं

अविराम साहित्यिकी, सत्य की मशाल, लघुकथा वृत्त, किस्सा कोताह एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाएं;

साहित्य समिति कोटा ज॔कशन, लघुकथा शोध केन्द्र भोपाल द्वारा

सम्प्रति : साहित्य सृजन 

सम्पर्क : बी 2102, आरियो अपर गोल्फ कोटेशन रोड सेक्टर 66, गुरुग्राम (हरियाणा) 122002

मोबाइल : +91 9773722629

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