देवनागरी हिन्दी में प्रकाशित निजी व संपादित लघुकथा संग्रहों, संकलनों, आलोचना व समीक्षा की पुस्तकों तथा विशेषांकों में प्रकाशित लघुकथा साहित्य का संक्षिप्त परिचय। उल्लेखनीय लघुकथाओं एवं लेखों का लिखित पाठ भी।
लघुकथा पत्रिका-1975/जगदीश कश्यप (सं.)
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मिनीयुग का यह अंक अक्टूबर-नवंबर 1975 में प्रकाशित हुआ था। तब तक लघुकथा को मिलाकर लिखने की परंपरा का सूत्रपात नहीं हुआ था।
आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र रचनावली, भाग-1 (लघुकथाएँ-बोधकथाएँ) संपादक : डाॅ. ऋचा शर्मा (सं.) ISBN : 978-93-9114-83-9 देवप्रभा प्रकाशन फ्लैट नं. जी-50, ई-ब्लॉक, गौड़ होम्स, गोविन्दपुरम, गाज़ियाबाद-201013 (उ.प्र.) दूरभाष : 08586053956 e-mail : devprabhaprakashan@gmail.com News Portal : DEVPRABHA NEWS Youtube Channel : काव्य गंगा कुल पृष्ठ : 296 मूल्य : 350.00 रुपये(हार्ड बाउंड) प्रथम संस्करण : 2024 @ : डॉ. ऋचा शर्मा पृष्ठ-सज्जा : भूदेव सैनी आवरण : हिमांशु सैनी परिचय : आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र जन्म : 20 जनवरी, सन् 1900; देवबंद (सहारनपुर) उत्तर प्रदेश में। माता : श्रीमती चमेली देवी पिता : पं. परशुराम मिश्र देहावसान : 29 मई, सन् 1981, सहारनपुर, उ.प्र.। हिंदी, संस्कृत तथा आयुर्वेद के प्रकांड विद्वान, स्वतंत्रता सेनानी। प्रमुख कृतियाँः • 'इन्दिरा'--हिंदी का प्रथम मनोवैज्ञानिक उपन्यास जो सन् 1920-21 में लिखा गया। उत्तर प्रदेश शासन से पुरस्कृत। 'और वह हार गई' हिंदी की प्रथम पुरस्कृत पॉकेट बुक। हाथी के दाँत-'हाथी के दाँत' समाज पर व्यंग्य है, यह 'लघु उपन्यास' आधुनि...
पीठ पर टिका घर (लघुकथा संग्रह) कथाकार : सुधा गोयल पहला संस्करण : 2024 ISBN: 978-93-95356-40-4 नमन प्रकाशन 4231/1, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली-110002 फोन : 8750551515, 9350551515 चिन्तन लघुकथा आकार में लघु किन्तु अपनी गहन अर्थी गम्भीर शैली द्वारा समाज व्यवस्था के व्यापक सन्दर्भों से जुड़ी ऐसी कथा है जिसकी सघन सम्वेदना चेतना को एकदम स्पन्दित कर देती है। जैसे महाकाव्य के आंशिक गुणों से युक्त काव्य को खंडकाव्य अथवा गीतिकाव्य कहा जाता है। उसी प्रकार कथाशिल्प में आरम्भ से चरम बिन्दु तथा अनेक तत्वों को प्रभावशाली ढंग से आत्मसात् कर जो विधा प्रकाश में आई उसे हम लघुकथा कहते हैं। लघुकथाओं का जन्म कब, कहाँ और कैसे हुआ, इसका आदि प्रणेता कौन था, यह बता पाना बेहद मुश्किल है। लघुकथाओं की परम्परा ढूंढ़ी जा सकती है पर कोई निश्चित इतिहास निर्धारित नहीं किया जा सकता। शायद मानव जाति के आविर्भाव के साथ ही लघुकथाओं का आविर्भाव हुआ। आदि मानव जाति ने जब आपसी सुरक्षा के लिए ग्रुप बनाकर रहना शुरू किया तो जंगली जानवरों से रक्षा के लिए आग जलाकर उसके चारों तरफ बैठकर वक...
अतीत की विशेष उपलब्धि जो इतिहास समृद्ध करेगी ।
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