ईश्वर के लिए / चैतन्य त्रिवेदी
लघुकथा-संग्रह : ईश्वर के लिए
कथाकार : चैतन्य त्रिवेदी
प्रलेक प्रकाशन
PRALEK PRAKASHAN
मुख्य कार्यालय :
702, जे-50, ग्लोबल सिटी, विरार (वेस्ट), मुम्बई, महाराष्ट्र-401303
दिल्ली एनसीआर ऑफ़िस पता :
03/सी, ज्ञान खण्ड-4 इंदिरापुरम गाजियाबाद, उ.प्र.-201014
E-mail: pralek.prakashan@gmail.com
Website: www.pralekprakashan.com
दूरभाष: +91 7021263557
ISBN: 978-93-5500-09-89
प्रथम पेपरबैक संस्करण : 2023
मूल्य : 249/-
© : चैतन्य त्रिवेदी
अनुक्रम
संभवामि : 09
जूते ज़मीर की तरह होते हैं : 11
आस को आख़िर : 12
'अमर' अब तो घर चल! : 13
चौखट की जगह : 14
मेल-मिलाप : 15
समय के साथ : 16
विदारक भाग्य : 17
क्योंकि मैं अब लमही में नहीं रहता: 19
परिणामकारी : 21
बोध कथा का पात्र : 22
सपनों में आया बूढ़ा आदमी, : 23
मेरा पिता हो सकता है : 23
पानी झूठ नहीं बोलता : 24
विमर्श का तथ्य : 25
खोह में चश्मा भूल आया एक दिन : 26
असंभाव्य : 27
चिहुँक : 29
मृच्छव्यतिक्रम : 30
जाइएगा नहीं : 32
अविकल्पनीय: 34
वस्तुस्थिति : 35
शब्द भी एक यात्रा है। : 36
विस्थापन : 37
गिद्ध ने थूक से चश्मा साफ किया : 38
पंगे से बचो : 39
प्रवंचना : 41
अपूर्ण संवाद का अंत : 43
अस्पताल क्या दम मार लेंगे? : 44
मृत्युदण्ड : 45
मुँह फेर लो : 46
माहात्म्य-एक (रिश्ते) : 47
माहात्म्य-2 (निर्वाह) : 48
माहात्म्य-3 (विवेचना) : 49
अविवक्षित : 50
अभ्युदय की गफलत : 51
दुःखद से मुलाकात : 52
अन्विति : 53
पक्षाघात : 54
सच्चा साथ : 56
यथार्थित : 57
आत्मा जानती है : 58
ईश्वर के लिए ......!: 59
पछतावा : 60
समय का सच : 61
कहानी से हत्यारों की तस्वीरें नहीं हटायी जा सकती : 63
यथावत की यात्रा : 64
पुनरागमन जैसा : 65
किताब का रास्ता : 66
राजा-ऋषि संवाद : 67
पर्यायवाची : 68
सालता दुःख : 69
रोज की शवयात्रा : 70
कुआ न रहूँ तो.... : 72
कहाँ मर गया तू! : 73
हवा के बारे में : 74
संस्कृति का कोषागार : 75
प्रहार : 76
आखरी ज्ञान : 78
हकीकत : 79
पिता ने नाम दिया था : 80
सच्चाई का पूर्वाभ्यास : 82
अहस्तांतरणीय : 84
उपयुक्त : 85
किताब का काम : 86
मर्ज : 87
निष्कर्ष पर : 89
हमारा मकसद : 90
कुतरने वाले आग से नहीं खेला करते। : 92
युक्तिमरण : 94
जमीन से जुड़े हुए : 95
भीतर का पत्थर ही ईश्वर : 96
चिंता : 97
जो नहीं कूदेंगे, मारे जाएँगें! : 98
नमक की ज़रुरत : 99
विचारक की मौत: 100
तरीका : 102
अधूरे चाँद का पूरा दुःख : 103
होनी : 105
मालिक तो मालिक है: 106
जाँच : 107
पत्थर उठाने की वजह : 108
दृष्टिकोण : 109
आधे किवाड़ का पूरा जीवन : 111
सायों की तकलीफ : 112
श्मशानों में दमकलें वर्जित है: 113
पुतले का मुँह खिड़की की तरफ था : 114
शिकस्त से अच्छा : 115
नाम वापस ले लो!: 116
सच्ची कहानी की आत्मकथा: 117
कहानीकार : 118
जिजीविषा : 119
ज़हर से बड़ी ज़िद : 120
पुल पर : 121
पुरोचन अब क्या करते हैं! : 122
उस दिन ईश्वर बैठने की जगह ढूँढता रहा : 123
तीरथ पर निकले हैं: 125
यापन : 127
गमला पसंद : 128
जीत आपकी : 129
शीश और शीशा : 130
प्यार का ख़त : 131
हवा के विरुद्धार्थी लोग : 133
हकीकत वैसी नहीं है: 134
निवारण : 135
चतुराई से चिंतन घटे...! : 136
आरण्यक : 137
अहमक शुरूआत : 139
तावीज : 141
आखर के प्राण: 143
उम्मीद में बसे हुए लोग : 144
जानते हुए भी : 145
प्रतीक्षारत....! : 147
ट्रायल पर दोस्त : 148
जंगल किताब से परे का चुप है: 149
नयी चपेट का शहर : 150
जीवन तनी मुट्ठियों से अलग होता है : 152
ये हाथ : 154
आप तो काम बताइए : 155
जंगल में जूते नहीं चलते! : 157
धार करने की दुकान : 158
वह जो है, है! : 159
मानदेय : 160
जंगल में रहने के रिवाज : 161
अनभिव्यक्त : 162
इस कहानी में क्या है आखिर?: 163
... प्रकाश की तरफ का रास्ता: 164
चैतन्य त्रिवेदी
शैक्षणिक योग्यताः एम.कॉम., एम.ए.
चालीस वर्षों से देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में अनवरत रचनात्मक विधाओं में लेखन।
दैनिक भास्कर में लघुकथा परिशिष्ट के लिए अतिथि संपादक।
दैनिक नईदुनिया में एक दशक तक टी.वी. कार्यक्रमों में समीक्षात्मक लेखन।
प्रकाशन एवं सम्मानः
वर्ष 1976 में आशीर्वाद संस्था (मुम्बई) द्वारा 'बयान' कविता पर श्रेष्ठ रचना पुरस्कार।
1994 में मध्यप्रदेश साहित्य परिषद के सहयोग से कविता संग्रह 'समुद्र से सुना' प्रकाशित।
सन् 2000 में किताबघर प्रकाशन दिल्ली द्वारा लघुकथा पांडुलिपि 'उल्लास' पर आर्य स्मृति साहित्य सम्मान एवं प्रकाशन।
सन् 2019 में दूसरी लघुकथा संग्रह 'कथा की अफवाह' का किताबघर दिल्ली द्वारा प्रकाशन।
संप्रतिः बैंक से सेवानिवृत्त और स्वतंत्र लेखन।
संपर्क: 16-ए. अन्नपूर्णा नगर, इंदौर-452009 (म.प्र)
ई-मेल: chaitanyatrivedi811@gmail.com
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