उजली होती भोर-2021/अंजू खरबंदा

लघुकथा-संग्रह  : उजली होती भोर

कथाकार  : अंजू खरबंदा

प्रकाशक : इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड मुख्यालय : सी- 122, सेक्टर 19, नोएडा, 201301 गौतमबुद्ध नगर ( एन. सी. आर. दिल्ली) फोन: +91 120437693

मोबाइल +91 9873561826 

ई-मेल: indianetbooks@gmail.com website: www.indianetbooks.com

© स्वत्त्वाधिकार : अंजू खरबंदा 

प्रथम संस्करण : 2021 

ISBN : 978-93-91186-54-8

अनुक्रम

1. होम! हैप्पी होम

2. सौ बटा सौ

3. सोलमेट

4. साझा चूल्हा

5. गुब्बारे वाला

6. मुखिया

7. संस्कार के बीज

8. शुकली

9. डिश वॉशर

10. स्वेटर

11. उजली होती भोर

12. खुला आसमान 

13. थप्पड़

14. समाधिस्थ

15. काव्यांजलि

16. संवेदना

17. तारु

18. मीठा-सा बदलाव

19. श्राद्ध का अधिकार

20. गांधीगिरी

21. सौ सुनार की एक

लुहार की

22. बुलावा

23. अपना घर - एक

अलग नजरिया

24. गिले शिकवों की पोटली 

25. पालना

26. कर्ज

27. जिद

28. दाह संस्कार

29. मजबूत जड़ें

30. खटास

31. वामा

32. भेड़िया मानव 

33. अपनी अपनी दिशायें

34. व्याकुल बेताल

35. कही-अनकही

36. नई सोच

37. कठपुतलियाँ 

38. सौ का नोट

39. सूजी का हलवा

40. ऑब्जर्वेशन

41. प्रमोशन

42 अंतर्द्वद्व

43. चौपदी

44. कसैला स्वाद 

45. वक्त का तकाजा 

46. परिमल

47. गुबरैला

48. नयी परिपाटी

49. लंच बॉक्स

50. अपना कमरा

51. अवतार

52. आखिरी कपड़ा

53. चौखट

54. रोज डे

55. अम्मा

56. ये तेरा घर ये मेरा घर

57. टिप

58. मूलमंत्र 

59. रोटी

60. मानव धर्म 

61. खिसियानी बिल्ली

62. इंविटेशन

63. कलमुंही

64. झूठे झगड़े

65. प्रेम पगे रिश्ते

66. गोकाष्ठ

67. असली उपहार

68. सरप्राईज

69. अजब पहेली

70. एक पंथ दो काज

71. बदलती प्राथमिकताएँ

प्रस्तुत संग्रह की लघुकथाओं पर डॉ जितेंद्र जीतू और सदानंद कवीश्वर जी की भूमिकाएँ, चंद्रशेखर दास जी का 'आशीर्वचन' तथा स्वयं अंजू खरबंदा द्वारा लिखित 'मन के भाव' हैं। उनमें से उद्धृत हैं डॉ जितेंद्र जीतू के आलेख 'अंजू खरबंदा की लघुकथाओं में चरित्रों की गोमती-गंगा' से एक अंश : 

अंजू की रचनाएँ मुझे भारतीयता से ओतप्रोत दिखाई पड़ती हैं। इनका स्वाद मुझे ठेठ देसी लगता है। इनके पात्रों में अनुभवजन्य परिपक्वता है। यह परिपक्वता पहले पहल मुझे ट्रांस्प्लांटेड लगी लेकिन ज्यों-ज्यों मैं इनकी लघुकथाओं को इनसे परिचय और प्रगाढ़ता के माध्यम से पढ़ता गया मुझे समझ आ गया कि यह वस्तुत: वह धर्म-संस्कार हैं जो खुद इनके भीतर से इनके पात्रों के भीतर जाकर रचे बसे हैं। यह इनका एक बहुत बड़ा अलक्षित अचीवमेंट ही कहा जायेगा कि इन्होंने अपनी कमोबेश सभी लघुकथाओं में किसी न किसी एक पात्र को अपने भीतर की कोमलता प्रदान की है और इनके पात्र भी इनके विषय विन्यास ही नहीं, अधिकतम एक्टिविटी को भी इनसे आहरित किये बैठे हैं। संतोष की बात है कि वह आहरण भी कभी इन्हें खाली हाथ न कर सका। नित नई लघुकथा लिखते समय वह अपने पात्रों को जीवन देते दिखीं । निश्छल, निस्पृह, निश्चिंत।

इनके पात्रों में अनुभवजन्य परिपक्वता मैंने क्यों कही? ये अपने पात्रों के चरित्र में विविध रंग सायास अथवा अनायास भरने के लिए प्रतिबद्ध दिखती हैं। इनकी कतिपय लघुकथाओं में मैंने महसूस किया कि मुख्य पात्र सदैव सैक्रिफाइस के लिए तैयार रहता है। वह विरोध करना नहीं जानता या नहीं चाहता। वह संबंध सुधारक है। उसके पास क्रांति के कारण तो मिल जाएँगे मगर लड़कर हक मांगने की कोई इच्छा नहीं दिखती।

संग्रह से एक लघुकथा 'स्वेटर' :

“बुआ जी! आप किचके लिये स्वेटर बना लये हो!" “मैं यह स्वेटर अपनी लाडो रानी के लिये बना रही हूँ!" 

“अच्छा! मेले लिये !"

“हाँ! सर्दियाँ आने वाली है न! कुछ ही दिनों में ये स्वेटर तैयार हो जाएगी और फिर मेरी लाडो इसे पहन कर बिलकुल परी जैसी दिखेगी।”

"आप इछ पर फूल भी बनाना। "

"अच्छा जी ! .... और ! "

“ औल....!" कुछ सोचते हुए,  “एक गुलिया भी!"

"अच्छा तो तुम क्या करोगी उस गुड़िया का !"

“बुआजी! मैं उस गुलिया के छात खूब खेलूँगी।"

"अरे वाह! और क्या करोगी!" 

“औल लोज उछे पलाउंगी।"

"अच्छा रोज पढ़ाओगी!" 

“हाँ! ताकि वो पल लिख कर अपने पैलो पर खड़ी हो सके और मम्मी की तरह उसे लोज मार न खानी पड़े।" 

बुआजी के हाथों से सिलाईयाँ छूटकर जमीन पर जा गिरी।

अंजू खरबंदा

जन्म : दिनांक 31 अक्टूबर

शिक्षा : स्नातक (कला)

पति : श्री अशोक खरबंदा

पिता : श्री ताराचंद भाटिया

विधा: लघुकथा, कहानी, संस्मरण व कविता ।

संप्रति : अध्यापिका, लेखिका, रेडियो आर्टिस्ट | रुचियां : साहित्य, पर्यटन, पाककला।

ऑल इंडिया रेडिया स्टेशन दिल्ली, रेडियो आर्टिस्ट। मुल्तानी फिल्म में चीफ गेस्ट का रोल।

लघुकथा शोध केंद्र भोपाल की दिल्ली शाखा की संचालिका ।

विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर की दिल्ली शाखा की शाखा प्रमुख। विश्व भाषा अकादमी (रजि.) भारत की उत्तरी दिल्ली की अध्यक्ष ।

प्रकाशन :

हिन्दुस्तान, सांध्य टाईम्स, लघुकथा वृत्त, लोकमत, अजीत, गोस्वामी एक्सप्रेस, दैनिकनवसमाचार, हिन्दी मिलाप (हैदराबाद), साहित्य एक्सप्रेस आदि समाचार पत्रों में रचनाएँ प्रकाशित ।

दृष्टि, क्षितिज, लघुकथा कलश, किस्सा कोताह, पलाश, अविराम साहित्यिकी, साहित्य सिलसिला, सत्य की मशाल, महिला अधिकार अभियान बाल कहानियाँ, सत्य की मशाल आदि में लघुकथाएँ प्रकाशित। 

साझा लघुकथा संकलन : समय की दस्तक, महानगरीय लघुकथाएं, हिन्दीतर लघुकथाएँ, इन्नर, सार्थक लघुकथाएँ ।

साझा कहानी संग्रह : बारहबाना, साझा काव्य संकलन शुभारंभ, किसलय, प्रभाती।

पंजाब स्कूल एजुकेशन बोर्ड द्वारा प्रकाशित पत्रिका 'पंखुड़िया' में लघुकथा प्रकाशित।

अनुवाद : पंजाबी, सिरायकी, मराठी, अंग्रेजी, मैथिली व नेपाली भाषाओं में रचनाओं का अनुवाद। 

ब्लॉगर : मातृभारती, स्टोरी मिरर, प्रतिलिपि, मॉम्सप्रेसो आदि पर ब्लॉग्स।

यूट्यूब चैनल : अंजू खरबंदा, 

ई-मेल: anjukhrbanda401@gmail.com

टिप्पणियाँ

  1. स्नेहिल आभार प्रिय भैया🙏🌹

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  2. आपको हार्दिक बधाई 💐
    आपकी लिखी लघुकथाएं संग्रहणीय हैं और हर आयुवर्ग के पाठक के लिए माकूल हैं।
    पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों का संरक्षण करती इस संग्रह की लघुकथाएं हर पाठक को अवश्य पढ़नी चाहिए।

    जवाब देंहटाएं

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