लघुकथा-संग्रह-2022/कुंकुम गुप्ता
कथाकार : कुंकुम गुप्ता
ISBN: 978-81-951152-4-2
प्रकाशक :
अपना प्रकाशन
21 / C, सुभाष कॉलोनी नियर हाई टेंशन लाइन, गोविंदपुरा, भोपाल-462023
फोन : 9575465147
ई-मेल - roy.kanta69@gmail.com
मूल्य: 270/
प्रथम संस्करण: 2022
© लेखिका : डॉ. कुंकुम गुप्ता
अनुक्रम
युक्ति
बड़ी बात
महिला दिवस
सीख
दूर-पास
बोरियत
यादें
जाने के बाद
कविता
अपना-अपना बिल
पहली पाठशाला
हैप्पी बर्थ-डे माँ
पॉलिश
मेरा घर
स्मार्ट
प्रतिक्रिया
उत्तर
भिन्नता
अवसरवादिता
रिश्तेदार
दोहरापन
बोली की मिठास
अनपढ़ माँ
गलती
निर्णय
राजनीति : कल और आज
दूर के ढोल
फिर वही
अनायास
एक बार फिर
कटर
फैसला
चयन
सच्चा गहना
माँ
विडम्बना
विज्ञापन
मिट्टी की पुकार
बहुमूल्य
टिकिट
बदलाव
सहमेल
मिसेज पन्त
सद्भावना
ऑनलाइन उपहार
स्वाभिमान
पुरस्कार
स्वाद
सबक
त्रिया चरित्र
आत्मबोध
संतान सप्तमी
घर- घर के खेल में
फूलों का झरना
आईडिया
कम्प्यूटर का क ख ग...
रिश्तों का रंग
अपनों के रिश्ते
जिम्मेदारी
परिशिष्ट लेखक के सरोकार
आत्म कथ्य
आज के जीवन की व्यस्तताओं में लघुकथाओं के फलक ने बहुत विस्तार पाया है तथा यह विधा काफी लोकप्रिय भी हुई है। लघुकथा में क्षण विशेष की अनुभूति की गहनता, शब्दों की मितव्ययता और बात करने का पैनापन होने के कारण यह पाठक को चिंतन-मनन करने के लिए प्रेरित करती है और एक नई दृष्टि भी प्रदान करती है ।
मेरे सृजन केन्द्र में मेरे जीवन के अनुभव रहते हैं। लघुकथाओं के माध्यम से जीवन की घटनाओं तथा आसपास बिखरी विसंगतियों को शब्दों में बुनकर लघुकथा का रूप दिया है। यह मेरा पहला लघुकथा संग्रह है। वर्षों से सोच रही थी कि लघुकथा संग्रह प्रकाशित करवाना है लेकिन विपरीत परिस्थितियाँ, मेरी व्यस्तता और लापरवाही के कारण यह संभव नहीं हो सका। कान्ता रॉय जी के बार-बार कहने से ही यह सम्भव हो सका है। मैं उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ ।
लघुकथा का क ख ग मैंने डॉ. मालती बसंत के सानिध्य में रहकर तथा उनकी लघुकथाएँ पढ़कर सीखा है और कभी कुछ मार्गदर्शन भी उनसे लेती रही । विनीता राहुरीकर ने भी लघुकथा पंचलाइन लिखने के संबंध में बारीकी से समझाया कि लघुकथा का अंत इतना प्रभावी होना चाहिए कि कम शब्दों से धारदार व पैनी बात संप्रेषित हो सके। कई बार मेरी लघुकथा में मुझे कुछ कमी लगती है तो विनीता जी मात्र एक पंक्ति जोड़कर उसे प्रभावी बना देती हैं। इसी प्रकार कांता रॉय जी ने भी मेरी कुछ लघुकथाओं को सँवारा है।
मैं किसी भी विषय पर तुरंत लघुकथा नहीं लिख पाती हूँ जैसा कि आजकल कुछ मंचों पर शीर्षक दे दिए जाते है लघुकथा लिखने के लिए। लघुकथा का बीज तत्व जब मेरे अन्तर्मन में घुमड़ता रहता है और एक समय बाद मुझे बेचैन करता है तब मैं उसे लिखने का उपक्रम करती हूँ। फिर इसे कुछ समय बाद दो-तीन बार काटती-छाँटती हूँ। तब कहीं लघुकथा बन पाती है।
अशोक भाटिया जी, बलराम अग्रवाल जी तथा योगराज प्रभाकर जी की किताबें, लेख आदि पढ़कर कुछ महत्वपूर्ण बातों को आत्मसात करने की कोशिश की है। अनेक लघुकथा संग्रह पढ़ती रहती हूँ तथा भोपाल में भी लघुकथा गोष्ठियों में नियमित जाने का प्रयास करती हूँ ताकि लघुकथा की बुनावट की बारीकियाँ सीख सकूँ ।
प्रबुद्ध पाठकों और लघुकथा विशेषज्ञों से अपेक्षा करती हूँ कि इस संग्रह की लघुकथाओं को पढ़कर अपने अमूल्य सुझावों से अवश्य अवगत कराएँ ताकि मैं आगे उनको सुधारने की कोशिश कर सकूँ।
डॉ. कुंकुम गुप्ता
जन्म : 6-12-1957
शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) बी.एड., सुभद्रा कुमारी चौहान पर शोधकार्य (बरकतुल्ला विश्वविद्यालय)
प्रकाशित कृतियाँ :
• शब्द बन गए सेतु -कविता संग्रह
• जीना कुछ इस तरह - कविता संग्रह
• बच्चों के बोल - बालगीत संग्रह
● चलो धरा को करें हरा- बालगीत संग्रह
• मिट्टी की पुकार- लघुकथा संग्रह
साझा संग्रह - बुंदेली रामायण
लगभग 40 संग्रहों में रचनाएँ संकलित
पुरस्कार / सम्मान:
• कला मंदिर का माहेश्वरी पुरस्कार
• मध्यप्रदेश लेखक संघ का काशीबाई मेहता सम्मान
• हिन्दी लेखिका संघ का सोनी पुरस्कार
• बाल साहित्य शोध केंद्र का चंदावती लूनावत पुरस्कार
• अ.भा. साहित्य परिषद का नारी शक्ति सम्मान
▪︎ आकाशवाणी और दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण
• हिन्दी लेखिका संघ में सचिव पद का दायित्व
संपर्क - 2/9 रंथम्भोर काम्प्लेक्स, जोन-2, एम.पी. नगर, भोपाल-462011
मो - 9425606033
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