अनुत्तरित / शगुफ्ता यास्मीन अतीब काजी

लघुकथा संग्रह : अनुत्तरित

कथाकार : शगुफ्ता यास्मीन अतीब काजी

44, न्यू जागृति कॉलोनी, काटोल रोड, नागपुर-13, (महाराष्ट्र)

मोबाइल : 9545588182

ई मेल: editorshagufta@gmail.com, yasminquazi@gmail.com

ISBN No.: 978-93-91817-56-5

प्रकाशक : सृजन बिंब प्रकाशन

301, सनशाइन - 2, के.टी. नगर काटोल रोड, नागपुर - 440013

मोबाइल : 8208529489, 9372729002

ईमेल: srijanbimb.2017@gmail.com

मुद्रक : बालाजी ऑफसेट, दिल्ली - 110032

प्रथम संस्करण : फरवरी 2025

आवरण चित्र- अंजू ठाकुर

रेखाचित्र : शादाब अंजुम, आभा आसुदानी एवं google से साभार

आवरण तथा पृष्ठसज्जा : प्रशांत वानखेडे, नागपुर

मूल्य : ₹250.00

Collection of Short Short Stories

वतन की खुशबुओं सनी लघुकथाएँ

बलराम अग्रवाल

श्रीमती शगुफ़्ता यास्मीन अतीब क़ाज़ी सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता हैं। यह अलग बात है कि समाज सेवा के दायित्व का बड़ा हिस्सा वह लेखन के माध्यम से निभाती हैं। इस दिशा में उन्होंने समय-समय पर अनेक पत्र-पत्रिका सम्पादकों को पत्र लिखे हैं और उनके अनेक पत्र प्रशंसित, सन्दर्भित भी होते रहे हैं। सक्रिय समाज सेवा की दिशा में वह नागपुर में ‘अंतरंग महिला चेतना मंच’ तथा ‘विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन’ की संयोजिका रही हैं। नागपुर की और भी अनेक साहित्यिक संस्थाओं में उनकी उच्च-स्तरीय भागीदारी रही है।

इसी के साथ-साथ शगुफ़्ता कहानी, लघुकथा एवं कविता आदि भी लिखती रही हैं। उनकी कहानियों का एक संग्रह ‘रिश्तों की सौगात’ प्रकाशित हो चुका है।

उनकी इन लघुकथाओं में न केवल मनुष्यों के, बल्कि पौधों व नन्हें जीवों के प्रति भी दायित्व, प्रेम व लगाव के दर्शन मिलते हैं। प्रकृति प्रेम की जड़ें लेखिका के मन में इतनी गहरी हैं कि छुईमुई जैसी लाजवंती घास और बबूल जैसे काँटेदार वृक्ष भी उनकी लघुकथा का विषय बने हैं। संग्रह की अधिकतर लघुकथाएँ भारतीय संस्कार में रचे-बसे विषयों पर बुनी गयी हैं। इनमें बहुत-से पाठकों को दोहराये-से लग सकते हैं तो ‘री-यूज़’ सरीखे उपयोगी विषयों की अनेक में नवीनता भी है। संग्रह की ‘सम्मान’ शीर्षक लघुकथा में व्यंग्य की धार और करुण रस देखते ही बनते हैं तो ‘ताबूत’ में आत्मावलोकन के। कहा जाता है कि लघुकथा में मौन बोलता है।

शगुफ़्ता की ‘संजीवनी बूटी’ में मौन बड़े ही सधे अंदाज़ में मुखर होता है। क्या ही अच्छा होता कि ‘सर उठाकर’ को सीधे फोटो स्टुडियो से ही शुरू किया जाता। कुछेक लघुकथाओं में लेखिका के स्वयं उपस्थित हो जाने की बहुत हल्की-सी झलक मिलती है लेकिन उसे नजरअन्दाज़ किया जा सकता है। ‘गवैया’ हो या ‘मैडम सर’ शगुफ़्ता जी की अधिकतर लघुकथाएँ सामाजिक-पारिवारिक विडम्बनाओं के चारों ओर बुनी मिलती हैं जो कभी टीस देती हैं तो कभी हास्य भी उपजाती हैं। ‘पहचान’ जैसा आपात्कालीन संकट मात्र लड़कियों पर नहीं गहराता, लड़कों पर भी गहराता है; लेकिन लघुकथा में ऐसे संकटों की ओर किसी एक को लेकर ही संकेत किया जा सकता था, सो शगुफ़्ता जी द्वारा समाज के अपेक्षाकृत कमजोर वर्ग को पात्र के रूप में चुनना सही ही ठहरता है।

इन लघुकथाओं से कुछ चुने हुए संवेदनशील वाक्य भी यहाँ प्रस्तुत हैं जो पाठक का ध्यान सहज ही आकर्षित करते हैं—

1-           पौधों में उसके ममतामयी स्पर्श ने जान फूंक दी। (‘फर्क’)

2-           रात के अंधेरे में उसे यह डर सताने लगा कि अगर चिड़िया ने उस बच्चे को नहीं अपनाया तथा दाना लेकर घोंसले में नहीं गई तो बच्चे भूख से बिलखकर मर जाएँगे। जिनकी हत्या का पाप उसके सर चढ़ेगा। (‘स्पर्श’)

3-           वह चाहती है कि आधुनिक युग के बच्चे भी ज़मीन से जुड़ें रहें। वतन की मिट्टी को छू कर निसर्ग के सानिध्य में पेड़ पौधों से प्रेम करते रहें। (‘नन्हीं संवेदनाएँ’)

ये लघुकथाएँ भारतीयों की पारिवारिक, सामाजिक व सांस्कृतिक समरसता के बारीक और अनछुए पहलुओं को पकड़ती और प्रस्तुत करती हैं। आसपास के बहुत-से पल ऐसे हैं जो पाठकों को अपने-जैसे लगेंगे।

शगुफ़्ता की लघुकथाओं का यह पहला संग्रह है जिसकी सफलता एवं सामाजिक-सांस्कृतिक-साहित्यिक उपयोगिता के प्रति मैं आश्वस्त हूँ तथा हृदय से उन्हें शुभाशीष प्रदान करता हूँ।

 

मंतव्य

मन के परिंदे यूं तो बेहद जज़्बाती हैं पर आज़ादी की उड़ान भरने को बेताब रहते हैं। मन में भावनाओं के भँवर से जब भी संवेदनाओं का तूफान उठा तब मैंने उन भावनाओं / संवेदनाओं को शब्द रूपी मोती में पिरोकर लघुकथाओं की माला बनाई। इस तरह लघुकथा संग्रह अनुत्तरित वजूद में आया ।

आसपास की घटनाओं या परिदृश्यों से विशेष क्षणों को आत्मसात कर सधे शब्दों के मोती में पिरोकर एक छोटी कथा, जो पाठक के दिल तक पहुंच कर उसे आंदोलित और उद्वेलित करे उसे लघुकथा कह सकते हैं।

सादगी, स्पष्टता, सुभाषता से कहे शब्द न केवल विधा में चार चाँद लगाते हैं बल्कि पाठकों के मन में विचारों को आंदोलित कर ढेर सारे प्रश्न छोड़कर उनके उत्तर तलाशने को विवश कर देते हैं। किसी विशेष क्षण में छुपे हुए कथ्य और तथ्य के समावेश को उजागर करने वाली रचना लघुकथा है। मैंने कुछ इसी तरह की कोशिश की है। कुछ प्रश्नों को पाठकों के समक्ष रखने का प्रयत्न किया है। अब यह पाठकों पर निर्भर करता है कि वह कितने प्रश्नों के उत्तर इस लघुकथा संग्रह अनुत्तरित से तलाशते हैं ।

मानवीय धरातल पर वर्तमान समाज की विभिन्न समस्याओं को उकेर कर गाँव, शहर, समाज और परिवार की संकीर्णता, शोषण, अवसाद, असमानता, जात-पात, धर्म में बौनी सोच, संकीर्ण प्रवृत्ति, सामाजिक कुप्रथाएं, नई पीढ़ी की सोच, आस्थाओं का संघर्ष, स्त्री विमर्श, स्त्री पुरुष संबंध, अपराध, सांप्रदायिकता, समाज के रुढ़िगत विचारों पर सजगता तथा गिरते मानवीय मूल्य एवं पर्यावरण संवर्धन के प्रति सजगता को मैंने अपनी लघुकथाओं के विषय में शामिल करने का प्रयत्न किया है। लघुकथा संग्रह अनुत्तरित की अधिकतर लघुकथाओं का केंद्र बिंदु महिलाएं हैं ।

अन्य विषयों को भी इसमें समाविष्ट करने का प्रयत्न किया है। मार्च 2021 में रिश्तों की सौगात कहानी संग्रह ने मेरे जीवन के अध्याय में एक नया पन्ना जोड़ा था । लघुकथा संग्रह अनुत्तरित उस अध्याय में एक और नया पन्ना जोड़ने जा रहा है। इस नए पन्ने के इज़ाफ़े से मेरे दिलों दिमाग को संतुष्टि और सुकून की सुखद अनुभूति के साथ बेहद खुशी महसूस हो रही है।

पहली लघुकथा का जन्म 2011 में एक छोटी सी घटना के घटित होते ही हुआ था। उसी क्षण मन में लघुकथा घर कर गई थी। तब से लगातार इसी तरह लघुकथाएं लिखने का सिलसिला चल पड़ा । समय-समय पर उनके प्रकाशित होने से मेरा हौसला बढ़ता रहा। कुछ वर्ष इस साहित्य साधना में व्यवधान के चलते लेखन को विराम लग गया था किंतु फिर से लेखन में सक्रिय हो गई हूं। ये सफ़र इसी तरह से जारी रखना चाहती हूं ।

इस बार ख़याल आया कि बहुत सी लघुकथाएं प्रकाशित हुई है, क्यों न इन्हें इकट्ठा कर संग्रह का रूप दिया जाए। इस कार्य में सबसे बड़ी चुनौती बिखरी लघुकथाओं को ढूंढ कर एकत्रित करना तथा कुछ नई लघुकथाओं को कलमबद्ध करना था। लेकिन जहां चाह वहां राह की तर्ज पर यह काम भी हो गया। कहते है ना कि हम अगर किसी चीज़ को शिद्दत से चाहते हैं तो पूरी कायनात (ब्रह्मांड) उसे हमसे मिलाने में शिद्दत से जुट जाती है। शत प्रतिशत सत्य है यह ।

जब-जब मेरी संवेदनाओं को ठेस पहुंचने के कारण वे जागृत हुई तब-तब मैंने कलम थामी। आस-पास घटी घटनाओं के विचलित स्वर मेरे कानों में गूंजे तब-तब इन लघुकथाओं का जन्म हुआ। इन लघुकथाओं में उठने वाले अधिकतर प्रश्न अनुत्तरित हैं। कड़े परिश्रम व बरसों के प्रयत्नों के पश्चात भी मैंने जाना कि आज भी इन प्रश्नों के उत्तर खोजने में हम असफल हैं। यह हमारे समाज की सबसे बड़ी विडंबना ही है। इस पुस्तक को पढ़ने वाले पाठक इन प्रश्नों में से कुछ प्रश्नों के उत्तर खोजने में सफलता प्राप्त करते हैं तो मैं समझेंगी मेरा लेखन सार्थक हुआ। इसी आशा के साथ अपना लघुकथा संग्रह अनुत्तरित पाठकों को सौंप रही हूं । आशा है इसे पाठकों का भरपूर आशीर्वाद एवं प्रतिसाद मिलेगा ।

वर्तमान में लघुकथा साहित्य के जाने-माने वरिष्ठ साहित्यकार आदरणीय बलराम अग्रवाल सर का तहे दिल से शुक्रिया अदा करना चाहती हूं। उन्होंने मेरे एक फोन कॉल पर इस संग्रह हेतु अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकालकर शुभकामनाएं लिखीं तथा इस पुस्तक की सफलता हेतु मुझे आशीर्वाद से नवाज़ा । वरिष्ठ साहित्यकार, प्रशासनिक अधिकारी आदरणीय कांता राय जी का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूं। उन्होंने मेरे निवेदन पर व्यस्तता के बावजूद समय निकाल कर मेरी पुस्तक के लिए शुभकामनाएं लिखीं तथा पुस्तक की सफलता हेतु मुझे आशीर्वचन दिए ।

डिजाईनर प्रशांत वानखेडे का तहे दिल से शुक्रिया । कवर पेज से लेकर पेज सेटिंग और पूरी पुस्तक को वजूद में लाने में प्रशांत ने अपनी मेहनत और लगन से इसे खूबसूरत और अच्छा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी । प्रिय अंजू ठाकुर जी का बहुत-बहुत शुक्रिया अदा करना चाहती हूं, उनकी पेंटिंग ने इस किताब के कवर पेज को मूर्त रूप दिया। उनकी कला ऊंचाइयों को छुए। शादाब अंजुम जी तथा आभा आसुदानी जी के स्केचेस ने मेरी किताब को और भी खूबसूरत बना दिया। सृजन बिंब प्रकाशन की संस्थापिका रीमा दीवान चड्डा जी ने एक प्रकाशक की भूमिका का निर्वहन करते हुए मेहनत, लगन और जीवटता से इस पुस्तक को मूर्त रूप दिया। उनके अथक प्रयासों के बिना यह संभव नहीं था। उनका दिल की गहराइयों से शुक्रिया। इस पुस्तक में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से जिन्होंने भी सहयोग किया उनको भी तहे दिल से शुक्रिया। मेरे परिवार के सदस्य, मेरी उम्र दराज अस्वस्थ मां, पति, बेटा-बहू, बेटी-दामाद, मेरे नन्हें पोता और नवासा जिनके वक्त से वक्त को चुराकर मैंने इस पुस्तक के लेखन को साकार किया।

परिवार के सभी सदस्यों का सहयोग मुझे प्राप्त हुआ, जिसके बिना लेखन संभव नहीं था। उन सबका दिल की गहराइयों से शुक्रिया।

चंद पंक्तियों से अपनी बात ख़त्म करना चाहती हूं जो मेरी लिखी नहीं है, जिन्हें पढ़कर हम सभी चिंतन, मनन कर समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने के उत्तर इस संग्रह अनुत्तरित में खोजें ।

परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की, 

वो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की,

रखते हैं जो हौसला आसमानों को छूने का,

उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की।

• शगुफ्ता यास्मीन अतीब काजी

अनुक्रम

■ अकेली

■ पहचान

■ हाथी के दाँत

■ विकल्प

■ मंगलसूत्र

■ ताबूत

■ संजीवनी बूटी

■ मैडम 'सर'

■ सिर उठा कर

■ अस्तित्व

■सम्मान

■ बेमौत

■ बांझ

■ एकता में बल

■ रिगार्डिंग

■ मापदंड

■ शिक्षा का वज़न

■ स्पर्श

■ अनुत्तरित

■ आप तो ऐसे ना थे !

■ खून का धर्म

■ स्वाभिमान

■ ज़रूरत

■ लोन ऑफर

■ दोहरे मापदंड

■ ठिठुरन

■ फासला

■ घरौंदा

■ छल

■ नियम

■ गवैया

■ दर्द

■स्वीकृति 

■ अपना-अपना दर्द

■ मैचिंग

■ आइ विल टॉक विद यू इन हिन्दी

■ पाप - पुण्य

■ मदर्स डे

■ सज़ा में मज़ा

■ स्वाभिमान

■ ज़रूरत

■लोन ऑफर

■ वजूद की तलाश

■ खोटा सिक्का

■ उम्मीद

■ नज़र

■ टेलीपैथी

■ मनोकामना

■ पुरस्कार

■ खामियाज़ा

■ कश्मकश

■ नियम पालन

■ काला अक्षर भैंस बराबर

■ एहसास

■ रानी

■ अधिकार

■ सज़ा

■विडंबना

■ नन्ही संवेदनाएं

■ सोशल स्टेटस

■ री यूज

शगुफ्ता यास्मीन अतीब क़ाज़ी

जन्म तिथि : 18 अक्तूबर 1966

शिक्षा : एम.ए. हिंदी साहित्य

प्रकाशन : ■ रिश्तों की सौगात (कहानी संग्रह)                ■ संपादक के नाम पत्र

संयोजिका : ■ अंतरंग महिला चेतना मंच, विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन, नागपुर

संपादन : समसामयिक लघुकथाएं (साझा संग्रह)

सह संपादन : ■ जिंदगी जिंदाबाद ■ पर्दे से परचम तक

पूर्व अध्यक्ष : फ़बिहा मल्टीपर्पज एजुकेशन सोसाइटी नागपुर

प्रांतीय अध्यक्ष :नागपुर सखी साहित्य परिवार, महाराष्ट्र इकाई.

अध्यक्ष : ■ महिला काव्य मंच, नागपुर 

             ■ महाराष्ट्र इकाई

पूर्व महिला संपादक : वज्रसागर हिन्दी मराठी साप्ताहिक समाचार पत्र, नागपुर

पूर्व हिन्दी प्राध्यापक : किदवाई हाई स्कूल, जूनियर कॉलेज, नागपुर। 

● विभिन्न पत्र पत्रिकाओं, साझा संग्रहों में पत्र, लेख, लघुकथाएं, कहानियाँ, कविताएं, हाइकु प्रकाशित

● ऑनलाइन प्रतिलिपि तथा स्टोरी मिरर पर कविताएं, लघुकथा, लेख एवं कहानियां प्रकाशित

● आकाशवाणी नागपुर से कहानियों, लघुकथाओं का प्रसारण

● नागपुर यूनिवर्सिटी में 2012 में आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस "फीमेल फोइटीसाइड अ मूविंग ट्रेंड" में कन्या भ्रूण हत्या पर पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन तथा इस विषय पर प्रकाशित पुस्तक में कन्या भ्रूण हत्या पर शोधपत्र प्रकाशित

रुचि : सिलाई, बुनाई, कढ़ाई में रुचि व पाक कला में पारंगत

मोबाइल : 9545588182

ई मेल: editorshagufta@gmail.com, yasminquazi@gmail.com

पता : 44, न्यू जागृति कॉलोनी, काटोल रोड, नागपुर-13, (महाराष्ट्र)

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