लघुकथाओं में सामाजिक सरोकार / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
लघुकथाओं में सामाजिक सरोकार (आलोचना)
लेखक : रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
ISBN: 978-81-19299-38-6
प्रकाशक :
अयन प्रकाशन
जे - 19/39, राजापुरी, उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059
मोबाइल : 9211312372
e-mail : ayanprakashan@gmail.com
© : रचनाकार
प्रथम संस्करण : 2023
मूल्य : 400.00 रुपये
संपादक की ओर से विमर्श
सृजन और सहज भाव
लघुकथा आज जिस पड़ाव पर आ पहुँची है, वहाँ उसे किसी की विधागत स्वीकृति या सहमति की आवश्यकता नहीं है। यहाँ तक की यात्रा करने के लिए बहुत से नए पुराने यात्रिक लघुकथाकारों का योगदान है। लघुकथा के विषय - वैविध्य, गहन अनुभूति चेतना और विकासशील परिमार्जित शिल्प ने इस विधा को आज यह गरिमा प्रदान की है। पिछले तीन दशक से लघुकथा प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय तक के पाठ्यक्रम में अपना स्थान बना चुकी है।
अनुवाद के माध्यम से हिन्दीतर भाषाओं और हिन्दी की क्षेत्रीय बोलियों में लघुकथा अपनी पहुँच बना चुकी है। बीसवीं शताब्दी में सुभाष नीरव (हिन्दी (पंजाबी से हिन्दी ), श्याम सुन्दर अग्रवाल, डॉ. श्याम सुन्दर 'दीप्ति' (1 से पंजाबी), कमल पुंजाणी ( हिन्दी से गुजराती), डी. डी. शर्मा (हिन्दी से अँग्रेजी), सुकेश साहनी (अँग्रेजी से हिन्दी ), प्रदीप मोघे ( हिन्दी से मराठी); इक्कीसवीं शताब्दी में अज़मत अली (हिन्दी से उर्दू), डॉ. अशोक भाटिया (पंजाबी से हिन्दी ), डॉ. कुँवर दिनेश सिंह (हिन्दी से अँग्रेजी), डॉ. कविता भट्ट (हिन्दी से गढ़वाली), कल्पना भट्ट ( हिन्दी से अँग्रेजी), बेबी कारफरमा (हिन्दी से बांग्ला) अनुवाद द्वारा बड़े पाठक वर्ग तक अपनी पहचान बना चुके हैं। ख़लील जिब्रान की लघुकथाएँ (सुकेश साहनी) के चार संस्करण अनुवाद की लोकप्रियता का प्रमाण हैं।
लघुकथा डॉट कॉम के माध्यम से इस विधा को वैश्विक स्तर पर विशिष्ट पहचान मिली है। आकाशवाणी और दूरदर्शन की उद्घोषिका ऋतु कौशिक नवंबर 2018 से लघुकथा डॉट कॉम के लिए निरंतर गुणात्मक ऑडियो प्रस्तुत कर रही हैं। कनाडा के विभिन्न संस्थानों के कार्यक्रमों और टी.वी. चैनल पर भी विगत 12 वर्षों में लघुकथा पर खुली चर्चा हुई है। हिन्दी चेतना ने अपने विशेषांकों, सामान्य अंकों और प्रतियोगिता के माध्यम से इस विधा को भारतेतर देशों में भी पहुँचाया। मिन्नी (पंजाबी) त्रैमासिक अक्तूबर में अपने 35 वर्ष पूरे करने जा रही है। लघुकथा कलश ने अपने विशिष्ट अंकों से विधा की गरिमा को उन्नत किया है। विभिन्न मंत्रों द्वारा आयोजित सम्मेलनों मे विधा को समुन्नत करने में महती भूमिका का निर्वाह किया है। कथादेश अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता के 14 आयोजन संपन्न हो चुके हैं। पन्दहवें आयोजन का परिणाम पतीक्षित है। यह लघुकथा जगत् का अनवरत सम्पन्न होने वाला बहुचर्चित विशिष्ट आयोजन है।
समर्पित सृजन करने वालों की भीड़ नहीं होती है जहाँ आपाधापी या भीड़ होती है, वहाँ तन्त्र नहीं होता। जहाँ रचना विधान का सुविचारित अनुशासन नहीं होता. वहाँ रचनात्मक गरिमा नहीं होती। जहाँ रचनात्मक गरिमा नहीं होती, वहाँ विषयों और अन्तर्वस्तु का पिष्टपेषण ही अधिक होता है। भाषिक प्रमाद किसी भी नए-पुराने रचनाकार को भीड़ में खड़ा कर देता है। अच्छे लेखक की सामाजिक जागरूकता उसके विषयगत अनुभव का स्वर्ण द्वार है। कोठरी में बन्द होकर बैठने से, न सामाजिक जागरूकता आती है, न सामाजिक समझ उन्नत होती है । घटनाओं को लिपिबद्ध करना लघुकथा नहीं है। घटना एक सूत्र मात्र है। उसका कौन-सा अंश पल्लवित-पुष्पित होकर कथारूप लेगा, कभी-कभी इसका अनुमान लेखक को भी नहीं होता। जिन्हें लम्बे समय तक लघुकथा - जगत् में सृजन करना है, उन्हें 'चट रचना, पट छपना' के व्यामोह से बचना चाहिए । सहज भाव के बिना समस्यापूर्ति काव्य- रचना' की तर्ज पर बलात् माथापच्ची करके लघुकथा गढ़ना सृजन नहीं है।
वर्तमान समाज अनेक आर्थिक, राजनैतिक और वैश्विक कारणों से जटिलताओं और विसंगतियों में जकड़ा हुआ है। जागरूकता के अभाव में घोर रूढ़िवादी सोच, संकीर्ण क्षेत्रवाद और निजी स्वार्थ सर्वोपरि हो गए हैं। ऐसी विषम परिस्थितियों में लेखक का दायित्व बढ़ जाता है। 'लघुकथाओं में सामाजिक सरोकार' लेख लिखते समय जो लघुकथाएँ अनुरूप लगीं, उन्हें संयोजित कर लिया। उसी का पुस्तक रूप में आपके समक्ष है। आने वाले समय में इस लेखमाला को आगे बढ़ाया जाएगा। आशा है आपको यह प्रयास पसन्द आएगा।
19 जुलाई 2023 - रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' नई दिल्ली
अनुक्रम
(उपर्युक्त आलेख में आई) सन्दर्भित लघुकथाएँ
1. सुकेश साहनी
2. डॉ. अशोक भाटिया
3. डॉ. सुषमा गुप्ता
4. डॉ. कविता भट्ट
5. रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
6. श्याम सुन्दर अग्रवाल
7. छवि निगम
8. सुभाष नीरव
9. अंजू खरबन्दा
10. दीपाली ठाकुर
11. भारती कुमारी
12. अनिता ललित
13. अन्तरा करवड़े
14. डॉ. उपमा शर्मा
15. डॉ. कमल चोपड़ा
16. कुमारसम्भव जोशी
17. चन्द्रशेखर दुबे
18. निर्देश निधि
19. पंकज कुमार चौधरी
20. पारस दासोत
21. डॉ. प्रद्युम्न भल्ला
22. प्रियंका गुप्ता
23. डॉ. बलराम अग्रवाल
24. डॉ. मंजुश्री गुप्ता
25. महेश शर्मा
26. मीनू खरे
27. मुरलीधर वैष्णव
28. रमेश बतरा
29. डॉ. श्याम सुन्दर 'दीप्ति'
30. रश्मि शर्मा
31. डॉ. शंकर पुणतांबेकर
32. सरोज परमार
33. सुरेश अवस्थी
34. हरिशंकर परसाई
रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
जन्म:19 मार्च, 1949, हरिपुर जिला सहारनपुर (उ.प्र.)
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), बी. एड्.
प्रकाशित रचनाएँ : माटी, पानी और हवा (प्रौढ़ शिक्षा विभाग, उ.प्र. द्वारा प्रकाशित) अँजुरी भर आसीस, कुकड़े कूं हुआ सवेरा, मैं घर लौटा, तुम सदी की धूप, बनजारा मन, साँझ हो गई, पञ्च पल्लव दूधिया धूप, भोर के अधर में लहर तुम्हारी (कविता-संग्रह), तुम हो मुझमें (नवगीत-संग्रह) मेरे सात जनम माटी की नाव, बन्द कर लो द्वार (हाइकु-संग्रह), तीसरा पहर (ताँका सेदोका चोका संग्रह), मिले किनारे (ताँका और चोका-संग्रह संयुक्त रूप से डॉ. हरदीप सन्धु के साथ), झरे हरसिंगार (ताँका-संग्रह), धरती के आँसू, बतियाती पगडण्डी (दीपा, दूसरा सवेरा लघु उपन्यास) असभ्य नगर (लघुकथा-संग्रह-दो संस्करण), खूँटी पर रंगी आत्मा (व्यग्य-संग्रह), भाषा चन्द्रिका (व्याकरण). बाल भाषा-व्याकरण, लघुकथा का वर्तमान परिदृश्य, (लघुकथा-समालोचना) सह अनुभूति एवं काव्य-शिल्प (काव्य- समालोचना) हाइकु आदि काव्य-धारा (जापानी काव्यविधाओं की समालोचना), छन्द-विधान एवं सृजन, मद्य की विभिन्न विधाएँ, फुलिया और मुनिया (बालकथा हिन्दी और अंग्रेजी, अंग्रेजी संस्करण दो बार इटली के विश्व पुस्तक मेले में प्रदर्शित), चखकर देखो (प्राथमिक स्तर की अनुपूरक पाठ्य सामग्री), राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा हरियाली और पानी (बालकथा), इसी पुस्तक का गीड़-गदेड ओन्डो दः अ (हो भाषा), हरियार और द:अ ('असुरी' भाषा). मिथिंगा आरो दै (बोडो), उड़िया गुजराती, पंजाबी में अनुवाद प्रकाशित, झरना, सोनमछरिया, कुआँ (पोस्टर बाल कविताएँ), रोचक बाल कथाएँ। लोकल कवि का चक्कर (2005 में आकाशवाणी जबलपुर से नाटक का प्रसारण)। 'ऊँचाई' लघुकथा पर हिन्दी और पंजाबी में लघु फिल्म। नेपाली, पंजाबी, अंग्रेजी, उर्दू, मराठी, गुजराती, संस्कृत, बांग्ला में अनूदित कुछ रचनाएँ।
अनुवाद : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के लिए 2 पुस्तकों का अंग्रेजी से हिन्दी में। फिल्म
सम्पादन: कुल 40 सम्पादित पुस्तकें, laghukatha.com, www.hindihaiku.net, http://trivennr.blogspot.com के सहयोगी सम्पादक,
मेरा अन्तर्जाल : सहज साहित्य https://www.sahajsahity.com, सम्पादक-हिन्दी चेतना ।
प्रसारण : रेडियो सीलोन, आकाशवाणी गुवाहाटी, रामपुर, नजीबाबाद, अम्बिकापुर एवं जबलपुर, दूरदर्शन हिसार, टैग टी.वी. और सी. एन. (कैनेडा) से।
सम्प्रति: स्वतन्त्र लेखन केन्द्रीय विद्यालय के प्राचार्य पद से सेवा निवृत्त ।
ई-मेल : rdkamboj@gmail.com
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें