देवता झूठ नहीं बोलता / मनोज चौहान

लघुकथा-संग्रह:देवता झूठ नहीं बोलता

लेखक:मनोज चौहान

पहला सजिल्द संस्करण : 2023

मूल्य : 350.00 रुपए

ISBN 978-81-962063-6-9

प्रकाशक :

अंतिका प्रकाशन प्रा. लि.

सी-56 / यूजीएफ-4, शालीमार गार्डन, एक्सटेंशन-II ग़ाज़ियाबाद-201005 (उ.प्र.) 

वेबसाइट: www.antikaprakashan.com

फोन: +91-9871856053

ई-मेल: antika56@gmail.com

आवरण चित्र : संजीव शाश्वती

मुद्रक : आर. के. ऑफसेट प्रोसेस, नवीन शाहदरा, दिल्ली-32

फ्लैप-1

हिमाचल प्रदेश के नामचीन युवा साहित्यकारों में मनोज चौहान का नाम आदर से लिया जाता है। मनोज चौहान मूलतः कवि हैं। कविता संग्रह ' पत्थर तोड़ती औरत' 2017 से देश भर में चर्चा में है। कविताओं के साथ- साथ लघुकथाएँ भी देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रही हैं।

मनोज चौहान में सघन संवदेना, व्यवस्था पर प्रश्न चिह्न का साहस, अपने आसपास व सामयिक स्थितियों- परिस्थितियों पर गहन दृष्टि, विषय की समझ, व्यापक सामाजिक दायित्वबोध, प्रस्तुतीकरण में पूरी इमानदारी है।

इस संग्रह में भोलापन, गुड्डे को सॉरी बोलो, पापा आप कब आओगे, मैं छोटी बच्ची नहीं, समझदारी आदि बाल मनोविज्ञान की स्पर्शी लघुकथाएँ हैं। उधारी नहीं होगी, ग्रामीण वृद्धा के बहाने सम्पूर्ण देश की भोली-भाली परिश्रमी स्त्री के भोलेपन को दर्शाती कारुणिक लघुकथा है। चांडाल चौकड़ी, असमंजस, आत्मबोध नामक लघुकथाएँ नवीनता लिए हुए हैं। 'भीख' आरक्षण और उसे ग़लत तरीके से पाने की प्रवृत्ति पर करारी चोट है तो वहीं शार्मिंदगी संस्कार विहीनता दर्शाती है। लोक-लाज सामाजिक पाखंड पर सटीक थप्पड़ एवं 'लिहाफ़' विस्तृत फलक लिए लघुकथा है। मनचले, बकरा, बड़े लेखक, व्यंग्य- बाण, अपने लोग, मौकापरस्ती, देर बहुत हो गई, तिकड़मी, और फ़ोन कट गया, कीड़े मकौड़े, अपने हिस्से का संघर्ष, देवता झूठ नहीं बोलता, पर्दे, बदलाव आदि संग्रह की महत्त्वपूर्ण और पठनीय लघुकथाएँ हैं।

मनोज चौहान का लघुकथाकार पूरी तरह सजग है। इस संग्रह में ग्राम्य जीवन, सामाजिक मूल्यों, सत्य के पक्ष में, टोने-टोटके के अन्धविश्वास के विरुद्ध, पीड़ा - बेचारगी से उबारती, चारित्रिक ह्रास के ख़िलाफ़ संवेदना जगाती एवं मूक को वाणी देती संप्रेषणीय लघुकथाएँ हैं।

मनोज चौहान के लघुकथा संग्रह 'देवता झूठ नहीं बोलता' का साहित्य क्षेत्र में आगमन महत्त्वपूर्ण एवं स्वागत योग्य कदम है।

- कृष्ण चन्द्र महादेविया

मेरी बात

लघुकथा लेखन की शुरुआत 2004 से हुई जब जालन्धर (पंजाब) से प्रकाशित होने वाले एक दैनिक समाचार पत्र में पहली लघुकथा प्रकाशित हुई। फिर धीरे-धीरे यह सिलसिला अनवरत चलता रहा। वरिष्ठ लघुकथाकार और लोक साहित्यकार कृष्ण चन्द्र महादेविया ने लघुकथा लेखन के लिए सदैव प्रेरित किया और निरंतर अपना मार्गदर्शन बनाए रखा। जब कभी लेखन से मन खिन्न हुआ और नकारात्मकता हावी हुई तो उन्होंने हमेशा मेरी हिम्मत बढ़ाई।

वरिष्ठ लघुकथाकार एवं कहानीकार रतनचंद 'रत्नेश', वरिष्ठ कवि और लघुकथाकार कुल राजीव पंत और ययावर लेखक एवं लघुकथाकार बाल चंद 'निर्झर' ने भी लघुकथा लिखने लिए प्रोत्साहित किया।

यह सच है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और लेखक वही लिखता है जी अपने आसपास महसूसता है और अनुभव करता है। दैनिक जन-जीवन में घटित हो रही जिस भी घटना ने मुझे हॉन्ट किया मैंने उन सभी घटनाओं को सामाजिक दायित्वबोध अंतर्गत लघुकथाओं में पिरोने का प्रयास किया। इस संग्रह में शामिल लघुकथाएँ अलग-अलग कालखंड लिखी गई हैं।

मेरा प्रथम काव्य संग्रह 'पत्थर तोड़ती औरत' वर्ष 2017 में प्रकाशित हुआ था और इस लघुकथा संग्रह के साथ यह मेरी दूसरी पुस्तक है। हालाँकि कुछ लेखकों और शुभचिंतक मित्रों ने अनेक बार मुझे कविता विधा पर ही फोकस करने के लिए सुझाव दिया, जिससे मैं बहुत हद तक सहमत भी हुआ, लेकिन अंतस में भीतर तक कुछ कचोटता रहा, जिसके परिणामस्वरूप यह पुस्तक प्रकाशन में आई। कहीं न कहीं मेरा यह भी मानना रहा कि कुछ विषयों को हम लघुकथा के माध्यम से ज़्यादा बेहतर तरीक़े से उठा पाते। हैं। हालाँकि कविता विधा मेरे हृदय के ज़्यादा क़रीब है यह और हमेशा मेरी प्राथमिकता रहेगी।

मेरी सृजन यात्रा में साहित्य की समस्त विधाओं के गहन अध्येता अमरजीत वोहरा (अमृतसर), ख्यातिलब्ध वरिष्ठ कहानीकार एवं साहित्यकार एस. आर. हरनोट, वरिष्ठ कहानीकार एवं साहित्यकार डॉ. सुशील कुमार फुल्ल, ख्यातिलब्ध वरिष्ठ उपन्यासकार एवं कहानीकार डॉ. गंगा राम राजी, वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक डॉ. हेम राज कौशिक, वरिष्ठ कवि प्रोफ़ेसर कुमार कृष्ण, वरिष्ठ कवि अजेय, चर्चित कवि आत्मा रंजन, चर्चित कवि एवं आलोचक गणेश गनी, वरिष्ठ कवि कुलदीप शर्मा, कवि प्रदीप सैनी, कवि राजीव कुमार त्रिगर्ति, प्रसिद्ध कहानीकार एवं उपन्यासकार मुरारी शर्मा, वरिष्ठ कवि एवं आलोचक विजय विशाल, वरिष्ठ कवि एवं कहानीकार हंसराज भारती, वरिष्ठ कहानीकार एवं लघुकथाकार शेर सिंह, युवा कहानीकार मित्र मनोज कुमार 'शिव', प्रसिद्ध ग़ज़लकार द्विजेन्द्र द्विज, कवि-ग़ज़लकार एवं सम्पादक नवनीत शर्मा, वरिष्ठ कहानीकार मृदुला श्रीवास्तव, लेखिका एवं फ़िल्मकार डॉ. देवकन्या ठाकुर, प्रसिद्ध बालसाहित्यकार एवं लेखक मित्र पवन चौहान, कवि एवं लेखक वीरेंद्र शर्मा 'वीर', वरिष्ठ लघुकथाकार एवं साहित्यकार अशोक दर्द, सम्पादक एवं कवि विनोद कुमार 'भावुक', पत्रकार एवं व्यवसायी मित्र संजय भारद्वाज, युवा साहित्यकार अतुल अंशुमाली, कहानीकार डॉ. संदीप शर्मा, समीक्षक एवं लेखक डॉ. विजय कुमार पुरी, कवि एवं कहानीकार विनोद ध्रब्याल राही, कवि भूपेन्द्र जम्वाल 'भूपी', वरिष्ठ मलकार सुदेश दीक्षित, लेखक मुमुक्षु कमलेश ठाकुर, कवि अशोक कुमार, कवि एवं लेखक दिलीप वशिष्ठ, साहित्कार अनंत आलोक, वरिष्ठ कवि एवं लघुकथाकार रौशन जसवाल 'विक्षिप्त', कवि एवं साहित्यकार डा. सत्य नारायण स्नेही, कवि दिनेश शर्मा, लेखक जगदीश बाली, कवि एवं सम्पादक हितेंद्र शर्मा, युवा कवि दीपक भारद्वाज, युवा कवि एवं शिक्षक मित्र दिनेश संवत, कवि अनिल शर्मा 'नील', युवा कवि सुशील भारती, लेखक नरेंद्र भारती, लेखक एवं शिक्षक हीरा सिंह कौशल, पत्रकार साथी बलविन्द्र सोढी, भूतपूर्व सैनिक, शिक्षक एवं लेखक मित्र रोशन चौहान, कवि और सहकर्मी मित्र अर्जुन सिंह नेगी, एकांकी लेखक एवं निर्देशक मित्र जोगिन्द्र सोनी, कवि मित्र रवि कुमार 'रवि' (बिहार), कवि एवं लेखक मित्र अमित कुमार अम्बष्ट (कोलकाता), कवि पंकज शाह (बिहार), साहित्य गुंजन पत्रिका के दिवगंत सम्पादक एवं कवि जितेन्द्र चौहान (इंदौर) आदि ने किसी न किसी रूप में बेहतर करने के लिए मेरी हौसला अफजाई की।

सहकर्मी मित्र इंजीनियर अनिल ठाकुर, ख्यातिलब्ध पहलवान एवं शिक्षक जितेन्द्र सिंह चौहान, शिक्षक मित्र सुरेन्द्र कुमार चौहान, मित्र नरेश चौहान, प्रेम लाल अटल, राज कुमार, संजीव कुमार, संजय चौहान, लेखराज कौशल, जोगिन्द्र भारद्वाज, अज्जू भारद्वाज, शशि मंड्याल, सोम चंद चौहान आदि साथियों सहित बहुत से साहित्यिक और गैर- साहित्यिक आत्मीय मित्रों (जिन मित्रों का नाम नहीं लिख पाया उनसे क्षमा सहित) ने मेरा हौसला बढ़ाया।

पिता (श्री फागणू राम चौहान) एवं चाचा (श्री रोशन लाल चौहान) ने आजीवन संघर्ष करते हुए आपसी समर्पण और सूझबूझ से परिवार को विषम परिस्थितियों में भी एक सूत्र में पिरोये रखा, जिससे मुझे हमेशा ही शक्ति एवं प्रेरणा मिली और अपने सभी भाई-बहनों में बड़े होने के कर्तव्य का बोध हुआ ।

जीवन संगिनी श्रीमती अंजू शेरढवाल एवं बच्चे (श्रेया चौहान, अमायरा चौहान और अवयुक्त सिंह चौहान) जीवन की अनेक उलझनों और विपरीत परिस्थितियों में ऊर्जा का स्रोत बने रहे।

उन सभी संपादकों और संस्थाओं का भी आभारी हूँ जिन्होंने समय- समय पर मेरी रचनाओं को पत्र-पत्रिकाओं में स्थान दिया और मेरे लेखन कर्म को सराहा। वह लघुकथा संग्रह 'देवता झूठ नहीं बोलता' आप सबके समक्ष प्रस्तुत करते हुए उत्साहित हूँ।

मैं 'निंदक नियरे राखिए' का पक्षधर हूँ और स्वस्थ आलोचना का सदैव स्वागत करता हूँ। लघुकथा विधा के साथ मैं कितना न्याय पर पाया हूँ, यह आप सब सुधी पाठकों पर छोड़ता हूँ। आप सबके सुझावों एवं प्रतिक्रिया के इन्तज़ार में !

- मनोज चौहान

एसजेवीएन कॉलोनी दत्तनगर, पोस्ट ऑफ़िस दत्तनगर, तहसील-रामपुर बुशहर,

जिला शिमला (हिमाचल प्रदेश) 172001 

दूरध्वनि 9418036526, 7018321598

ई-मेल: mc.mahadev@gmail.com 

ब्लॉग : manojchauhan79.blogspot.com

अनुक्रम

मेरी बात

मनचले

बकरा

आधुनिक सोच

भूल-सुधार

बड़े लेखक

साक्षात्कार

वफ़ादारी

शहर का डॉक्टर

व्यंग्य-बाण

अहसास

मज़दूर औरत

अपनापन

भीतर का डर

मातृत्व

अपने लोग

मौकापरस्ती

संगत में रंगत

लिहाफ़

नोटबंदी

सीख

असली चेहरे

डाका

ग़लतफ़हमी

ब्रह्मास्त्र

समझदारी

पाँच सौ का नोट

वशीकरण

सूट-बूट सहपाठी

भोलापन

नक़ली

नेता जी का सच

बदलाव

गुड्डे को सॉरी बोलो 

नवीनीकरण

अपने हिस्से का संघर्ष

जुगाड़

संवेदनहीनता 

देवता झूठ नहीं बोलता

दोगलापन

बॉयोडाटा

संघर्ष की राह

पापा आप कब आओगे 

देर बहुत हो गई 

पर्दे

साँठ-गाँठ

तिकड़मी

शर्मिंदगी

असमंजस

बदलाव

नऊआ और कौआ

संकीर्ण सोच 

सरकारी राशन 

भीख 

करोड़पति 

भले की बात 

लोक-लाज 

औचक निरीक्षण 

उधारी नहीं होगी 

आत्मबोध 

मैं छोटी बच्ची नहीं 

रूटीन का काम 

मैं भिखारी नहीं 

चांडाल चौकड़ी 

और फ़ोन कट गया 

वो तो पेट में है 

कीड़े-मकौड़े 

चक्कर ऐ औ

बीच का रास्ता

नोटिस


मनोज चौहान

पिता का नाम : श्री फागणू राम चौहान जन्म : 01 सितम्बर, 1979 ( कागजों में 01 मई, 1979 हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के गाँव महादेव (सुंदरनगर)

के एक किसान परिवार में।

शिक्षा : कला स्नातक, इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग,

पीजीडीएम इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी। सम्प्रति : एसजेवीएन, शिमला (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में प्रबन्धक के पद पर कार्यरत ।

लेखन की शुरुआत : 20 मार्च, 2001 से। प्रकाशन : देश-भर की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं/ई- पत्रिकाओं / कविता कोश / लघुकथा कोश /साझा संकलनों में कविता, लघुकथा, फीचर, आलेख, समीक्षा आदि प्रकाशित एवं संकलित । 'पत्थर तोड़ती औरत' (कविता संग्रह, 2017) अंतिका प्रकाशन से प्रकाशित।

सम्मान : (1) एसजेवीएन द्वारा आयोजित आंतर इकाई प्रतिगोगिता (प्रतिबिम्ब, 24 नवम्बर, 2019) में कविता पाठ के लिए द्वितीय पुरस्कार। (2) शंखनाद सामाजिक संगठन, नाहन, हिमाचल प्रदेश द्वारा (रंगोत्सव, 21 मार्च-2021 में) साहित्य लेखन के लिए 'शंखनाद मीडिया विशिष्ठ सम्मान 2020' से सम्मानित ।

प्रसारण: आकाशवाणी, शिमला (हिमाचल प्रदेश) से कविताएँ प्रसारित ।

स्थायी पता गाँव व पत्रालय-महादेव, तहसील- सुंदर नगर, जिला मंडी-175018 (हिमाचल प्रदेश) वर्तमान पता : एसजेवीएन कॉलोनी दत्तनगर, पोस्ट

ऑफिस- दत्तनगर, तहसील- रामपुर बुशहर, जिला-शिमला 172001 (हिमाचल प्रदेश)

ई मेल: mc.mahadev@gmail.com

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